41 साल पहले शरद पवार कांग्रेस से बगावत कर सीएम बने थे, अब भतीजे अजित ने राकांपा के साथ यही किया
नई दिल्ली. राकांपा प्रमुख शरद पवार ने शनिवार को कहा कि पार्टी के खिलाफ जाने पर अजित पवार पर अनुशासनात्मक समिति फैसला लेगी। शरद पवार ऐसे नेता रहे हैं, जिन्होंने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत तो कांग्रेस पार्टी से की थी, लेकिन दो बार उसके ही खिलाफ गए। पहली बार 1978 में और दूसरी बार 1999 में।
मुख्यमंत्री बनने के लिए जनता पार्टी से हाथ मिलाया
1977 के आम चुनाव के बाद कांग्रेस पार्टी कांग्रेस (यू) और कांग्रेस (आई) में बंट गई। शरद पवार कांग्रेस (यू) में शामिल हुए। 1978 में महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में दोनों हिस्सों ने अलग-अलग चुनाव लड़ा। लेकिन, राज्य में जनता पार्टी को रोकने के लिए साथ मिलकर सरकार बनाई। हालांकि, कुछ ही महीनों बाद शरद पवार ने कांग्रेस (यू) को भी तोड़ दिया और जनता पार्टी से जा मिले। जनता पार्टी के समर्थन से पवार 38 साल की उम्र में मुख्यमंत्री बन गए। वे राज्य के अब तक के सबसे युवा मुख्यमंत्री हैं। हालांकि, 1986 में शरद पवार फिर कांग्रेस में शामिल हुए और 26 जून 1988 से लेकर 25 जून 1991 के बीच दो बार मुख्यमंत्री बने।
सोनिया गांधी का विरोध किया, राकांपा बनाई
1999 में सोनिया गांधी को कांग्रेस अध्यक्ष बनाए जाने का शरद पवार, पीए संगमा और तारिक अनवर ने विरोध किया। इस वजह से तीनों को पार्टी से निकाल दिया गया और तीनों ने मिलकर 25 मई 1999 को राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) का गठन किया। हालांकि, इसके बाद लगातार 15 साल तक राज्य में राकांपा-कांग्रेस गठबंधन की सरकार रही।
2019 : शरद पवार के खिलाफ जाकर डिप्टी सीएम बने अजित
शुक्रवार शाम को तीनों पार्टियों (शिवसेना-कांग्रेस-राकांपा) के बीच बैठक के बाद शरद पवार ने उद्धव ठाकरे के मुख्यमंत्री बनने के संकेत दिए। लेकिन, शनिवार सुबह 5:47 बजे राज्य से राष्ट्रपति शासन हटाया गया और 7:30 बजे भाजपा के देवेंद्र फडनवीस ने मुख्यमंत्री और राकांपा नेता अजित पवार ने उपमुख्यमंत्री पद की शपथ ली। अजित पवार के इस फैसले के बाद शरद पवार की बेटी और सांसद सुप्रिया सुले ने कहा- पार्टी और परिवार, दोनों टूटे।
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