अमेरिका में अश्वेत जॉर्ज फ्लॉयड की मौत के मामले में विरोधबढ़ता जा रहा है। राजधानी वॉशिंगटन डीसी समेत 40 शहरों मेंकर्फ्यू लगाया जा चुका है। रविवार रात को भी प्रदर्शनकारियों नेव्हाइट हाउस के सामने काफी प्रदर्शन किया, लिहाजा सुरक्षाबलोंको आंसू गैस के गोले छोड़ने पड़े। न्यूयॉर्क टाइम्स के मुताबिक,शुक्रवार को व्हाइट हाउस के सामने प्रदर्शनों के दौरान राष्ट्रपतिडोनाल्ड ट्रम्प को कुछ देर के लिए अंडरग्राउंड बंकर में ले जाना पड़ा था।
न्यूज चैनल सीएनएन के मुताबिक, वॉशिंगटन समेत 15 शहरोंमें करीब 5 हजार नेशनल गार्ड्स की तैनाती की गई है। जरूरतपड़ने के लिहाज से 2 हजार गार्ड्स को मुस्तैद रहने को कहागया है।
व्हाइट हाउस पर सैकड़ों प्रदर्शनकारी जुटने से लिया फैसला
न्यूयॉर्क टाइम्स ने एक व्यक्ति के हवाले से रिपोर्ट छापी। इसकेमुताबिक, शुक्रवार को व्हाइट हाउस पर सैकड़ों की तादाद मेंप्रदर्शनकारी जुटे। सुरक्षा के लिहाज से ट्रम्प को एक घंटे से कमवक्त के लिए एक अंडरग्राउंड बंकर में ले जाया गया।प्रदर्शनकारियों के पीछे हटाने में सीक्रेट सर्विस और यूनाइटेडस्टेट्स पार्क पुलिस को काफी मशक्कत करनी पड़ी।
अखबार के मुताबिक, ट्रम्प की टीम व्हाइट हाउस के बाहर इतनीबड़ी संख्या में प्रदर्शनकारियों के जुटने से हैरान थे। हालांकि, यहसाफ नहीं हो पाया कि मेलानिया और बैरन ट्रम्प को बंकर में लेजाया गया या नहीं।
26 मई को फ्लॉयड को गिरफ्तार किया गया था
मिनेपोलिस में 26 मई को फ्लॉयड को पुलिस ने धोखाधड़ी केआरोप में गिरफ्तार किया था। इससे पहले एक पुलिस अफसर नेफ्लॉयड को सड़क पर दबोचा था और अपने घुटने से उसकीगर्दन को करीब आठ मिनट तक दबाए रखा था। फ्लॉयड केहाथों में हथकड़ी थी। इसका वीडियो भी वायरल हुआ था। इसमें46 साल का जॉर्ज लगातार पुलिस अफसर से घुटना हटाने कीगुहार लगाता रहा। उसने कहा, 'आपका घुटना मेरे गर्दन पर है।मैं सांस नहीं ले पा रहा हूं... ।’’ धीरे-धीरे उसकी हरकत बंद होजाती है। इसके बाद अफसर कहते हैं, ‘उठो और कार में बैठो’,तब भी उसकी कोई प्रतिक्रिया नहीं आती। इस दौरान आस-पासकाफी भीड़ जमा हुई। उसे अस्पताल ले जाया गया, जहां उसकीमौत हो गई।
सप्ताह में आज सोमवार को कारोबार के पहले दिन बीएसई 481.95 अंक ऊपर और निफ्टी 146.55 पॉइंट की बढ़त के साथ खुला। आज बीएसई में उछाल दिख रहा है। शुरुआती ट्रेडिंग के दौरान910.86 अंकों तक की बढ़त देखने को मिली है।
इससे पहले शुक्रवार बीएसई और निफ्टी बढ़त के साथ बंद हुए थे। उस दिन बीएसई 159.3 अंक नीचे और निफ्टी 67.90 पॉइंट की गिरावट के साथ खुला था, लेकिन दिनभर की ट्रेडिंग के दौरान बीएसई 279.93 अंक तक ऊपर जाने में कामयाब रहा। कारोबार के अंत में बीएसई 223.51 अंक ऊपर 32,424.10 पर और निफ्टी 90.20 पॉइंट ऊपर 9,580.30 पर बंद हुआ।
इन बैंक के शेयरों में बढ़त
बैंक
बढ़त (%)
RBL बैंक
6.37 %
एक्सिस बैंक
5.86 %
ICICI बैंक
4.55 %
HDFC बैंक
4.22 %
स्टेट बैंक ऑफ इंडिया
4.18 %
कोटक बैंक
4.04 %
इंडसइंड बैंक
3.90 %
सिटी यूनियन बैंक
3.51 %
फेडरल बैंक
3.11 %
दुनियाभर के बाजार गिरावट के साथ बंद
शुक्रवार को दुनियाभर के ज्यादातर बाजारों में उतार-चढ़ाव देखने को मिला। अमेरिकी बाजार डाउ जोंस 0.07 फीसदी की गिरावट के साथ 17.53 अंक नीचे 25,383.10 पर बंद हुआ था। वहीं, अमेरिका के दूसरे बाजार नैस्डैक 1.29 फीसदी बढ़त के साथ 120.88 अंक ऊपर 9,489.87 पर बंद हुआ था। दूसरी तरफ, एसएंडपी 0.48 फीसदी बढ़त के साथ 14.58 पॉइंट ऊपर 3,044.31 पर बंद हुआ था। चीन का शंघाई कम्पोसिट 1.97 फीसदी बढ़त के साथ 56.13 अंक ऊपर 2,908.48 पर बंद हुआ था। इधर इटली, फ्रांस, जर्मनी के बाजार में गिरावट रही।
कोरोना से देश और दुनिया में मौतें
देश में कोरोना संक्रमितों की संख्या 1,90,622 हो गई है। इनमें 93,348 की रिपोर्ट पॉजीटिव है। वहीं 91,855 संक्रमित ठीक हो गए हैं। देश में अब तक कोरोना से मरने वालों की संख्या 5,408 हो चुकी है। ये आंकड़े covid19india.org के अनुसार हैं। दूसरी तरफ, दुनियाभर में कोरोनावायरस से संक्रमित लोगों की संख्या 6,263,911 हो चुकी है। इनमें 373,899 की मौत हो चुकी है। अमेरिका में कोरोना से मरने वालों की संख्या 106,195 हो चुकी है।
लॉकडाउन अनलॉक के साथ ही उम्मीदों की किरण नजर आने लगी है।आज सेहमें नई उड़ान भरनी है, ताकि अर्थव्यवस्था संभले। ऊपर दी गई फोटो राजस्थान के नागौर स्थितकुचामन सिटी की है। देश में 68 दिन का लॉकडाउन खत्म हो गया है। अनलॉक-1 के पहले दिन आज फिर से जिंदगी पटरी पर लौटने वाली है। हर तबकाकाम में गति लाने में जुटेगा। सूर्य की गतिमान आभा के साथ ऊंचाइयों की उड़ान भरने वाले परिंदे भी हमें इस तस्वीर से यही संदेश दे रहे हैं कि उठो, जागो, क्योंकि हर रोज जीतने के लिए हमें फिर से उड़ान भरनी है। भास्कर भी यही उम्मीद और कामना करता है कि हम सब अपनी मेहनत व काबिलियत से फिर शिखर को छू लेंगे और असीमित खुशियां वापस लाएंगे। आज से हमें उड़ान तो भरनी है, लेकिन सोशल डिस्टेंसिंग के साथ।
असमंजस: जगन्नाथ रथयात्रा की तैयारियां ...
