उपचुनाव की 15 सीटों पर मतदान जारी, भाजपा के लिए राज्य में सरकार बचाने की चुनौती
बेंगलुरु.कर्नाटक की 15 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव के लिएसुबह 7 बजे मतदान शुरू हो गया। इसे राज्य का मिनी विधानसभा चुनाव माना जा रहा है, क्योंकि भाजपा को सरकार बचाने के लिए हर हाल में 6 सीटें जीतनी होंगी। ऐसा नहीं होने पर येदियुरप्पा सरकार गिरने का संकट पैदा हो जाएगा। परिणाम 9 दिसंबर को आएंगे। उपचुनाव में भाजपा, कांग्रेस और जेडीएस अलग-अलग चुनाव लड़ रही हैं। इन 15 सीटों पर कुल 165 उम्मीदवार मैदान में हैं। इनमें 126 निर्दलीय और केवल9 महिला प्रत्याशीहैं।
महाराष्ट्र में शिकस्त के बाद यह उपचुनाव भाजपा के लिए प्रतिष्ठा का सवाल है। वहीं, कांग्रेस के लिए खोई जमीन वापस पाने और जेडीएस के लिए किंगमेकर बनने का मौका है। कांग्रेस और जेडीएस ने विधासभा चुनाव अलग-अलग लड़ा था। इसके बाद गठबंधन सरकार में कुमारस्वामी मुख्यमंत्री बने थे।
उपचुनाव क्यों हो रहे हैं?
कांग्रेस और जेडीएस के 17 विधायकों ने तत्कालीन मुख्यमंत्री कुमारस्वामी के फ्लोर टेस्ट से पहले इस्तीफा दे दिया था। तब के स्पीकर केआर रमेश कुमार ने इस्तीफा स्वीकार न करते हुए सभी विधायकों को अयोग्य घोषित कर दिया था। इसलिए 15 सीटों पर उपचुनाव हो रहे हैं। दो सीटों मस्की और राजराजेश्वरी नगर पर कर्नाटक हाईकोर्ट में मामला लंबित है। इसलिए यहां चुनाव बाद में होंगे।
5 सीटों पर 37 लाख से ज्यादा मतदाता
चुनाव आयोग के मुताबिक, 15 सीटों पर उपचुनाव में 37 लाख 50 हजार से ज्यादा मतदाता शामिल होंगे। इसमें 19.12 लाख पुरुष और 18.37 लाख महिलाएं हैं। उपचुनाव के लिए 4185 पोलिंग बूथ बनाए गए हैं। मतदान के लिए में ईवीएम के साथ वीवीपैट का भी इस्तेमाल होगा।
कांग्रेस-जेडीएस के 15 में से 13 बागियों को भाजपा से टिकट
भाजपा ने पार्टी में शामिल हुए 15 बागी विधायकों में से 13 को उपचुनाव में प्रत्याशी बनाया है। होसकोटे सीट पर शरथ बचेगौड़ा भाजपा से अलग होकर निर्दलीय लड़ रहे हैं। यहां भाजपा ने कांग्रेस से आए पूर्व विधायक एमटीबी नागराज को टिकट दिया है। मैसूरु की हुंसुर सीट पर जेडीएस के पूर्व प्रदेशाध्यक्ष एएच विश्वनाथ को उतारा है। यह सीट जेडीएस का गढ़ रही है। जेडीएस ने भाजपा को बाहर से समर्थन का विकल्प खुला रखा है। लेकिन अधिक संभावना कांग्रेस और जेडीएस के बीच फिर तालमेल की है।
कर्नाटक में सीटों का गणित
कर्नाटक विधानसभा में कुल 224 सीटें हैं। 17 विधायकों को अयोग्य ठहराने के बाद विधानसभा सीटें 207 रह गईं। इस लिहाज से बहुमत के लिए 104 सीटों की जरूरत थी। भाजपा (105) ने एक निर्दलीय के समर्थन से सरकार बना ली। 15 सीटों पर उपचुनाव होने के बाद विधानसभा में 222 सीटें हो जाएंगी। उस स्थिति में बहुमत का आंकड़ा 111 होगा। भाजपा को सत्ता में बने रहने के लिए कम से कम 6 सीटों की जरूरत होगी।
कुल सीटें : 224 सीटें
17 विधायकों को अयोग्य करार देने के बाद सीटें : 207
इसके बाद सरकार बनाने के लिए जरूरी : 104
भाजपा+ : 106
कांग्रेस : 66
जेडीएस : 34
बसपा : 1
उपचुनाव के बाद
15 सीटों पर चुनाव के बाद विधानसभा में सीटें : 222
तब बहुमत का आंकड़ा : 111
भाजपा को सत्ता में बने रहने के लिए जरूरी : 6 सीटें
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