ताहिरा कश्यप बोलीं- कैंसर से लड़कर जीती तो जिंदगी की कीमत समझ आई, इसे हल्के में लेने की गलती न करें

भोपाल.कैंसर से लड़कर जिंदगी जीतने वाली ताहिरा कश्यप शुक्रवार को भोपाल में थीं। आयुष्मान खुराना की पत्नीताहिरा(35) एक नई पहचान बना रही हैं। लेखक, निर्देशक तो वो पहले सी थीं, लेकिन 25 महीने कैंसर से संघर्ष ने उनकी पर्सनैलिटी में मोटिवेशन की चमक भर दी है।दैनिक भास्कर की कविता राजपूत के साथ ताहिरा कश्यप ने अपनी जिंदगी और उसके सबक शेयर करते हुए बातचीत की।

ताहिरा की जुबानी, उनकी जिंदगी और सबक

‘‘जिंदगी और करिअर में वापसी करते हुएमैं बेहद खुश हूं। कम समय में बहुतबदलाव आए हैं। जिंदगी की तरफ देखने का नजरिया बदला हैलेकिन यह बदलाव मेरे जीवन में दो साल पहले ही आ गया था,जब मैंनेप्रार्थना-जप करने शुरू किए थे । जब कैंसर से सामना हुआ तो मुझे ऐसा नहीं लगा कि किसी पर इसका ठीकरा फोडूं,शोक मनाऊंया उसे एक ट्रैजिक तरीके से लूं। मैंनेकैंसरसे लड़ने की ठानी और जीत गई।’’

‘‘मैंने सीखा कि सभी कीजिंदगी में परेशानियां आती हैं।कोई पारिवारिक,कोई सेहत तो कोईपैसों से जुड़ीपरेशानियों से जूझता है,लेकिन मैंने कैंसर को एक परेशानी या मुसीबत नहीं समझा। मैं तो ये मानती हूं कि अगर हमें जीवन में आगे बढ़ना है तो परेशानियों का सामना करना ही पड़ेगा।’’

‘‘अगर हमारे सामने कोई चैलेंज नहींहोगातो आप खुद को बदल नहीं सकते और नहीआप एक बेहतर इंसानबनसकते हैं। ऐसे में जब कैंसरसे सामना हुआतो मैंने यही ठाना कि मुझे इससे उभरकरखुद काएक बेहतर वर्जन बनकरदुनिया केसामने आना है। इसके बाद मैंने अपनेनिगेटिव साइड्सपर काम करना शुरू किया। हां,कैंसर से सबसेबड़ा सबक यह सीखाहै कि जिंदगी को कभी हल्के में मत लीजिए,क्योंकि जब ऐसीपरिस्थिति सामने आती है तो जिंदगी के हर एक लम्हे की कीमत समझ आने लगती है। अब मैं हर सांस के लिए भगवान का शुक्रिया अदा करती हूं औरउनके प्रति अपनी कृतज्ञता जाहिर करनानहीं भूलती।’’

ताहिरा कहती हैं कि हमारी सोसायटीमें खूबसूरती के मायने ही अलग हैं,जैसे लंबे बाल होना चाहिए,नैन- नक्श तीखें हों, चेहरा लुभावना होवगैरह, वगैरह। और,मैं भी पहले यही सोचती थी लेकिन कैंसर ने खूबसूरतीको लेकरमेरी सोच और परिभाषा बदल दी। जब बाल झड़ने शुरू हुए तो यह सच है कि यह नॉर्मल बात नहीं थी तब मैंने टोपी पहननी शुरू की,थोड़े दिन एक्सटेंशन लगाएरखा।फिर एक दिन लगा,अब बस,यह मैं अपने साथ क्या कर रही हूं और मैंने अपने पूरा सिर मुंडवा लिया और यकीन मानिए,उस दिन मुझे लगा कि पहले से बहुत सेक्सी लग रहीहूं।

