32 साल बाद शामिल होंगी 5 तरह की तोपें; इनमें धनुष, वज्र और 48 किमी रेंज के रिकॉर्ड वाला गन सिस्टम
जोधपुर. 32 साल बाद सेना में धनुष, वज्र जैसी 5 ताकतवर तोपों को शामिल किया जाएगा। इन सभी का निर्माण देश में हुआ है। इसमें एडवांस टो आर्टिलरी गन सिस्टम भी शामिल किया जाएगा। जिसके नाम 48 किमीरेंज तक सटीक निशाना लगाने का वर्ल्ड रिकॉर्ड है। इन सभी का परीक्षण दिसंबर 2019 में ही पूरा कर लिया गया था। तोपखाने में आखिरी बार 1988 में बोफोर्स तोप को शामिल किया गया था, जो फिलहाल सबसे ताकतवर तोप है। 52 कैलीबर वाली एटीजीएस तोप की मारक क्षमता सबसे ज्यादा 48 किमीतक की है। इस कैलीबर की गन में इतनी दूरी तक प्रहार करने का यह विश्व रिकॉर्ड है।
100 के-9 वज्र तोपें मिलेंगी
दक्षिण कोरिया से भारतीय सेना 100 के-9 वज्र खरीद रही है। 155 एमएम वाली 52 कैलिबर वाली यह तोप 30 किलोमीटर दूर तक घातक प्रहार कर सकती है। दस तोपें दक्षिण कोरिया से मंगाई गई हैं। बाकी 90 मेक इन इंडिया के तहत निजी क्षेत्र की कंपनी एलएंडटी बनाएगी। इसकी लागत 4,366 करोड़ रुपए है। वज्र का मुख्य रूप से रेगिस्तानी और मैदानी इलाकों में किया जाएगा। यह तोप सेना की स्ट्राइक कोर की मारक क्षमता को काफी बढ़ा देगी।इन तोपों को सेना में शामिल किया जा चुका है।
अमेरिकन होवित्जर एम-777 की मारक क्षमता 40 किलोमीटर
भारत ने फास्ट ट्रैक सौदे के तहत अमेरिका से 5070 करोड़ में 145 हल्के वजन वाली एम-777 होवित्जर तोपें खरीदने का फैसला किया था। इनमें से 25 अमेरिका से आएंगी। बाकी 120 तोपेंनिजी क्षेत्र की कंपनी महिन्द्रा डिफेंस देश में ही बनाएगी।155 एमएम की 39 कैलिबर वाली इस तोप की मारक क्षमता 30 से 40 किलोमीटर है। दुनिया की सबसे अत्याधुनिक इस गन की सबसे बड़ी खासियत यह है कि वजन ये बहुत हल्की होती है। ऐसे में इन्हें हेलीकॉप्टर से दुर्गम पहाड़ी इलाकों में आसानी से पहुंचाया जा सकता है। इनकी पहली खेप सेना को मिल चुकी है।
48 किमी तक मार करेगी एटीजीएस
भारतीय सेना ने हाल ही पोकरण में एडवांस टोआर्टिलरी गन सिस्टम का सफलतापूर्वक अंतिम परीक्षण कर लिया। डीआरडीओ की ओर से विकसित इस एडवांस गन का निर्माण सरकारी व निजी क्षेत्र मिलकर कर रहे हैं। इस गन को ऑर्डिनेंस फैक्ट्री बोर्ड, टाटा व कल्याणी समूह मिलकर कर रहे हैं। करीब 18 टन वजनी 155 एमएम व 52 कैलिबर वाली इस गन की मारक क्षमता सबसे अधिक 48 किलोमीटर तक की है। इस कैलिबर की गन में इतनी दूरी तक प्रहार करने का यह विश्व रिकॉर्ड है। यह गन फायर एंड फोरगेट सिस्टम पर काम करती है। यानि अपने लक्ष्य का पहले से निर्धारण कर उस पर एकदम सटीक प्रहार करती है। दिन हो या रात ये समान क्षमता के साथ गोले दाग सकती है। सेना 3,364 करोड़ में 150 एटीजीएस खरीदने जा रही है।
जबलपुर गन फैक्ट्री से निकलेगी नई तोप
सेना की जबलपुर स्थित गन कैरिज फैक्ट्री ने नया माउंटेड गन सिस्टम विकसित किया है। 52 कैलीबर और 155 एमएम की इस गन को किसी भी अधिक पहियों वाले ट्रक पर माउंटकिया जा सकता है। इसकी क्षमता 40 किलोमीटर तक मार करने की है। यह गन बहुत कम समय में अधिक से अधिक गोले दाग सकतीहै। दो साल पहलेडिफेंस एक्सपो में इसे शामिल किया गया था।इसके परीक्षण का दौर जारी है। इसे निजी क्षेत्र के सहयोग से बनाया जाएगा। सेना ने इसमें काफी रुचि दिखाई है और वह इसे खरीदने को तैयार है।
बोफोर्स से बेहतर है उसकी कॉपी धनुष
धनुष भारतीय सेना की देश में ही बनी तोप है। इसका डिजाइन बोफोर्स हौबित्स एफएच 77 की तरह है, जिसे 80 के दशक में भारत ने खरीदा था। जबलपुर गन कैरेज फैक्ट्री ने 155 एमएम की इस तोप को बनाया है। इसका डिजाइन गन कैरेज बोर्ड ने तैयार किया है। इस तोप के विकास परीक्षण 2018 में समाप्त हुए तथा 2019 से इसे बनाने का काम शुरू हुआ। धनुष तोप की मारक क्षमता 38 किलोमीटर है, जबकि बोफोर्स की मारक रेंज 29 किलोमीटर है। बोफोर्स में ऑपरेशन ऑटोमेटिक नहीं हैं, जबकि धनुष तोप में एक कंप्यूटर है और यह स्वचालित है। यानी यह ऑटोमेटिक सिस्टम से खुद ही गोला लोड कर उसे दाग सकता है। लगातार कई घंटों तक फायरिंग के बाद भी धनुष का बैरल गर्म नहीं होता।
पुरानी तोपों की क्षमता को बढ़ाएंगे
नई तोपों को सेना में शामिल करने के साथ ही सेना अब अपनी पुरानी तोपों की मारक क्षमता बढ़ाने पर ध्यान दे रही है। बोफोर्स के अलावा सेना के पास 60 व 70 के दशक की 105 व 130 एमएम की तोपें है। इनकी मारक क्षमता सीमित है। ये तोप 3.4 किलोग्राम का गोला ही फेंक पाती है। जबकि, अपग्रेड होने के बाद ये तोपें आसानी से 8 किलोग्राम वजनी गोला दाग सकेगी। इससे मारक क्षमता काफी बढ़ जाएगी। सेना ने इनमें से 300 का आधुनिकीकरण करने का काम शुरू कर दिया है। 130 एमएम वाली गन को 155 एमएम व 45 कैलिबर में बदला जा रहा है। अपग्रेडेशन का काम अगले दो साल में पूरा हो जाएगा। अपग्रेड करने पर हर तोप पर 70 लाख रुपए का खर्च आएगा। यह नई तोप के मुकाबले बहुत कम है।
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