यह तस्वीर गुजरात केसूरत शहर की है।यहां जगन्नाथ रथयात्रा की तैयारियां चल रही हैं, लेकिन यात्रा निकलेगी या नहीं इस पर असमंजस है। इस्कान के जनरल मैनेजर सरोज प्रभु ने बताया कि मंदिर की तरफ से तैयारियां चल रही हैं, लेकिन रथयात्रा निकालने पर अभी निर्णय नहीं लिया गया है। रथ को खींचने के लिए कम से कम 500 लोग लगते हैं और सरकार ने इतने लोगों को एकजुट होने की इजाजत नहीं दी है। अगर सरकार अनुमति देती है तो हम रथयात्रा निकालेंगे।
वल्ला सब्जी मंडी के बाहर परिवार के साथ महिलाओं का प्रदर्शन
पंजाब के अमृतसर की यह तस्वीर हमें थोड़ा सोचने पर मजबूर कर देगी। असल में भिखारी नहीं महामारी के मारे हैं। कोरोनाकाल से पहले ये महिलाएं वल्ला सब्जी मंडी में बाहर से आने वाली गाड़ियों से जमीन पर गिरीं और फेंकी जाने वाली सब्जियों को साफ करके मंडी के गेट पर बेचती थीं, जिनसे चार पैसे आते थे और घर का चूल्हा जलता था, लेकिन कोरोना संक्रमण के चलते मंडी में इनके आने-जाने पर रोक लगा दी। मंडी के बाहर झुग्गी-झोपड़ियों में रहने वाले ये लोग अब दो वक्त की रोटी के लिए परेशान हैं। कारोबारियों ने तो इनकी झुग्गियों को यहां से हटाने तक की मांग की थी। रोजगार के बाद अशियाना छिन जाने का भी इन लोगों को डर है। इस वजह सेरविवार को इन लोगों ने मंडी के बाहर परिवार सहित बर्तन लेकर प्रदर्शन किया और बर्तन खड़का कर अपने लिए रोजगार की मांग की।
ये तस्वीरपठानकोट का दानवीरकी है... भीख मांगकर बांटे 3 हजार मास्क और गरीबों को राशन
ये तस्वीरपठानकोट का दानवीर शख्स की है... जिसने पीएम मोदी के मन को छुआ, भीख मांगकर बांटे 3 हजार मास्क और गरीबों को राशन बांटा। सवा महीने के भीतर ही पीएम नरेंद्र मोदी ने पठानकोट के दो लोगों को प्रेरणास्रोत बताया। 24 अप्रैल को यहां की युवा सरपंच पल्लवी ठाकुर की के बाद रविवार को मन की बात में मोदी ने पठानकोट के दिव्यांग राजू को प्रेरणास्रोत बताया। बचपन से पोलियोग्रस्त 45 वर्षीय राजू शहर के ढांगू रोड पर 35 सालों से भीख मांगते हैं। बकौल राजू वह भीख से कमाए पैसे से गरीब कन्याओं की शादियों में, भंडारा कराने व राशन बांटकर उनकी मदद कर रहे हैं। लाॅकडाउन के दौरान 3000 से अधिक मास्क बांटे और 100 परिवारों को राशन दिया। प्रधानमंत्री द्वारा नाम लिए जाने के बाद उसके घर लोग बधाइयां देने पहुंचने लगे। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष अश्वनी शर्मा भी पहुंचे।
कंटेनमेंट जोन से मुक्त होने की खुशी
यह फोटो चंडीगढ की है।यूटी प्रशासन ने रविवार को मनीमाजरा के शास्त्री नगर को खोल दिया है। यहां से एक कोरोना पॉजीटिव केस आया था जिसके बाद प्रशासन ने काॅलोनी के 8 मकानों को सील कर दिया था। यहां करीब 160लोग रह रहे हैं। शास्त्री नगर शहर का तीसरा एरिया है जहां से प्रशासन ने कंटेनमेंट जोन हटाया है। इससे पहले सेक्टर-38ए की ईडब्ल्यूएस काॅलोनी और सेक्टर-52 की पुनर्वास काॅलोनी को भी कंटेनमेंट से हटाकर खोल दिया गया था।एडवाइजर मनाज परिदा ने रविवार को शास्त्री नगर को खोले जाने के संबंध में ऑर्डर किए। उन्होंने कहा कि भले ही इस एरिया को कंटेनजमेंट जोन से बाहर कर दिया है, लेकिन यहां रेजिडेंट्स की हेल्थ को नियमित तौर पर मॉनिटर किया जाएगा, ताकि यहां बीमारी को फैलने से रोका जा सके।
200 परिवार पानी के लिए 2 किमी दूर जाने को मजबूर...
तस्वीर मध्यप्रदेश के मुरैना स्थितरामपुरकलां की है। नौतपा की भीषण गर्मी के दिनों में घाटी क्षेत्र स्थित ग्राम पंचायत रुनधान खालसा के नौरावली गांव में 200 परिवार पानी के लिए 2 किलोमीटर का सफर कर रहे हैं। क्योंकि इस गांव के प्राथमिक स्कूल पर लगे हैंडपंप का पानी सूख गया है। इसके अलावा गांव लगे हैंडपंप का पानी खारा है तथा काफी देर बाद पानी आता है। इस हाल में गांव में रहने वाली महिलाओं, किशोरियों व युवाओं को दो किलोमीटर की दूर तय कर पहाड़ों के बीच स्थित प्राचीन कुंए से पानी लाना पड़ रहा है। इसी प्रकार के हालात बामसौली क्षेत्र के धोबीपुरा गांव में बने हुए हैं। इस फोटो कोराघवेंद्र भदौरिया ने अपने कैमरे में कैद किया है।
आज से पर्यटकों के लिए खुलेगी फूलों की घाटी
उत्तराखंड के चमोली स्थितजोशीमठ की तस्वीर है। 12000 फीट की ऊंचाई पर स्थित फूलों की घाटी आज से पर्यटकों के लिए खुलेगी। वन विभाग की टीम ने रास्ता खोल दिया है। इसी टीम ने यह फोटो उपलब्ध कराया है। फॉरेस्ट इंस्पेक्टर दिनेश लाल ने बताया कि निचले क्षेत्र में बर्फ पिघल चुकी है, फूल खिलने लगे हैं। जुलाई में फूलों की बहार होगी। यहां 500 से अधिक प्रजाति के फूल खिलते हैं, जिसमें ब्रह्मकमल, पोटैंटिला, सनफ्लावर, एनीमून शामिल हैं।
ख्वाजा साहब की दरगाह में चिराग रोशन कर कोरोना संक्रमण से मुक्ति के लिए मांगी दुआ
राजस्थान के अजमेर स्थित ख्वाजा साहब की दरगाह रविवार को ऐतिहासिक पल की गवाह बनी। पहली बार दरगाह में 21 हजार चिराग रोशन किए गए। जश्ने ख्वाजा उस्मान हारुनी के तहत 21,000 चिराग रोशन कर कोरोना संक्रमण से मुक्ति के लिए दुआ की गई। लॉकडाउन के दौरान हुए आयोजन का सोशल साइट पर लाइव प्रसारण किया गया। चिश्तिया सूफी मिशन की ओर से यह आयोजन किया गया। मिशन के सैयद यासिर गुर्देजी, जकरिया गुर्देजी, अली अब्बास, अली दुजाना, गजनवी सहित विभिन्न खादिमों ने दरगाह में चिराग रोशन किए। निजाम गेट से ही चिराग रोशन करने का सिलसिला शुरू हो गया था। शाहजहांनी दरवाजे, बुलंद दरवाजा, सहन चिराग , क्वीन मैरी हौज, संदल खाना गेट, बाबा फरीद का दालान, शाहजहानी मस्जिद, बेगमी दालान सहित विभिन्न क्षेत्रों में चिराग रोशन किए गए। दरगाह में पहली बार इस तरह का आयोजन इतने बड़े पैमाने पर किया गया।
अव्यवस्था की बारिश...
यह तस्वीर पंजाब की पठानकोट की है।इस प्रवासी मजदूर को परिवार के साथ ट्रेन से घर जाना था, लेकिन इसकी बारी तो नहीं आई पर बारिश जरूर आ गई। 8 बसों में लुधियाना भेजे छत्तीसगढ़ के 200 मजदूर, आगे ट्रेन से होंगे रवाना, कई अभी भी इंतजार में है। जिले से रविवार को छत्तीसगढ़ के 200 प्रवासी मजदूर 8 बसों में लुधियाना भेजे गए। आगे वे ट्रेन से गए। वहीं, 2 दिन पैदल चलकर जम्मू से शनिवार रात 24 मजदूर राधा स्वामी सत्संग घर पठानकोट पहुंचे। जहां सत्संग घर के सेवकों ने उनको खाना खिलाया। रात को ठहराया। सुबह मजदूर नाश्ता कर बिना बताए पैदल ही घर जाने के लिए निकल पड़े। सत्संग घर के सेवकों को पता चला तो वे वापस ले आए और कहा कि जब तक आपकी ट्रेन नहीं आती तब तक आप हमारे मेहमान हैं।
काेरोना वॉरियर्स को सलाम...
