सुब्रमण्यम स्वामी बोले- मुस्लिमों को डरने की जरूरत नहीं; हम सब एक ही परिवार का हिस्सा, बशर्ते वे गौरी-गजनी को न मानें
नई दिल्ली.‘राम मंदिर के पुनर्निर्माण से देश की अस्मिता स्पष्ट होगी। हिंदुओं का जो चिह्न ध्वस्त हुआ था, उसके फिर से निर्माण होने से साफ होगा कि हिंदू को कोई हरा नहीं सकता। मुसलमानों को डरने की जरूरत नहीं है। अगर वे गौरी-गजनी को न मानें, तो वे हमारे परिवार की तरह ही हैं क्योंकि उनका जीन तो हिंदू ही है।’दैनिक भास्कर से बातचीत में भाजपा के राज्यसभा सदस्य सुब्रमण्यम स्वामी ने ये टिप्पणियां कीं। उन्होंने हिंदुत्व, मुसलमान, राम मंदिर, जेएनयू, एक देश-एक भाषा पर खुलकर अपनी बात रखी। इसके साथ ही कुछ किस्से भी साझा किए। स्वामी ने दावा किया कि 2 अप्रैल 2020 को अयोध्या में राम मंदिर की आधारशिला रखी जाएगी।
स्वामी की 5 बातें, उन्हीं की जुबानी
1) हिंदू और हिंदुत्व
- ‘भारत एक हिंदू देश था। यहां आक्रमण हुआ तो हम लगातार लड़ते रहे। ऐसा इतिहास दुनिया के किसी देश का नहीं है। ईरान भी पहले पारसी यानी अग्नि पुजारियों का देश था। वहां इस्लाम ने कब्जा किया और सबको मुसलमान बना दिया। इराक सिर्फ 17 और इजिप्ट 21 साल में मुस्लिम देश बन गया। ईसाइयों ने 50 साल में पूरे यूरोप को क्रिश्चियन बना दिया। लेकिन, हिंदुस्तान ऐसा देश है, जहां 600 साल मुसलमानों और 150 साल अंग्रेजों ने राज किया। इसके बाद भी हिंदुस्तान में 82% हिंदू हैं।’
- ‘हमारे देश की मूल धारा तो हिंदू और हिंदुत्व है। इस चेतना को जगाने के लिए हिंदुओं का जो चिह्न ध्वस्त हुआ है, उसका पुर्ननिर्माण करना है ताकि हिंदुस्तान में सब जान लें कि हिंदू को कोई हरा नहीं सकता। हम ये नहीं कहते कि मुसलमान यहां रह नहीं सकता। 1947 में पाकिस्तान ने कह दिया कि वो इस्लामिक स्टेट है, लेकिन हमने कहा कि नहीं, हम तो सेक्युलर स्टेट होंगे। जो मुसलमान यहां से नहीं जाना चाहता, वो यहीं रहेगा।’
2) मुसलमान
- ‘मैं मुसलमानों को कहूंगा कि तुम्हें डरने की जरूरत नहीं है। पारसी भी हैं, यहूदी भी थे। किसी को डर नहीं हुआ तो मुसलमानों को डरने की जरूरत नहीं है। तुम्हें तब डरने की जरूरत है, जब खुद को गौरी-गजनी के साथ जोड़ोगे और गौरी-गजनी से जोड़ना सही भी नहीं है, क्योंकि जेनेटिक्स के अनुसार आपका डीएनए हिंदू है। ये बात यूके के कैंब्रिज यूनिवर्सिटी के जर्नल ऑफ जेनेटिक्स, मैसूर के जर्नल ऑफ जेनेटिक्स, अमेरिका के ह्यूस्टन के जर्नल ऑफ जेनेटिक्स की रिसर्च में आ चुकी है। हम एक ही राष्ट्र हैं और परिवार का हिस्सा हैं, लेकिन ये मानना होगा कि हम गौरी-गजनी के वंशज नहीं हैं।’
