लाशों से पटे पड़े हैं चर्च, अपनों को विदा भी नहीं कर पा रहे हैं लोग, सेना ने संभाला मोर्चा

मिलान से मारिया मेजेटी.इटली अपने सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है। लॉकडाउन के तीन हफ्ते गुजरने के बाद भी स्थिति सामान्य होती नहीं दिख रही है। हर तरफ सन्नाटा पसरा है। सिर्फ सायरन की आवाजें गूंज रही हैं। अब तक 86,498 पॉजिटिव केस मिले हैं। 9134 मौतें हो चुकी हैं। करीब एक करोड़ की आबादी वाला उत्तरी इटली का लोम्बार्डी क्षेत्र तबाही के मुहाने पर है। देश की जीडीपी में इस क्षेत्र की हिस्सेदारी 20% है। यहां सबसे ज्यादा 23,895 संक्रमित मिले हैं। इनमें 5402 लोगों की मौत हो चुकी है। इटली के नेशनल हेल्थ इंस्टीट्यूट के प्रमुख सिलवियो ब्रुसाफेरो कहते हैं कि ‘देश में लॉकडाउन के नियम सख्त करने का असर दिखने लगा है। आंकड़े बता रहे हैं कि पहली बार मामले बढ़ने की दर सिंगल डिजिट (8%) में आ गई है।’ लेकिन एक बात साफ है कि इटली ने इस महामारी की भयावहता समझने और इससे निपटने के लिए पर्याप्त कदम उठाने में देर कर दी। यहां तक कि जब उत्तरी इलाके में यह महामारी रफ्तार पकड़ रही थी, तब भी नेता लोगों को भरोसा देते रहे कि डरने की जरूरत नहीं है।

बेवजह घूमने वाले लोगों पर जुर्माना लगाया गया

बीमारी के बढ़ने के बाद भी लोगों के एक जगह इकट्टा होने पर ही रोक लगी। दूसरे स्टेप में लोगों को घरों में रहने के निर्देश दिए गए, लेकिन लोग बेपरवाह घूमते रहे। एक हफ्ते में 1 लाख लोगों ने यह नियम तोड़ा। जब अधिकारिक मामले 70 हजार से पार पहुंच गए, तब जाकर सख्ती शुरू की गई। सेना को तैनात किया गया। बेवजह घूमने वाले लोगों पर 3 हजार यूरो का जुर्माना लगाया गया है। केस दर्ज किए जा रहे हैं। इन्हें 5 साल की सजा हो सकती हैं। अब जाकर गलियां सूनी हुई हैं और लोग घरों में हैं। यूरोप में कोरोना के केंद्र बने लोम्बार्डी के अस्पतालों में जगह नहीं बची हैं। सुरक्षा उपकरणों की किल्लत है। खुद डॉक्टर और मेडिकल स्टॉफ इस वायरस से जूझ रहे हैं। यहां 5 हजार से ज्यादा स्वास्थ्यकर्मी संक्रमित हैं। 33 डॉक्टर दम तोड़ चुके हैं। इनमें 19 तो लोम्बार्डी से हैं।

यहां 2008-2009 की मंदी से भी बुरे हालात

बर्गेम क्लीनिक की डायरेक्टर डॉ. सिल्विया बिगनािमनी ने अपने यहां नर्स पर पहला कोरोनावायरस का टेस्ट 22 फरवरी को किया था। इसका पॉजिटिव रिजल्ट आने तक स्टॉफ के 7 लोग संक्रमित हो चुके थे और चारों तरफ वायरस फैल चुका था। यहां डॉक्टरों की मदद के लिए रूस और क्यूबा से मेडिकल टीम आई है। विशेषज्ञों के मुताबिक आर्थिक व्यवस्था चरमरा गई है। 2008-2009 की मंदी से भी बुरे हालात हैं। सरकार ने कंपनियों को 25 बिलियन यूरो का पैकेज देने का वादा किया है। यह बहुत छोटी मदद है। कंपनियां लोगों को छुट्टी पर भेज रही हैं। लोग डरे हुए हैं। सिर्फ 4F यानी-फैशन, फूड, फर्नीचर और फेरारी को छोड़कर इकोनॉमी के सभी पहलू में स्लोडाउन रहेगा। यहां कई कंपनियों ने अपनी भूमिका बदल ली है।