यह फोटो देश की राजधानीनई दिल्ली की है। यहांकोरोना वॉरियर्स काउत्साहवर्धन करता नजारा देखने को मिला। कोरोना वॉरियर्स कोसलाम करती यहां एक वॉलपेंटिंग बनाई गई। इस तस्वीर में डॉक्टर, पुलिस, नर्स, डिलिवरी बॉय, सफाईकर्मी और मीडियाकर्मी की मास्क पहने तस्वीर बनाई गई है।
अमेरिका के विदेश मंत्री माइक पोम्पियो ने कहा है कि अमेरिका चीनी सेना की क्षमताओं को देखते हुए भारत समेत दुनिया में अपने सहयोगी देशों को साथ ले सकता है। फॉक्स न्यूज को दिए इंटरव्यू में पोम्पियो ने कहा- चीन की सेना ने जो तरक्की हासिल की है, उसको सच माना जा सकता है।शी जिनपिंग सैन्य ताकत बढ़ाने चाहते हैं।चीन लंबे समय से भारत के लिए खतरापैदा कर रहा है। उससे निपटने के लिए कई देशों का साथ ले सकते हैं।
पोम्पियो के मुताबिक, “अमेरिकी रक्षा विभाग चीनी सेना से होने वाले खतरे को समझने के लिए सभी जरूरी उपायकर रहा है। मुझे भरोसा है कि राष्ट्रपति ट्रम्प के नेतृत्व में हमारी सेना, रक्षा विभाग और सैन्य संस्थान इतने मजबूत हैं कि अमेरिकी लोगों की हिफाजत हमेशा कर सकेंगे।
‘हमसाथीदेशों के अच्छे साझेदार हो सकते हैं’
अमेरिकी विदेश मंत्री ने कहा, “ हमभारत, ऑस्ट्रेलिया, दक्षिण कोरिया, जापान और ब्राजील समेत दुनिया के अपने सभी साथी देशों के अच्छे साझेदार हो सकते हैं। इससे यह भी तय हो जाएगा कि पश्चिमी देशों में आजादी का जो अमेरिकी मॉडल हैवो इन देशों में भी हो।”भारत-चीन सीमा विवाद पर पोम्पियो ने कहा- यह मार्च से ही चल रहा है। चीन की कम्युनिस्टअपने फायदे के लिए ऐसा कर रही है। हालांकि, चीन लंबे समय से भारत के लिए यह खतरे पैदा कर रहा है।
पहली बार अमेरिकी सरकार ने चीन को जवाब दिया
पोम्पियो ने कहा- अमेरिका में पहली बार ऐसी सरकार है चीन को जवाब देने के लिए तैयार है। जिसने कहा है कि चीन की हरकतें सहन नहीं की जा सकतीं। इस सरकार ने कुछ ऐसे कदम उठाए हैं जो जरूरी थे। इससे यह भी पता चलता है कि हमारी सरकार चीन से अमेरिकी लोगों को बचाने के लिए कितनी गंभीर है।
अमेरिकी संसद में चीन के खिलाफ 60 बिल लंबित
अमेरिकीसंसद में चीन के खिलाफ 60 बिल लंबित होने के बारे में उन्होंने कहा- मैं नहीं जानता कि इनमें से कौन से बिल राष्ट्रपति तक पहुंचेंगे।पिछले सप्ताह चीन के उईगर मुसलमानों से जुड़ा बिल लाया गया था। मैं सांसदों से अपील करूंगा कि वे चीन की कम्युनिस्ट पार्टी को आगे बढ़ने से रोकने और अमेरिकी लोगों को सुरक्षित रखने में प्रशासन की मदद करें।
कोरोना से बचाव के लिए हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन (एचसीक्यू) के इस्तेमाल को लेकर किए गए रिसर्च में अच्छे नतीजे आए हैं। इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) की स्टडी के मुताबिक एचसीक्यू के 6 या ज्यादा डोज लेने वाले 80% हेल्थकेयर वर्कर इन्फेक्शन से बच गए।
रिसर्च के मुताबिक एचसीक्यू के 4 डोज लेने के बाद इन्फेक्शन का रिस्क घटने लगता है। लेकिन, बचाव के लिए पीपीई किट और दूसरे उपाय भी जरूरी हैं। हेल्थकेयर वर्कर्स को दो ग्रुप- कोरोना पॉजिटिव और कोरोना निगेटिव में बांटकर ये रिसर्च की गई। पहले ग्रुप में 378 और दूसरे में 373 लोग शामिल थे।
स्किन रैशेज जैसे साइड इफेक्ट भी दिखे
दोनों ग्रुप में एचसीक्यू के तीन साइड इफेक्ट लगभग एक जैसे थे। दोनों ग्रुप के लोगों में उल्टी, सिरदर्द और दस्त की शिकायत सामने आई। कुछ लोगों को स्किन रैशेज भी हो गए। आईसीएमआर ने रिसर्च रिपोर्ट में कहा है कि हेल्थकेयर वर्कर्स में इन्फेक्शन का खतरा ज्यादा होने की वजह से दुनियाभर में चिंता है। ऐसे में इस स्टडी की अहमियत और बढ़ गई है।
डब्ल्यूएचओ ने पिछले हफ्ते एचसीक्यू का ट्रायल रोका
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने एचसीक्यू दवा के साइड इफेक्ट बताकर इसका क्लीनिकल ट्रायल फिलहाल के लिए रोक दिया है। हालांकि, आईसीएमआर ने कहा कि वो कोरोना के इलाज में एचसीक्यू का इस्तेमाल जारी रखेगा। आईसीएमआर के डायरेक्टर जनरल डॉक्टर बलराम भार्गव ने कहा- काउंसिल ने इस टेबलेट को काफी कारगर पाया है। इसके साइड इफेक्ट्स भी कम देखे गए हैं। सरकार ने पिछले दिनों कहा था कि गैर कोविड-19 अस्पतालों में काम कर रहे बिना लक्षण वाले स्वास्थ्यकर्मी और सुरक्षाकर्मी भी इस दवा का इस्तेमाल कर सकेंगे।
कोरोना से बचाव के लिए हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन (एचसीक्यू) के इस्तेमाल को लेकर किए गए रिसर्च में अच्छे नतीजे आए हैं। इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) की स्टडी के मुताबिक एचसीक्यू के 6 या ज्यादा डोज लेने वाले 80% हेल्थकेयर वर्कर इन्फेक्शन से बच गए।
रिसर्च के मुताबिक एचसीक्यू के 4 डोज लेने के बाद इन्फेक्शन का रिस्क घटने लगता है। लेकिन, बचाव के लिए पीपीई किट और दूसरे उपाय भी जरूरी हैं। हेल्थकेयर वर्कर्स को दो ग्रुप- कोरोना पॉजिटिव और कोरोना निगेटिव में बांटकर ये रिसर्च की गई। पहले ग्रुप में 378 और दूसरे में 373 लोग शामिल थे।
स्किन रैशेज जैसे साइड इफेक्ट भी दिखे
दोनों ग्रुप में एचसीक्यू के तीन साइड इफेक्ट लगभग एक जैसे थे। दोनों ग्रुप के लोगों में उल्टी, सिरदर्द और दस्त की शिकायत सामने आई। कुछ लोगों को स्किन रैशेज भी हो गए। आईसीएमआर ने रिसर्च रिपोर्ट में कहा है कि हेल्थकेयर वर्कर्स में इन्फेक्शन का खतरा ज्यादा होने की वजह से दुनियाभर में चिंता है। ऐसे में इस स्टडी की अहमियत और बढ़ गई है।
डब्ल्यूएचओ ने पिछले हफ्ते एचसीक्यू का ट्रायल रोका
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने एचसीक्यू दवा के साइड इफेक्ट बताकर इसका क्लीनिकल ट्रायल फिलहाल के लिए रोक दिया है। हालांकि, आईसीएमआर ने कहा कि वो कोरोना के इलाज में एचसीक्यू का इस्तेमाल जारी रखेगा। आईसीएमआर के डायरेक्टर जनरल डॉक्टर बलराम भार्गव ने कहा- काउंसिल ने इस टेबलेट को काफी कारगर पाया है। इसके साइड इफेक्ट्स भी कम देखे गए हैं। सरकार ने पिछले दिनों कहा था कि गैर कोविड-19 अस्पतालों में काम कर रहे बिना लक्षण वाले स्वास्थ्यकर्मी और सुरक्षाकर्मी भी इस दवा का इस्तेमाल कर सकेंगे।
