लोग सरकार की आलोचना करने से डरते हैं: उद्योगपति राहुल बजाज, शाह बोले- अगर ऐसा है तो स्थिति सुधारनी होगी
नई दिल्ली. गृह मंत्री अमित शाह, रेल मंत्री पीयूष गोयल और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शनिवार को एक कार्यक्रम में उद्योगपतियों के सवालों के जवाब दिए। तीनों ने साध्वी प्रज्ञा से लेकर आर्थिक स्थिति और कश्मीर मुद्दे पर सरकार का पक्ष रखा। इसी दौरान उद्योगपति राहुल बजाज ने कहा कि देश में एक डर का माहौल है। उन्होंने कहा कि यूपीए-2 के समय हम सरकार की खुल कर आलोचना कर सकते थे। अभी आप अच्छा काम कर रहे हैं, इसके बावजूद अगर हम आलोचना करेंगे, तो भरोसा नहीं है कि आप इसकी तारीफ करेंगे। इस पर शाह ने कहा कि अगर ऐसा है तो हमें स्थिति सुधारने का प्रयास करना होगा।
हमने ऐसा कुछ नहीं किया, जिससे आलोचना पर हम डरें: शाह
बजाज ने आगे कहा, हमारे उद्योगपति मित्रों में यह कोई नहीं बोलेगा। लेकिन हमें एक वातावरण बनाना होगा। मैं गलत हो सकता हूं। मुझे शायद कुछ चीजें नहीं बोलनी चाहिए। इस पर अमित शाह ने कहा यह सिर्फ एक हौव्वा बनाया गया है। अगर किसी सरकार के बारे में सबसे ज्यादा लिखा गया है तो वह मोदी सरकार के खिलाफ है। लेकिन फिर भी अगर ऐसा वातावरण बना है तो हमें इसे सुधारने का प्रयास करना पड़ेगा। न आपको कोई डराना चाहता है। न हमने ऐसा कुछ किया है कि कोई बोले तो सरकार को चिंता हो। हमारी सरकार पारदर्शी रूप में चली है। हमें किसी विरोध का डर नहीं है। कोई करेगा तो उसके मेरिट देखकर हम अपने आप को सुधारने का प्रयास करेंगे।”
‘गोडसे पर साध्वी प्रज्ञा के बयान का सरकार-भाजपा ने विरोध किया’
शाह से जब साध्वी प्रज्ञा के नाथूराम गोडसे पर दिए बयान के बारे में पूछा गया, तो उन्होंने कहा, “न ही सरकार और नही भाजपा साध्वी प्रज्ञा के बयान का समर्थन करते हैं। हमने इसकी निंदा की है।” भाजपा ने प्रज्ञा ठाकुर को पूरे सत्र के लिए संसदीय पार्टी मीटिंग से निष्काषित कर दिया। इसके अलावा उन्हें रक्षा मामलों की समिति से भी बर्खास्त कर दिया गया था।
शाह की अपील- उद्योगपतिकश्मीर जा कर वहां के हालात देखें
जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटने के बाद के हालात पर शाह ने कहा, “मैं गृह मंत्री के तौर पर उद्योगपतियों से अपील करता हूं कि वे कश्मीर जाएं और वहां के हालात देखें। शाह ने कहा कि जहां तक इंटरनेट से प्रतिबंध हटाने की बात है तो यह पूरी तरह कानून और व्यवस्था का मामला है। इस बारे में स्थानीय प्रशासन को फैसला लेना है। उन्होंने बताया कि कश्मीर में अब सिर्फ 630 लोग ही जेल में हैं। इनमें सिर्फ 112 ही राजनीतिक बंदी हैं।
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