पीएचडी स्कॉलर ने दूध ठंडा करने का उपकरण तैयार किया, ब्रिक्स-यंग साइंटिस्ट फोरम में अव्वल, अवॉर्ड मिला
रोहताश शर्मा, करनाल. राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान (एनडीआरआई) के पीएचडी स्कॉलर रविप्रकाश ने दूध को ठंडा करने का उपकरण (डिवाइस) तैयार किया है। इससे विकसित देशों के छोटे किसानों को फायदा होगा। नैनो टेक्नोलॉजी के सिद्धांत पर यह उपकरण तैयार किया है। ब्राजील में आयोजित यंग साइंटिस्ट सम्मेलन में इस डिवाइस की प्रेजेंटेशन दी। पांच देशों के 100 युवा वैज्ञानिकों ने भी अपनी प्रेजेंटेशन दी। जिसमें यह डिवाइस प्रथम रहा।
रवि ने बीटेक एनडीआरआई करनाल से की है। इसके बाद एनडीआरआई के रीजनल सेंटर बेंगलुरू से एमटेक की और मौजूदा समय में वहीं पर पीएचडी कर रहे हैं। स्कॉलर रवि प्रकाश ने चौथे ब्रिक्स-यंग साइंटिस्ट फोरम (वाईएसएफ) रियो डी जनेरो ब्राजील में आयोजित समारोह में भारतीय प्रतिनिधिमंडल के सदस्य के रूप में हिस्सा लिया। पांच देशों के 100 यंग वैज्ञानिक और इंडिया से 20 वैज्ञानिक गए हुए थे।ब्रिक्स में भारत, रसिया, साउथ अफ्रीका, ब्राजील और चाइना शामिल हैं।
ब्रिक्स सम्मेलन: दो दिन प्रजेंटेशन दी, आखिरी प्रजेंटेशन में तीन चुने गए
दो दिन कार्यक्रम में सभी युवा वैज्ञानिकों ने अपनी प्रेजेंटेशन दी। दो दिन चले इस कार्यक्रम में पहले चरण में 20 वैज्ञानिकों को चुना गया। दोबारा से प्रजेंटेशन में तीन युवा वैज्ञानिक चुने गए। इनमें भारत के रविप्रकाश को प्रथम यंग साइंटिस्ट चुने गए। दूसरे स्थान पर रसिया और तीसरे स्थान पर ब्राजील रहा। कार्यक्रम में रविप्रकाश को प्रथम आने पर 25 हजार रुपए डॉलर का अवॉर्ड मिला।
डिवाइस 30 मिनट में 7 डिग्री तक ठंडा कर देगा दूध को
एनडीआरआई बेंगलुरु के दक्षिणी क्षेत्रीय स्टेशन की प्रधान वैज्ञानिक डॉ. मेनन रेखा रवींद्र (इंजीनियरिंग) के मार्गदर्शन में अपना शोध कर रहे हैं। रविप्रकाश मूलत बिहार के पश्चिमी चंपारण हरसरी गांव का रहने वाला है। इनके पिता अरविंद कुमार शिक्षक हैं। रविप्रकाश के मुताबिक डी-फ्रिज में आमतौर पर दूध तीन घंटे में 10 डिग्री तक ठंडा करता है। जैसे गाय का तापमान 37 डिग्री होता है, दूध भी इतना ही गर्म होता है। एक डिवाइस पांच से छह लीटर दूध को 37 डिग्री से 10 मिनट में सात डिग्री तक ठंडा कर देगा। जबकि डी-फ्रिज आमतौर पर दूध को सात डिग्री तक ठंडा करने में तीन घंटे लेता है।
नैनो सिद्धांत पर आधारित डिवाइस
यह डिवाइस नैनो सिद्धांत के आधार पर तैयार किया गया है। पेटेंट के लिए अप्लाई कर दिया है। पेटेंट होने के बाद ही यह मार्केट में आएगा। फिलहाल इसकी कोस्ट पांच से छह हजार रुपए पड़ेगी, लेकिन ज्यादा मात्रा में बनने के बाद इसकी कीमत भी कम हो जाएगी। यह चार्ज करने के बाद काम करेगा।
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