प्रीमियम ट्रेनों में यात्रियों को गाने-फिल्में देखने की सुविधा जल्द, सर्दियों में लेटलतीफी खत्म करने के लिए डिवाइस लगेगा

नई दिल्ली. राजधानी, शताब्दी और दूरंताे जैसी प्रीमियम ट्रेनाें में सफर में यात्री मनपसंद फिल्म देख और गाने सुन सकेंगे। ट्रेनों में ऑन डिमांड कंटेंट की सुविधा अप्रैल से मिलेगी। यह सेवा मुफ्त रहेगी। रेलवे विज्ञापनाें के जरिए इससे कमाई भी करेगा। दूसरी तरफ सर्दी में घने कोहरे के बीच ट्रेनों की लेटलतीफी की समस्या खत्म करने के लिए रेलवे अब नए फॉग विजन डिवाइस का ट्रायल कर रहा है। अगर ट्रायल सफल रहा तो 20 जनवरी के बाद यह डिवाइस 25 ट्रेनों के इंजन में लगाया जाएगा।

कंटेंट प्रोवाइडर जल्द तय किए जाएंगे
रेलवे बोर्ड के चेयरमैन वीके यादव ने बताया कि इसके लिए टेंडर जारी हो चुके हैं। जल्द ही कंटेंट प्राेवाइडर तय कर दिए जाएंगे। कंटेंट प्रोवाइडर ट्रेनाें में हॉट स्पॉट लगाएगा। यात्रियों के आईपैड, मोबाइल, लैपटॉप स्वत: ही हॉट स्पॉट से कनेक्ट होंगे। इसके बाद यात्रियाें काे एक एप डाउनलाेड करना हाेगा। जिसके जरिए यात्री पसंदीदा फिल्म चुन सकेगा और प्रोवाइडर उसे उपलब्ध कराएगा।

किन ट्रेनों में यह सुविधा, रेलवे कैसे कमाई करेगा?
रेलवे शुरू में यह सुविधा राजधानी, शताब्दी, दूरंतो, वंदे भारत में उपलब्ध कराएगा। इसके बाद लंबी दूरी की प्रमुख ट्रेनों में इसे शुरू किया जाएगा। कम दूरी और पैसेंजर ट्रेनों में यह सुविधा नहीं होगी। कंटेंट में कुछ हिस्सा सरकारी योजनाआें के प्रचार-प्रसार का होगा और कुछ कंपनी के विज्ञापनों का। ज्यादातर हिस्सा ऑन डिमांड कंटेंट का होगा। कंपनी इसके बदले रेलवे को रुपए भी देगी। इस तरह यात्रियों और रेलवे दोनों का फायदा होगा।

फॉग विजन डिवाइस के अब तक के ट्रायल रिजल्ट बेहतरीन
रिसर्च डिजाइन एंड स्टैंडर्ड ऑर्गेनाइजेशन (आरडीएसओ) लखनऊ द्वारा बनाए गए फॉग विजन डिवाइस का दिल्ली से शुरू होने वाली ट्रेनों के इंजनों पर ट्रायल जारी है। हर दिन डिवाइस का डाटा लिया जा रहा है, जिसके रिजल्ट काफी अच्छे मिल रहे हैं। पश्चिम-मध्य रेलवे जोन की कुछ ट्रेनों में भी प्रारंभिक चरण में इसे दिया जाएगा। संभवत: शताब्दी एक्सप्रेस में सबसे पहले इसे लगाया जाएगा, क्योंकि वह कोहरे से सबसे ज्यादा प्रभावित ट्रेनों में शामिल है।

इस तरह दिखेगी इमेज
डिवाइस के साथ प्रोग्रामिंग बॉक्स रहेगा। डिवाइस में मवेशी, बोल्डर सहित अड़चन बनने वाली चीजों की आर्टिफिशियल इमेज सेव की गई हैं। जैसे ही ट्रैक पर कुछ दिखाई देगा उसकी इमेज डिवाइस में लगे इनसाइड व आउट साइड कैमरे के जरिए सामने लगी स्क्रीन पर लोको पायलट को नजर आने लगेगी।

यह डिवाइस क्यों बेहतर है
फॉग सेफ डिवाइस जीपीएस के माध्यम से चलती है। उसमें केवल सिग्नल के लोकेशन की जानकारी मिलती है। ...लेकिन नई डिवाइस में इंफ्रारेड टेक्नोलॉजी का उपयोग होने से ट्रैक आसानी से दिखता है।

  • इंफ्रारेड टेक्नोलॉजी का उपयोग इस नई फॉग विजन डिवाइस में किया गया है।
  • इस टेक्नोलॉजी के जरिए ही फ्लाइट की लैंडिंग के समय बादलों के बाहर की आर्टिफिशियल इमेज दिखाई देती है ।
  • शताब्दी में सबसे पहले इसे लगाया जाएगा, क्योंकि वह कोहरे से सबसे ज्यादा प्रभावित ट्रेनों में शामिल है।


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ट्रेनों की लेटलतीफी की समस्या खत्म करने के लिए फॉग विजन डिवाइस का ट्रायल चल रहा है।


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