मध्यप्रदेश की सियासी उठापटक के पीछे किसका हाथ? राज्यसभा चुनाव, दिग्विजय सिंह या कांग्रेस की अंदरूनी राजनीति?
भोपाल/नई दिल्ली. मध्यप्रदेश की राजनीति में अचानक सियासी उठापटक तेज हो गई है। मुख्यमंत्री कमलनाथ और राज्यसभा सदस्य दिग्विजय ने भाजपा पर हाॅर्स ट्रेडिंग का आरोप लगाया है। लेकिन सूत्रों के मुताबिक मध्य प्रदेश में जो कुछ हो रहा है, इस सबके पीछे राज्य कांग्रेस नेताओं की ही अंदरूनी कलह और पावर पॉलिटिक्स है। राज्य में जब से कमलनाथ मुख्यमंत्री बने हैं, तब से कई बार पार्टी में गुटबाजी की बातें सामने आई हैं। चाहे, दिग्विजय-ज्योतिरादित्य सिंधिया के बीच हो या फिर कमलनाथ-दिग्विजय की बीच हो।
कयास क्यों? दिग्विजय सिंह ने ही सबसे पहले घटनाक्रम की जानकारी दी और सबसे ज्यादा सक्रिय हैं
इस पूरे घटनाक्रम पर सबसे ज्यादा सक्रिय दिग्विजय सिंह ही हैं। उन्होंने ही मंगलवार सुबह सबसे पहले ट्वीट कर इस घटना की जानकारी सामने दी थी। इसके बाद वे देर रात सक्रिय रहे और कमलनाथ सरकार के लिए संकटमोचक बनकर खड़े दिखाई दे रहे हैं। दिग्विजय ने ही आरोप लगाया कि कांग्रेस की सरकार को अस्थिर करने के लिए 25 से 35 करोड़ रुपए तक का ऑफर दे रही है। दिग्विजय बुधवार सुबह को भी मीडिया से सबसे ज्यादा बात करते हुए दिखाई दिए।
वजह: 1
पहली वजह आगामी राज्यसभा चुनाव और दिग्विजय सिंह को बताया जा रहा है। राज्य की तीन सीटों के लिए अप्रैल में चुनाव होने हैं। इसमें से दो सीटें कांग्रेस के खाते में जा सकती हैं। एक सीट से दिग्विजय ही सांसद हैं। सूत्रों के मुताबिक इस बार कमलनाथ, दिग्विजय की जगह किसी और को टिकट देने के बारे में सोच रहे थे, इसलिए दिग्विजय उन्हें डराने के लिए यह पावर पॉलिटिक्स दिखा रहे हैं। उन्हीं के कहने पर कांग्रेस के 6, बसपा के 1 और 2 निर्दलीय विधायक दिल्ली गए थे। हालांकि, दिग्विजय ने इस सवाल पर मीडिया से कहा कि ऐसा कुछ नहीं है, कांग्रेस की संस्कृति ऐसी नहीं है। यह भाजपा का काम है।
शिवराज बोले- कांग्रेस अपना बोझ नहीं सभाल पा रही है
मध्यप्रदेश के सियासी घमासान पर पूर्व सीएम शिवराज सिंह ने कहा है कि कांग्रेस सरकार अपना ही बोझ नहीं संभाल पा रही है और खुद के बोझ से ही उसकी सरकार चरमराकर गिर पड़े तो उसमें हम क्या कर सकते हैं? यह तो उनके घर का मामला है।
इस सबके बीच ज्योतिरादित्य सिंधिया मौन हैं
पूर्व सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया इस पूरे घटनाक्रम पर चुप्पी साधे हुए हैं। कांग्रेस के तमाम नेता ट्वीट कर भाजपा पर हॉस ट्रेडिंग का आरोप लगा रहे हैं। लेकिन सिंधिया ने एक ट्वीट तक नहीं किया है। पिछले दिनों कमलनाथ और पूर्व सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया के बीच बयानबाजी से दोनों के बीच मतभेद खुलकर सामने आए थे। दरअसल, बताया जाता है कि सिंधिया कुछ मामलों को लेकर अपनी पार्टी के नेताओं से खुश नहीं हैं। ज्योतिरादित्य से हॉर्स ट्रेडिंग पर जब ग्वालियर में सवाल पूछा गया तो उन्होंने कहा कि उन्हें इसकी कोई जानकारी नहीं है और न ही इसे लेकर तथ्य सामने आए हैं।
वजह: 2
मध्यप्रदेश में कांग्रेस के 115 और भाजपा के 107 विधायक हैं, इसलिए राज्यसभा चुनाव में भाजपा और कांग्रेस को एक-सीट मिलनी तय है। अभी तीन में से दो सीट भाजपा के पास है। इसलिए इस बार तीसरी सीट किस पार्टी के खाते में जाएगी, यह तय नहीं है। कहा जा रहा है कि इसलिए दिग्विजय सिंह चाहते हैं कि पार्टी उन्हें सुरक्षित सीट ही दे। दूसरी सीट ज्योतिरादित्य सिंधिया को मिले। ताकि यदि राज्यसभा चुनाव में हॉर्स ट्रेडिंग हो भी तो उन पर कोई खतरा न हो। वहीं, भाजपा का भी कहना है कि कमलनाथ ज्योतिरादित्य सिंधिया को राज्यसभा भेजना चाहते हैं, जबकि दिग्विजय इससे नाराज हैं। इसलिए वह इस तरह के काम कर रहे हैं।
आगे क्या? कमलनाथ गुटबाजी खत्म करने के लिए दिग्विजय और ज्योतिरादित्य को दे सकते हैं राज्यसभा टिकट
सीएम कमलनाथ राज्य की अंदरूनी राजनीति को खत्म करने के लिए ज्योतिरादित्य सिंधिया और दिग्विजय सिंह दोनों को राज्यसभा का टिकट दे सकते हैं। ताकि दोनों गुटों के असंतोष विधायकों को शांत किया जा सके। दरअसल, अप्रैल में कांग्रेस के राज्यसभा से दिग्विजय सिंह, भाजपा के सत्यनारायण जटिया और प्रभात झा का कार्यकाल पूरा हो रहा है। इस बार इनमें कांग्रेस को दो सीटें और भाजपा को एक सीट मिल सकती है। ऐसे में एक सीट पर कांग्रेस से ज्योतिरादित्य सिंधिया और दूसरे पर दिग्विजय सिंह को दोहराया जा सकता है।
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