अयोध्या पर फैसले के दूसरे दिन काशी-मथुरा में हालात सामान्य, तिरंगे के साथ ईद मिलादुन्नबी के जुलूस निकले

वाराणसी/मथुरा.अयोध्या में 134 साल पुराने जमीन विवाद के निपटारे के बाद रविवार को उत्तरप्रदेश के काशी और मथुरा में हालात आम दिनों की तरह सामान्य रहे। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद काशी के विश्वनाथ मंदिर और मथुरा के मंदिरों में श्रद्धालुओं की संख्या पर कोई असर नहीं पड़ा। सुबह से ही श्रीकृष्ण की जन्मस्थली पर दर्शन करने वालों की भीड़ लगी रही। हालांकि, छुट्टी का दिन होने से विश्वनाथ मंदिर की गली में अधिकांश दुकानें बंद थीं। लेकिन यहां भी सुरक्षा व्यवस्था कड़ी है।

बनारस और मथुरा में परंपरागत तरीके से ईद मिलादुन्नबी के मौके पर बारावफात का जुलूस निकाले गए। इस दौरान लोगों के हाथों में तिरंगे नजर आए। विश्वनाथ मंदिर के पास के पास जुलूस में एक एंबुलेंस फंस गई तो मुस्लिम युवकों ने रास्ता देकर आगे बढ़ाया। वहीं, लीलाधर की नगरी मथुरा में कान्हा की बंसी से अमन के सुर निकलते सुनाई दिए। कड़ी सुरक्षा के बीच श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी।

1. काशी विश्वनाथ मंदिर: यहां आम दिनों की तरह श्रद्धालु बाबा भोलेनाथ के दर्शन के लिए पहुंचे। रविवार होने से मंदिर की गली में अधिकांश दुकानें बंद हैं। लेकिन, सुप्रीम कोर्ट से अयोध्या विवाद पर फैसला आने के बाद यहां सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी गई है।
2. काल भैरव मंदिर: यहां भी श्रद्धालुओं की संख्या आम दिनों से ज्यादा रही। फूल माला, प्रसाद, साड़ियों की ज्यादातर दुकानें खुली मिलीं। हालांकि, सुरक्षा के लिहाज से यहां भी अर्द्धसैनिक बल मुस्तैद है। काल भैरव को काशी का कोतवाल कहा जाता है।
3. गंगा घाट: कार्तिक मास में गंगा स्नान का विशेष महत्व है। रविवार को प्रदोष होने से व्रत और स्नान करने वाले श्रद्धालु गंगा के विभिन्न घाटों पर पहुंचे। हालांकि अन्य जिलों से आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या जरूर कम थी। लोगों ने घाट पर पूजा-अर्चना भी की।
4. श्रीकृष्ण जन्मभूमि: मथुरा में शनिवार और रविवार को आमतौर पर भीड़ रहती है। अयोध्या पर फैसले के बावजूद यहां आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या पर कोई असर नहीं पड़ा। सुबह से ही श्रीकृष्ण की जन्मस्थली पर दर्शन करने वालों की भीड़ लगी रही। यहां प्रशासन ने सुरक्षा के विशेष इंतजाम किए हैं।
5. बांके बिहारी: वृंदावन में बांके बिहारी समेत तमाम मंदिरों में श्रद्धालुओं का आना जाना लगा है। सुबह श्रृंगार आरती के समय बांके बिहारी मंदिर परिसर में पैर रखने के लिए भी जगह नहीं थी। आरती के बाद यहां बांके बिहारी के जयकारे गूंजे। दोपहर में शयन आरती के समय भी यही स्थिति रही।
6. गोवर्धन:एकादशी से पूर्णिमा के दौरान गिरिराज गोवर्धन की परिक्रमा का विशेष महत्व होता है। शुक्रवार को एकादशी थी और मंगलवार को पूर्णिमा है। शनिवार को अयोध्या केस का फैसला आने से पहले से ही गिरिराज की परिक्रमा करने के लिए लोग पहुंचने लगे थे, यह क्रम रविवार को भी जारी रहा।

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काशी विश्वनाथ मंदिर के पास श्रद्धालुओं की कतार और बारावफात के जुलूस में शामिल लोग।
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source https://www.bhaskar.com/uttar-pradesh/varanasi/news/ayodhya-verdict-ground-report-kashi-mathura-uttar-pradesh-01683575.html

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