गार्जियन ने लिखा- जेएनयू में नकाबपोशों का हमला, एनवायटी ने कहा- कैंपस में मास्क पहने बदमाशों का तांडव

लंदन/न्यूयॉर्क/दोहा/वॉशिंगटन. जेएनयू कैंपस में रविवार शाम को हुई हिंसा को दुनिया भर के बड़े मीडिया समूहों ने कवर किया। गार्जियन ने लिखा- भारत की शीर्ष यूनिवर्सिटी में नकाबपोशों के हमले में कई छात्र घायल हुए। न्यूयॉर्क टाइम्स ने अपनी रिपोर्ट में इसे यूनिवर्सिटी में हिंसा का तांडव लिखा।

गार्जियन, न्यूयॉर्क टाइम्स (एनवायटी), बीबीसी, अल जजीरा और ब्लूमबर्ग ने यूनिवर्सिटी कैंपस में नकाबपोशों के हमले को अपनी हेडलाइन में शामिल किया। जेएनयू में छात्र-शिक्षकों के साथ हुई मारपीट और पुलिस की तैनाती के फोटो-वीडियो भी मौजूद थे। लगभग सभी मीडिया समूहों की रिपोर्ट में इसे मोदी सरकार की हिंदूवादी नीतियों और वामपंथी छात्रों के बीच टकराव का नतीजा बताया गया।

गार्जियन: रविवार को जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी में नकाबपोशों के हमले में 23 छात्र घायल हुए। सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे वीडियो में कुछ लोग कैंपस में लाठी-रॉड लेकर घूमते और छात्रों के साथ मारपीट करते नजर आ रहे हैं। जेएनयू के छात्र फीस बढ़ोतरी के खिलाफ आंदोलन कर रहे थे। जेएनयू के छात्र नागरिकता कानून के खिलाफ प्रदर्शन में भी शामिल रहे थे।

अखबार ने लिखा कि वामपंथियों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भारतीय जनता पार्टी से जुड़े गुंडों को हिंसा के लिए जिम्मेदार बताया। दूसरी तरफ, भाजपा और एबीवीपी ने वामपंथी छात्रों पर हिंसा का आरोप लगाते हुए कहा कि उनके 25 कार्यकर्ता भी हमले में घायल हुए। अखबार ने यह भी लिखा कि जेएनयू भारत का प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय है और विदेश मंत्री एस. जयशंकर, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और अर्थशास्त्र के नोबेल विजेता अभिजीत बनर्जी ने यहां पढ़ाई की।

अल जजीरा: राजधानी दिल्ली में जेएनयू कैंपस में एबीवीपी के कथित हमले में कई छात्र-शिक्षक घायल हो गए। प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि रविवार को जेएनयू की टीचर्स एसोशियेसन ने होस्टल की फीस बढ़ाने के मुद्दे पर एक मीटिंग बुलाई थी। इसके बाद ही अचानक कुछ लोग पहुंचे और हिंसा शुरू हो गई।

अखबार ने लिखा- जेएनयू छात्र संघ पर वामपंथ समर्थक संगठन का कब्जा है। इसकी अध्यक्ष आइशी घोष और कई दूसरे छात्र पथराव में घायल हुए। उन्होंने हमले का आरोप दक्षिणपंथी पार्टी भाजपा से संबंधित एबीवीपी पर लगाया। हालांकि एबीवीपी ने हमले में शामिल होने से इनकार किया।

न्यूयॉर्क टाइम्स: नकाबपोशों ने नई दिल्ली में यूनिवर्सिटी कैंपस में तांडव मचाया। हिंदूवादी नारे लगाने वालों के हमले में दर्जनों लोग घायल हुए। कैंपस में उपद्रवियों ने छात्र-शिक्षकों पर लाठी, रॉड और ईंटों से हमला किया।

रिपोर्ट में लिखा गया कि कुछ छात्रों ने पुलिस पर मूकदर्शक बने रहने का आरोप लगाया। उन्होंने सोशल मीडिया पर वीडियो पोस्ट करके कहा कि मारपीट के दौरान पुलिस के अधिकारी मौजूद थे, लेकिन उन्होंने बीच-बचाव की कोशिश नहीं की। कुछ प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि ये लोग कैंपस में शाम 7 से 8 बजे के बीच घुसे। मारपीट और तोड़फोड़ करने वाले लोग 'जय श्री राम' के नारे भी लगा रहे थे। अखबार ने लिखा कि नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद भारत में धार्मिक ध्रुवीकरण हुआ है।

बीबीसी: बीबीसी ने अपनी रिपोर्ट में लिखा कि जेएनयू स्टूडेंट यूनियन ने हमले के लिए अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) को जिम्मेदार बताया। यह सत्ता पर काबिज भाजपा से संबंधित संगठन है। हालांकि एबीवीपी ने कहा कि वामपंथी छात्र संगठन से जुड़े लोगों ने हमला किया और इसमें उसके सदस्य घायल हुए।

रिपोर्ट में लिखा कि यूनिवर्सिटी में एडमिशन प्रकिया को लेकर दो छात्र समूहों में विवाद था, जिसके बाद हिंसा और मारपीट की घटना हुई। इस दौरान यूनिवर्सिटी की संपत्ति को भी खासा नुकसान पहुंचाया गया। जेएनयू मे पिछले तीन महीनों से फीस बढ़ोतरी और नागरिकता कानून जैसे मुद्दों के खिलाफ लगातार प्रदर्शन हो रहे हैं।

ब्लूमबर्ग: यूनिवर्सिटी में छात्रों पर हमले के बाद देश भर में तनाव बढ़ गया। मास्क पहनकर आए बदमाशों ने जेएनयू में रविवार को छात्रों के साथ मारपीट की। जिस समय यह घटना हुई, उस दौरान कैंपस में वामपंथी छात्र संगठन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे थे।

अखबार ने लिखा कि कई छात्र समूहों ने एबीवीपी पर हिंसा करने का आरोप लगाया। हालांकि एबीवीपी ने हमले में अपना हाथ होने से इनकार किया और हिंसा में उसके सदस्यों के घायल होने की बात कही। एबीवीपी का संबंध केंद्र की सत्ता पर काबिज भाजपा से है।



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वर्ल्ड मीडिया ने जेएनयू में हिंसा को वामपंथी और दक्षिणपंथी पार्टियों का टकराव बताया।


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