मोदी ने डिटेंशन सेंटर को झूठ कहा था, शाह बोले- असम में एक डिटेंशन सेंटर है, बाकी पर कन्फर्म नहीं
नई दिल्ली. गृह मंत्री अमित शाह ने मंगलवार को एक इंटरव्यू में डिटेंशन सेंटर बनाए जाने की बात पर सफाई दी। उन्होंने कहा कि डिटेंशन सेंटर बनाया जाना एक सतत प्रक्रिया है। अगर कोई विदेशी नागरिक पकड़ा जाता है तो उसे इसमें रखा जाता है। हालांकि, जब उनसे पूछा गया कि देश में ऐसे कितने सेंटर हैं तो उन्होंने कहा- अभी असम में एक है। इसके अलावा मेरी जानकारी में कोई नहीं है। मैं कन्फर्म नहीं हूं। इससे पहले रविवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने डिटेंशन सेंटर बनाने की बातों को अफवाह बताया था। वहीं, न्यूज एजेंसी रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक, असम में 6 डिटेंशन सेंटर हैं। इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, कर्नाटक में भी एक डिटेंशन सेंटर हाल ही में बनकर तैयार हुआ है।
मंगलवार को इंटरव्यू में एक जैसे सवालों के अमित शाह के दो जवाब
सवाल: डिटेंशन सेंटर को लेकर पीएम ने कहा। अब तो अखबारों में भी फोटो आ गए हैं? डिटेंशन सेंटर क्यों बना रहे हैं?
जवाब:डिटेंशन सेंटर सतत प्रक्रिया है। अगर एक नागरिक पकड़ा जाता है तो उसे डिटेंशन सेंटर में रखा जाता है। बाद में डिपोट की प्रक्रिया होती है। दुनिया का कोई भी नागरिक यहां घुसता रहे, यह ठीक नहीं। कोई नागरिक आता है, जिसे यहां रहने की इजाजत नहीं है तो उसे डिटेंशन सेंटर में रखा जाता है। ये सालों से हो रहा है। डिटेंशन सेंटर और एनआरसी का कोई लेनादेना नहीं है।
सवाल: ये डिटेंशन सेंटर कहां बने हैं और कितने हैं?
जवाब:कहीं नहीं बना है। केवल एक है असम में। कोई डिटेंशन सेंटर फंक्शनल नहीं है। और कहीं होगा तो मेरी जानकारी में नहीं है।
मोदी ने डिटेंशन सेंटर को बताया था झूठ
22 दिसंबर को दिल्ली स्थित रामलीला मैदान में मोदी ने कहा,‘‘अच्छे पढ़े लिखे लोग भी डिटेंशन सेंटर के बारे में पूछ रहे हैं। एक मीडिया रिपोर्ट देखी- जिसमें मीडिया के लोग पूछ रहे थे कि डिटेंशन सेंटर कहां है, लेकिन किसी को पता नहीं। पढ़ तो लीजिए की एनआरसी है क्या? अब भी जो भ्रम में हैं, उन्हें कहूंगा कि जो डिटेंशन सेंटर की अफवाहें हैं। वो सब नापाक इरादों से भरी पड़ी हैं। यह झूठ है, झूठ है, झूठ है। यह लोग झूठ बोलने के लिए किस हद तक जा रहे हैं। हमारे अधिकतर शरणार्थी पाकिस्तान से आए हैं, वे दलित परिवार से हैं। ये वे लोग हैं जिन्हें पाक में बंधुआ मजदूर बनाकर रखा गया था।’’
असम में 6 डिटेंशन सेंटर- रिपोर्ट
रॉयटर्स की सितंबर में आई एक रिपोर्ट के मुताबिक, असम के गोलापाड़ा में अवैध प्रवासियों के लिए पहला डिटेंशन सेंटर बनाया जा रहा है। इसमें करीब 3 हजार लोगों को रखा जा सकता है। एक अन्य रिपोर्ट के मुताबिक, असम में 6 डिटेंशन सेंटर हैं और इनमें 900 अवैध प्रवासियों को रखा गया है। 3 साल के दौरान यहां रखे गए लोगों में 28 की मौत हो गई है।
गृह राज्य मंत्री ने मानी थी 28 मौत की बात
27 नवंबर 2019 को तृणमूल सांसद डॉ शांतनु सेन के सवाल पर गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने कहा था- असम के डिटेंशन सेंटर में 28 लोगों की मौत हुई है। ये बात सही है।
गृह मंत्रालय ने जनवरी 2019 में राज्यों को नियमावली भेजी थी
जुलाई 2019 में गृह मंत्रालय ने राज्यसभा में कहा था- अवैध प्रवासियों को पहचानने, हिरासत में रखने और उन्हें प्रत्यर्पित करने के केंद्र के अधिकार को संविधान के तहत राज्यों को हस्तांतरित किया गया है। राष्ट्रीयता की पहचान और उन्हें प्रत्यर्पित किए जाने तक राज्यों को अवैध प्रवासियों को डिटेंशन सेंटरों में रखना चाहिए। हालांकि, राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा बनाए गए डिटेंशन सेंटरों और उनमें रखे गए अवैध प्रवासियों की संख्या का जिक्र नहीं किया गया है। केंद्र ने राज्यों को केंद्र शासित प्रदेशों को मॉडल डिटेंशन सेंटर और होल्डिंग सेंटरों के संबंध में नियमावली 9 जनवरी को भेजी थी। केंद्र बार-बार राज्यों से डिटेंशन सेंटर स्थापित करने के संबंध में निर्देश भेजता रहा है।
कर्नाटक में भी डिटेंशन सेंटर बनकर तैयार
इंडियन एक्सप्रेस, द हिंदू और एडीटीवी समेत कई मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक बेंगलुरु के पास नेलमंगला में कर्नाटक का पहला डिटेंशन सेंटर बनाया गया है। इस डिटेंशन सेंटर में आठ सेल हैं। एनडीटीवी के मुताबिक हर कमरे में 8 से 10 लोग रखे जाएंगे। रिपोर्ट के मुताबिक ये डिटेंशन सेंटर पहले एक बॉयज हॉस्टल था। जो 2008 में बंद हो गया था। जिसे राज्य सरकार ने एक डिटेंशन सेंटर में बदला गया है।
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