120 साल पहले इंग्लैंड लाई गई चाइम्स बेल 37 साल बाद क्रिसमस में फिर गूंजेगी, एक बार बजाने पर खुद निकालती है छह सुर

शिमला. शिमला की पहचान क्राइस्ट चर्च की छह चाइम्स की ए,बी,सी,डी,ई, एफ की बेल फिर गूंजेगी।1899 मेें इंग्लैंड से जहाज में इस चाइम्स काे शिमला लाया गया था। 1982 तक येचाइम्स चर्च में प्रार्थना सभा के दाैरान बजते रहे। 37 साल बाद फिर से इस चाइम्स काे रिपेयर किया गया है। इसे क्रिश्चियन मेंबर विक्टर डीन ने 20 दिन की कड़ी मशक्कत के बाद फिर से रिपेयर किया है। अब चर्च में हाेने वाली प्रार्थना सभा के दाैरान छह धुनाें की ये चाइम्स बजेगी।

एक बार बजाने पर अलग अलग तरह से बजती रहती है

खास बात यह है कि इसमें बेल मेटल की छह पाइपें लगी हुई हैं। जाे एक बार बजाने पर अलग अलग तरह से ए,बी,सी,डी,ई,एफ यानी छह सुराें में बजती रहेगी।इसके छह रस्से नीचे ऊपर छह चाइम्स के हैमर से जुड़े हैं तो नीचे चर्च के प्रेअर हॉल में एक रस्से में बदल जाते हैं। जरूरत पड़ने पर जब बेल बजाने की जरूरत हो तो नीचे चर्च हॉल में एक रस्सा छह बार हिलाया जाएगा तो छह बार चाइम्स से बेल बजेगी।

पांच से सात फीट लंबी हैचाइम्स

चर्च की टॉप फ्लोर पर चाइम्स को बजाने के लिए छह हैमर यानी हथोड़े छह रस्सियों से बंधे हैं। नीचे हॉल में जब रस्सी को हिलाया जाएगा तो उस एक रस्सी से जुड़ी बाकी छह रस्सियां की मदद से ये छह हथोड़े इन चाइम्स पर पड़ेंगे तो बेल बजेगी नीचे हॉल से छह बार सिंगल रस्सी हिलती रहेगी और ऊपर हथौड़े इन चाइम्स को हिट करते रहेंगे। हिट करते ही ये चाइम्स बजती रहेंगी। चाइम्स पांच से सात फीट लंबी है।

इसलिए खास हैंये चाइम्स (बेल)

  • वर्ष 1844 में शिमला का क्राइस्ट चर्च का निर्माण हुआ।
  • वर्ष 1899 में इंग्लैंड से जहाज में इस चाइम्स काे शिमला लाया गया।
  • तब से लेकर 1982 तक ये चाइम्स चर्च में प्रार्थना सभा के दाैरान बजते रहे।
  • इसके बाद ये खराब हाे गए अाैर जर्जर हालत में हाे गए, इसे रिपेयर नहीं किया गया।
  • क्रिश्यचयन मेंबर विक्टर डीन ने 20 दिन की कड़ी मशक्कत के बाद इसे फिर से रिपेयर किया।
  • शहर के काराेबारी जगजीत सिंह ने मरम्मत के लिए हर तरह का सामान उपलब्ध करवाया।
  • अब 37 साल बाद फिर से चाइम्स चर्च में बजेगी।

ऐसे बज उठेंगे छह चाइम्स

चाइम्स (पाइपाें) काे हैमर के साथ जाेड़ा हाेता है। निचले भाग से खींचने पर हैमर चाइम्स की पाइप पर चाेट करता हैं। ये चाेट एक साथ की जाती है, जिससे प्रार्थना सभा के दाैरान इसकी अावाज गूंज उठती है। खास बात यह है कि इसकी अावाज अन्य तरह की घंटियाें से कहीं उलट हाेती हैं, इसमें एक ही समय में अलग अलग तरह की की धुन सुनाई देती है।



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ये छह रस्से नीचे ऊपर छह चाइम्स के हैमर से जुड़े हैं। नीचे चर्च के प्रेअर हॉल में एक रस्से में बदल जाते हैं।
नीचे चर्च के प्रेअर हॉल में एक रस्से में बदल जाते हैं।
नीचे हॉल से छह बार सिंगल रस्सी हिलती रहेगी अौर ऊपर हथौड़े इन चाइम्स को हिट करते रहेंगे।


source /national/news/chimes-bell-will-ring-again-in-christ-church-of-shimla-126344290.html

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