800 साल पुराने सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश पर फैसला आज, पुनर्विचार समेत 65 याचिकाएं दाखिल की गई थीं

नई दिल्ली. केरल के 800 साल पुराने सबरीमाला मंदिर में महिलाओं को प्रवेश दिए जाने पर सुप्रीम कोर्ट गुरुवार को फैसला सुनाएगी। अदालत ने 28 सितंबर 2018 को 4:1 के बहुमत से मंदिर में महिलाओं के प्रवेश को मंजूरी दी थी। इसके बाद केरल के कई जिलों में फैसले के विरोध में हिंसक प्रदर्शन हुए थे। इसके बाद फैसले पर पुनर्विचार याचिका दाखिल की गई थी। इसके अलावा 64 अन्य याचिकाएं भी दाखिल की गई थीं। इन पर 6 फरवरी को अदालत ने फैसला सुरक्षित रख लिया था।

गुरुवार को फैसला सुनाने वाली बेंच में जस्टिस आरएफ नरीमन, जस्टिस एएम खानविलकर, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस इंदु मल्होत्रा भी शामिल हैं।

बेंच की इकलौती महिला जज ने कहा था- धार्मिक मुद्दों को नहीं छेड़ना चाहिए

  • सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में महिलाओं के प्रवेश को मंजूरी देते हुएकहा था-दशकों पुरानी हिंदू धार्मिक प्रथा गैरकानूनी और असंवैधानिक थी।
  • जस्टिस इंदु मल्होत्रा ने कहा था- धर्मनिरपेक्षता का माहौल कायम रखने के लिए कोर्ट को धार्मिक अर्थों से जुड़े मुद्दों को नहीं छेड़ना चाहिए।
  • जस्टिस दीपक मिश्रा ने कहा था- शारीरिक वजहों से मंदिर आने से रोकना रिवाज का जरूरी हिस्सा नहीं। ये पुरूष प्रधान सोच दर्शाता है।
  • जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा था- महिला को माहवारी के आधार पर प्रतिबंधित करना असंवैधानिक हैष यह मानवता के खिलाफ है।

प्रदर्शन के दौरान 72 गिरफ्तार हुए, 15 हजार पुलिसकर्मी तैनात किए गए थे

कोर्ट के इस फैसले के खिलाफ केरल के राजपरिवार और मंदिर के मुख्य पुजारियों समेत कई हिंदू संगठनों ने सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर की थी। हालांकि, अदालत ने सुनवाई से इनकार कर दिया था। कोर्ट के फैसले का राज्यभर में विरोध हुआ था। विरोध-प्रदर्शन के दौरान करीब 72 लोगों को गिरफ्तार किया गया था। राज्य में 15 हजार पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया था।सबरीमाला कार्यसमिति ने आरोप लगाया था कि सुप्रीम कोर्ट ने सभी आयु की महिलाओं को मंदिर में प्रवेश की अनुमति देकर उनके रीति-रिवाज और परंपराओं को नष्ट किया है।

भगवान अयप्पा ब्रह्मचारी, 10-50 साल की महिलाओं का प्रवेश वर्जित

800 साल पुराने मंदिर में महिलाओं के प्रवेश को लेकर दशकों से विवाद चल रहा है। मान्यता ये है कि12वीं सदी के भगवान अयप्पा नित्य ब्रह्मचारी माने जाते हैं। जिसकी वजह से मंदिर में 10 से 50 साल की महिलाओं का प्रवेश वर्जित है।

इस साल जनवरी में 50 साल से कम उम्र की दो महिलाओं ने पुलिसकर्मियों के साथ मंदिर में प्रवेश किया था। उन्होंने वहां पूजा भी की थी। हालांकि, इसके बाद मंदिर का शुद्धिकरण किया गया था।

1990 में महिलाओं के प्रवेश का मुद्दा उठा था

  • 29 साल पहले 1990 में मंदिर परिसर में 10-50 साल के बीच कीउम्र की महिलाओं के प्रवेश का मामला सामने आया। इन्हें रोकने के लिए केरल हाईकोर्ट में याचिका लगाई गई।
  • कोर्ट ने याचिका पर फैसला सुनाया और सबरीमाला में महिलाओं के प्रवेश पर रोक की सदियों पुरानी परंपरा को सही ठहराया।
  • 2006 में इस रोक को चुनौती मिली। तभी से सबरीमाला बार-बार सुर्खियों में आने लगा।
  • 2006 में कन्नड़ अभिनेत्री जयमाला ने दावाकि उन्होंने 1987 में भगवान अय्यप्पा के दर्शन किए। मंदिर प्रमुख ने कहा था कि भगवान नाराज हैं, क्योंकि मंदिर में युवा महिला आई थी।
  • 2007 में केरल की लेफ्ट डेमोक्रेटिक फ्रंट सरकार ने हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ दायर यंग लॉयर एसोसिएशनकी याचिका के समर्थन में हलफनामा दाखिल किया।
  • फरवरी 2016 में यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट की सरकार आई तो महिलाओं को प्रवेश देने की मांग से पलट गई। कहा कि परंपरा की रक्षा होनी चाहिए।
  • 2017 मेंसुप्रीम कोर्ट ने मामला संविधान पीठ को सौंप दिया। 28 सितंबर 2018 को सुप्रीम कोर्ट ने महिलाओं के प्रवेश की अनुमति दी। इसके बाद पुनर्विचार याचिका दाखिल की गई।

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Sabarimala Temple Case Verdict LIVE [Updates]; Kerala's Sabarimala Mandir Review Petitions Women Entry Updates


source https://www.bhaskar.com/national/news/sabarimala-temple-case-sc-verdict-live-kerala-review-petitions-women-entry-today-updates-01686221.html

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