ऑटोमोबाइल एसोसिएशन के प्रेसिडेंट बोले- लॉकडाउन खुलने के 2 महीने बाद तक नहीं जाएंगी इंडस्ट्री से जुड़े लोगों की नौकरी, डिमांड नहीं बढ़ी तो कुछ भी संभव
कोविड महामारी और देश में चल रहे लॉकडाउन के चलते देश के ऑटो सेक्टर केहालात चिंताजनक है। अप्रैल में देश के अंदर एक भी कार नहीं बिकी। ऑटो इंडस्ट्री के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है। ऑटो इंडस्ट्री की मौजूदा हालत और भविष्य की स्थिति को समझने के लिए हमने फाडा (फेडरेशन ऑफ ऑटोमोबाइल डीलर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया) प्रेसिडेंट आशीष हर्षराज काले से बातचीत की।
उन्होंने कहा, ‘मैं सरकार से कहना चाहता हूं कि ऑटोमोबाइल सिर्फ एक इंडस्ट्री नहीं है। बल्कि इससे स्टील, स्पेयरपार्ट्स, रबड़, बैटरी, कम्पोनेंट फैक्ट्री, गाड़ी बनाने वाली फैक्ट्री, डीलरशिप जैसी इंडस्ट्री जुड़ी हुई हैं। बैंक और फाइनेंस इंडस्ट्री भी इससे जुड़ी हैं। इसके साथ, लोकल मैकेनिक, ड्राइवर, हेल्पर को भी रोजगार मिलता है। ऐसे में इतने बड़े लॉकडाउन पीरियड के बाद देश की इकॉनोमी पर असर होगा, तो ओवरऑल इकॉनोमी में डिमांड रिवाइज करना बहुत जरूरी है। इसमें ऑटोमोबाइल अहम रोल प्ले कर सकता है। तो सरकार ऑटोमोबाइल डिमांड के लिए कुछ जरूरी कदम जरूर उठाए।’
सवाल: कोविड-19 महामारी के बीच फाडा कैसे देश के ऑटो सेक्टर की मदद कर रही है?
जवाब: हमअपने डीलर्स और मेंबर्स को कई तरह से सपोर्ट कर रहे हैं। फाडा ने ऑनलाइन फाइनेंशियल ट्रेनिंग शुरू की है। साथ ही, ASDC (ऑटोमोटिव स्किल डेवलपमेंट काउंसिल) जो फाडा का हिस्सा है, उसके साथ सेल्स की ऑनलाइन ट्रेनिंग भी शुरू की है। ताकि जो सेल्समैन घर पर बैठे हैं वो अपनी स्किल को डेवलप करें। सभी ओईएम (मूल उपकरण निर्माता) से बात चल रही है कि मौजूदा वक्त में जो नुकसान हो रहा है, उसकी भरपाई कैसे की जाएगी। कई ओईएम अपने डीलर्स को सपोर्ट कर रही हैं। हमने भी अपने कुछ सुझाव सरकार को भेजे हैं। अभी उनकी तरफ से जवाब आना बाकी है।
हम इस बारे में भी बात कर रहे हैं कि लॉकडाउन के बाद जो चीजें शुरू होंगी, तब कैसे उन्हें सैनिटाइज करना है। साथ ही, सेफ्टी इक्युपमेंट्स को कैसे इस्तेमाल करना चाहिए। सेफ्टी इक्युपमेंट्स को लेकर हम कॉमन वेंडर्स तैयार कर रहे हैं, ताकि सभी को बेहतर सेफ्टी सुविधाएं मिल पाएं। हमारे मेंबर्स की संख्या हजारों में है और हमें इसकी कीमत भी बेहतर मिल रही है।
सवाल: अप्रैल में एक भी कार नहीं बिकी, इससे ऑटो इंडस्ट्री पर कितना असर होगा? क्या मई में भी ऐसे हालात रहेंगे?
जवाब: लॉकडाउन के चलते नई गाड़ियों के बिक्री पूरी तरह बंद है। जो भी गाड़ियांलॉकडाउन से पहले बेची गई थीं, आरटीओमें सिर्फ उनकी ही प्रॉसेस पूरी हो रही है। आने वाले महीनों में भी हमारे लिए मुश्किल समय होगा। क्योंकि जब भी हमने स्लोडाउन या मंदी को फेस की है, तब वो डिमांड साइट से ही होती है। लेकिन इस बार 3 से 4 तरह की मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा। जैसे, लॉकडाउन खुलते ही डिमांड कम रहेगी। इकोनॉमिक स्थिति कैसी रहती है इसका पता भी बाद में ही चलेगा। सप्लाई की तरफसे भी सपोर्ट नहीं मिल पाएगा, क्योंकि सभी प्रोजेक्ट को दिन-रात के लिए शुरू नहीं किया जा सकता। हो सकता है कि पहले 2 या 3 जोन ही खुलें। ऐसे में यदि कोई कम्पोनेंट मैन्युफैक्चर रेड जोन में हुआ तब भी गाड़ी का प्रोडक्शन शुरू नहीं हो पाएगा। लॉकडाउन खुलने के बाद सप्लाई की क्या स्थिति बनती है, ये आगे ही पता चलेगी।
दूसरी तरफ, लॉकडाउन खुलने के बाद कस्टमर का माइंडसेट कैसा रहता है? उसके लिए कौन से खर्च जरूरी हैं और कौन से नहीं? इन तमाम बातों का पता लॉकडाउन खुलने के बाद ही चलेगा। लेकिन ये बात तय है कि तुरंत तो गाड़ियों की डिमांड नहीं रहेगी। एक सकारात्मक पहलू ये हो सकता है कि जिन पब्लिक ट्रांसपोर्ट में लोगों के पास ऑनरशिप नहीं थी, हो सकता है कि वे ऑनरशिप की तरफ जाएं।
सवाल: क्या कंपनियां सस्ती कारों के प्रोडक्शन पर ज्यादा फोकस करेंगी?