- ‘हमारा गणराज्य भारत है लेकिन अस्मिता हिंदुस्तानी है। चूंकि यहां के मुसलमानों के डीएनए टेस्ट से ये बात सिद्ध हो चुकी है कि उनके पूर्वज हिंदू थे। मुसलमान ये मान लें कि उनके पूर्वज हिंदू थे और वो मुसलमान बन गए। उनका वापस हिंदू बनना जरूरी नहीं है। हमने कभी दूसरों को हिंदू बनने के लिए विवश नहीं किया। बौद्ध और जैन थोड़ा करते थे, लेकिन सनातन हिंदू और सिखाें ने कभी किसी को मजबूर करके धर्म परिवर्तन नहीं करवाया।’
3) राम मंदिर
- ‘मैंने पहले ही कहा था कि हम आस्था पर ही जीतेंगे और उसी पर जीते भी। राम मंदिर को ध्वस्त करके उसकी सामग्री से मस्जिद बनाई। यही काशी विश्वनाथ में हुआ। औरंगजेब ने कृष्ण जन्मभूमि में भी यही किया। कृष्ण या राम जन्मभूमि हमारी आस्था के अनुसार दूसरी जगह नहीं हो सकती। गुरुनानक जब अयोध्या आए तो उन्होंने लिखा था कि राम मंदिर कितना सुंदर है। वे तो बाबर के पहले आए थे। राम मंदिर का फिर से निर्माण होगा तो हमारे देश की अस्मिता में स्पष्टीकरण आएगा।’
- ’मंदिर निर्माण में पारसी, यहूदी, जैन, सिख तो हमारे साथ हैं ही, लेकिन हमारे देश में ऐसे मुसलमान भी हैं जो बड़ी-बड़ी कंपनियों के मालिक हैं, वे भी दान देने को तैयार हैं। उनसे भी दान लेना चाहिए। मैं तो कहता हूं कि सरकारी खर्च बहुत कम होना चाहिए। मंदिर तो दान से ही बनना चाहिए। दूसरे धर्मों के इच्छुक लोगों से भी दान लेना चाहिए। जो दान देंगे, उनके नाम लिखकर गर्भगृह में रखा जा सकता है।’
- ‘मैंने रिसर्च करके 40 हजार ऐसे मंदिरों की पहचान की है, जो मुगल राज में ध्वस्त किए गए और उन पर मस्जिद बनी। बाकी में समझौता हो जाए तो हो जाए। लेकिन, अयोध्या मर्यादा पुरुषोत्तम और मथुरा संपूर्ण पुरुषोत्तम का जन्म स्थान है। काशी विश्वनाथ तो युगों से हमारे 12 ज्योर्तिलिंग में से एक है। ये तीन मंदिर तो हम लेकर रहेंगे। एक मिल गया है, दो की लड़ाई बाकी है। अभी राम मंदिर का शिलान्यास हो जाए। संविधान के मुताबिक 1947 में जो मंदिर या मस्जिद जिस स्थिति में है, उसे वैसा ही माना जाएगा।’
4) एक देश-एक भाषा
‘हिंदू में उर्दू के शब्द हटाकर संस्कृत के शब्द जोड़ दें तो एक देश-एक भाषा हो जाएगी। तमिल में 40% शब्द संस्कृत के हैं। वहीं मलयालम में 75%, कन्नड़ में 65% और बंगाली में 85% शब्द संस्कृत के हैं। करुणानिधि संस्कृत के सबसे बड़े विरोधी थे, लेकिन नाम संस्कृत है। हमारी हिंदी में उर्दू के शब्द नहीं होने चाहिए। इससे हमारी हिंदी खराब हो रही है। तमिल में जो हिंदी का विरोध है, वहजवाहरलाल नेहरू की देन है। नेहरू अंग्रेजों और अंग्रेजी के पक्षधर थे।’
5) जेएनयू
