11 घंटे तहखाने में कैद रहे बच्चे; 15 साल की अंजली ने सनकी सुभाष को चकमा देकर अंदर से दरवाजे बंद कर 23 जानें बचाईं

फर्रुखाबाद (उत्तर प्रदेश).अंधेरे तहखाने में 23 बच्चों के साथ 11 घंटे कैद रही 15 साल की अंजली अब भी सुभाष का खूंखार चेहरा याद करके सहम जाती है। वह अपने भाई-बहन को बुलाने सुभाष के घर गई थी, जहां उसने अन्य बच्चों के साथ उसे कैद कर लिया था। दहशत के माहौल में अंजली ने हिम्मत नहीं हारी। जैसे ही सुभाष ग्रामीणों को धमकाने के लिए छत पर गया, उसने अंदर से दरवाजे बंद कर लिए, जो बाद में पुलिस के आने पर ही खोले गए। गुरुवार को फर्रुखाबाद के करथिया गांव में सिरफिरे सुभाष की दहशत की कहानी, हिम्मती अंजली की जुबानी...

सुबह से स्पीकर पर गाना लगाकर डांस कर रहा था आरोपी
'सुबह हम भाई-बहन स्कूल गए थे। करीब डेढ़ बजे जब हम लौटे तो सुभाष के घर के बरामदे में लगा स्पीकर बहुत तेज बज रहा था। वह मस्त होकर डांस कर रहा था। बरामदे में ही टॉफी-बिस्किट आदि रखे थे, जो वह बच्चों को बांट रहा था। हमारे भाई-बहन भी वहां पहुंच गए। पीछे से मैं भी पहुंची। वह अपने बेटी का जन्मदिन बताकर सब बच्चों को घर में बुला रहा था। सुभाष बोला नीचे तहखाने में चलो वहीं जन्मदिन मनाया जाएगा। सब बच्चे नीचे चले गए, मैं ऊपर ही रही तभी उसने घर का मुख्य दरवाजा बंद कर दिया। जब मैंने पूछा दरवाजा क्यों बंद किया तो उसने धमकाया और नीचे जाने को कहा। मैं और एक-दो बच्चे और जो ऊपर थे, वह भी नीचे चले गए।'

'तहखाने में ही टॉयलेटबना था, जिसमें कोई ओट नहीं थी, छोटा सा बल्ब लगा था। उसने कहा सब यहीं चुपचाप बैठो और बंदूक तानकर बोला कि शोर मचाया तो गोली मार दूंगा। सुभाष और उसकी पत्नी दोनों वहीं बैठे रहे। सुभाष के पास एक रायफल थी और एक कट्टा था। सब बच्चे रो रहे थे। मैं उन्हें चुप कराने की कोशिश कर रही थी, लेकिन मुझे भी डर लग रहा था। वह बोल रहा था कि बम से घर को उड़ा दूंगा। उसने वहीं तार से कोई बम भी जोड़ रखा था।'

'उसने बाहर से तहखाने का दरवाजा लॉक कर रखा था। हर 15-20 मिनट पर आकर वह हम लोगों को धमकाता था। इसी बीच गोली चलने की आवाज सुनाई दी, उसके बाद गांव वालों का शोर सुनकर हम लोग बहुत डर गए थे और बच्चे भी रोने लगते। हमने सुभाष की पत्नी रूबी से भी बचाने को कहा, लेकिन उसने उलटे हम लोगों को चुपचाप बैठने के लिए कह दिया।'

'तहखाने में कैद हुए करीब 4-5 घंटे हो गए थे। शायद शाम हो चुकी थी। पुलिस ने शायद लाइट काट दी थी, इससे तहखाने में लगा बल्ब भी बुझ गया था। कमरे में बहुत अंधेरा हो गया, जिसकी वजह से हमें कुछ सूझ नहीं रहा था। अंधेरे की वजह से हम लोगों को भी डर लग रहा था। साथ ही छोटे बच्चे ज्यादा डर रहे थे। कमरा बंद होने की वजह से हम बच्चों की सांस भी फूल रही थी। वहां कुछ खिलौने रखे थे, जिसमें छोटी लाइट लगी थी। फिर वही जलाकर उजाला किया था। हमें न समय का पता चल रहा था। बाहर क्या हो रहा है वह भी पता नहीं चल रहा था।'

