चीफ जस्टिस गोगोई ने कहा- मीडिया में जाना जजों की जरूरत नहीं; कभी 3 जजों के साथ प्रेस कॉन्फ्रेंस की थी

नई दिल्ली (पवन कुमार). सुप्रीम काेर्ट के चीफ जस्टिस रंजन गोगोई का शुक्रवार को अंतिम कार्यदिवस था। 17 नवंबर को वे रिटायर हो जाएंगे। परंपरा के मुताबिक अंतिम दिन वह अगले चीफ जस्टिस एसए बोबडे के साथ कोर्ट पहुंचे। सिर्फ 3 मिनट तक कोर्ट में बैठे। 10 मामलों में नोटिस और स्टे का आदेश देकर कहा- ‘आप सभी काे धन्यवाद।’ जवाब में बार एसोसिएशन ने भी धन्यवाद कहा।

‘कड़वा सच जहन में रखें, हम लोगों के बीच न्याय करते हैं’

एक समय था, जब सुप्रीम कोर्ट के तीन अन्य जजों के साथ मिलकर 12 जनवरी 2018 को जस्टिस रंजन गोगोई ने तत्कालीन चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा के खिलाफ प्रेस काॅन्फ्रेंस की थी। आज उस घटना के एक साल 10 महीने बाद चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने कार्यदिवस के अंतिम दिन सुप्रीम कोर्ट के साथी जजों को मीडिया से दूरी बनाए रखने की सलाह दी। उन्होंने पत्रकारों से बातचीत करने के बजाय लिखित बयान जारी किया। पत्र में चीफ जस्टिस गाेगाेई ने कहा-‘हमारे संस्थागत कार्यों में स्वाधीनताओं के बीच बहुत बारीक संतुलन होता है।

‘बेंच की अपने जजों से अपनी स्वाधीनता का प्रयोग करते समय ‘मौन’ बनाए रखने की अपेक्षा होती है। ऐसा नहीं है कि जज बोलते नहीं। वे बोलते हैं, लेकिन जब उनके कार्य की अनिवार्यता हो। इससे आगे बिल्कुल नहीं। कड़वा सच हमेशा जेहन में रहना चाहिए। इसका अर्थ यह नहीं है कि उन्हें चुप रहना चाहिए, बल्कि जजों को अपने दायित्वों के निर्वाह के लिए ही बोलना चाहिए। मैंने एक ऐसी संस्था को चुना, जिसकी ताकत जनता के विश्वास और भरोसे में है और यह सब जज के रूप में काम करने के माध्यम से अर्जित किया गया है, न कि अच्छे मीडिया से। हमारी संस्था का जुड़ाव जनसाधारण से होता है। प्रेस के माध्यम से नागरिकों तक पहुंचना हमारी संस्था या जजों की जरूरत नहीं है।’



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Gogoi said - going to media is not a requirement of judges


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