दुनिया में अब तक 62 लाख 62 हजार 805 संक्रमित हैं। 3 लाख 73 हजार 855 की मौत हो चुकी है। राहत की खबर यह कि इसी दौरान 28 लाख 46 हजार 523 संक्रमित स्वस्थ भी हुए। अमेरिका और ब्राजील दोनों महामारी से जूझ रहे हैं। लेकिन, एक-दूसरे की मदद का जज्बा बरकरार है। अमेरिका ने कहा है कि वो ब्राजील को एक हजार वेंटिलेटर्स और हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन की 20 लाख टेबलेट भेजेगा। खाड़ी देश कतर में मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। यहां 24 घंटे में 1648 नए मामले सामने आए।
कोरोनावायरस : 10 सबसे ज्यादा प्रभावित देश
देश
कितने संक्रमित
कितनी मौतें
कितने ठीक हुए
अमेरिका
18,37,170
1,06,195
5,99,867
ब्राजील
5,14,849
29,314
2,06,555
रूस
4,05,843
4,693
1,71,883
स्पेन
2,86,509
27,127
1,96,958
ब्रिटेन
2,74,762
38,489
उपलब्ध नहीं
इटली
2,32,997
33,415
1,57,507
भारत
1,90,609
5,408
91,852
फ्रांस
1,88,882
28,802
68,355
जर्मनी
1,83,494
8,605
1,65,200
पेरू
1,64,476
4,506
67,208
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अमेरिका : ब्राजील को मदद
अमेरिका और ब्राजील ने रविवार को एक संयुक्त बयान जारी किया। इसमें कहा गया है कि अमेरिका बहुत जल्द ब्राजील को एक हजार वेंटिलेटर्स और हायड्रॉक्सीक्लोरोक्विन की 20 लाख गोलियां भेजेगा। बयान के मुताबिक, “ब्राजील में आम लोग ही नहीं बल्कि डॉक्टर्स, नर्स और पैरामेडिकल स्टाफ खतरे का सामना कर रहे हैं। इसलिए वहां एचसीक्यू टेबलेट भेजी जा रही हैं।” अमेरिका में इस टेबलेट का इस्तेमाल जारी है। जबकि, डब्लूएचओ कह चुका है कि वो इस टेबलेट की उपयोगिता के लिए रिसर्च कर रहा है।
कतर : तेजी से बढ़ता संक्रमण
यहां हेल्थ मिनिस्ट्री ने रविवार रात जानकारी दी कि 24 घंटे में 1648 नए मामले सामने आए हैं। इसी दौरान 4 हजार 451 लोग स्वस्थ भी हुए। खाड़ी के इस देश में कुल 56 हजार 910 संक्रमित पाए जा चुके हैं। यहां अब तक 38 लोगों की मौत हो चुकी है। अब तक 22 लाख से ज्यादा टेस्ट किए गए हैं। सरकार ने एक बयान में कहा है कि अगर जरूरत हुई तो देश में नई और सख्त बंदिशें लागू की जा सकती हैं।
ब्रिटेन : क्वीन एलिजाबेथ नजर आईं
महारानी एलिजाबेथ की रविवार को एक तस्वीर सामने आई। इसमें वो घुड़सवारी करती नजर आ रही हैं। ब्रिटेन में लॉकडाउन होने और फिर उसमें ढील दिए जाने के बाद पहली बार क्वीन नजर आईं। 94 साल की एलिजाबेथ शुरू से ही घुड़सवारी की शौकीन रही हैं। तस्वीर शुक्रवार की है लेकिन, इसे जारी रविवार को किया गया। ब्रिटेन में सरकार ने लॉकडाउन में ढील तो दी है लेकिन वहां के डॉक्टर्स और वैज्ञानिक इसका विरोध कर रहे हैं।
बांग्लादेश : लॉकडाउन हटाया
तेजी से बढ़ते मामले और डॉक्टरों की चेतावनी के बावजूद बांग्लादेश सरकार ने रविवार को लॉकडाउन में ढील दे दी। यहां संक्रमण का खतरा शहरों में काफी ज्यादा है क्योंकि बेहद घनी आबादी है। हेल्थ मिनिस्ट्री ने कहा, “हम लॉकडाउन हटा रहे हैं। जिंदगी अब पहले जैसी हो जाएगी। लोग पहले की तरह काम पर जा सकेंगे। इस दौरान सोशल डिस्टेंसिंग के साथ मास्क पहनना जरूरी होगा।” रविवार को यहां 2545 मामले सामने आए। 40 लोगों की मौत हुई।
देश में कोरोना संक्रमितों की संख्या 1 लाख 90 हजार 609 हो चुकी है। कल रिकॉर्ड 8750 मरीज बढ़े। 4921 संक्रमित ठीक हुए और 223 ने जान गंवाई। यह लगातार तीसरा दिन था, जब 8 हजार से ज्यादा संक्रमित बढ़े और 200 से ज्यादा लोगों की मौत हुई। मई महीने में देश में 1 लाख 55 हजार से ज्यादा मरीज बढ़े हैं। इस दौरान 83 हजार संक्रमित ठीक हुए हैं और 4253 लोगों की मौत हुई।
संक्रमण 28 राज्यों और7केंद्र शासित प्रदेश में फैला
कोरोनावायरससंक्रमण 28 राज्यों में फैला है। 7केंद्र शासित प्रदेश भीइसकी चपेट में हैं। इनमें दिल्ली, चंडीगढ़, अंडमान-निकोबार, जम्मू-कश्मीर, लद्दाख, पुडुचेरी और दादरा एवं नगर हवेलीशामिल हैं।
राज्य
कितने संक्रमित
कितने ठीक हुए
कितनी मौत
महाराष्ट्र
67655
29329
2286
तमिलनाडु
22333
12757
176
दिल्ली
19844
8478
473
गुजरात
16794
9919
1038
राजस्थान
8831
6032
195
मध्यप्रदेश
8089
4842
350
उत्तरप्रदेश
8075
4843
217
पश्चिम बंगाल
5501
2157
317
बिहार
3807
1520
23
आंध्रप्रदेश
3571
2340
62
कर्नाटक
3221
1218
51
तेलंगाना
2698
1428
82
जम्मू-कश्मीर
2446
927
28
पंजाब
2263
1987
45
हरियाणा
2091
1048
20
ओडिशा
1948
1126
9
असम
1340
164
4
केरल
1270
590
10
उत्तराखंड
907
102
5
झारखंड
610
256
5
छत्तीसगढ़
492
114
1
हिमाचल प्रदेश
330
109
6
चंडीगढ़
293
199
4
त्रिपुरा
316
172
0
लद्दाख
77
47
0
गोवा
71
44
0
मणिपुर
71
11
0
पुडुचेरी
57
23
0
नगालैंड
43
0
0
अंडमान-निकोबार
33
33
0
मेघालय
27
12
1
अरुणाचल प्रदेश
4
1
0
दादर एंड नगर हवेली
2
1
0
मिजोरम
1
1
0
सिक्किम
1
0
0
अन्य
5491
0
0
तीसरे दिन भी 8 हजार से ज्यादा मरीज मिले
कल महाराष्ट्र में 2487, तमिलनाडु में 1194, दिल्ली में 1295, गुजरात में 438, उत्तरप्रदेश में 374, पश्चिम बंगाल में 371, कर्नाटक में 299, बिहार में 242, राजस्थान में 214, मध्यप्रदेश में 198, तेलंगाना में 199, हरियाणा में 168, उत्तराखंड में 158, ओडिशा में 129 और असम में 123 मरीज मिले। लगातार तीसरा दिन था जब देश में 8 हजार से ज्यादा कोरोना संक्रमित बढ़े। इससे पहले शनिवार को 8335 और शुक्रवार को 8138 रिपोर्ट पॉजिटिव आई थीं।
ये आंकड़े covid19india.org के आधार पर हैं। वहीं, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक, देश में 1 लाख 82 हजार 143 संक्रमित हैं। इनमें से 89 हजार 995 का इलाज चल रहा है। 86 हजार 983 ठीक हुए हैं, जबकि 5164 की मौत हो चुकी है।
5 दिन जब सबसे ज्यादा मामले
तारीख
