बाढ़ प्रभावित इलाकों में वोटर नाराज, वे उम्मीदवारों से पूछ रहे हैं कि आपको क्यों वोट दें; पिछली बार जीते नेताओं के आने पर रोक भी लगा दी
बेंगलुरू ( मनोरमा ).कर्नाटक में 15 विधानसभा सीटों के उपचुनाव 5 दिसंबर को हैं। इसे यहां मिनी विधानसभा चुनाव माना जा रहा है। महाराष्ट्र में शिकस्त के बाद कर्नाटक का उपचुनाव भाजपा के लिए प्रतिष्ठा का सवाल है। वहीं, कांग्रेस के लिए खोई जमीन वापस पाने और जेडीएस के लिए किंगमेकर बनने का मौका है। मतदान का दिन नजदीक आ रहा है तो उम्मीदवार भी घर-घर जाकर वोट मांग रहे हैं। उम्मीदवारों से वोटर पूछ रहे हैं कि उन्हें वोट क्यों दें। खासतौर पर बाढ़ प्रभावित इलाकों में पिछली बार जीते उम्मीदवारों से खासी नाराजगी है।बेलगवी के अथनी में ग्रामीणों ने भाजपा उम्मीदवार महेश कुमटहल्ली को आने से रोक दिया। महेश पिछली बार यहां से जीते थे। अन्य पार्टियों के उम्मीदवारों को भी इस तरह की स्थिति का सामना करना पड़ रहा है। इधर, भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व ने मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा को चुनाव रणनीति तय करने की पूरी आजादी दी है। भाजपा लिंगायतों को नाराज करना नहीं चाहती। लेकिन येदियुरप्पा के सामने कई मुश्किलें हैं। चुनाव आयोग ने उन पर जाति के नाम पर वोट मांगने के मामले में दो एफआईआर दर्ज कराई है।
आयोग का आरोप है कि येदियुरप्पा ने 23 नवंबर को कगवाड के गोकक और शिरुप्पी गांव में भाषण देते हुए जाति के नाम पर वोट मांगे। कांग्रेस, जेडीएस से आए लोगों को टिकट देने से भी भाजपा में कलह है। पार्टी के कुछ नेता बागी हो गए हैं। होसकोटे सीट पर शरथ बचेगौड़ा भाजपा से अलग होकर निर्दलीय लड़ रहे हैं। यहां भाजपा ने कांग्रेस से आए पूर्व विधायक एमटीबी नागराज को टिकट दिया है। मैसूरु की हुंसुर सीट पर जेडीएस के पूर्व प्रदेशाध्यक्ष एएच विश्वनाथ को उतारा है। यह सीट जेडीएस का गढ़ रही है। जेडीएस ने भाजपा को बाहर से समर्थन का विकल्प खुला रखा है। लेकिन अधिक संभावना कांग्रेस और जेडीएस के बीच फिर तालमेल की है। जेडीएस नेता रामालिंगा रेड्डी ने भी इससे इनकार नहीं किया है।
उपचुनाव क्यों: कांग्रेस और जेडीएस के 17 विधायकों ने फ्लोर टेस्ट से पहले इस्तीफा दे दिया था। स्पीकर ने इस्तीफा स्वीकार न करते हुए उन्हें अयोग्य घोषित किया था। इसलिए 15 सीटों पर उपचुनाव हो रहे हैं। दो सीटों का मामला हाईकोर्ट में लंबित है। इसलिए यहां उपचुनाव नहीं हो रहे हैं।
गणित: भाजपा 15 में से 6 सीटें जीतकर सत्ता बचा सकेगी
कर्नाटक विधानसभा में 224 सीटें हैं। भाजपा के पास 106 विधायकों के समर्थन के साथ बहुमत है। जबकि कांग्रेस-जेडीएस के पक्ष में 101 विधायक हैं। भाजपा को बहुमत के लिए 15 में से कम से कम 6 सीटें चाहिए।
इन 15 सीटों के लिए 165 उम्मीदवार मैदान में हैं। इनमें 126 निर्दलीय हैं। केवल 9 महिला उम्मीदवार यह चुनाव लड़ रही हैं।
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