भारतीयों के निष्क्रिय पड़े खातों पर 6 साल से किसी ने दावा नहीं किया, स्विस सरकार को ट्रांसफर हो सकता है पैसा
नई दिल्ली/ ज्यूरिक. स्विस बैंकों में भारतीय नागरिकों के दस निष्क्रिय बैंक खातों का पिछले 6 साल में कोई दावेदार सामने नहीं आया है। न्यूज एजेंसी के अनुसार तय समय सीमा के अंदर दावेदारी और सभी विवरण नहीं सौंपने पर इन खातों के सारे रुपए स्विट्जरलैंड सरकार को ट्रांसफर हो सकते हैं। स्विस सरकार ने 2015 में अपने बैंकों के निष्क्रिय खातों की जानकारी सार्वजनिक करनाशुरू किया था। इन खाताधारकों के विवरण सौंपने की समय सीमा अगले महीने से लेकर 2020 के दिसंबर तक समाप्त होने वाली है।
स्विस बैंकों ने अब तक 3,500 बंद खातों की जानकारी दी है। इनमें लगभग 300 करोड़ रुपए हैं, जिनका कोई दावेदार नहीं है। वैश्विक दबाव में स्विट्जरलैंड ने पिछले कुछ साल से अपनी बैंकिंग प्रणाली की निगरानी दूसरे देशों के लिए खोली है। ऑटोमैटिक सूचना विनिमय प्रणाली (एईओआई) के समझौते के बाद स्विट्जरलैंड के फेडरल टैक्स एडमिनिस्ट्रेशन (एफटीए) ने भारत के साथबैंक खातों की जानकारी साझा की है
स्विस बैंक खातों का पहला ब्योरा 2019 में मिला था
भारत ने जून, 2014 में भारत ने स्विट्जरलैंड से स्विस बैंकों में बेहिसाब रकम रखने वाले भारतीयों की जानकारी साझा करने की अपील की थी। सितंबर 2019 में भारतीय नागरिकों के स्विस बैंक खातों का पहला ब्योरा दिया था। स्विट्जरलैंड ने भारत को सक्रिय बैंक खातों के साथ 2018 में बंद किए जा चुके खातों की जानकारी भी दी है। बैंक खातों के बारे में भारत को अगली सूचना सितंबर, 2020 में दी जाएगी
निष्क्रिय खातों के लिए ये है स्विस कानून:
स्विस कानून के अनुसार 60 साल तकखाताधारकों से संपर्क नहीं होने पर बैंक खाते को निष्क्रिय घोषित कर दिया जाता है। खातों में 500 स्वीस फ्रैंक से अधिक राशि होने पर दावे आमंत्रित किए जाते हैं। निष्क्रिय खाते की जानकारी सार्वजनिक होने के बाद खाताधारकों को दावा पेश करने के लिए एक साल से पांच साल तक का समय दिया जाता है। दावा पेश नहीं होने पर खातों की सारी रकम सरकार अपने कब्जे में ले लेती है
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