रश्दी का जो बंगला 1970 में 3.75 लाख रुपए का था, अब 130 कराेड़ रु. का
नई दिल्ली .बुकर प्राइज विजेता औरख्यात लेखक सलमान रश्दी के नई दिल्ली में पाॅश इलाके सिविललाइंस स्थित बंगले की कीमत दिसंबर2012 के हिसाब से 130 कराेड़ रुपए आंकी गई है।1970 में इसकी कीमत 3.75 लाख रुपए लगाई गई थी। यह तब से बिकने के लिए तैयार है, लेकिन विवाद में यह ऐसा अटका कि अब तक नहीं बिक पाया। दिल्ली हाई कोर्ट के आदेश के बाद इसके बिकने की राह खुली है।
दरअसल, सलमान रश्दी के पिताअनिस अहमद रश्दी ने 1970 में यह बंगला पूर्व कांग्रेस नेता भीखू राम जैन काे बेचने के लिए सौदा किया था, लेकिन दाेनाें पक्षाें में विवाद हाेने से साैदा अटक गया। विवाद अंतत: सुप्रीम काेर्ट पहुंचा। 3 दिसंबर2012 काे सुप्रीम काेर्ट ने फैसलाजैन के पक्ष में दिया। काेर्ट ने रश्दी काे आदेश दिया कि वे बाजार कीमत के हिसाब सेपैसा लेकर बंगला पूर्व कांग्रेस नेता काे साैंप दें। हालांकि काेर्ट ने बंगले का मूल्यांकन कराने का फैसला दिल्ली हाई कोर्ट पर छोड़ दिया था।दिल्ली हाई काेर्ट ने अब इस बंगले की कीमत का मूल्यांकन करवा लियाहै। 3 दिसंबर2012 के हिसाब से इस संपत्ति की कीमत 130 कराेड़ रुपए आंकी गई है।
जैन खरीदेंगे या नहीं, इस पर पेंच
दिल्ली हाई काेर्ट के जस्टिस राजीव सहाय एंडलाॅ ने कहा कि यदि जैन इस कीमत पर बंगले काे खरीदने में सक्षम नहीं हाें, ताे रश्दी काे इसे छह महीने में किसीअन्य पक्ष काे बेचना हाेगा। यदि रश्दी इसे दिए गएसमय में 130 कराेड़ रुपए में नहीं बेच पाते हैं, ताे इसके 60 दिन बादजैन इसे 75 कराेड़ रुपए में खरीदने के हकदार हाेंगे, जाे 4 दिसंबर2012 काे प्रचलित सर्किल रेट था। हाई काेर्ट ने यह भी कहा कि यदि जैन इसे 75 कराेड़ रुपए में नहीं खरीद सकते, ताे रश्दी इस बंगले के 1970 में किए गएसमझाैते से बाहर हाेकर किसी अन्य काे बेचने काे सक्षम हाेंगे।
यह है मामला
अनिस अहमद रश्दी ने भीखू राम जैन काे यह बंगला 3.75 लाख में बेचने का साैदा किया था। जैन ने बताैर पेशगी रश्दी काे 50 हजार रुपए दिए थे। शेष राशि आयकर विभाग से क्लीयरेंस मिलने के बाद देने का आश्वासन दिया था। इसके बाद दाेनाें पक्षाें में विवाद हाे गया कि वे समझाैते की शर्ताें का पालन नहीं कर रहे हैं। जैन 1977 में यह मामला ट्रायल काेर्ट ले गए। उन्हाेंने काेर्ट से दरख्वास्त की कि रश्दी काे आदेश दिया जाए कि वह दिसंबर 1970 के समझाैते का पालन करें। 15 अक्टूबर 1983 काे ट्रायल काेर्ट ने उनके पक्ष में फैसला दिया।साथ ही कहा कि जैन 3.25 लाख रुपए चुकाकर रश्दी से यह संपत्ति हासिल कर सकते हैं। इस फैसले के खिलाफ रश्दी ने दिल्ली हाई काेर्ट में अपील की, जिसने 31 अक्टूबर 2011 काे फैसला सुनाया कि जैन रश्दी पर बंगला देने का दबाव नहीं डाल सकते। काेर्ट ने यह भी आदेश दिया कि रश्दी 12%सालाना ब्याज की दर से 50 हजार रुपए जैन काे लाैटा दें।
इसके बाद जैन ने सुप्रीम काेर्ट का दरवाजा खटखटाया। सभी पक्षाें काे सुनने के बाद सुप्रीम काेर्ट इस निर्णय पर पहुंचा कि हाई काेर्ट ने रश्दी के पक्ष में फैसला सुनाकर गलती की है और उसने फैसले काे अमान्य घाेषित कर दिया। साथ ही कहा कि रश्दी काे जैन के पक्ष में बिक्री लेख का पालन करना चाहिए। रश्दी काे आदेश की दिनांक 3 दिसंबर 2012 के हिसाब से यह संपत्ति जैन काे बेचना चाहिए।
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