पिता-भाई दुष्कर्म के आरोपों से बरी, कोर्ट ने कहा- यह मानना असंभव है कि परिवार के सदस्यों के सामने घटना हुई

नई दिल्ली. दिल्ली की एक अदालत ने पिता और भाई को लड़की से दुष्कर्म किए जाने के आरोप से बरी कर दिया। कोर्ट ने कहा कि यह असंभव लगता है कि परिवार के सदस्यों की मौजूदगी में उसके साथ दुष्कर्म किया जा सकता था। साथ ही कोर्ट ने कहा कि लड़की ने प्राथमिकी दर्ज कराने में भी बहुत देरी की। यह घटना 2015 में हुई, जब लड़की की उम्र 17 साल थी। उसने आरोप लगाया था कि उसके पिता और भाई ने महीनों तक उससे दुष्कर्म किया है। तीनों परिवार के 8-10 लोगों के साथ एक कमरे के घर मेंरहते थे।

अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश उम्मेद सिंह ग्रेवाल ने कहा कि लड़की ने आरोप लगाया था कि उसे किसी और से घटना के बारे में नहीं बताने की धमकी दी गई थी। उसके पास अपने परिवार द्वारा चलाए जाने वाले किराने की दुकान पर आने वाले ग्राहकों को घटना के बारे में बताने का हर मौका था। जहां वह कभी-कभी बैठती थी।

घर का कोई सदस्य पुलिस पूछताछ में शामिल नहीं हुआ

पिता-पुत्र को बरी करते हुए कोर्ट ने कहा कि पीड़ित और अभियुक्त के परिवार के लगभग 8-10 सदस्य एक साथ ही सोते थे। उनमें से कोई भी पुलिस जांच में शामिल नहीं हुआ था। यह असंभव है कि पिता और पुत्र परिवार के सदस्यों की मौजूदगी में दुष्कर्म करेंगे। पीड़ित के साक्ष्य भी कमजोर हैं। उसके द्वारा बताई घटना के समय और महीनों में फर्क है।

पीड़ित कोघटना के बारे में अन्य लोगों को बताने का पूरा मौका था: कोर्ट

लड़की ने अपनी जिरह में स्वीकार किया था कि उसके परिवार के सदस्य किराने की दुकान चलाते थे और वहभी उस दुकान पर बैठती थी। इसलिए, यह बात तो पूरी तरह असंभव सा लगता है कि उसे कहीं भी जाने की अनुमति नहीं थी।

पीड़ित और उसके चचेरे भाई की मदद से प्राथमिकी दर्ज कीथी

अदालत ने कहा कि पीड़ित और उसके चचेरे भाई की मदद से प्राथमिकी दर्ज की गई थी। इस बात पर विश्वास नहीं किया जा सकता है कि उन्होंने घटना के बारे में अपने चाचा से बात की थी। पीड़ित ने कहा था कि उसके परिवार के सदस्य उनके (चचेरा भाई और पीड़ित) समर्थन में थे। लेकिन किसी ने पुलिस जांच में उनकी मदद नहीं की थी।



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प्रतीकात्मक फोटो।


source /national/news/acquitted-of-father-brother-rape-charges-the-court-said-it-is-impossible-to-believe-that-the-incident-occurred-in-front-of-family-members-126232586.html

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