वेटिकन ने 200 शोधकर्ताओं के लिए खोले ऐतिहासिक दस्तावेज, इनसे यहूदियों पर अत्याचार जैसे कई बड़े खुलासे होने की उम्मीद
वेटिकन सिटी.वेटिकन ने दुनियाभर के 200 शोधकर्ताओं को उसके आर्काइव में रखे ऐतिहासिक दस्तावेजों तक पहुंचने और उनकी पड़ताल करने की मंजूरी दे दी है। इसकी शुरुआत मंगलवार से हो गई। इन दस्तावेजों की अहमियत का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि ये कई ऐतिहासिक जानकारियां समेटे हैं, जो सामने आने पर चौंका सकती हैं। ऐसा ही एक मामला पोप पायस XII से जुड़ा है। 1939 से 1958 में मौत तक वे कैथोलिक चर्च के प्रमुख रहे।
रेडियो के जरिए शांति की अपील करने वाले पहले पोप भी थे। दुनिया के कई नेता उनकी बातें मानते थे। इसके बावजूद एक बड़े मुद्दे को लेकर उनकी आलोचना होती है। वो है यहूदियों पर नाजी अत्याचारों को लेकर चुप्पी, क्योंकि लोग इस बात पर भरोसा नहीं कर पाए कि पूरी दुनिया को शांति और भाईचारे का संदेश देने वाले पोप पायस नाजियों के हाथों करीब 60 लाख यहूदियों की हत्या यानी होलोकॉस्ट पर चुप कैसे रह सकते हैं।
लाखों की संख्या मेंचिट्ठियां और अन्य दस्तावेज मिले
अब वेटिकन के उस दौर की चिट्ठियां और अन्य दस्तावेजों से यह पता चलने की उम्मीद है कि उस दौरान चर्च या पोप ने क्या प्रतिक्रिया दी थी। ये दस्तावेज लाखों की संख्या में है, जिनकी पड़ताल मंगलवार से शुरू हो गई है। पोप फ्रांसिस ने पिछले साल इन दस्तावेजों को सार्वजनिक करने की घोषणा करते हुए कहा था- चर्च इतिहास से डरता नहीं है। इन्हें दुनिया के सबसे दर्दनाक क्षणों के दस्तावेज कहा जाता है।
निष्पक्षता और दुनिया में शांति बहाली के लिए जाने जाते थे पोप पायस
पोप पायस निष्पक्षता और शांति की स्थापना के लिए जाने जाते थे। विश्व युद्ध के दौरान उन्होंने शांति की अपील की थी और दुनिया को युद्ध से बचाने के लिए कूटनीतिक योग्यता का इस्तेमाल किया था। वे शांति का संदेश प्रसारित करने के लिए रेडियो का इस्तेमाल करने वाले पहले पोप थे। हालांकि निर्दोषों की हत्या को लेकर नाजियों के खिलाफ कुछ न कहने पर उन्हें आलोचना झेलनी पड़ी थी।
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