मनमोहन सिंह के दावे पर राव के पोते ने कहा- गृह मंत्री अकेले सेना को बुलाने का फैसला नहीं ले सकते

हैदराबाद. तत्कालिन गृह मंत्री पीवी नरसिम्हा राव के पोते ने पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के दावे का खारिज किया है। सिंह ने बुधवार को कहा था कि अगर तत्कालीन गृह मंत्री पीवी नरसिम्हा राव 1984 में इंद्र कुमार गुजराल की सलाह मान लेते, तो दंगे नहीं होते। राव के पोते ने गुरुवार को कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री को पता होना चाहिए कि ऐसे फैसले कैबिनेट की मंजूरी से लिए जाते हैं। सेना को बुलाने का फैसला अकेले गृह मंत्री नहीं ले सकता।

राव के पोते और भाजपा नेता एनवी सुभाष ने गुरुवार को हैदराबाद में कहा कि 1984 में हुए सिख दंगे की वजह से अगर मनमोहन सिंह असहज थे तो उन्हें वित्त मंत्री के रूप मेंनरसिम्हा राव कैबिनेट में शामिल नहीं होना चाहिए था। वे अब दोष क्यों लगा रहे हैं? सिंह ने 2005 में सिख विरोधी दंगों के लिए माफी मांगी थी। सुभाष ने पूछा कि उन्होंने उस समय इस बारे में एक शब्द भी क्यों नहीं कहा।

‘उनके दादा ने वहीं किया जो उस समय जरूरी था’

सुभाष ने कहा कि गृह मंत्री खुद से सेना को कैसे बुला सकते हैं। वह भी तब जब पीएमओ खुद इस मामले को देख रहा हो। उस समय गृह मंत्री को कोई भी निर्देश देने से मना किया गया था।उन परिस्थितियों में एक ही चीज थी जो राव कर सकते थे। वह था जमीनी हालात से पीएमओ को अवगत कराना और उचित कार्यों के लिए अपील करना, जो उनके दादा ने किया।

‘गुजराल कीसलाह मान ली गई होती तो नरसंहार को रोका जा सकता था’

गुजराल की 100वीं जयंती पर दिल्ली में आयोजित एक कार्यक्रम में मनमोहन ने कहा था कि जब 1984 के दंगे हुए थे, तब शाम को गुजराल गृह मंत्री नरसिम्हा राव के पास गए थे। गुजराल ने उनसे कहा था कि स्थिति बेहदनाजुक है। ऐसे में सरकार को जल्द से जल्द सेना को बुला लेना चाहिए, यही ठीक होगा। यदि गुजराल की वह सलाह मान ली गई होती तो नरसंहार को रोका जा सकता था।’’ 1980 के दशक में गुजराल कांग्रेस छोड़कर जनता दल में चले गए थे। 1984 के दंगों के दौरान उन्होंने नरसिम्हा राव को मित्रवत सलाह दी थी।



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पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह (बाएं), राव के पोते एनवी सुभाष (दाएं)।


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