दुनिया के सबसे 30 प्रदूषित शहरों में 21 भारत के; दक्षिण एशियाई देशों की हालत सबसे ज्यादा खराब
नई दिल्ली.दुनियाभर में वायु प्रदूषण के सबसे खराब स्तर वाले शहरों की सालाना लिस्ट में भारत के शहर एक बार फिर टॉप पर हैं। यूपी का गाजियाबाद इस लिस्ट में पहले नम्बर पर है। टॉप-10 में से 6 और टॉप-30 में कुल 21 शहर भी भारत के हैं। वर्ल्ड एयर क्वालिटी रिपोर्ट-2019 का यह डेटा आईक्यूएआईआर के शोधकर्ताओंने तैयार किया है। हर साल यह रिपोर्ट तैयार होती है। 2018 की रिपोर्ट में टॉप-30 प्रदूषित शहरों में भारत के 22 शहर शामिल थे।
नई रिपोर्ट के मुताबिक, यूपी के गाजियाबाद का 2019 में औसत पीएम2.5 (μg/m³)- 110.2 था, जो दुनियाभर में सबसे खराब था। इसके बाद अगले तीन स्थानों पर चीन और पाकिस्तान के शहर हैं, लेकिन जैसे-जैसे लिस्ट आगे बढ़ती है, भारत के शहरों की संख्या भी इसमें बढ़ती जाती है। टॉप-50 तक भारत के 26 शहर इस लिस्ट में आ जाते हैं। इस लिस्ट के टॉप-50 में सभी शहर एशियाई देशों के हैं। इन सभी का सालाना औसत पीएम2.5 (μg/m³)- 60 से ज्यादा रहा है।
शहर | PM 2.5 (μg/m³) 2019 | PM 2.5 (μg/m³) 2018 |
गाजियाबाद, भारत | 110.2 | 135.2 |
होतन, चीन | 110.1 | 116 |
गुजरनवाला, पाकिस्तान | 105.3 | - |
फैसलाबाद, पाकिस्तान | 104.6 | 130.4 |
दिल्ली, भारत | 98.6 | 113.5 |
नोएडा, भारत | 97.7 | 123.6 |
गुड़गांव, भारत | 93.1 | 135.8 |
राविंडी, पाकिस्तान | 92.2 | - |
ग्रेटर नोएडा, भारत | 91.3 | - |
बंधवारी, भारत | 90.5 | - |
लखनऊ, भारत | 90.3 | 115.7 |
लाहौर, पाकिस्तान | 89.5 | 114.9 |
बुलंदशहर, भारत | 89.4 | - |
मुजफ्फरनगर, भारत | 89.1 | - |
बागपत, भारत | 88.6 | - |
काशगर, चीन | 87.1 | 95.8 |
जिंद, भारत | 85.4 | 91.6 |
फरीदाबाद, भारत | 85 | 129.1 |
कोरौत, भारत | 85 | - |
भिवंडी | 83.4 | 125.4 |
ढाका, बांग्लादेश | 83.3 | 97.1 |
पटना, भारत | 82.1 | - |
पलवल, भारत | 82.1 | - |
दक्षिण तांगेरन, इंडोनेशिया | 81.3 | - |
मुजफ्फरपुर, भारत | 81.2 | 110.3 |
हिसार, भारत | 81 | - |
मुरीदके, पाकिस्तान | 80.6 | - |
कुतैल, भारत | 80.4 | - |
जोधपुर, भारत | 77.2 | 113.6 |
मुरादाबाद, भारत | 76.5 | 104.9 |
सबसे प्रदूषित देशों में भारत का स्थान 5वां
टॉप-10 सबसे प्रदूषित देशों में सभी देश एशियाई हैं। भारत का स्थान इसमें 5वां है। पिछले साल भारत का स्थान तीसरा था। 2019 में भारत का पीएम2.5 (μg/m³)- 58.08 रहा, जो 2018 से 14.46 पॉइंट कम है। रिपोर्ट में इस सुधार का कारण आर्थिक मंदी को बताया गया है। इस लिस्ट में बांग्लादेश पहले नम्बर पर और पाकिस्तान दूसरे नम्बर पर है। दक्षिण एशियाई देश, दक्षिण-पूर्वी एशियाई देश और पश्चिमी एशियाई देशों की हालत सबसे खराब है। दुनियाभर में इसी हिस्से में वायु प्रदुषण का स्तर सबसे चिंताजनक बताया गया है।
देश | PM 2.5 (μg/m³) 2019 | PM 2.5 (μg/m³) 2018 |
बांग्लादेश | 83.3 | 97.1 |
पाकिस्तान | 65.8 | 74.2 |
मंगोलिया | 62 | 58.5 |
अफगानिस्तान | 58.8 | 61.8 |
भारत | 58.08 | 72.54 |
इंडोनेशिया | 51.71 | 42.01 |
बहरीन | 46.80 | 59.80 |
नेपाल | 44.46 | 54.15 |
उज्बेकिस्तान | 41.20 | 34.30 |
इराक | 39.60 | - |
किस आधार पर तैयार होती है रिपोर्ट?
ग्लोबल एयर क्वॉलिटी इन्फोर्मेशन कंपनी आईक्यूएआईआर के रिसर्चरों ने ग्राउंड मॉनिटरिंग स्टेशन के जरिए मिले पीएम2.5 (μg/m³) के डेटा के आधार पर यह रिपोर्ट तैयार की है। पीएम2.5PM(μg/m³) वायु में घुले बेहद ही छोटे कण होते हैं, जिन्हे सिर्फ माइक्रोस्कोप की मदद से देखा जा सकता है। सांस लेने के दौरान ये कण आसानी से फेफड़ोंतक पहुंच जाते हैं, जो बेहद नुकसानदायक है। ये आगे चलकर फेफड़ों और ह्दय से जुड़ी बीमारियों के कारण बनते हैं। अगर किसी शहर काPM 2.5 (μg/m³)- 12 से कम है तो उसे बेहतर माना गया है।
पीएम2.5 (μg/m³) | एक्यूआई लेवल | स्वास्थ्य के लिए कैसा? |
0-12 | 0-50 | बेहतर |
12.1-35.4 | 51-100 | संतोषजनक |
35.5-55.4 | 101-150 | सामान्य |
55.5-150.4 | 151-200 | खराब |
150.5-250.4 | 201-300 | बहुत खराब |
250.5+ | 301+ | गंभीर |
वायु प्रदूषण के कारण हर साल 15 साल से कम उम्र के 6 लाख बच्चों की मौत
विश्व स्वास्थ्य संगठन की 2018 की एक रिपोर्ट के मुताबिक, दुनियाभर में हर साल 15 साल से कम उम्र के 6 लाख बच्चों की मौत सिर्फ प्रदूषण से होने वाली बीमारियों के कारण होती है। वर्ल्ड बैंक की 2016 की एक रिपोर्ट के मुताबिक, वायु प्रदुषण के कारण होने वाली बच्चों की मौतों से हर साल दुनियाभर में 5 ट्रिलियन डॉलर का नुकसान होता है।
आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें
source /national/news/world-most-polluted-cities-list-updates-ghaziabad-noida-delhi-and-haryana-had-the-highest-levels-of-air-pollution-by-world-air-quality-report-iqair-126843154.html
0 Comments