'सुभाष के पड़ोस मेंरहने वाली एक साल की शबनम भी हमारे साथ कैद थी, वह खूब रो रही थी। उसे जोरों की भूख लग रही थी। बाहर से सुभाष और उसकी पत्नी को शायद उसे बाहर देने के लिए कहा गया, हमने भी उससे कहा चाचा इसे बाहर निकाल दीजिए, चाहे हमारी जान ले लो। तब रूबी नीचे तहखाने में आई और बच्चीको लेकर चली गई, लेकिन हड़बड़ी में वह दरवाजा बंद करना भूल गई। मैंने तुरंत अंदर से दरवाजा बंद कर कुंडी लगा दी।'

'शबनम कोबाहर देने के बाद जब दोनों लौटे तो दरवाजा बंद था। उन्होंने हमें धमकाया कि दरवाजा खोलो नहीं तो बम से उड़ा देंगे, लेकिन मैंने साफ मना कर दिया। कुछ बच्चे रोने लगे और दरवाजा खोलने के लिए कहने लगे। मैंने उन्हें समझाया- सब चुप रहो कुछ नहीं होगा, पुलिस वाले हमें बचा लेंगे। मेरे दिमाग में यही चल रहा था कि दरवाजा खोल दिया तो सुभाषहमें मार देगा। हम इतना डरे हुए थे कि पुलिस के आने पर भी हमने दरवाजा नहीं खोला था। शोरगुल में उनकी आवाज भी नहीं सुनाई दे रही थी। पुलिस वालों ने दरवाजा तोड़कर हम लोगों को बाहर निकाला।'

मां के साथ मजदूरी करपरिवार चलाने में मदद करती है अंजली
अंजली के पिता नरेंद्र की मौत 3 साल पहले लीवर डैमेज होने से हो गई थी। परिवार में मां, दादा-दादी और 13 साल का भाई अरुण और 10 साल की बहन लवी है। 15 साल की अंजली खुद 9वीं कक्षा में पढ़ती है और मां के साथ खाली समय में मजदूरी कर परिवार चलाने में मदद करती हैं। दादा-दादी भी मजदूरी करते हैं। अंजली का मकान सुभाष के घर के पीछे है। अंजली कहती हैं- 'अभी कुछ सोचा नहीं है कि आगे चलकर क्या करना है। अभी तो ये सोचना है कि मेरी मां मुझे आगे पढ़ा पाएंगी या नहीं।'

'सुभाष की मां भी उसे छोड़कर दूसरे गांव चली गई थी'
सुभाष के घर के पास रहने वाले देवेंद्र बताते हैं- 'सुभाष चोर उच्चका था। अपनी सब जायदाद बेचकर खा गया था। मां भी इसे छोड़कर दूसरे गांव अपनी बहन के घर चली गई थी। दो साल पहले उसने छोटी जाति की रूबी से शादी कर ली, उसके चाल चलन को देखते हुएगांववालों ने उसको बहिष्कृत कर दिया था। वह भी लोगों से कम ही बात करता था। उसके जैसे चोरों से वैसे भी कोई बात नहीं करता।'



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Farrukhabad Children Hostage; Anjali, Meet 15-Year-Old Girl, Who Saves All Kids After Some Children Hostage at UP Farrukhabad


source https://www.bhaskar.com/uttar-pradesh/agra/news/farrukhabad-children-hostage-meet-15-year-old-girl-who-saves-all-kids-after-some-children-hostage-at-up-farrukhabad-126654892.html

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