मोक्षदायिनी यमुना मैली, लेकिन अब भी चुनावी मुद्दा नहीं; 3 साल केजरीवाल के पास जल मंत्रालय होने के बावजूद हालात बदतर

नई दिल्ली. दिल्ली विधानसभा चुनाव में केजरीवाल सरकार की मुफ्त योजनाएं बड़ा मुद्दा हैं। इन पर आरोप-प्रत्यारोप जारी हैं,लेकिनजल और जीवन देने वाली यमुना नदी पर बात नहीं होती। धर्मशास्त्रों में गंगा समेत 7 नदियों को मोक्षदायिनी कहा गया है,यमुना उनमें से एक है। यह दिल्ली की 70% आबादी की प्यास बुझाती है। पांच साल पहले मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने यमुना की स्वच्छता और निर्बाध प्रवाह का वादा किया था। तीन साल खुद जल मंत्रालय संभाला। यमुना अब पहले से ज्यादा मैली है। दैनिक भास्कर टीम ने मैदानी हालात जानने के लिए यमुना के तीन घाटों का जायजा लिया। पेश है ग्राउंड रिपोर्ट।


कालिंदी कुंज घाट : पहले पानी नीला था, अब काला हो गया
भोला गोताखोर के साथ मछुआरे भी हैं। यमुना के हालात पर वे कहते हैं, “1984 में यमुना जी के किनारे आया। 1990 तक पानी साफ और प्रवाहमान था। फिर फैक्ट्रियां लगती गईं और गंदगी बढ़ती गई। अब इस पानी में मछलियां तक मर जाती हैं। तारीख याद नहीं, लेकिन आखिरी बार शीला दीक्षित यहां आईथीं। केजरीवाल कभी नहीं आए। बारिश के तीन महीने पानी बहता है। बाकी वक्त ठहरा रहता है। हमारी करीब 25 लाख रुपए की मछलियां गंदे पानी की वजह से मर गईं।”

‘यहां मूर्ति विसर्जन से पुण्य नहीं मिल सकता’
कालिंदी कुंज घाट पर पंडित सुभाष सीमवाल एक यजमान को अनुष्ठान कराते मिले। फुर्सत हुए तो हमने बातचीत की। उन्होंने कहा, “यहां लोग पितृकार्य करने आते हैं। गंदगी देखकर मन खराब हो जाता है। कोई श्रद्धालू स्नान कैसे करे। यहां मूर्ति विसर्जन से पुण्य नहीं, पाप मिलेगा।” सुभाष के करीब खड़े राम भरोसे भी गोताखोर हैं। वे कहते हैं, “1983 से यहां नाव चला रहा हूं। पहले जनसंख्या कम थी, बहाव के साथ गंदगी बह जाती थी। बेतहाशा आबादी बढ़ी और इसके साथ गंदगी भी। अब तो पूरी यमुना मैली है।”

खुरसिया घाट : फिल्टर पानी ही यमुना में आए तो कल्याण
कश्मीरी गेट के करीब खुरसिया घाट। हालात यहां भी वही, जो कालिंदी कुंज पर दिखे। चारों तरफ गंदगी और काला पानी। एक झुग्गी में शंकर दाते मिले। उदास नजरों से यमुना को देखते रहे। फिर कहते हैं, “20 साल से यही हाल हैं। सफाई तो कभी नहीं हुई। आज भी हरियाणा से काफी लोग आते हैं। श्रद्धा की वजह से इस पानी में भी डुबकी लगा लेते हैं। डैम बनाए जाने चाहिए। पानी फिल्टर करके ही छोड़ें तो कल्याण हो जाएगा।”

निगम बोध घाट : मंदिर और गार्डन मौजूद, लेकिन गंदगी बेहिसाब
यहां श्मशान घाट भी है। नगर निगम ने व्यवस्थित तरीके से मंदिर और गार्डन बनाए हैं। यहां भी घाट के आसपास बहुत गंदगी है। लेकिन, तुलनात्मक रूप से यह बाकी घाटों से बेहतर है। कुछ दूरी पर रामघाट है। यहां भी काला और गंदा पानी ठहरा हुआ है। यहां राम रावत मिले। वे कहते हैं, “केजरीवाल ने तो पिछली बार भी कहा था कि यमुना को साफ कर देंगे। मोदी जी भी यही कहते हैं। लेकिन किसी ने इस दिशा में कभी कुछ नहीं किया।”



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