केस
30 मई
8335
29 मई
8138
27 मई
7246
28 मई
7254
24 मई
7113
पांच राज्यों का हाल
मध्यप्रदेश: यहां रविवार को 198 नए मरीज सामने आए और 7 की मौत हुई। इनमें से इंदौर में 55, भोपाल में 45, अनूपपुर में 12, उज्जैन और बड़वानी में 10-10, सागर में 8 और विदिशा में 7 संक्रमित मिले। राज्य में अब तक 8089 मरीज हो गए हैं। शिवराज सरकार ने लॉकडाउन को 15 जून तक बढ़ा दिया है।
महाराष्ट्र: प्रदेश में रविवार को 2467 संक्रमित मिले, 89 ने जान गंवाई और 1248 मरीज ठीक हुए। अब तक संक्रमण के 67 हजार 655 मामले आ चुके हैं। इनमें से 36 हजार 40 का इलाज चल रहा है। 29 हजार 329 ठीक हो चुके हैं और 2286 लोगों की मौत हुई। उद्धव सरकार ने लॉकडाउन 30 जून तक बढ़ाने का फैसला किया है।
उत्तरप्रदेश: यहां रविवार को 374 संक्रमित मरीज मिले। अब तक कुल 8075 मामले सामने आए। 217 की मौत हो चुकी है। राज्य में 8 जून से धार्मिक स्थल खोलने की मंजूरी दे दी गई है। उधर, 1 जून को गंगा दशहरा है। वाराणसी में पुलिस लोगोंं से अपील कर रही है कि वे इस दिन घाटों पर स्नान न करें।
राजस्थान: प्रदेश में रविवार को 214 नए मरीज सामने आए। इनमें जोधपुर में 54, जयपुर में 30, कोटा में 14, पाली और नागौर में 10-10, झालावाड़ में 15, भरतपुर में 18, झुंझुनूं में 7 और अजमेर में 6 संक्रमित मिले। जयपुर मे 2 मरीजों की मौत हुई। राज्य में इस बीमारी से अब तक 195 लोग जान गंवा चुके हैं।
बिहार: यहां रविवार को 242 मरीजों की कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आई। सबसे ज्यादा 47 नए मरीज बेगूसराय में मिले। भागलपुर में 34, मधुबनी में 17, जहानाबाद, पूर्णिया और सुपौल में 13-13, पटना और मुजफ्फरनगर में 11-11 और सारण में 9 मरीज मिले। राज्य में मरीजों की संख्या 3807 हो गई, 23 लोगों ने जान गंवाई।
2007 की आर्थिक मंदी में कानपुर की सौम्या गुप्ता के भी सपने टूटे थे। तब 19 साल की सौम्या ने 65 लाख रुपए खर्च कर अमेरिका में पायलट की ट्रेनिंग पूरी की थी। लेकिन लाख कोशिशों के बाद भी नौकरी नहीं मिली। इसलिए जिम रिसेप्शनिस्ट से लेकर कॉल सेंटर तक में काम किया। फिर उधार लेकर कपड़ों का अपना बिजनेस शुरू किया। आज उनकी कंपनी में 35 कर्मचारी काम करते हैं और उनके डिजाइन किए करीब दस हजार कपड़े रोज बिकते हैं।
सौम्या कहती हैं कि 2006 में मेरा करिअर शुरू होने से पहले ही खत्म हो गया। ट्रेनिंग के बाद नौकरी मिलना तय था। पर अचानक पूरी इंडस्ट्री अनिश्चितताओं के घेरे में आ गई। इसका कारण था अमेरिका का सब-प्राइम मोर्गेज डिफाल्ट, जिसके कारण लेहमन ब्रदर्स जैसे बड़े बैंक और अमेरिकन इंश्योरेंस ग्रुप दिवालिया हो गई थीं।
वे बताती हैं कि 2008 का पूरा साल मैंने नौकरी की तलाश में बिता दिया। आखिर मैंने 5000 रुपए महीने की नौकरी जिम में रिसेप्शनिस्ट के तौर पर शुरू की। कुछ दिनों बाद ही एक कॉल सेंटर ज्वाइन कर लिया। रात में यहां काम करती और दिन में दूसरी नौकरी की तलाश।
इस बीच एक मेरी मुलाकात राबर्टो कवाली और गॉटियर जैसे ब्रांड के कपड़ों का एक्सपोर्ट-इम्पोर्ट का काम करने वाली एक महिला से हुई। मैंने उनसे 20 ड्रेसें उधार लीं और घर में दोस्तों के लिए इन कपड़ों की सेल लगाई। एक घंटे में 100% मुनाफा कमाया।
ये 2009 की बात है। मैंने कॉल सेंटर की नौकरी छोड़ दी और कपड़ों के बिजनेस में आ गई। स्नैपडील, फ्लिपकार्ट और दूसरे छोटे-बड़े ऑनलाइन प्लेटफार्म पर कपड़े बेचने की जद्दोजहद शुरू कर दी। आज मेरी कंपनी 10 ऑन 10 हर रोज 10 हजार ड्रेस बेचती है। कंपनी का काम अभी अमेरिका से चल रहा है और कनाडा और यूरोप में बिजनेस शुरू किया है।
अब मास्क का एक्सपोर्ट
सौम्या बताती हैं कि कोरोनावायरसके आने पर उन्हें लगा जैसे वो 2007 में पहुंच गई हों। फर्क सिर्फ इतना था कि आज कमाई नौ अंकों में होती है। ड्रेस की बिक्री घटी तो मास्क का एक्सपोर्ट शुरू किया है।
कोरोना काल में जब नौकरियां जा रही हैं, ऐसे में उत्तराखंड के हर्षपाल सिंह चौधरी की कहानी किसी आदर्श से कम नहीं है। साल 2007 की वैश्विक मंदी में उनकी नौकरी छिन गई थी। तब उन्हें 6700 रुपए सैलरी मिलती थी, लेकिन हर्षपाल निराश नहीं हुए। उन्होंने पत्नी के गहने बेचकर 2 लाख रुपए जुटाए और हर्बल प्रोडक्ट बनाने की एक छोटी फैक्ट्री शुरू की।
आज इनकी कंपनी का टर्नओवर 100 करोड़ रु. पहुंचने जा रहा है। इन्होंने अपने पूरे गांव को रोजगार दिया है। हर्षपाल उत्तराखंड के छोटे किसान परिवार से हैं। माइक्रोबायोलॉजी और फूड सैंपलिंग की पढ़ाई करने के बाद 1994 में उन्होंने हेल्थ केयर और फूड सैंपलिंग सेक्टर में नौकरी शुरू की थी।
स्टार्टअप शुरू करने के लिए मेरे पास पैसे नहीं थे- चौधरी
सोनीपत में उनकी नाैकरी ठीक चल रही थी कि 2006 में मंदी की आहट सुनाई देने लगी। वे बताते हैं कि तब मेरे पास पैसे नहीं थे, लेकिन मैं स्टार्टअप शुरू करना चाहता था। मैंने पत्नी बीना के गहने बेच दो लाख रुपए जुटाए। इन पैसों से गुजरात के नवसारी में एक छोटी फैक्ट्री डाली। बीना इसका काम देखने लगी और मैंने नौकरी जारी रखी।
पहला ऑर्डर अमेरिका से अनार के जूस से 2 किलो पाउडर तैयार करने का मिला। इस बीच मेरी नौकरी चली गई। मैं फैक्ट्री के काम में लग गया और हर्बल प्रोडक्ट्स एब्सट्रैक्ट की ट्रेडिंग के लिए अंबे फाइटोएस्ट्रैक्ट्स कंपनी शुरू की। काम बढ़ने लगा तो बड़ी फैक्ट्री की जरूरत महसूस हुई।
छह लोगों से शुरू फैक्ट्री में अब 100 लोग हैं
जमीन खरीदने के लिए दो करोड़ रुपए की जरूरत थी। इतना पैसा नहीं था। इसलिए मैंने उत्तराखंड में पौड़ी गढ़वाल के अपने गांव जामरिया में पैतृक जमीन पर फैक्ट्री लगाने का फैसला किया। गांव में दो करोड़ की मशीनें लगाईं। इस इलाके में यह पहली फैक्ट्री थी। 2012 में फैक्ट्री तैयार हो गई। कच्चे माल के लिए गांव के लोगों को ही ट्रेनिंग दी। छह लोगों से शुरू फैक्ट्री में अब 100 लोग हैं। अधिकतर गांव के ही हैं।
अमेजन से डील की...
