बड़े नेता नजरबंद: घाटी की सियासत में 5 अहम किरदार, 370 को भुलाकर 371 की मांग जोर पकड़ रही

श्रीनगर. जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटने के 5 महीने बाद भी तीन पूर्व मुख्यमंत्री फारूकअब्दुल्ला, उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती नजरबंद हैं। राज्य को विधानसभा वाला केंद्र शासित प्रदेश बनाया गया, लेकिन चुनाव कब होंगे, इस पर सस्पेंस कायम है। राज्य में अभी राष्ट्रपति शासन लागू है। बड़े नेता नजरबंद हैं। इसके बावजूद सियासी हलकों में सरगर्मी तेज है। इसकी वजह हैं पूर्व मंत्री अल्ताफ बुखारी और पूर्व उपमुख्यमंत्री मुजफ्फर हुसैन बेग जैसे नेता, जो अनुच्छेद 370 को भुलाकर आगे बढ़ने की बात कर रहे हैं। साथ ही राज्यों काे विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 371 का मुद्दा उठा रहे हैं। चर्चा है कि राज्य में किसी नए दल का गठन भी हो सकता है।

पूर्व मंत्री बुखारी के नेतृत्व में कुछ नेताओं ने बीते मंगलवार उपराज्यपाल जीसी मुर्मू से मुलाकात की थी। इसमें उन्होंने राज्य में राजनीतिक गतिविधियां बहाल करने की मांग की थी। उन्हीं के नेतृत्व में कुछ नेताओं ने हाल ही में 16 विदेशी राजनयिकों से श्रीनगर के एक होटल में मुलाकात की थी। इस कदम से नाराज पीडीपी ने 8 नेताओं को पार्टी से निष्कासित कर दिया था।

अनुच्छेद 370 को भुलाने और उसे खोखला बताने वाले 2 बयान

अनुच्छेद 370 हटने का दर्द कभी नहीं जाएगा, लेकिन हमें आखिरकार इसे भुलाकर आगे बढ़ना होगा। जिंदगी चलती रहती है। हम जो हासिल कर सकते हैं, हमें उसके लिए कोशिशें करनी चाहिए। हमें यहां के लोगों के हक पर बात करनी चाहिए।
अल्ताफ बुखारी, पूर्व मंत्री, पीडीपी से निष्कासित
अनुच्छेद 370 तो खोखला था। इस पर महबूबा मुफ्ती की टिप्पणी भड़काऊ बयान जैसी थी। उनकी टिप्पणी से नुकसान हुआ। अब राज्यों को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 371 को जम्मू-कश्मीर में लागू करने की मांग होनी चाहिए। अनुच्छेद 371 कुछ पहाड़ी राज्यों में लागू है। वहां स्थानीय लोगों को वैसे ही अधिकार मिले हुए हैं, जैसे जम्मू-कश्मीर के लोगों को पहले मिले हुए थे।
मुजफ्फर बेग, पूर्व उपमुख्यमंत्री, पीडीपी

अनुच्छेद 371 क्या है?
अनुच्छेद 371 राज्यों को विशेष दर्जा देता है। इसमें करीब 10 प्रावधान हैं। यह विकास कार्यों और कानून व्यवस्था जैसे मामलों में केंद्र और राज्यों को विशेषाधिकार देता है। अभी यह 10 राज्यों में लागू है। जैसे महाराष्ट्र और गुजरात में यह राज्यपाल के जरिए केंद्र को कुछ विशेष क्षेत्रों में विकास बोर्ड बनाने का अधिकार देता है। वहीं, नगालैंड और मिजोरम में यह अनुच्छेद वहां की विधानसभा को धार्मिक-सामाजिक मामलों में फैसले करने का अधिकार देता है।

