कभी रतन टाटा के सबसे करीबी रहे नुस्ली वाडिया ने कहा- सायरस मिस्त्री बदले की भावना से हटाए गए थे
- रतन टाटा 1991 में टाटा ग्रुप के चेयरमैन बने थे तबवाडिया पर बहुत ज्यादा निर्भर थे: रिपोर्ट
- जेआरडी टाटा के बाद वाडिया ही चेयरमैन की दौड़ में थे, लेकिन उन्होंने रतन टाटा का समर्थन किया था
- 2007 में वाडिया-रतन टाटा के बीच दूरियां बढ़ने लगीं, वाडिया ने 2016 में मिस्त्री को हटाने का भी विरोध किया था
- मिस्त्री के मामले में आपत्ति जताने के बाद वाडिया टाटा ग्रुप की तीन कंपनियों के बोर्ड से बाहर कर दिए गए थे
मुंबई. सायरस मिस्त्री-टाटा सन्स मामले में वाडिया ग्रुप के चेयरमैन नुस्ली (75) वाडिया का कहना है मिस्त्री (51) को चेयरमैन पद से हटाना एक व्यक्ति की बदले की कार्रवाई का नतीजा था। यह फैसला लेते वक्त जेआरडी टाटा के सिद्धांतों और नीतियों को भुला दिया गया। वाडिया ने नाम नहीं लिया लेकिन उनका इशारा रतन टाटा (81) की ओर था। बता दें सायरस मिस्त्री अक्टूबर 2016 में टाटा सन्स के चेयरमैन पद से हटा दिए गए थे। नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्रिब्यूनल ने बुधवार को मिस्त्री के पक्ष में फैसला देते हुए उनकी फिर से बहाली का आदेश दिया। वाडिया ने इकोनॉमिक टाइम्स से बातचीत में कहा- मुझे गर्व है कि मैं अकेला स्वतंत्र निदेशक था जिसे मिस्त्री पर भरोसा था और उन्हें हटाने का विरोध किया था। वाडिया एक दौर में वक्त रतन टाटा के सबसे करीबी थे। एक रिपोर्ट के मुताबिक वाडिया जेआरडी टाटा के बाद 1991 में टाटा ग्रुप के चेयरमैन बनने की दौड़ में सबसे आगे थे।
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source /business/news/cyrus-mistry-reaction-on-nclat-decision-of-cyrus-mistry-reinstatement-as-tata-sons-chief-126330312.html



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