रैगिंग में उत्तर प्रदेश नंबर 1 और मध्य प्रदेश नंबर 2 राज्य, देशभर में बीते 10 साल में तीन गुना बढ़ गए मामले

एजुकेशन डेस्क.देशभर मेंरैगिंग के मामलों में उत्तर प्रदेश पहले और मध्य प्रदेश दूसरेपायदान पर है। यूजीसी एंटी रैगिंग हेल्पलाइन की रिपोर्ट के मुताबिक, 2019 में उत्तर प्रदेश में 152 और मध्य प्रदेश में 132 शिकायतें दर्ज हुई हैं। पिछले एक दशक में रैगिंग के मामलों में उत्तर प्रदेश पहले, पश्चिम बंगाल दूसरे और मध्य प्रदेश तीसरे स्थान पर है। पिछले एक दशक में ऐसे मामलोंकी संख्यातीन गुना तक बढ़ गईहै और शिकायत दर्ज कराने में लड़कियों के मुकाबले लड़केआगे रहे हैं।2009 में 343 शिकायत दर्ज हुईं और 10 साल बाद 2019 तक दर्जशिकायतों काकुल आंकड़ा 6958 को पार कर गया है।

रैगिंग के मामले क्यों बढ़ रहे हैं? इस सवाल पर यूजीसी केरैगिंग मॉनिटरिंग एजेंसी की तरह काम करने वालेअमन मूवमेंट एनजीओके फाउंडर प्रो.राज काचरू नेदैनिक भास्कर को बताया किअब ऐसे मामलों को दर्ज कराने के लिए पेरेंट्स और स्टूडेंट में विश्वास बढ़ा है। उन्हें भरोसाहै कि कार्रवाई जरूर होगी औरइसलिए ज्यादामामले सामने आ रहे हैं।

2010 में शिमला में एक प्रदर्शन के दौरान बेटे अमन काचरू के फोटो के साथ प्रो. राज काचरू। (फाइल फोटो)

रैगिंग ने छीन लिया थाकाचरूके बेटे को

2009 में मेडिकल छात्र अमन सत्या ने रैगिंग से परेशान होकर आत्महत्या कर ली थी। बेटे अमन की मौत के बाद उसके पिता राज काचरू ने अमन सत्या काचरूट्रस्टकी शुरुआत की।रैगिंग के खिलाफ अभियान शुरू किया और उसका नाम अमन मूवमेंट रखा। अमन की मौत पर संज्ञान लेते हुएयूजीसी नेएंटी रैगिंग हेल्पलाइन की शुरुआत की। इसके बाद यूजीसी नेकाचरू के एनजीओ के साथ मिलकर कैंपेन शुरू किया और गाइडलाइन जारी की है। काचरू ने बताया कि उनके मूवमेंट का मकसदस्टूडेंट्स या कॉलेज में डर का माहौल बनानानहीं, बल्कि उनके मन से रैगिंग का डर निकालना है।

सजा पाने वालों का आंकड़ा कम क्यों?
रैगिंग के बढ़ते मामलों के मुकाबले सजा मिलने वालों की संख्या बेहद कम हैं, ऐसा क्यों? इस सवाल पर प्रो.काचरू ने कहा किज्यादातर मामलों में स्टूडेंट्स के माफी मांगने और काउंसलिंग के बाद केस बंद कर दिया जाता है। सजा का प्रावधान सिर्फ उन स्टूडेंट्स के लिए होता है, जिन्होंने किसी बड़ी घटना को अंजाम दिया हो।

सबसे ज्यादा त्रस्त5 राज्यों की रिपोर्ट


1- उत्तर प्रदेश : 10 साल में सर्वाधिक 1182 शिकायत दर्ज

2019 और पिछले एक दशक के आंकड़ों के मुताबिक उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा रैगिंग की शिकायतें दर्ज हुईं। 2009 से 2019 तक कुल 1182 मामले सामने आए। इसमें 1060 मामले लड़कों और 133 लड़कियों ने दर्ज कराए। उत्तर प्रदेश में 2018 में सबसे ज्यादा 180 मामले दर्ज हुए थे।

2- पश्चिम बंगाल : 10 साल में 803 मामले

2019 के रैगिंग के आंकड़ों में भले ही मध्य प्रदेश दूसरे स्थान पर है, लेकिन एक दशक का हिसाब देखें तोपश्चिम बंगाल 803 शिकायतों के साथ दूसरे स्थान पर है। इसमें लड़कों ने782और 121 शिकायतें लड़कियों ने दर्ज कराए हैं। यहां पिछले 10 सालमें सर्वाधिक 119 शिकायतें 2018 में दर्ज हुईं।

3- मध्य प्रदेश :रैगिंग के मामलों में तीसरा बड़ा राज्य

साल-दर-साल आंकड़ों की तुलना करें तो सबसे ज्यादा मध्य प्रदेश में सबसे ज्यादा 132 शिकायतें 2019 में दर्ज हुईं। यहां पिछले एक दशक में यहां रैगिंग के 745 मामले दर्ज हुए। शिकायत दर्ज कराने वालों में 687 लड़केऔर 58 लड़कियांशामिल थीं।

4- ओडिशा : 2019 में सबसे ज्यादा 80 शिकायत दर्ज

ओडिशा में 2019 में 80 और पिछले 10 सालों में रैगिंग की 533 शिकायतदर्ज हुईं। सबसे ज्यादा शिकायतें पिछले साल ही दर्ज हुईं। मामले दर्ज कराने मेंज्यादा संख्या लड़कोंकी थीं।

5- बिहार : शिकायतोंके मामले में पांचवें स्थान पर

रैगिंग की शिकायत दर्ज कराने में बिहार के लड़के-लड़कियांपांचवें स्थान पर है। 2019 में 60 शिकायत दर्ज हुईं और पिछले एक दशक में 372 मामले सामने आए हैं। यहां भी 2019 में सबसे ज्यादा 60 शिकायतेंं दर्ज हुईं।



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Ragging Case 2020: Madhya Pradesh 132, Uttar Pradesh tops the list with 1182 Complaints - India Most Ragging States For Students (Ragging Cases)


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