नई पार्टी बनने की सुगबुगाहट
अब तक 13 नेता पीडीपी छोड़ चुके हैं। 8 नेताओं को पीडीपी ने विदेशी राजनयिकों से मुलाकात करने पर पार्टी से बाहर कर दिया। माना जा रहा है कि अल्ताफ बुखारी पीडीपी छोड़ चुके नेताओं के साथ मिलकर नई पार्टी बना सकते हैं। वहीं, कश्मीर में भाजपा के पंच और सरपंच जल्द ही विधानसभा चुनाव लड़ना चाहते हैं। उनका मानना है कि राज्य की राजनीति में आए खालीपन को वे भर सकते हैं। हालांकि, भाजपा आज तक कश्मीर घाटी में कोई विधानसभा सीट नहीं जीत सकी है।

सियासी हलचल के 5 चेहरे
1# अल्ताफ बुखारी : कश्मीर के कारोबारी, पीडीपी से बाहर

बुखारी कश्मीर के बड़े कारोबारी हैं। वे 84 करोड़ की संपत्ति के साथ 2014 के विधानसभा चुनाव में सबसे अमीर उम्मीदवार रहे हैं। जनवरी 2019 में ही उन्हें पीडीपी से निकाल दिया गया था। बुखारी 370 को भुलाकर आगे बढ़ने की खुलकर बात कर रहे हैं। अगस्त के बाद इस तरह का सार्वजनिक बयान देने वाले वे पहले नेता हैं। बुखारी के नेतृत्व वाले गुट ने युवाओं से जुड़ा मुद्दा भी उछाल दिया है। उनका कहना है कि जम्मू-कश्मीर के स्थायी निवासियों को रोजगार और प्रोफेशनल कोर्सेस में आरक्षण मिलना चाहिए। साथ ही युवाओं के खिलाफ दर्ज मुकदमे वापस लिए जाने चाहिए। बुखारी पीडीपी से अलग हो चुके हैं, लेकिन अपनी पूर्व नेता महबूबा मुफ्ती समेत सभी तीन पूर्व मुख्यमंत्रियों को नजरबंदी से छोड़ने और अगस्त से जेलों में बंद करीब 1200 लोगों को रिहा करने की मांग कर रहे हैं।

2# मुजफ्फर बेग : पीडीपी नेता, लेकिन 370 पर पार्टी से अलग राय
पूर्व डिप्टी सीएम मुजफ्फर बेग 371 का मुद्दा उठा रहे हैं। वे 370 पर महबूबा मुफ्ती के स्टैंड को भी खुलकर गलत ठहरा रहे हैं। हालांकि, वे अभी पीडीपी में कायम हैं।

3# इल्तिजा मुफ्ती : महबूबा की बेटी
महबूबा मुफ्ती की बेटी इल्तिजा मुफ्ती 370 हटाने के विरोध में चल रही मुहिम का चेहरा बनी हुई हैं। उनका कहना है कि कोई किसी भी दल में हो, यह वक्त है जब 370 की बहाली के लिए सभी साथ आएं।

4# मुस्तफा कमाल, फारुख अब्दुल्ला के भाई
फारुख और उमर अब्दुल्ला अगस्त से नजरबंद हैं। फारुख के भाई मुस्तफा कमाल नेशनल कॉन्फ्रेंस के बड़े नेता हैं। उन्होंने साफ कर दिया है कि जब तक 370 की बहाली नहीं हो जाती, तब तक पार्टी कोई चुनाव नहीं लड़ेगी। अनुच्छेद 371 लागू होता है तो हमें कोई दिक्कत नहीं है, लेकिन 370 पर हमारा स्टैंड कायम है।

5# खालिदा शाह, फारुख अब्दुल्ला की बहन
फारुख अब्दुल्ला की बहन और आवामी नेशनल कॉन्फ्रेंस की अध्यक्ष खालिदा शाह का भी कहना है कि सरकार ने 370 हटाकर बड़ी गलती की है। 370 को उसके मूल स्वरूप में दोबारा बहाल करना चाहिए। जो अनुच्छेद 371 की बात करेंगे, उन्हें गद्दार माना जाना चाहिए।



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Kashmir after article 370 Altaf Bukhari emerging as new leader of Kashmir


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