धरती का तापमान बढ़ने से रोकने के लिए ‘कॉप’ की 25वीं बैठक, 196 देशों के प्रतिनिधि शामिल होंगे
मैड्रिड.स्पेन की राजधानी में धरती का तापमान बढ़ने से रोकने के लिए कॉन्फ्रेंस ऑन द पार्टीज (कॉप) की दो हफ्तों की बैठक होनी है। इसमें दुनिया के 196 देशों के प्रतिनिधि हिस्सा लेंगे। यूनाइटेड नेशंस फ्रेमवर्क कन्वेंशन ऑन क्लाइमेट चेंज (यूएनएफसीसीसी) के तहत 1992 में कॉप का गठन किया गया था। इस बार कॉप की 25वीं बैठक है।
द गार्जियन के मुताबिक, पहले कोस्टारिका में यह समिट होनी थी, लेकिन यहां से दस्तावेज लीक होने के चलते वेन्यू को बदलकर चिली की राजधानी सैंटियागो किया गया। चिली में राजनीतिक संकट के चलते दूसरी बार समिट की जगह बदलकर मैड्रिड की गई। कई बार स्थान बदलने से कई कार्यकर्ता यहां नहीं पहुंच सकेंगे। हालांकि, स्वीडन की 17 साल की कैंपेनर ग्रेटा थनबर्ग पहले ही यहां बोट से पहुंच चुकी हैं।
यहां कौन-कौन मौजूद होंगे, यहां क्या होगा
दुनियाभर के देशों के ऊर्जा मंत्री और उनका प्रतिनिधिमंडल, प्रशासनिक अधिकारी, संयुक्त राष्ट्र के अफसर यहां मौजूद होंगे। कॉप इतने बड़े स्तर पर जलवायु परिवर्तन की बात करने वाला दुनिया का अकेला फोरम है। कॉप का मानना है कि बड़ी अर्थव्यवस्था मसलन अमेरिका-चीन की तरह दुनिया के छोटे देशों को भी तरजीह देना चाहिए। समझौते तभी किए जाएं, जब इसके लिए सभी देशों की सहमति हो।
पेरिस समझौते सम्मान करना होगा
2015 में धरती का तापमान बढ़ने से रोकने के लिए लैंडमार्क पेरिस समझौता हुआ था। इसमें सभी देशों में एकराय बनी थी कि तापमान 2° सेल्सियस से ज्यादा न बढ़ने पाए। ज्यादा देश स्वीकार कर चुके हैं। अमेरिका ने डील से हाथ खींच लिए थे। अमेरिकी विदेश विभाग ने कहा है कि देश के हितों से समझौता नहीं किया जाएगा। डील को बाधित करने वालों में बड़े तेल भंडार वाले सऊदी अरब, रूस, वेनेजुएला, ब्राजील और बोलीविया हो सकते हैं। भारत भी अब बड़े उत्सर्जकों में शामिल हो रहा है।
सबसे ज्यादा चिंता चीन को लेकर है। ग्लोबल एनर्जी मॉनिटर ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि चीन में 18 महीनों में कोयला आधारित ऊर्जा संयंत्रों की क्षमता बढ़कर 40 गीगावॉट हो गई है।
अपने-अपने तर्क
ग्रीनपीस के युआन पाब्लो ओसोर्नियो के मुताबिक, ‘‘हम सिर्फ कार्बन उत्सर्जन कम करने की बात कर रहे हैं। किसी भी देश का अपने उत्सर्जन को छिपाना स्वीकार नहीं किया जाएगा। बड़े देशों का खामियाजा छोटे देशों को भुगतना पड़ता है। हम दुनिया में नए कार्बन मार्केट के बनने का विरोध करते हैं।’’
अमेरिका के एन्वायरमेंटल डिफेंस फंड में सीनियर वाइस प्रेसिडेंट नेट क्योहान ने कहा कि यह सब आपसी सहयोग का मामला है। हम सबको मिलकर ही उत्सर्जन घटाने का रास्ता निकालना होगा। विकसित और विकासशील देशों में सहयोग मुश्किल रहा है। फंडिंग के लिहाज से देखें तो विकासशील देशों में उत्सर्जन रोकने की तकनीकें कम हैं, लेकिन विकसित देश इसमें अहम भूमिका निभा सकते हैं।
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source https://www.bhaskar.com/international/news/the-25th-meeting-of-the-cop-representatives-of-196-countries-will-be-involved-to-prevent-the-rise-of-the-earths-temperature-126193316.html
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