बड़ी वजह रघुवर को फ्री हैंड देना; प्रत्याशी चयन में गलती और आजसू से अलग होकर हार का रास्ता बना लिया

सवाल- क्या रघुवर दास का चेहरा सामने रखने से भाजपा को नुकसान हुआ?
जवाब- हां, हार के पीछे यह बड़ी वजह है। गठबंधन ने पूरे अभियान के दौरान उन्हें गैर आदिवासी और बाहरी चेहरा बताया। भाजपा का एक धड़ा रघुवर से अलग-थलग रहा। इन असंतुष्टों ने पार्टी के लिए गड्‌ढा खोदने का काम किया।

सवाल- क्या कोई अंडर करंट काम कर रहा था?
जवाब- अंडर करंट कुछ नहीं था। एक के बाद एक भाजपा गलतियां करती गईं, इसने पहाड़ का रूप ले लिया जिसने पार्टी को हार तक पहुंचा दिया।

सवाल- भाजपा की सबसे बड़ी गलती क्या रही?
जवाब-पार्टी ने सिर्फ एक गलती नहीं की। सबसे बड़ी गलती थी- पार्टी हाईकमान का रघुवर को फ्री हैंड देना। प्रत्याशी चयन से लेकर आजसू से गठबंधन नहीं होना और फिर सरयू राय का टिकट काटना हार की बड़ी वजह बनी।

सवाल- हरियाणा की तरह क्या झारखंड में भी भाजपा ने प्रत्याशी चयन में गलतियां की?
जवाब -हरियाणा से भाजपा ने सबक नहीं लिया। चुनाव अभियान की शुरुआत में पार्टी अति आत्मविश्वास में थी, इसलिए सही आपत्तियों को दरकिनार कर टिकट बांटे गए।

सवाल- आजसू को तो मात्र 2 सीटें मिली हैं। गठबंधन के बावजूद भाजपा कैसे सरकार बना पाती?
जवाब- ऐसा मानना बिलकुल गलत है। गठबंधन टूटने के बाद भाजपा-आजसू ने एक-दूसरे के खिलाफ प्रत्याशी उतार दिए। 19 साल से जो पार्टियां साथ-साथ थी, अब उनके अलग-अलग होने से, वोट बुरी तरह बंट गया। इसका फायदा जेएमएम और कांग्रेस प्रत्याशियों को हुआ।

सवाल- गठबंधन की इस जीत का मतलब यह भी है कि जल, जंगल, जमीन पर झामुमो का स्टैंड झारखंड की जनता को प्रभावित कर गया?
जवाब- सीएनटी-एसपीटी एक्ट में संशोधन करने और फिर विरोध होता देख पीछे हटने से भाजपा की यह छवि तो बन ही गई थी कि जल, जंगल, जमीन के आदिवासियों के पुश्तैनी अधिकारों को कम करने का प्रयास किया जा रहा है। अलबत्ता चुनाव अभियान के दौरान गठबंधन यह समझाने में कामयाब हो गया कि भाजपा सरकार में उनका जल, जंगल, जमीन सुरक्षित नहीं है।

सवाल- भाजपा का सबसे बड़ा स्लोगन था- डबल इंजन सरकार, क्या जनता ने इसे नकार दिया?
जवाब- नहीं, लोग हमेशा चाहते थे कि डबल इंजन सरकार हो ताकि विकास की रफ्तार तेज हो। इसीलिए तो भाजपा को 25 सीटें मिली हैं वर्ना यह संख्या और नीचे जा सकती थी।

सवाल- सरयू राय का टिकट काटने से भाजपा को कितना नुकसान हुआ?
जवाब- बड़ा नुकसान उठाना पड़ा। दो सीटें- पूर्वी और पश्चिमी जमशेदपुर गंवानी पड़ी। मुख्यमंत्री खुद हार गए।रघुवर दास से असंतुष्ट झारखंड के सभी लोग गोलबंद हो गए इन्होंने मिलकर भाजपा के खिलाफ माहौल बनाने का काम किया।

सवाल- आखिरी के दो चरणों में एनआरसी और नागरिकता संशोधन कानून ने भी रिजल्ट को प्रभावित किया?

जवाब- इसका प्रभाव नहीं दिखा। संथाल में ये मुद्दे चर्चा में जरूर रहे लेकिन इसका असर रिजल्ट में नहीं दिखा।

सवाल- मुख्यमंत्री, प्रदेश अध्यक्ष और विधानसभा अध्यक्ष तीनों हार गए। क्या यह भाजपा की स्टेट लीडरशिप की असफलता है?
जवाब- -हां, हार की यह भी बड़ी वजह रही। सरकार चलाने के दौरान की बात हो या चुनाव अभियान की, निर्णय लेने में इन्होंने गलतियां की। तीनों को हराकर जनता ने यह संदेश दिया है कि आप किसी को भी हमारे ऊपर थोप नहीं सकते।

सवाल- चुनावी सभाओं में भाजपा के नेता विकास कार्यों की लंबी फेहरिस्त लिए चल रहे थे, क्या मतदाता उससे प्रभावित नहीं हुआ?
जवाब- पांच साल में कुछ अच्छे काम जरूर हुए लेकिन लोगों की मूलभूत जरूरतों पर सरकार ने ध्यान नहीं दिया। जमीन का म्यूटेशन कराने से लेकर आय, जाति प्रमाणपत्र बनाने के लिए लोगों को दफ्तरों के चक्कर काटने पड़े। सरकारी मशीनरी हावी रही और लोग मुसीबतों से जूझते रहे। पारा शिक्षक और आंगनवाड़ी कर्मियों की उपेक्षा भी एक वजह रही।

सवाल- गृहमंत्री 11 और प्रधानमंत्री 9 सभाएं करके भी भाजपा के अच्छे दिन नहीं ला पाए?
जवाब- यह संकेत है कि इस बात की कोई गारंटी नहीं होती कि जो भीड़ सभाओं में आ रही है, वह वोटबैंक में बदलेगी ही। वैसे भी भीड़ जुटाना अब पार्टियों के मैनेजमेंट का हिस्सा हो गया है।



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रघुवर दास


source /jharkhand/ranchi/news/reason-for-bjps-defeat-in-jharkhand-126363540.html

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