फायटर स्क्वाड्रन की क्षमता 20 फीसदी बढ़ाई, 2 हजार जवानों और टेक्नीशियन को मैदानी ड्यूटी पर भेजा

नई दिल्ली. भारतीय वायुसेना अपनी लड़ाकू क्षमता बढ़ाने के लिए पुनर्गठन के दौर से गुजर रही है। इसी कड़ी में उसनेफायटर स्क्वाड्रन क्षमता में 20 फीसदी का इजाफा किया है।वायुसेना के सूत्रों ने न्यूज एजेंसी को बताया कि पिछले कुछ महीनों में फायटर स्क्वाड्रन में दो हजार से ज्यादा टेक्नीशियन और जवानों की तैनाती की गई है।यहसभी एयर और कमांड हेडक्वार्टर में तैनात थे। वहां से हटाकर इन्हें मैदानी ड्य़ूटी में लगाया गया है।

इनकी तैनाती से फायटर स्क्वाड्रन की ऑपरेशनल क्षमता बढ़ाने के साथ हीमौजूदा कर्मियों पर काम का बोझ कम करने में मदद मिलेगी। इसके अलावा उड़ान संचालन ज्यादा सुरक्षित होंगे। एयर चीफ मार्शल आरकेएस भदौरिया खुद पुनर्गठन के काम को देख रहे हैं। इसके तहतउच्च अधिकारियों के साथ काम करने वाले सहयोगियों की नियुक्ति के नियम भी पहले से कड़े किए गए हैं।

वायुसेना आपात शक्तियों का इस्तेमाल कर वेपन सिस्टम खरीद रही

पिछले साल बालाकोट एयर स्ट्राइक के बाद से ही वायुसेना अपनी युद्ध क्षमता बढ़ाने में जुटी है। आपात शक्तियों का इस्तेमाल कर उसने हथियारों के अलावा जरूरी साजो-सामान की खरीदी की है। इसमें हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइल और हवा से जमीन पर हमला करने वाला वेपन सिस्टम है। इसी दौरान स्पाइस-2000 बम के अलावा स्ट्रम एंटी टैंक गाइडेड मिसाइल हासिल की गई।

सुलूर में तेजस लड़ाकू विमान का स्क्वाड्रन तैनात होगा

हाल ही में तमिलनाडु के तंजावुर में सुखोई-30 एमकेआई फायटर स्क्वाड्रन की तैनाती से उसकी ऑपरेशनल क्षमता में इजाफा हुआ है। जल्द ही सुलूर में तेजस लड़ाकू विमान के स्क्वाड्रन की भी तैनाती होगी। इससे वायुसेना की ताकत और बढ़ जाएगी।



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सुखोई-30 एमकेआई मल्टीरोल फायटर। (फाइल)


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