2012 में रोज 68 दुष्कर्म हो रहे थे, मोदी इन्हें देश की बेइज्जती बताते थे; उनकी सरकार में ये मामले 33% बढ़े, यानी रोज 90 दुष्कर्म

नई दिल्ली. तारीख: 30 मार्च 2014, जगह: महाराष्ट्र के नांदेड़की चुनावी रैली। भाजपा के प्रधानमंत्री प्रत्याशी नरेंद्र मोदी भाषण दे रहे हैं- ‘दिल्ली में निर्भया की घटना घटी... एक निर्दोष बच्ची पर बलात्कार हुआ... उसे मौत के घाट उतार दिया गया... आज भी मैं सुबह-सुबह समाचार देख रहा था... आज भी दिल्ली में एक बलात्कार की घटना घटी... दिल्ली को मानो बलात्कारियों की राजधानी बना दिया गया हो... ये स्थिति पैदा की गई।’ उसी साल चुनाव से ठीक पहले एक और रैली में मोदी ने कहा था- ‘दिल्ली को जिस प्रकार से रेप कैपिटलबना दिया है...उसके कारण पूरी दुनिया में हिंदुस्तान की बेइज्जती हो रही है..और आपके पास मां-बहनों की सुरक्षा के लिए न कोई योजना है..न आपमें कोई दम है..न आप इसके लिए कुछ कर सकते हैं..।’

अब इस बात को आज परखते हैं- 2012 में देश में दुष्कर्म के 24 हजार 923 मामले दर्ज किए गए थे। यानी रोजाना 68 मामले। 2018 में देश में ऐसे 33 हजार 356 केस दर्ज किए गए। यानी रोजाना करीब 90 मामले। अकेले दिल्ली में निर्भया के बाद दुष्कर्म के मामलों में 176% का इजाफा हुआ है। 2012 में दिल्ली में ऐसे 706 मामले दर्ज किए गए थे, जबकि 2019 की 15 नवंबर तक ही 1 हजार 947 मामले दर्ज हो चुके हैं। और हां... ये आंकड़े इसी सरकार की संस्था एनसीआरबी, यानी नेशलन क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के हैं।


2018 के अंत तक अदालतों में 1.38 लाख से ज्यादा दुष्कर्म के मामले पेंडिंग
एनसीआरबी के मुताबिक, 2018 के अंत देश की अदालतों में दुष्कर्म के 1 लाख 38 हजार 342 मामले पेंडिंग थे। इनमें से 17 हजार 313 मामलों का ही ट्रायल पूरा हो सका, जबकि सिर्फ 4 हजार 708 मामलों में ही सजा सुनाई गई। 2018 में सजा देने की दर यानी कन्विक्शन रेट सिर्फ 27.2% रहा जो 2017 की तुलना में 5% कम है। 2017 में कन्विक्शन रेट 32.2% था।

2012 से 2018 तक 12 हजार से ज्यादा नाबालिगों पर दुष्कर्म का केस, यानी हर दिन पांच
2012 से 2018 के बीच 12,125 नाबालिगों पर दुष्कर्म के मामले दर्ज किए गए हैं। अगर इन 7 सालों का औसत निकाला जाए तो हर दिन 5 नाबालिगों पर दुष्कर्म के केस दर्ज हुए। दुष्कर्म के मामलों के अलावा 2012 से 2018 के बीच 10,052 नाबालिगों पर महिलाओं के खिलाफ अत्याचार से जुड़े केस दर्ज दिए गए।


19 साल में सिर्फ एक दुष्कर्मी को फांसी मिली
2000 से 2018 तक 2 हजार 328 दोषियों को फांसी की सजा सुनाई जा चुकी है। 2018 में 186 अपराधियों को फांसी की सजा दी गई थी, जिसमें से 65 की सजा को उम्रकैद में बदल दिया गया। पिछले 19 साल में अब तक सिर्फ 4 अपराधियों को फांसी की सजा दी गई, जिसमें से 3 आतंकी थे। 2012 में अजमल कसाब, 2013 में अफजल गुरु और 2015 में याकूब मेमन को फांसी दी गई। जबकि, 2004 में धनंजय चटर्जी को 1990 के बलात्कार के मामले में फांसी दी गई थी। अभी तक सिर्फ धनंजय चटर्जी ही ऐसा ही है, जिसे दुष्कर्म के मामले में फांसी दी गई है।


36 साल पहले एक साथ 4 दोषियों को दी गई थी फांसी
जनवरी 1976 से मार्च 1977 के बीच पुणे में राजेंद्र कक्कल, दिलीप सुतार, शांताराम कान्होजी जगताप और मुनव्वर हारुन शाह ने 10 लोगों की हत्या की थी। ये सभी हत्यारे अभिनव कला महाविद्यालय में कमर्शियल आर्ट्स के छात्र थे। इन सभी को 27 नवंबर 1983 को पुणे की यरवदा जेल में एक साथ फांसी दी गई थी। अगर सुप्रीम कोर्ट से दोषियों की क्यूरेटिव पिटीशन और राष्ट्रपति के पास दया याचिका भी खारिज हो जाती है, तो सभी चारों दोषी- मुकेश, विनय, पवन और अक्षय को 22 जनवरी की सुबह 7 बजे एक साथ फांसी दी जाएगी।



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Nirbhaya Rape Case | Nirbhaya Latest News, What changed after Nirbhaya?: India Rape Statistics, National Crime Records Bureau (NCRB) On Rape Crime Cases


source https://www.bhaskar.com/db-originals/news/nirbhaya-news-what-changed-after-nirbhaya-ncrb-crime-records-updates-126489128.html

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