हर्षपाल की कंपनी में तैयार आंवला, हल्दी, अदरक, गिलोय, तुलसी, एलोवेरा, काली मिर्च समेत 100 प्रोडक्ट्स का अर्क पूरी दुनिया में जाता है। हर्षपाल ने अमेजाॅन के साथ सैनिटाइजर की डील की है।
लॉकडाउन में केरल की एक पंचायत ने नई कृषि क्रांति खड़ी कर दी है। जब 23 मार्च को 21 दिन के लॉकडाउन के घोषणा हुई थी, तभी एर्नाकुलम जिले की वडक्ककेरा ग्राम पंचायत ने तय किया वे इस समय का बखूबी इस्तेमाल करेंगे। सामूहिक चर्चा के बाद तय हुआ कि गांव की खाली पड़ी जगह, घरों के आसपास और छतों पर सब्जियां उगाएंगे।
पहले हफ्ते करीब 4800 परिवार इस मुहिम में जुड़े। कुछ ही दिनों में गांव के 10 हजार 312 परिवारों में 9417 परिवार जुड़ चुके हैं। अब केरल सरकार के कृषि विभाग ने इन किसानों के लिए बाजार भी तैयार कर दिया है, जहां सभी अपनी उपज बेच सकते हैं। पंचायत की तरफ से बेस्ट फार्म और बेस्ट किसान को अवॉर्ड भी दिया जा रहा है।
द वेजिटेबल फार्मिंग चैलेंज मुहिम के तहत खुद को सब्जियों के मामले में आत्मनिर्भर बनाने वाले इस गांव के परिवारों ने पहले छोटे-छोटे समूह बनाए और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए अपने-अपने घरों के आसपास खाली पड़ी जगहों को साफ किया। इसके बाद इनकी जुताई कर इन्हें सब्जी बोने लायक खेत में तब्दील किया।
लोगों ने तय किया- पेस्टीसाइड का इस्तेमाल नहीं करेंगे
ग्राम पंचायत ने अलग-अलग किस्म के बीजों के 20 हजार से अधिक पैकेट मुफ्त बांटे। तय हुआ कि पेस्टीसाइड का इस्तेमाल नहीं करेंगे और आर्गेनिक फार्मिंग अपनाएंगे। आज यहां के हर घर में भिंडी, बैंगन, कद्दू, करेला, लाल भाजी और लौकी की फसलें लहरा रही हैं।
सामूहिक प्रयासों से मिली सब्जी की उपज इतनी ज्यादा थी कि केरल सरकार के कृषि विभाग ने किसानों के लिए बाजार तैयार करके दिया है, जहां गांव के लोग अपनी सब्जियां बेच सकते हैं। यह मार्केट सुबह 10 बजे से शाम 5 बजे तक चलता है।
पंचायत के सहायक कृषि अधिकारी एस सीना बताते हैं कि हमने लोगों को प्रोत्साहित करने के लिए यह फार्मिंग प्रोग्राम शुरू किया था, ताकि लॉकडाउन में घर में रहते हुए वह सब्जियां उगाएं। यह प्रयोग पूरी तरह सफल रहा। गांव के ज्यादातर लोग अब साथ खेती का आनंद उठा रहे हैं।
देश में 68 दिन के लॉकडाउन के बाद रेलवे 200 यात्री ट्रेनें 1 जून यानी सोमवारसे शुरू कर रहा है। इन ट्रेनों में बिना रिजर्वेशन कोई नहीं बैठ सकेगा। रिजर्व बोगियों में केवल कन्फर्म टिकिट वाले यात्री ही बैठ सकेंगे। वेटिंग टिकिट वालों की एंट्री नहीं हो सकेगी। जनरल बोगियों में भी सीटों की संख्या से ज्यादा लोगों को चढ़ने नहीं दिया जाएगा। यह बात रेल और वाणिज्य उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने रविवार को दैनिक भास्कर से चर्चा करते हुए कही। पेश है उनसे की गई बातचीत के प्रमुख अंश...
सवाल: ट्रेनों की सामान्य स्थिति कब तक बहाल होगी?
जैसे-जैसे डिमांड बढ़ेगी, ट्रेनों की संख्या बढ़ाई जाएगी और हम सामान्य स्थिति की ओर लौटेंगे। अभी भी जो 200 ट्रेन हम चला रहे हैं, वह पूरी तरह फुल नहीं हुई हैं। लोग जरूरी होने पर ही यात्रा कर रहे हैं। बाद में निजी ट्रेनें भी चलाएंगे।
सवाल: 15 जोड़ी राजधानी ट्रेन शुरू की गई हैं, उनमें डायनामिक फेयर लिया जा रहा है, ऐसा क्यों?
अधिकांश ट्रेन अभी भी फुल नहीं जा रही हैं। पुराने सिस्टम में कोई परिवर्तन नहीं किया गया है। सिर्फ केटरिंग का चार्ज कम किया है। सब कुछ जाे पहले था उसी को बरकरार रखा है।
सवाल: रेलवे सिर्फ कंफर्म टिकट के आइडिया पर जाएगा?
आपका सुझाव सोचने लायक है, अभी हमने इस दिशा में सोचा नहीं है। अभी हम श्रमिकों की सेवा में लगे हैं। देश के कोने-कोने तक सामान और श्रमिक पहुंचें यहीं प्राथमिकता है।
सवाल: श्रमिक स्पेशल ट्रेनों को लेकर केरल, प. बंगाल और महाराष्ट्र ने भेदभाव के आरोप लगाए हैं, क्या कहेंगे?
मैं दावे से कह सकता हूं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार में किसी भी मंत्री ने, किसी भी राज्य सरकार के साथ कोई भी भेदभाव नहीं किया है। अभी तक राज्यों ने जितनी भी ट्रेन मांगी, हमने दी हैं। बल्कि समस्या उल्टी है। 250 ट्रेन ऐसी रहीं, जो राज्य सरकारों ने मांगी और फिर चल नहीं पाईं।
महाराष्ट्र का आपने जिक्र किया तो मैं बता दूं कि 109 ट्रेनों को राज्य सरकार की रिक्वेस्ट पर हमने तैयार किया और फिर भी वो ट्रेन चला ही नहीं पाए। पश्चिम बंगाल तो ट्रेन लाने ही नहीं दे रहा था। यहां तक कि उसने श्रमिक ट्रेन को कोरोना एक्सप्रेस तक कह दिया। राज्य जितनी श्रमिक एक्सप्रेस ट्रेन मांगेंगे, हम देते रहेंगे। हम श्रमिकों की सेवा कर रहे हैं।
आज से चलने वाली 200 ट्रेनों में.... सवाल: सोशल डिस्टेंसिंग के दौर में काउंटर बुकिंग का भविष्य क्या होगा?
पहले हमने काउंटर बुकिंग शुरू नहीं की थी, आईआरसीटीसी की वेबसाइट से ही बुकिंग की सुविधा थी। फिर कई राज्यों की रिक्वेस्ट मिली कि हमारे यहां कई लोग जाना चाहते हैं और उनको इंटरनेट चलाना नहीं आता है। हमने सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए काउंटर शुरू किए। ये काउंटर वहां शुरू नहीं किए जहां से श्रमिक स्पेशल ट्रेन चल रही थीं, उससे कुछ दूरी पर शुरू किए। रेलवे धीरे-धीरे सभी काउंटर खोलेगा। काउंटर कम नहीं करेंगे।
सवाल: लॉकडाउन के दौरान मालगाड़ियों से कितना गुड्स भारत वर्ष में पहुंचाया?
लॉकडाउन के दौरान 24 मार्च से 25 मई तक दो महीने में 16 करोड़ टन माल का परिवहन किया है। देश के कोने-कोने में एक भी दिन अनाज, खाद और कोयला आदि की कमी नहीं रही। देश के कोने-कोने में हम ये सामान पहुंचाते रहे। अगर अनाज देखें तो वो इस दौरान दोगुना हो गया। दूध, कोयला, लोहा, आयात-निर्यात आदि सामान की ढुलाई इस दौरान हमने की है।
सवाल: रेलवे की इस साल कमाई का लक्ष्य क्या है?
