तीन दिन की सुस्ती के बाद चौथे दिन जागी पुलिस, ये मुस्तैदी पहले दिखाती तो कई जिंदगियां बच सकती थीं

उत्तर-पूर्व दिल्ली. तारीख 26 फरवरी। दिन बुधवार। दिल्ली में भड़की हिंसा का चौथा दिन। ये सुबह बीते तीन दिनों से बिलकुल अलहदा है। सुरक्षा बलों की मुस्तैदी बीते दिनों की तुलना में कहीं ज्यादा है। दिल्ली सरकार से लेकर केंद्र सरकार तक पहली बार हिंसा रोकने और इसके शिकार हुए लोगों को राहत पहुंचाने के गंभीर प्रयास करती दिख रही है। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल हिंसाग्रस्त इलाकों का दौरा कर रहे हैं और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल भी हिंसा की चपेट में आए इलाकों में पहुंच रहे हैं। उधर, दिल्ली हाईकोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक भी मामले की सुनवाई चल रही है। दिल्ली पुलिस को जिम्मेदारी का अहसास दिलाया जा रहा है। इस सबके साथ पहली बार प्रधानमंत्री ने भी ट्वीट कर लोगों से शांति बनाए रखने की अपील की है। कांग्रेस भी कुछ करती दिखने की कोशिश में है।

इन मुस्तैदियों का असर मौके पर देखा जा सकता है। कल तक जहां दंगाई जगह-जगह हिंसा भड़काने के भरसक प्रयास करते नजर आ रहे थे, वहीं आज सड़कों पर तुलनात्मक रूप से शांति है। राहत कार्य भी किए जा रहे हैं। दमकल की गाड़ियां सुबह से ही उन इमारतों से उठ रहे धुआें को बुझाती दिख रही हैं जिन्हें कल आग के हवाले कर दिया गया था। सुरक्षा बलों के जवान हिंसाग्रस्त इलाकों में मार्च कर रहे हैं। ऐसी मुस्तैदी कुछ पहले दिखाई जाती तो दो दर्जन से ज्यादा लोगों की जान बच सकती थी, सैकड़ों लोग चोटिल होने से बच जाते और दर्जनों परिवारों को अपने घर छोड़ने पर मजबूर हो जाने से बचाया जा सकता था।

हिंसा का थमना सुखद खबर है, पर कई त्रासद खबरें भी हैं। इंटेलिजेन्स ब्यूरो के कॉन्स्टेबल अंकित शर्मा का शव चांदपुर के नाले से बरामद होना ऐसी ही एक त्रासदी है। अंकित के पिता का कहना है कि दंगाई भीड़ ने बेरहमी से उनके बेटे का कत्ल कर लाश नाले में फेंक दी थी। ऐसी ही एक भयावह खबर शिव विहार चौक से भी आई है, जहां अनिल स्वीट्स नाम की दुकान की जली हुई इमारत की दूसरी मंज़िल से एक अधजली लाश बरामद हुई है। बीते तीन दिनों से उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हिंसा का जो तांडव होता रहा, उसमें दबी ऐसी ही कई त्रासद घटनाएं अब धीरे-धीरे सामने आ रही हैं। ऐसी ही त्रासदी खजूरी के उन परिवारों की भी है, जिन्हें अपना घर छोड़कर पलायन को मजबूर होना पड़ा है।

बीती शाम यहां के कई घरों को उनकी धार्मिक पहचान के चलते निशाना बनाया गया और उनमें आग लगाई गई। इसके चलते दर्जनों परिवारों को यहां से पलायन करने पर मजबूर होना पड़ा। दोपहर में जब सुरक्षा बल यहां फ्लैग मार्च कर रहे हैं तो उनके संरक्षण में इन परिवारों की महिलाएं अपने खाक हो चुके घरों में अपना कीमती और जरूरी सामान तलाशने की कोशिश कर रही हैं। करावल नगर रोड पर खुलती गलियों के मुहाने पर लोग खड़े हैं, पर वे न तो बीते दिनों की तरह हथियार लहरा रहे हैं और न ही मेन रोड पर जमाकर होकर हिंसा भड़कने की संभावना बना रहे हैं। पुलिस बल भी इतना मुस्तैद है कि पत्रकारों को जगह-जगह रोक कर उनसे कर्फ्यू पास दिखाने को कहा जा रहा है।

दो विरोधाभास
यह दिलचस्प विरोधाभास है कि दिल्ली पुलिस ने पत्रकारों को तब नहीं रोका, जब वह अपनी जिम्मेदारी से भाग रही थी और अब रोक रही है, जब जिम्मेदारी निभाती देखी जा सकती है। इससे भी बड़ा विरोधाभास दिल्ली पुलिस के बयान में दिखता है। पुलिस ने आज कहा है कि वो सीसीटीवी फुटेज खंगालकर दंगाइयों के खिलाफ कार्रवाई करेगी। यदि ऐसा सच में होता है तो सबसे ज्यादा मामले संभवतः दिल्ली पुलिस पर ही दर्ज होंगे, जो लगातार हिंसक भीड़ के कंधों से कंधे मिलाकर खड़ी रही है।


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Delhi Violence Report | Delhi Violence Ground Zero Report Today Latest News Updates On Violence Affected Areas Maujpur, Kardampuri, Chand Bagh and Dayalpur
दिल्ली के खूजरी इलाके से लोगों का पलायन जारी है।
उत्तर-पूर्वी दिल्ली में कई दुकानें जलकर राख हो गईं। (फोटो : विकास कुमार, एशियाविल)


source https://www.bhaskar.com/db-originals/news/delhi-violence-ground-report-today-updates-on-violence-affected-areas-maujpur-kardampuri-chand-bagh-and-dayalpur-126856481.html

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