बात उन गलियों की, जहां नफरत की आग हिंदू-मुस्लिम भाईचारे को छू भी न सकी

नई दिल्ली. उत्तर-पूर्वीदिल्ली के कई इलाके जब दंगों की आग में झुलस रहे थे तो कुछ मोहल्ले ऐसे भी थे, जिन्होंने इंसानियत और आपसी भाईचारे को इस आग से बचाए रखा। ऐसा ही एक मोहल्ला चंदू नगर में है, जहां लोगों ने अपने पड़ोसियों के दशकों पुराने रिश्तों पर नफरत को हावी नहीं होने दिया। यहां करीब 40 मुस्लिम परिवारों के बीच सिर्फ तीन हिंदू परिवार रहते हैं। राजबीर सिंह का परिवार भी इनमें से एक है, जो 1981 से यहां रह रहा है। मूल रूप से बुलंदशहर के रहने वाले राजबीर बताते हैं, ‘‘इस मोहल्ले में हम सिर्फ तीन हिंदू परिवार हैं, लेकिन हमें कभी यहां असुरक्षा महसूस नहीं हुई। 90 के दशक में भी जब दंगे भड़के थे, तब भी हमारे पड़ोसियों ने हम पर आंच नहीं आने दी थी। इस बार भी ऐसा ही हुआ। जब दंगे भड़के तो पास के ही जमालुद्दीन और मुर्शीद भाई हमारे घर आए। उन्होंने हमें भरोसा दिलाया कि राजबीर भाई,आपको घबराने की कोई जरूरत नहीं है। यहां कोई आपका बाल भी बांका नहीं कर सकता।’’

चंदू नगर का ये वही इलाका है, जहां खजूरी खास से पलायन करके आए कई मुस्लिम परिवार भी शरण लेकर रह रहे हैं। इन तमाम परिवारों के घर जब दंगाइयों ने जला दिए तो ये अपनी जान बचाकर किसी तरह यहां पहुंचे। इनमें से कुछ परिवार यहां अपने रिश्तेदारों के घर पर रह रहे हैं तो कुछ मस्जिद में पनाह लिए हुए हैं। राजबीर सिंह कहते हैं, ‘‘जब दंगों की शुरुआत हुई तो भी मुझे यहां घबराहट नहीं हुई। मुझे अपने पड़ोसियों पर भरोसा है। जब आसपास के कई मुस्लिम परिवार यहां शरण लेने आने लगे तो मुझे थोड़ी घबराहट महसूस हुई। ये वे लोग थे, जिनके घर हिंदुओं ने जलाए थे। इनमें स्वाभाविक ही बेहद गुस्सा रहा होगा। तब विचार आया कि शायद मुझे यहां से परिवार को लेकर निकल जाना चाहिए। मैंने अपने पड़ोसी इसफाक भाई से इस बारे बात की,लेकिन उन्होंने मुझे जाने नहीं दिया। वे बाकी लोगों को लेकर हमारे घर आए और हमसे कहा कि अगर दंगाई बाहर से इस मोहल्ले में घुसे तो आप पर हमला होने से पहले हमारी जान जाएगी।’’

चंदू नगर में रहने वाले राजबीर सिंह और उनकी पत्नी।

राजबीर सिंह के पड़ोसी मोहम्मद इसफाक कहते हैं, ‘‘हम लोग पिछले 40 साल से साथ रह रहे हैं। हमारे बीच हिंदू-मुस्लिम का कोई फर्क नहीं है। हमारे घर पर बनी ईद की सेवई राजबीर भाई के घर जाती है और उनकी होली की गुजिया हमारे घर आती है। कभी अचानक तबीयत बिगड़ जाए या कोई मुश्किल पड़ जाए तो सबसे पहले राजबीर भाई ही हमारे और हम उनके काम आते हैं। दशकों पुराने रिश्ते को हम इस नफ़रत की आग में कैसे झोंक सकते हैं।’’

राजबीर के पड़ोसी मोहम्मद इसफाक और उनका परिवार।

चारों तरफ फैली नफरत के बीच चंदू नगर की इस गली में आपसी भाईचारे को मजबूत देखना उम्मीद जगाता है। ठीक ऐसी ही उम्मीद बृजपुरी के डी ब्लॉक की गली नंबर आठ में भी नजर आती है। बृजपुरी वही इलाका है, जहां दंगाइयों ने हिंदू समुदाय के लोगों को निशाना बनाया है और उनके घर, दुकान के साथ ही यहां कई स्कूल भी जला दिए। इस माहौल के बीच भी गली नंबर आठ में रहने वाले परिवारों का आपसी भाईचारा इतना मजबूत बना रहा कि नफरत की चौतरफा आग उन्हें छू भी नहीं सकी।

बृजपुरी की इस गली में करीब 45 हिंदू परिवारों के बीच सिर्फ दो मुस्लिम परिवार रहते हैं। इन दोनों ही परिवारों की सुरक्षा यहां के स्थानीय लोगों ने इतनी मजबूती से की है कि रात-रात भर ये लोग खासतौर से इन घरों के बाहर तैनात रहे। यहां रहने वाले मोहम्मद कपिल कहते हैं, ‘‘अब्बू ने 1983 में यहां घर लिया था। मेरी तो पैदाइश ही यहां की है। मेरे सारे दोस्त हिंदू हैं और मोहल्ले के लोगों से परिवार जैसे रिश्ते हैं। जब यहां दंगे भड़के तो हमें खयाल भी नहीं आया कि हमें यहां से कहीं चले जाना चाहिए क्योंकि हमें अपने आस-पड़ोस के लोगों पर इतना भरोसा है। इन दंगों में जब आस-पास के लोग हिंदू-मुस्लिम के नाम पर लड़ रहे थे तो हमारे मोहल्ले में हिंदू-मुस्लिम साथ मिलकर दंगाइयों के खिलाफ खड़े थे।’’

इसी गली में दूसरा घर 70 साल के यामीन का है। वे कहते हैं, ‘‘गली के बाहर आपने देखा होगा कितने घर और दुकानें दंगाइयों ने जलाकर राख कर दी हैं। हजारों की तादाद में दंगाई यहां आए थे और उन्होंने निशाना बनाकर बाहर हिंदुओं की दुकानें जलाई। सोचिए, ऐसे में हिंदू भाइयों के मन में कितना गुस्सा रहा होगा। लेकिन उन्होंने फिर भी हमारे घरों की खुद अपने घरों से बढ़कर सुरक्षा की। हमारी जिंदगीभर की कमाई यही है कि हमें ये भाईचारा और आपसी मोहब्बत मिली।’’

इन दंगों ने जहां कई लोगों के मन में एक-दूसरे के प्रति नफरत की एक दीवार खड़ी कर दी, वहीं चंदू नगर और बृजपुरी की इन गलियों में लोगों के आपसी रिश्ते अब शायद पहले से भी ज्यादा मजबूत हो गए। ये उस भरोसे के चलते हुआ, जो इन लोगों ने एक-दूसरे पर बनाए रखा। कहा जाता है कि इंसान की असल पहचान मुश्किल वक्त में होती है। चंदू नगर और बृजपुरी के इन लोगों ने अपनी यह खूबसूरत पहचान इस मुश्किल वक्त में साबित करके दिखाई है।



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