यह एक समस्या है। हम वित्त मंत्रालय से चर्चा कर आगे का रास्ता खोजेंगे। फिलहाल हमारी प्राथमिकता समय पर सबको सामान मिले और श्रमिक अपने घर पहुंचे, यही है। रेलवे के वेतन में करीब 90 हजार करोड़ और पेंशन में 50 हजार करोड़ रुपए प्रतिवर्ष खर्च होते हैं। यह पिछले पांच वर्ष में लगभग डबल हो गया है।
सवाल: 20 लाख करोड़ रु. के पैकेज का फायदा एक्सपोर्टर कैसे ले सकते हैं?
एमएसएमई सेक्टर हमारे एक्सपोर्ट को बहुत योगदान देता है। उन्हें सात-साढ़े सात फीसदी ब्याज दर पर 20% अतिरिक्त लोन मिल पाएगा। निर्यातकों, उनकी एसोसिएशन, प्रमोशन काउंसिल आदि से लागातार मेरी बैठक होती है। आज ही फार्मास्युटिकल वालों से चर्चा की है। हमारी सोच है कि विभिन्न इंडस्ट्री से बात कर उनकी समस्या का समाधान संवेदना के साथ करें। अप्रैल में एक्सपोर्ट बीते वर्ष की तुलना में 60% गिरा था, मई में यह 35% कम था, जून के आंकड़ों में और सुधार देखने को मिलेगा। धीरे-धीरे वापसी होगी। सोमवार एक जून से फिर एक्टिविटी बढ़ेगी, उससे और अधिक कारोबार बढ़ेगा।
सवाल: श्रमिक एक्सप्रेस ट्रेनों से कितनों को गंतव्य तक पहुंचाया गया है?
मैं दिन में तीन बार श्रमिक एक्सप्रेस ट्रेन की स्थिति की समीक्षा करता हूं। 30 मई तक देश में 4,040 श्रमिक एक्सप्रेस के माध्यम से करीब 54 लाख से अधिक श्रमिकों को उनके घरों तक पहुंचा गया है। ट्रेनों के भटकने या सात या नौ दिन में पहुंचने की बात बेबुनियाद है। सिर्फ 71 ट्रेन यानी 1.75% ट्रेन डायवर्ट हुईं। वह भी राज्यों के कहने, अधिक संख्या में एक ही स्टेशन पर ट्रेन के पहुंचने जैसे कारणों से हुई। किसी भी व्यक्ति की मृत्यु, भूख या प्यास के कारण नहीं हुई है। रेलवे ने 1.19 लाख खाना और 1.5 करोड़ बोतल पानी श्रमिकों के बीच दिया।
सवाल: लॉकडाउन के समय बड़ी संख्या में निजी क्षेत्र में नौकरियां जा रही है? इस वर्ष रेलवे कितनी भर्ती करेगा?
अभी हमारी भर्ती की प्रक्रिया डायनामिक है। अभी टेस्ट, ट्रेनिंग आदि चल रहा है। लोग रिटायर होते हैं, वैसे ही भर्ती करेंगे। अभी रेलवे में कोई शॉर्टेज नहीं है। 1.5 लाख लोगों की भर्ती प्रक्रिया चल रही है।
सवा महीने के भीतर ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पठानकोट के दो लोगों को प्रेरणास्रोत बताया। 24 अप्रैल को यहां की युवा सरपंच पल्लवी ठाकुर के बाद रविवार को मन की बात में पीएम मोदी ने पठानकोट के दिव्यांग राजू को प्रेरणास्रोत बताया। बचपन से पोलियोग्रस्त 45 वर्षीय राजू शहर के ढांगू रोड पर 35 सालों से भीख मांगते हैं।
बकौल राजू वह भीख से कमाए पैसे से गरीब कन्याओं की शादियों में, भंडारा कराने और राशन बांटकर उनकी मदद कर रहे हैं। उन्होंने लाॅकडाउन के दौरान 3000 से अधिक मास्क बांटे और 100 परिवारों को राशन दिया। प्रधानमंत्री द्वारा नाम लिए जाने के बाद उसके घर लोग बधाइयां देने पहुंचने लगे। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष अश्वनी शर्मा भी पहुंचे।
लोग मेरी मदद करते हैं, इसलिए मैं दूसरों की मदद करता हूंः राजू
राजू के मुताबिक, वह बचपन से ही पोलियोग्रस्त है। 10 साल की उम्र में मां-बाप का साया सिर से उठ जाने पर वह सड़क पर आ गया। दिव्यांगता के कारण उसे कोई काम नहीं मिला तो भीख मांगना मजबूरी बन गई। राजू की तो शादी भी नहीं हुई। दो भाइयों का परिवार है, लेकिन वह अलग रहता है। खाना भी पड़ोसी बनाकर देता है।
राजू बताता है कि भीख से रोजाना 500 से 700 रुपए मिलते हैं। खाने और खर्च के बाद कमाई का बाकी हिस्सा लोगों की सेवा पर खर्च करता है। मंदिरों में दान देना, गरीबों की बेटियों की शादियों में मदद, हर साल भंडारा कराना आदि में खर्च करता है। अब तक 22 गरीब लड़कियों की शादी में राशन व अन्य मदद दे चुका है।
7 जून को भी एक सफाई सेवक की बेटी की शादी में 1100 रुपये शगुन, 50 किलो चावल और एक पंखा देगा। ढांगू रोड पर 30 हजार खर्च कर एक टूटी पुलिया की रिपेयर कराई है। राजू कहते हैं कि लोग मेरी मदद करते हैं इसलिए मैं दूसरों की मदद करता हूं। भीख मांगना तो चंगा नहीं लगदा लेकिन, सेवा करना चंगा लगदा ए। राजू ने पीएम का आभार भी जताया।
सबसे अच्छा जीवन तभी जिया जा सकता है, जब हम हरदम इसे ज्यादा से ज्यादा सरल बनाने की कोशिश में ना लगे रहें। जीवन में वह समय भी आता है, जब जवाबों को खोजने की ज़रूरत पड़ती है और कभी ऐसा वक्त भी आता है जब सवालों को उसी स्थिति में छोड़ देना ही बेहतर हो जाता है।
अगर हर जवाब अगले सवाल का कारण बन जाए या हर जवाब के साथ सवाल भी बढ़ते जाएं तो फिर यह उलझनें, मानसिक अशांति और जीवन में मौजूद यह शोर कभी ख़त्म नहीं होने वाला। और अगर ज़िंदगी इन्हीं उलझनों और त्रास में फंसी रही, तो जीवन के असली आनंद को महसूस करने से हम वंचित रह जाएंगे। इसलिए ‘कार्पे डियम्’ यानी कल की चिंता छोड़कर इस पल को भरपूर जिएं। इस क्षण को महसूस कीजिए और पूरे आनंद से अपना जीवन जिएं।
हमारे ज्ञान, असीमित बुद्धिमत्ता से भी हम जीवन के बारे में कुछ खास नहीं समझ सकते। आप जीवन के सार को खोजने के लिए भले ही हर संभव प्रयास करते हैं, वह सब कुछ करने की कोशिश करते हैं, जो वाकई में किया जा सकता है, जो आपके दायरे में है, लेकिन आप देखेंगे कि वह भी अपर्याप्त जान पड़ेगा।
निर्वाण, मोक्ष या ठहराव तो दरअसल जीवन के विरोधाभासों को संतुलित करने से ही मिलेगा। जीवन-मृत्यु, लेना-देना, आत्मकेंद्रित या जुड़े रहना, साम्य या बिखराव...सारा जीवन ही विरोधाभासों से भरा हुआ है।
सवाल है कि इन सब विरोधाभासों के भंवर में बीच का रास्ता कैसे मिले।
इन सब उलझनों और विरोधाभासों के बीच झूलते हुए, ज़िंदगी में सबकुछ हासिल करने के बाद भी महसूस होता है कि जैसे हमें जीवन का मूल ही समझ नहीं आया, लगता है कि आज भी वहीं खड़े हैं, जहां से शुरुआत हुई थी। आप इस खोज में जीवन की दौड़ में भागे जा रहे हैं क्योंकि आपको लगता है कि इस जीवन के अंतिम पड़ाव से भी आगे कोई नहीं शुरुआत है।
जहां से शुरू किया था, वहीं फिर से वापस आने के लिए आप भागे जा रहे हैं। जैसे कि महान दार्शनिक उमर खय्याम ने कहा था- ‘मैं उसी दरवाज़े से बाहर आया हूं जिससे मैं भीतर गया था।’इस दुनिया की आपसे अपेक्षाएं, दुनिया से आपकी अपेक्षाएं, खुद की खुद से उम्मीदें असीम हैं, अनंत हैं, इनका कोई ओर-छोर नहीं है। ये उम्मीदें फिर उसी मानसिक अशांति को ओर ले जाएंगी। सवाल है कि क्या यह वाकई उतना मायने रखता है? सवाल यह भी है कि जीवन का मकसद क्या है?
