शिवसेना ने ‘सामना’ में लिखा- प्‍याज सुंघाकर होश में लाया जाता है, अब तो वह भी संभव नहीं

मुंबई. शिवसेना ने मंगलवार कोपार्टी के मुखपत्र ‘सामना’केसंपादकीय मेंप्याज के बढ़ते दाम और महंगाई को लेकरभाजपा परनिशाना साधा। इसमें लिखा कि बेहोश व्‍यक्ति को प्‍याज सुंघाकर होश में लाया जाता है, लेकिन अब बाजार से प्‍याज गायब हो गया है। ऐसे में अब यह भी संभव नहीं है।’’

संपादकीय में लिखा, ‘‘बुलेट ट्रेन जैसी परियोजनाओं पर बेवजह जोर देकर आर्थिक भार बढ़ाया जा रहा है। निर्मला सीतारमण वित्‍त मंत्री हैं, लेकिन आर्थिक नीति में उनका क्‍या योगदान है? मैं प्‍याज नहीं खाती, तुम भी मत खाओ।यह उनका ही ज्ञान है।’’हालांकि, निर्मला ने बाद में कहा था कि प्‍याज पर दिए गए उनके बयान को गलत तरह से पेश किया गया।

‘अर्थव्यवस्था गिरती जा रही है’
शिवसेना ने लिखा, ‘‘हिंदुस्तान की अर्थव्यवस्था गिरती जा रही है। बीमार पड़ गई है। यह कहना है कि रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन का। राजन अर्थव्यवस्था के बेहतरीन डॉक्टर हैं।उनके द्वारा किया गया नाड़ी परीक्षण योग्य ही है। मतलब, देश की अर्थव्यवस्था को लकवा मार गया है, यह स्पष्ट दिखाई दे रहा है।’’

‘अब मोदी की नीति बदल गई’

  • ‘‘अर्थव्यवस्था के हर क्षेत्र में जोरदार पतझड़ जारी है,लेकिनसरकार मानने को तैयार नहीं है। प्याज200 रुपए किलो हो गई है।मोदी जब प्रधानमंत्री नहीं थे,तब प्याज की बढ़ती कीमतों पर उन्होंने चिंता जताई थी। गुजरात के मुख्यमंत्री रहने के दौरान उन्होंनेप्याज को जीवनोपयोगीवस्तु बताया था। यदि ये इतना महंगा हो जाएगा तो प्याज को लॉकर्स में रखने का वक्त आ जाएगा। आज मोदी की नीति बदल गई है।’’
  • ‘‘मोदी अब प्रधानमंत्री हैंऔर देश की अर्थव्यवस्था धराशायी हो गई है।देश की अर्थव्यवस्था का जो सर्वनाश हो रहा है,उसके लिए पंडित नेहरू औरइंदिरा गांधी को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता। वर्तमान सरकार विशेषज्ञों की सुनने की मनोस्थिति में नहीं है।देश की अर्थव्यवस्था मतलब उनकी नजर में शेयर बाजार का ‘सट्टा’ हो गया है।’¹
  • ‘‘शासकों कोमुट्ठी में रहने वाले वित्त मंत्री, आरबीआई के गवर्नर, वित्त सचिव, नीति आयोग के अध्यक्ष ही चाहिए। प्रधानमंत्री कार्यालय में अधिकारों का केंद्रीकरण और अधिकार शून्य मंत्री कीस्थिति को रघुराम राजन ने अर्थव्यवस्था के लिए घातक बताया है। ऐसा इसलिए क्योंकि वर्तमान सरकार में निर्णय, कल्पना, योजना इन तमाम स्तरों का केंद्रीकरण हो गया है।’’
  • ‘‘प्रधानमंत्री कार्यालय में कुछ ही लोग ही फैसले लेते हैं।आर्थिक सुधार हाशिए पर डाल दिए गए हैं। यह सत्य है। नोटबंदी जैसे निर्णय लेते समय देश के उस समय के वित्त मंत्री को अंधेरे में रखा गया।रिजर्व बैंक के तत्कालीन गवर्नर ने विरोध किया तो उन्हें हटा दिया। देश की अर्थव्यवस्था लड़खड़ा रही है। इसके पीछे मूल कारण नाकाम नोटबंदी का निर्णय है।’’

‘असुविधाजनक आंकड़े छिपाए जा रहे’

  • सामना में यह भी लिखा,‘‘गिने-चुने उद्योगपतियों के लिए अर्थव्यवस्था का इस्तेमाल किया जा रहा है। पंडित नेहरू और उनके सहयोगियों ने 50 वर्षों में जो कमाया, उसे बेचकर खाने में ही फिलहाल खुद को श्रेष्ठ माना जा रहा है।’’
  • ‘‘डॉ. सुब्रह्मण्यम स्वामी भाजपा के नेता हैं, वे संघ परिवार से हैं। उन्होंने ‘जीडीपी’ अर्थात फर्जी विकास दर का भंडाफोड़ किया। बड़ी घोषणा औरपूरीन होने वाली योजनाएं अब देश की ही नहीं, बल्कि चुनावी कार्यक्रम बन गई हैं। आर्थिक उदारीकरण का मार्ग उचित होता है, ऐसा पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने सिद्ध कर दिया है। आज सभी अधिकार सिर्फ प्रधानमंत्री के पास सिमट गए हैं। बाकी सभी बोलने वाले पत्थर बन गए हैं।’’
  • असुविधाजनक आंकड़े छिपाकर क्या होगा? उद्योग जगत में मंदी है। लोगों ने नौकरियां गंवाई हैं। बैंकों की स्थिति अच्छी नहीं है। जीएसटी जैसी उतावलेपन में लादी गई योजना नाकाम सिद्ध हुई है। इसलिए अर्थव्यवस्था दलदल में फंस गई। परिस्थिति इतनी बिगड़ गई है कि भूखमरी के मामले में हिंदुस्तानकी अवस्था आज नेपाल, बांग्लादेश और पाकिस्तान से भी खराब हो गई है।’’
  • ‘‘इस साल ‘ग्लोबल हंगर इंडेक्स’ की बात करें तो 107 देशों की सूची में हिंदुस्तानसीधे 102 नंबर पर पहुंच गया है। 2014 में यह 55वें नंबर पर था। मतलब पिछले 5 वर्षों में हिंदुस्तानमें भुखमरी तेजी से बढ़ी है तो नेपाल, बांग्लादेश, पाकिस्तान में कम हुई है। ‘हाथों में काम नहीं और पेट में अन्न नहीं’ ऐसी हमारे देश की आम जनता की अवस्था है और इसे ही हमारे शासक ‘विकास’ कह रहे हैं।’’


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सामना ने लिखा- पं. नेहरू ने 50 वर्षों में जो कमाया, उसे बेचकर खाने में ही खुद को श्रेष्ठ माना जा रहा है। -फाइल फोटो


source /maharashtra/mumbai/news/shiv-sena-mouthpiece-saamana-slams-bjp-over-the-issue-of-inflation-126255410.html

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