‘जेएनयू के बगल में ही आईआईटी है, मैं वहां पढ़ाता था। मैंने देखा कि जेएनयू की संस्कृति दूषित है। उसमें अश्लीलता है। मर्यादाहीन है। केवल 10 रुपए में होस्टल मिलता है तो लोग एक्टिविस्ट बनने के लिए फेल होते जाते हैं। इसे हम बदल नहीं सकते। मेरी राय है कि जेएनयू को दो साल के लिए बंद कर देना चाहिए। इस यूनिवर्सिटी का नाम भी बदल देना चाहिए। उनके नाम से बहुत कुछ है। इसे दो साल बाद खोलना चाहिए। अच्छे पढ़ने वालों को बगल के दूसरे कॉलेजों में एडमिशन दिला देना चाहिए। तब इसको ठीक किया जा सकता है। जब दो साल बाद इसे दोबारा खोला जाए तो इसकी फीस अन्य यूनिवर्सिटी के बराबर हो और अमेरिका की तरह इसके कैम्पस में पुलिस स्टेशन हो।’
पहला किस्सा : जब सब रामसेतु की लड़ाई हारे, तो मैं गया और जीतकर आया
स्वामी बताते हैं कि करुणानिधि रामसेतु उड़ाने वाले थे। सुप्रीम कोर्ट में रिव्यू पिटीशन, क्यूरेटिव पिटीशन सब खारिज हो चुकी थी। फिर अशोक सिंघल और उस समय के सरसंघचालक सुदर्शन जी मेरे पास आए और बताया कि रामसेतु को आरडीएक्स से उड़ाने वाले हैं। मेरे पास कोर्ट में फिर जाने का कोई आधार नहीं बचा था। फिर मैंने अर्थशास्त्री दिमाग लगाया। मैंने कोर्ट को बताया कि ये 3 हजार करोड़ की बचत है। जो जहाज यूरोप-अफ्रीका जैसे दूर देश से आते हैं, उन्हें श्रीलंका होकर मद्रास जाना पड़ता है। क्योंकि बीच में रामसेतु है। इसलिए सरकार रामसेतु को हटा रही है। रामसेतु हटाकर एक नहर बनेगी, उसमें समुद्र की रेत हटाने के लिए सालाना 200 करोड़ खर्च होंगे। इसके अलावा जहाज को नहर पार करने में भी समय लगेगा। इसकी जगह हम एक स्टेशन कन्याकुमारी से ऊपर तूतीकोरिन में खोलें। वहां से एक नया रेलवे ट्रैक तट के किनारे से मद्रास तक जाए। यहां कंटेनर के लिए कंटेनर कोर्ट बना दें ताकि जहाज आएं और कंटेनर सीधे रेल डिब्बे में रख दिए जाएं। इसमें खर्च सिर्फ 600 करोड़ आएगा। मेरी दलील से कोर्ट राजी हो गई और स्टे आर्डर मिल गया। इसके बाद बहस में जीत गए।
दूसरा किस्सा : मोदी ने कहा- नाम के आगे चौकीदार लगाओ, मैंने नहीं लगाया क्योंकि मैं ब्राह्मण हूं
स्वामी ने कहा कि चुनाव के दौरान मोदी ने कहा कि नाम से पहले चौकीदार लगाओ। मैंने कहा कि मैं नहीं लगाऊंगा। मैं ब्राह्मण हूं, मैं कैसे लगा सकता हूं। इमरजेंसी में सब डरे थे, लेकिन मुझे डर नहीं लगा। मैं तब भी बोलता था। अब भी बोलता हूं। हमें लोगों को बताना है तो बहुत माध्यम हैं। मैं सिर्फ प्रचारक नहीं हो सकता। मैं प्रचारक भी हूं, लेकिन जहां सिद्धांत एक होते हैं, वहां प्रचार भी करता हूं। कौन सा काम कैसे करना है? कहां करना है? इसमें मतभेद हो सकते हैं क्योंकि हम तो जीवन भर बुद्धिजीवी रहे हैं, प्राध्यापक रहे हैं। यह नहीं कि प्रधानमंत्री या राष्ट्रीय अध्यक्ष कहते हैं तो अपनी राय बना लूं?
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source https://www.bhaskar.com/db-originals/news/bjp-rajyasabha-mp-subramaniam-swami-interview-on-dainik-bhaskar-ayodhya-ram-mandir-muslim-jnu-126350961.html
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