अगर दुष्कर्मी पवन ने राष्ट्रपति को दया याचिका भेजी तो निर्भया के दोषियों को कल फांसी होने के आसार कम
नई दिल्ली. निर्भया के चारों दोषियों मुकेश सिंह, अक्षय ठाकुर, विनय शर्मा और पवन गुप्ता की फांसी की तारीख 3 मार्च तय है, लेकिन सवाल यह है कि क्या चारों को मंगलवार को फांसी मिलेगी? दोषी पवन के पास राष्ट्रपति को दया याचिका दाखिल भेजने का विकल्प अभी बाकी है। अक्षय की दया याचिका एक बार खारिज हो चुकी है, लेकिन उसने भी दोबारा दया याचिका लगाई है। जेल मैनुअल के हिसाब से जब तक दोषी की कोई भी याचिका या अपील पेंडिंग है, तब तक उसे फांसी नहीं दे सकते। इस बारे में तिहाड़ जेल के पूर्व लॉ अफसर सुनील गुप्ता और सुप्रीम कोर्ट के वकील विराग गुप्ता का कहना है कि 3 मार्च को दोषियों को फांसी पर नहीं लटकाया जा सकता।
दोषियों के पास क्या विकल्प?
दया याचिका : सुनील गुप्ता बताते हैं कि दोषी पवन अगर सोमवार शाम तक दया याचिका लगाता भी है और जब तक राष्ट्रपति उस पर फैसला नहीं ले लेते, तब तक चारों को फांसी नहीं मिल सकती। 2014 में शत्रुघ्न चौहान मामले में सुप्रीम कोर्ट ने फैसला दिया था कि सभी कानूनी विकल्प खत्म होने के बाद फांसी की सजा पाए दोषी को 14 दिन का समय देना जरूरी है।
रिव्यू मर्सी पिटीशन : दोषी अक्षय की दया याचिका एक बार खारिज हो चुकी है, लेकिन उसने राष्ट्रपति के पास फिर से रिव्यू मर्सी पिटीशन दाखिल की है। सुनील बताते हैं- कानूनन दोषी जब तक चाहे, तब तक रिव्यू मर्सी पिटीशन लगा सकता है। राष्ट्रपति ने अक्षय की रिव्यू मर्सी पिटीशन पर अभी तक कोई फैसला नहीं लिया है और जब तक कोई फैसला नहीं आता, तब तक फांसी नहीं हो सकती। फैसला आने के बाद भी दोषियों को 14 दिन का समय दिया जाएगा। हालांकि, याकूब मेमन के मामले में ऐसा नहीं हुआ था। याकूब ने 29 जुलाई 2015 को राष्ट्रपति के पार रिव्यू मर्सी पिटीशन लगाई थी, जो उसी दिन खारिज भी हो गई थी। उसी रात याकूब के वकील फांसी रुकवाने की मांग लेकर सुप्रीम कोर्ट पहुंचे थे, लेकिन वहां भी उनकी अर्जी खारिज हो गई थी। जिसके बाद याकूब को 30 जुलाई 2015 को ही फांसी दे दी थी।
दया याचिका खारिज करने को चुनौती : दया याचिका खारिज होने को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती भी दी जा सकती है। दोषी मुकेश ने ऐसी ही याचिका लगाई थी। इसे सुप्रीम कोर्ट ठुकरा चुका है। हालांकि, कई मामलों में भी राष्ट्रपति ने दया याचिका खारिज करने में समय लिया, जिसके आधार पर दोषियों ने फांसी की सजा को उम्रकैद में बदलने की मांग की थी। सुप्रीम कोर्ट ने भी कई मामलों में फांसी की सजा को उम्रकैद में बदला है। हालांकि, निर्भया मामले में दोषियों की फांसी की सजा उम्रकैद में बदलने की गुंजाइश न के बराबर है।
आगे क्या
सुप्रीम कोर्ट के वकील विराग गुप्ता कहते हैं- निर्भया के दोषियों ने क्यूरेटिव पिटीशन खारिज होने के बाद दया याचिका का विकल्प भी अपनाया है। ऐसे में दोषी पवन भी क्यूरेटिव पिटीशन खारिज होने के बाद दया याचिका दाखिल कर सकता है। इस आधार पर दोषी पवन कोर्ट से डेथ वॉरंट पर रोक लगाने या रद्द करने या स्थगित करने की मांग कर सकता है।
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