बच्चों के पीछे सीसीटीवी बनकर न घूमें, मोबाइल पर की-लॉक की बजाय अच्छी परवरिश दें: गौर गोपालदास

उदयपुर. गेरुवा धोती कुर्ता, गले में तुलसी की माला, माथे पर तिलक और चेहरे पर मुस्कान। एकदम बाबानुमा। लेकिन, खुद कहते हैं मैं कोई बाबा या साधु नहीं हूं। मैं तो लाइफ कोच हूं, वो जैसे स्पाेर्ट्स में होता है ना। मैं यहां उदयपुर में कुछ सिखाने नहीं आया हूं जी। मैं तो बस वो बताता हूं जो वो भूल गए हैं। उदयपुर में भास्कर उत्सव में शिरकत करने आए इंटरनेशनल मोटिवेशनल स्पीकर गौर गोपाल दास से खास बातचीत...

आप इलेक्ट्रिक इंजीनियर हो। लाइफ की इंजीनियरिंग क्या है?

वे कहते हैं,ये शरीर भी तो मशीन है। सेहत-मन वाणी, भावनाओं और व्यवहार का सिस्टम हमने सीख लिया तो मशीन एकदम फिट रहेगी। बस, जीवन का यही सही सामंजस्य तो लाइफ इंजीनियरिंग है।
सवाल सोशल मीडिया पर।...आज छोटे-छोटे बच्चों के हाथ में मोबाइल है। इंटरनेट की खुली किताब उनकी ईजी अप्रोच में है। इसमें उनके देखने और न देखने वाला सारा कंटेंट है। इंडिया ऑन मोबाइल 2019 की

रिपोर्ट के अनुसार 5-11 साल तक के 66 मिलियन बच्चे अपने पेरेंट्स का फोन यूज करते हैं। ये ऑल ओवर एक्टिव यूजर्स के 15 परसेंट हैं। अब बड़ा सवाल ये है कि हम इन्हें कैसे मर्यादित करें?

बोले-परवरिश। खुद सवाल किया। आप ही बताइए जी, अपने बच्चों को कितने दिनों तक बांध कर रखेंगे? इस खुलेपन में आखिर कब तक आप उनके पीछे सीसीटीवी बनकर रहेंगे? हां, ये सही है कि आज के बच्चों की जिंदगी में ऐसे प्रलोभन जल्दी आ गए हैं। हमें उनमें समझ विकसित करनी होगी। उन्हें टेक्नोलॉजी को नॉलेज और विज्डम की ओर ले जाना होगा। हमें बच्चे पर ट्रस्ट करना होगा। और इसके बाद भी वे खुद ट्राई करना चाहें तो करेंगे। आपके माध्यम से बच्चों को भी एक बात कहना चाहता हूं कि जीवन में आदर्श कुछ नहीं होता है। पेरेंट्स में भी कमियां होती हैं। वे कोई भगवान थोड़ ही हैं। हां, आदरणीय हैं। वो अंग्रेजी में कहते हैं ना...वैल्यूज आर नोट टाॅट, वैल्यूज आर कॉट। हिंदी थोड़ी कमजोर है जी।(फिर हंसने लगते हैं) हम भी वैसे राजस्थानी ही हैं, लेकिन पीढ़ियों पहले बाहर जा कर बस गए थे।

सोशल मीडिया ध्यान भटकाता है, आपका क्या विचार है?
आप समझिए, सोशल मीडिया समस्या नहीं है। इसके उपयोग करने में दिक्कत है। ये तो टूल्स हैं। बशर्ते हम इनका सही और संतुलित उपयोग कर पाएं। अब आज की परिस्थिति में ट्रेडिशन में जाना तो संभव है नहीं। आज आप बिना लाइट, एसी-हीटर के रह सकते हैं क्या? अब प्राचीन काल की तरह हिमालय की चोटियों की चोटियों में तो ध्यान लगाया नहीं जा सकता। लेकिन हां, हमें प्राचीन सिद्धांत जरूर फॉलो करने चाहिए। उनमें ही जीवन का सार है।