फिलहाल एक काम कीजिए- एक गहरी श्वास लीजिए और धीरे सेे कहिए ‘कार्पे डियम्’ यानी भविष्य की चिंता छोड़कर वर्तमान को भरपूर जिएं।हां, यह बात बिल्कुल ठीक है कि सुनहरे भविष्य की कल्पना करना बुरा नहीं है। जीवन अच्छे भविष्य की कामना के साथ भी जिया जाना चाहिए, लेकिन इस सब में मौजूदा वक्त, इस क्षण को जीना भूलना नहीं चाहिए।
हमें इस क्षण को भी महसूस करना शुरू करना होगा। अभी मुस्कराइए, क्योंकि खुशी-प्रसन्नता इसी क्षण में है, जो सुखद अनुभूति सामने घट रही है, उसे महसूस करके प्रसन्न होइए। भविष्य कल घटित होगा। यह क्षण सामने है और अभी है। खुशी चेहरे पर आने से, मुस्कराहटों को होंठों पर आने से मत रोकिए।
आंसू हैं तो उनको भी बहने दीजिए। भावनाओं को मत रोकिए। जो कुछ होगा इसी क्षण में घटित होगा, होने दीजिए। अब फिर से एक गहरी सांस लीजिए। चेहरे पर कोई तनाव मत लाइए, रिलेक्स कीजिए और खुद को हल्का महसूस कीजिए।
आइए जीवन के हर क्षण को महत्वपूर्ण बनाएं। इस क्षण के लिए सजग, जीवंत और सचेत हो जाएं। भले ही आपने ज़िंदगी बहुत अच्छी गुजारी हो या जीवन अभावों में गुजरा हो, जिंदगी के खेल के बाद जाना सबको एक ही जगह होता है। हम अपने साथ जो करते हैं, वही हमारे साथ जाता है और जो दूसरों के लिए करते हैं वह सब यहीं, इस दुनिया में रह जाता है।हर क्षण के बाद अगला क्षण आएगा इसलिए हर क्षण को उपयोगी बनाएं, हर क्षण जीवन की पूर्णता के साथ जिएं और इस जीवन को जीवंत बनाएं।
कोरोना के साथ जीना होगा, यह जानकर निराशा होना स्वाभाविक है। लेकिन उम्मीद कभी नहीं छोड़नी चाहिए। निराशा में हम परिस्थिति का सामना करने में अक्षम हो जाते हैं। लेकिन यह कहना आसान है कि उम्मीद बनाए रखें। अभी उम्मीद केवल भावना केंद्रित नहीं बल्कि इतिहास केंद्रित होनी चाहिए।
एक पुराना गीत है, ‘गम की अंधेरी रात में दिल को न बेकरार कर, सुबह जरूर आएगी सुबह का इंतजार कर।’ सुबह का इंतजार करना होगा। लेकिन वह अपने हिसाब से होगी। इसी तरह परिस्थितियां अपने हिसाब से बदलती हैं। दुनिया में ऐसी महामारियां, समस्याएं पहले भी आ चुकी हैं और हम इनसे बाहर निकले हैं। यही इतिहास केंद्रित उम्मीद है।
फिर न्यू नॉर्मल अपनाना हमारे लिए कौन-सी नई बात है। जैसे पहले बैलगाड़ी थी, फिर गाड़ी आई, फिर रेलगाड़ी आई, हवाईजहाज आया, हम सब अपनाते गए। शुरुआत में थोड़ी कठिनाई हुई, लेकिन हम थोड़ी मेहनत से, थोड़ी अनुकूलता लाकर उसे अपना लेते हैं।
पहले औद्योगिक क्रांति आई, तब लोग जीने के लिए नौकरी करते थे। फिर आईटी क्रांति आई, लोग जीवनस्तर बेहतर बनाने के लिए नौकरी करने लगे। अब हम डिजिटल और सोशल क्रांति को अपना रहे हैं। कितनी बार हमारा नॉर्मल बदला है और हमने न्यू नॉर्मल अपनाया है। इसलिए मेरे हिसाब से सकारात्मकता के लिए इतिहास को गौर से देखना जरूरी है। उसमें उम्मीद है कि ये हमारे लिए नई बात नहीं है।
मैं अक्सर कहता हूं, ‘अपने विचारों पर ध्यान दें, वे शब्दों में बदलते हैं। शब्दों पर ध्यान दें, वे कार्य में बदलते हैं। कार्यों पर ध्यान दें, वे आदत में बदलते हैं। आदतों पर ध्यान दें, वे चरित्र में बदलती हैं और अपने चरित्र पर ध्यान दें, यह आपकी किस्मत बदलता है।’
यानी सबकुछ विचारों से शुरू होता है। इसलिए उन्हें बदलना जरूरी है। न्यू नॉर्मल को परिवार और पेशेवर स्तर पर अपनाना जरूरी है। हम में ऐसा करने की क्षमता है। जैसे मशहूर फिल्म लॉयन किंग की कहानी है। इसमें छोटे शेर सिम्बा में बहुत शक्ति है क्योंकि वह जंगल के राजा मुफासा का बेटा है। लेकिन उसका चाचा स्कार, मुफासा को मरवा देता है और आरोप सिम्बा पर डाल देता है।
सिम्बा सब छोड़कर टिमॉन और पुम्बा (नेवला और जंगली सुअर) की संगत में चला जाता है और उसे लगने लगता है कि वह भी उन्हीं की तरह है। फिर रफिकी आकर उसको याद दिलाता है कि तुम सिम्बा हो, शेर के बच्चे हो। तुम में अनुकूल बनने की, एडजस्ट करने की, स्कार को मात देने की क्षमता है। आज की हमारी इस परिस्थिति में कोरोना स्कार की तरह है, लेकिन हम मुफासा की संतान हैं, हम सिम्बा हैं। हम जितना अपनी क्षमता को पहचानेंगे, उतना ही हम जीवन को रीडिजाइन और रीस्टार्ट कर पाएंगे।
इस दौरान हमें भावनात्मक, पेशेवर और आध्यात्मिक सहारे की भी जरूरत है। स्टीव जॉब्स ने अपने एक भाषण में बताया था कि जब उन्होंने एपल इंकॉर्पोरेशन की शुरुआत की तो कई लोगों को नियुक्त कर बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स बनाया और इसी बोर्ड ने मिलकर स्टीव को बाहर निकाल दिया। वे निराश हो सकते थे। जिन लोगों को नौकरी दी, उन्हीं ने आपको, आपकी ही कंपनी से निकाल दिया।
लेकिन स्टीव ने अपने रिश्तों, जीवन, पेशेवर कामकाज, अध्यात्म पर काम किया। वे 10 साल एपल से दूर थे। इसी दौरान शादी हुई, पिक्सार और नेक्स्ट एनिमेशन बना, आध्यात्मिक जीवन पर भी काम किया। वे भारत आकर नीम करोली बाबा से मिले। यानी 10 सालों में उन्होंने अपने लिए भावनात्मक, पेशेवर और आध्यात्मिक सहारा बना लिया। उन्हें बढ़ता देख बोर्ड ने उन्हें वापस ले लिया।
तो मुझे लगता है कि आप भी दोगुनी ताकत व ऊर्जा से जीवन को रीस्टार्ट कर सकते हैं। हम रिश्तों, अध्यात्म, पेशेवर जीवन पर काम करें। धनुष-बाण में जब बाण पीछे खींचते हैं तो यह नहीं सोचते कि बाण पीछे जा रहा है। बाण शक्ति इकट्ठी कर दोगुनी शक्ति से गंतव्य तक पहुंचता है।
तो अगर इस लॉकडाउन को, परिस्थिति को ऐसे देखेंगे कि यह थोपी गई है, तो इससे कुछ नहीं निकलेगा। लेकिन अगर यह सोचें कि बाण की तरह में शक्ति कैसे इकट्ठी करूं, अपने आप पर काम कैसे करूं, तो जब लॉकडाउन खुलेगा और परिस्थिति सुधरेगी, तो दोगुनी शक्ति से हम अपने आपको रीलॉन्च कर सकते हैं।