2010-19 सबसे गर्म दशक; धरती का तापमान 1.1° सेल्सियस बढ़ा, एक चौथाई समुद्र के अम्लीय होने से भोजन और नौकरियों का खतरा

मैड्रिड .विश्व मौसम विज्ञान संगठन (डब्ल्यूएमओ) ने मंगलवार को अपनी सालाना रिपोर्ट जारी की। इसमें कहा गया है कि साल 2010-19 का दशक इतिहास में सबसे गर्म रहा। 40 साल में इस दशक ने गर्मी के सभी रिकॉर्ड तोड़ दिए। इस साल वैश्विक तापमान औद्योगीकरण से पहले के दौर की तुलना में 1.1° सेल्सियस बढ़ा है। बढ़ते कार्बन उत्सर्जन को इसका मुख्य कारण मानते हुए चेतावनी दी गई है कि इससे तापमान में और इजाफा होगा और यह स्थिति पृथ्वी के लिए बहुत खतरनाक साबित हो सकती है। समुद्रों का तापमान और उसका जलस्तर भी रिकॉर्ड स्तर पर बढ़ा है।

दुनिया के समुद्र 150 साल पहले की तुलना में 26% अम्लीय हो गए हैं, जिसके कारण लोगों के भोजन और नौकरियों पर असर पड़ सकता है। डब्ल्यूएमओ के महासचिव पेटरी तलास ने कहा- ‘एक और साल, एक और रिकॉर्ड। साल 2015 में जो हमने सबसे ऊंचा तापमान दर्ज किया था, वह 2020 में टूटने वाला है। लू, बाढ़, सूखा और चक्रवात की घटनाएं पहले सदियों तक नहीं हाेती थीं, लेकिन बढ़ते कार्बन उत्सर्जन और ग्रीन हाउस गैसाें के कारण तापमान बढ़ने से आए दिन इसके दुष्परिणाम देखने को मिल रहे हैं। यूरोप, ऑस्ट्रेलिया और जापान में लू, दक्षिणअफ्रीका में महातूफान, ऑस्ट्रेलिया, कैलिफोर्निया के जंगलों में आग की घटना इसका ताजा उदाहरण है।

विस्थापित होने वालाें की संख्या 2.2 करोड़ पहुंच सकती है

पिछले 40 साल में हर साल पिछले से अधिक गर्म रहा है। रिपोर्ट में कहा गया कि इस साल के अंत तक मौसम में बदलाव के चलते विस्थापित होने वालाें की संख्या 2.2 करोड़ पहुंच सकती है। इधर, संयुक्त राष्ट्र ने पिछले हफ्ते जारी बयान में कहा कि दुनिया को कार्बन उत्सर्जन में हर साल 7.6% की कटौती की जरूरत है। अगर ऐसा नहीं हुआ तो 2030 तक तापमान 1.5 डिग्री बढ़ सकता है। अगर ऐसा हुआ तो यह सबसे भयावह स्थिति होगी।

मानसून देरी से आया और गया; जून में बारिश कम हुई, बाद में ज्यादा
डब्ल्यूएमओ ने कहा कि जलवायु परिवर्तन का ही असर है कि भारत में मानसून का आना और जाना देरी से हुआ। जून के महीने में बारिश में भारी कमी रही, जबकि अगले महीनों में भारी बारिश हुई। इसके अलावा मध्य अमेरिका, उत्तरी कनाडा, उत्तरी रूस और दक्षिण पश्चिम एशिया में असामान्य भारी बारिश हुई है। इसके कारण इन इलाकों में लगातार बाढ़ आ रही है। इसके उलट इंडोनेशिया-ऑस्ट्रेलिया में भीषण सूखा रहा।

क्यों बढ़ रहा तापमान: जीवाश्म ईंधन जलाने, नए भवन निर्माण, फसलें और परिवहनों से कार्बन उत्सर्जन बढ़ रहा।

इससे क्या असर : जलवायु परिवर्तन, सूखा, लू, बाढ़, चक्रवाती तूफान, जंगलों में आग लगने की घटनाएं बढ़ेंगी।

इंसानों को क्या नुकसान : बेमौसमी बीमारियाें से मौतें, खाद्यान्न संकट, लोगों का विस्थापन और रोजगार घटेगा।

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2010–19 hottest decade; Earth's temperature rises by 1.1O


source https://www.bhaskar.com/international/news/201019-hottest-decade-earths-temperature-rises-by-11o-126199987.html

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