फैशन कंपनी डॉक्टरों के लिए डिस्पोजल शर्ट बना रही

इटली में फैशन की बड़ी कंपनी कलजेडोनिया, अरमानी मास्क और डॉक्टरों के लिए डिस्पोजेबल शर्ट बना रही हैं। लोगों की मदद और धन जुटाने के लिए 600 से ज्यादा कैंपेन चल रहे हैं। अब तक लाखों यूरो जुटाए जा चुके हैं। यहां के अरबपति 350 करोड़ रु. दान कर चुके हैं। इसके अलावा पूरे इटली में मेडिकल सेटअप स्थापित किए जा रहे हैं। इस हफ्ते मिलान में एक्जीिबशन सेंटर में 250 बेड वाला हॉस्पिटल शुरू हो जाएगा।

99% मौतें 60 साल या उससे अधिक उम्र के लोगों की हुई है

इटली में संक्रमित व्यक्तियों की औसत आयु 80.4 साल है। यहां की आबादी में 65 साल से ऊपर की आबादी 23.3 फीसदी है, जो यूरोप के औसत 19 फीसदी से अधिक है। यहां सिर्फ 1 फीसदी मौतें 60 साल से कम उम्र के लोगों की हुई है। 80 साल से ऊपर के लोगों की मृत्युदर 22 फीसदी है। इनमें ज्यादातर डायबिटीज, हृदय रोग और बुढ़ापा संबंधी बीमारी से जूझ रहे थे।

यहां सिर्फ 1 फीसदी मौतें 60 साल से कम उम्र के लोगों की हुई है।

बरगामो: फुटबॉल मैच की वजह से शहर महामारी का केंद्र बना

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, 19 फरवरी को हुआ एक फुटबॉल मैच बरगामो को कोरोना का केंद्र बनाने का प्रमुख कारण बना। इसमें हिस्सा लेने 2500 वेलेंसिया फुटबॉल फैंस पहुंचे थे। जहां पहले से 40 हजार दर्शक थे। यहीं स्पेन में कोरोना का पहला मामला भी मिला। वेलेंसिया टीम के 35% खिलाड़ी, फैन्स और खेल पत्रकार कोरोना के पहले शिकार बने।

कपड़ों से संक्रमण का डर, इसलिए शव तुरंत सील किए जा रहे

इटली ने शवयात्रा निकालने पर प्रतिबंध लगा दिया है। कोरोनावायरस पीड़ित लोगों को उनके परिवार या मित्रों से नहीं मिलने दिया जा रहा है। परिजनों को अस्पताल आने की भी अनुमति नहीं है। स्वास्थ्य अधिकारियों का कहना है कि शव में वायरस का संक्रमण नहीं होता, लेकिन फिर भी ये वायरस कपड़ों पर लंबे वक्त तक रह सकता है। इसलिए हम शव को तुरंत सील कर रहे हैं। यहां मृतक व्यक्ति को पूरे सम्मान और उनके पसंदीदा कपड़ों के साथ दफनाने की संस्कृति है। शव को परिजन उस व्यक्ति के पसंदीदा कपड़े पहनाते हैं, उसे सजाते हैं और फिर उसका अंतिम संस्कार करते हैं। लेकिन उन्हें अस्पताल के ही गाउन में चुपचाप दफनाया जा रहा है। मृतकों को दफनाने के काम में सेना को लगाया गया है।



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इटली में हालात इतने भयावह हो गए हैं कि चर्चों में कॉफिन की कतार लग गई है।


source https://www.bhaskar.com/national/news/churches-are-littered-with-dead-bodies-people-are-not-able-to-even-leave-their-loved-ones-army-took-over-127065171.html

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