‘‘दरअसल,लोगअपनीकमियों को दिखाना नहीं चाहते, लेकिन यकीन कीजिए यही हमें और खुबसूरत दिखाती हैं। मैंने कैंसर के दौरान हर पल यही सोचा कि मुझे इससे जीतना है इसलिए मैं अंदर से खुश थी,लोग सोचते थे कि कैंसर में कोई इंसान खुश कैसे रह सकता है, लेकिन मैं खुश थी क्योंकि मैंने अंदर से सोच लिया था कि मुझे इससे हारना नहीं है,सामना करना है।यह सोचना भी नहीं है कि हार जाऊंगी तो जब आप पहले से ही अपनी जीत को सेलिब्रेट करने लगते हैं तो आप खुश ही रहोगे।’’

‘परेशान करने वाली चीजों की तरफ ध्यान नहीं दिया’

ताहिरा के मुताबिक, ‘‘मेरे संघर्ष और पीड़ा को बांटने में परिवार का बहुत सपोर्ट रहा। आयुष्मानहर तरह सेसाथ खड़े रहे। वह इस दौरान हर पल मेरे पास रहना चाहते थे लेकिन मैंने उन्हें समझाया कि आपकी फिल्मों पर इतना पैसा लगा है।कई लोगोंका करिअर और जिंदगीआपकीफिल्म से जुड़ी हुई है।अस्पताल में जो होना है वो तो होगा,आप काम पर जाओ, औररही बात सिम्पैथी की तो वो रात को काम से लौटकर दे देना।वो दिन भर अपना काम करते,रात को अस्पताल आ जाते और सुबह फिर चले जाते थे।’’

‘‘हमें साथ में काफी लंबा सफर तय किया है वो मेरे साथ हमेशा चट्टान की तरह खड़े रहे। मेरे माता-पिताऔर बाकी फैमिलीनेभी काफीसपोर्ट किया। बेटा तब6साल और बेटी4साल की थी तो उन्हें पता ही नहीं चला कि उनकी मां किस दौर से गुजर रही है।उनके लिए कैंसर सर्दी-जुकाम जैसा ही शब्द था,लेकिन अब घर में बीमारी के थोड़े बहुत साइड इफेक्ट्स देखते हैं तो उन्हें कुछ-कुछ समझ आता है।’’

‘‘मैंने खुद से एक वादा किया था कि गलत और परेशान करने वाली चीजों की तरह देखना ही नहीं है।आप यकीन नहीं मानेंगी,मेरी कीमोथेरेपी को एक साल बीतने को हैं और अब जाकर मैंने देखा है कि कैंसर की सर्जरी कैसे होती है,उससे पहले बीमारी के दौरान मैंने कभी नहीं देखा कि कीमोथेरेपी,सर्जरी के साइड इफेक्ट्स क्या होते हैं,कैसे होती है,मैंने सोचा कि जो भी है,मुझे उस दिशा में सोचना ही नहीं।एक सलाह सबको देना चाहूंगी कि बीमारी के बारे में कभी भी गूगल मत कीजिए,शुरुआत से ही बीमारी के साइड इफेक्ट्स के बारे में पढ़ेंगे-सोचेंगे तो आपके साथ भी वही होगा।’’

‘‘मुझे नहीं लगता कि मैं कोई ऐसी केस हिस्ट्री हूं लेकिन मैं उस हर माध्यम तक जाना चाहूंगी जिससे लोगों में इस बीमारी के प्रति जागरूकता फैले। समाज में महिलाओं को कैंसर के कारण कई दर्द झेलने पड़ते हैं,परिवार उन्हें छोड़ देते हैं या कैंसर डिटेक्ट होने में ही बहुत देर हो जाती है तोइन सबके समाधान कीदिशामें जरुरकुछ अच्छाकरती रहूंगी।’’



आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें
ayushmann khurana wife tahira kashyap interview on cancer and life


source https://www.bhaskar.com/bollywood/news/news/tahira-kashyap-interview-on-cancer-and-life-126492588.html

0 Comments