ओवैसी ने कहा- विधेयक पास हुआ तो भारत इजराइल बन जाएगा; महबूबा की बेटी बोलीं- यहां मुस्लिमों के लिए जगह नहीं
नई दिल्ली.एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने नागरिकता संशोधन विधेयक का विरोध किया है। उन्होंने बुधवार को कहा कि अगर इस बिल को संसद से मंजूरी मिलती है तो भारत इजराइल बन जाएगा। धर्म के आधार पर किसी को नागरिकता देना संविधान के मूल सिद्धांतों के खिलाफ है। उधर, जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती की बेटी सना इल्तिजा जावेद ने भी बिल के विरोध में कहा- भारत में मुस्लिमों के लिए कोई जगह नहीं। सरकार मुस्लिम समुदाय को कमजोर करना चाहती है।
केंद्रीय कैबिनेट से नागरिकता संशोधन विधेयक, 2019 को मंजूरी मिल चुकी है और इसे इसी सत्र में संसद में पेश किया जाएगा। इस बिल के जरिए अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान के गैर-मुस्लिमों (हिंदुओं, सिख, जैन, बौद्ध, पारसी और ईसाई) को भारतीय नागरिकता देने में आसानी होगी।
'नागरिकता बिल मुस्लिम समुदाय के खिलाफ'
- ओवैसी ने कहा, ''सरकार इस बिल के जरिए भारत को धार्मिक देश बनाना चाहती है। इसके बाद भारत इजराइल जैसे देशों की कतार में शामिल हो जाएगा, जो कि भेदभाव के लिए जाने जाते हैं। अगर पूर्वोत्तरी राज्यों को इससे छूट मिलने की खबरें सही हैं तो यह संविधान में मौलिक अधिकारों से जुड़े अनुच्छेद 14 का उल्लंघन होगा, क्योंकि एक देश में नागरिकता से जुड़े दो कानून नहीं हो सकते हैं।''
- इल्तिजा ने महबूबा मुफ्ती के ट्विटर हैंडल से पोस्ट किया, ''सरकार का उद्देश्य स्पष्ट है। वे भारत में फैली मुस्लिमों की आबादी की स्थिति बदलना चाहते हैं। मुस्लिम समुदाय को कमजोर करना चाहते हैं ताकि वह देश में निचले दर्जे के नागरिक बनकर रह जाएं।''
9 विपक्षी दल बिल के विरोध में, धार्मिक आधार पर भेदभाव का आरोप
कांग्रेस समेत 9 विपक्षी दल धार्मिक आधार पर भेदभाव का आरोप लगाकर बिल का विरोध कर रहे हैं। उनकी मांग है कि नेपाल और श्रीलंका के मुस्लिमों को भी इसमें शामिल किया जाए। कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, द्रमुक, सपा, राजद, माकपा, एआईएमआईएम, बीजद और असम में भाजपा की सहयोगी अगप विधेयक का विरोध कर रही हैं। जबकि, अकाली दल, जदयू, अन्नाद्रमुक सरकार के साथ हैं। बिल का असम और अन्य पूर्वोत्तर राज्यों में भी विरोध है। ऐसे में मोदी सरकार के लिए बिल को संसद पास कराना चुनौती होगा। जनवरी में लोकसभा से पास होने के बाद यह राज्यसभा में अटक गया था।
Q&A में समझें नागरिकता संशोधन विधेयक...
1. नागरिकता कानून कब आया और इसमें क्या है?
जवाब:यह कानून 1955 में आया। इसके तहत भारत सरकार अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान के गैर-मुस्लिमों (हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध, पारसी और ईसाई) को 12 साल देश में रहने के बाद नागरिकता देती है।
2. सरकार क्या संशोधन करने जा रही?
जवाब:संशोधित विधेयक में अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान के अल्पसंख्यक शरणार्थियों को नागरिकता मिलने की समयावधि 6 साल करने का प्रावधान है। साथ ही 31 दिसंबर 2014 तक या उससेपहले आएगैर-मुस्लिमों को नागरिकता मिल सकेगी। इसके लिए किसी वैध दस्तावेज की जरूरत नहीं होगी।
3. विरोध क्यों हो रहा?
जवाब:पूर्वोत्तर के लोगों का विरोध है कि यदि नागरिकता बिल संसद में पास होता है तो इससे राज्यों की सांस्कृतिक, भाषाई और पारंपरिक विरासत खत्म हो जाएगी।
4. असम समझौता क्या था?
जवाब:इसमें 1971 से पहले आए लोगों को नागरिकता देने का प्रावधान था। सरकार का कहना है कि यह विधेयक असम तक ही सीमित नहीं रहेगा, बल्कि यह पूरे देश में प्रभावी होगा।
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source /national/news/india-will-become-israel-if-citizenship-amendment-bill-passed-says-owaisi-news-updates-126214577.html
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