राजनीति....? सवाल पूरा होता उससे पहले ही टोकते हुए... देखिए जी मैं राजनीति पर कुछ नहीं बोलूंगा।

फिर कहने लगते हैं कि- मुझे नहीं लगता कि राजनीति हमें पीछे ले जा रही है। हां इतना जरूर है कि चाहें राजनीतिज्ञ हो, गुरु हो या मार्गदर्शक, उन्हें देश की नींव नहीं बदलनी चाहिए। प्रिंसिपल फॉलो होने चाहिए।

आज धर्म की चर्चा बढ़ी है। बाबाओं के प्रवचन बढ़ रहे हैं। आखिर ऐसा क्यों?
अचंभे के साथ कहते हैं-स्प्रिच्युअल स्पीच को तो लोग आज मनोरंजन के तरीके से देख रहे हैं। वे स्पीच सुनते हैं और फिर अपने जीवन में मशगूल हो जाते हैं। सिर्फ सुनना काफी नहीं है, जरूरी उसे जीवन में उतारना है। स्पीकर और गुरु को भी लोगों के जीवन में उतरना चाहिए। लेकिन आजकल के बाबा तो...। फिर चुप्पी साध लेते हैं।

आज स्कूल की बजाय, कोचिंग का पैटर्न चल पड़ा है

मुझे लगता है कि हमारा सारा एजुकेशन सिस्टम ही डिमॉलिश हो गया है। हर व्यक्ति में अलग-अलग आग होती है। आइंस्टीन ने कहा था कि मछली, बिल्ली, हाथी अाैर घोड़ा सभी की पेड़ पर चढ़ने की परीक्षा नहीं ली जा सकती है। मछली तो ऐसे एग्जाम के नाम से ही आत्म हत्या कर लेगी। आज बच्चे भी तो यही तनाव झेल रहे हैं। हमारा एजुकेशन सिस्टम ही ऐसा हो गया है।

पेरेंट्स को भी समझना होगा कि मछली तैर सकती है। उसकी परीक्षा तैरने की होनी चाहिए। न की पेड़ पर चढ़ने की। आज सारे बच्चों को ऐसे ही हांका जा रहा है, जो गलत है। बच्चों में काॅन्फिडेंस पैदा करना होगा। उन्हें करिअर नहीं लाइफ ट्रैक देना होगा। करिअर तो वो अपने आप बना लेंगे। उन्हें संस्कार देने होंगे। ये सिर्फ कोरे ज्ञान से नहीं होगा। परिवार में पैरेंट्स को एग्जामपल सेट करना होगा।

युवा पीढ़ी को आपका संदेश?

इसके लिए मेरे पास सिर्फ एक ही शब्द...फोकस। चाहे रिश्ते, सेहत, अध्यात्म हो या कोई भी दूसरा क्षेत्र, बस फोकस सबसे ज्यादा जरूरी है। जैसे सूर्य की बिखरी किरणों का कोई उपयोग नहीं होता लेकिन सोलर कुकर में उन्हीं किरणों को एक जगह फोकस कर खाना पकाया जा सकता है। एनर्जी बनाई जा सकती है। वैसे ही हमें भी अपने भीतर की पूरी पावर काे साैलर की तरह यूज करना चाहिए। दुखी हाेने के ताे हजार कारण हाे सकते हैं लेकिन हमें हर पल छाेटी-छाेटी खुशियाें के रास्ते खाेजने हैं। बस मेरी ताे लाइफ का यही फंडा है।



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source https://www.bhaskar.com/rajasthan/udaipur/news/dainik-bhaskar-utsav-rajasthan-udaipur-on-motivational-speaker-gaur-gopal-das-interview-126476093.html

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