जवाब: देश के अंदर सभी तरह की रेंज वाली कार आ रही हैं। इनमें सबसे ज्यादा लो सेगमेंट की कार ही बिकती हैं। हालांकि, कोई भी कंपनी इतनी जल्दी नया मॉडल तैयार नहीं कर सकती है। किसी कार के मॉडल को तैयार करने में 2 से 3 साल का वक्त लगता है। तो मुझे नहीं लगता कि अभी सस्ती कार का कोई नया मॉडल कंपनियोंद्वारा तैयार किया जाएगा। हालांकि, अगले 4 से 6 महीने में कंपनियांइस बात को जरूर देखेंगी कि ग्राहकों की सोच में कितना बदलाव आया है। यदि सरकार देश की इकोनॉमिकस्थिति को जल्दी बेहतर करने में कामयाब हो जाती है, तब लोग सस्ती कार की बात नहीं सोचेंगे। वैसे, भी पिछले कुछ महीनों में SUV सेगमेंट की कार ज्यादा बिकी हैं। इससे ये बात साफ होती है कि पहली बार जो ग्राहक कार खरीदने आ रहा है वो सस्ती कार के बारे में नहीं सोच रहा।
सवाल:सिंगापुर यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्नोलॉजी एंड डिजाइन के शोधकर्ताओं की रिपोर्ट के मुताबिक देश में कोरोनावायरस का असर जुलाई तक खत्म होगा। क्या तब तक ऑटो इंडस्ट्री सुस्त रहेगी?
जवाब: जुलाई में ऐसी स्थिति बनती है कि देश में एक भी कोरोना संक्रमित नहीं रह जाता, तब उसका सकारात्मक असर ऑटो इंडस्ट्री पर होगा। सरकार भले ही बाहरी देशों के लोगों कोयहां आने की परमीशन नहीं दे, लेकिन हमारेदेश की इकॉनोमी को ग्रोथ मिलना शुरू हो जाएगी। सरकार यदि एग्रीकल्चर और इन्फ्रास्ट्रक्चर के लिए खर्चा करती है, तो इसका पॉजीटिव असर ऑटोमोबाइल सेक्टर पर होगा। वहीं, सरकार MSME पर भी फोकस कर रही है। इससे भी ऑटो सेक्टर के हालात सुधरेंगे। लेकिन इसमें कितना सुधार होगा इस बात का पता तो लॉकडाउन खुलने और देश की इकोनॉमिकस्थिति को देखने के बाद तय होगा।
सवाल: कार मैन्युफैक्चरिंग के जो पार्ट्स चीन या दूसरे देशों से आते हैं, क्या उनकी वजह से प्रोडक्शन शुरू होने में वक्त लगेगा?
जवाब: देश की अधिकतम ऑटो कंपनियों के पार्ट्स का प्रोडक्शन यहां हो रहा है। क्योंकि हाल ही में देश के अंदर सभी गाड़ियांBS4 से BS6 इंजन पर शिफ्ट हुई हैं। ऐसे में हो सकता है कि कुछ पार्ट्स बाहर से लिए जा रहे हों। चीन में अब हालात बेहतर हैं। वहां पर सभी तरह के प्रोडक्शन शुरू हो गए हैं। ऐसे में मुझे नहीं लगता कि चीन से हमें जिन पार्ट्स की जरूरत होगी, वो नहीं आ पाएं। दूसरे देशों के बारे में अभी कुछ नहीं कहा जा सकता।
सवाल: आने वाले कुछ महीनों में इस सेक्टर से जुड़े कर्मचारियों की नौकरी जाने का खतरा पैदा होगा?
जवाब: ऑटो सेक्टर के तीन हिस्से होते हैं। पहला कम्पोनेंट मैन्युफैक्चर्स (जो गाड़ी के कम्पोनेंट और स्पेयरपार्ट बनाती हैं), दूसरा जो गाड़ी बनाते हैं और तीसरा डीलर्स, जो उस गाड़ी को बेचते और सर्विस करते हैं। डीलरशिप में देशभर में करीब 40 लाख लोग काम करते हैं। जिसमें सेल्स, सर्विसेज जैसीएक्टिविटी शामिल हैं। जब भी बाजार खुलेगा तब मार्केट में कैसी स्थिति होगी, अभी इस बात को डीलर्स नहीं जानते हैं। हमारे यहां जो भी मैनपावर होता है उसे ट्रेनिंग देकर तैयार किया जाता है, ताकि वो बिजनेस लाने में सक्षम हों। ऐसी स्थिति में मुझे नहीं लगता कि लॉकडाउन खुलने के पहले 2 महीने में किसी की जॉब जाएगी।
डीलर्स 2-3 महीने में इस बात को समझेंगे कि ये स्थिति कब खत्म होगी। क्या जल्दी ऑटो की डिमांड बढ़ेगी या ये स्थिति 6 महीने या सालभर रहेगी। इसको समझने के बाद ही डिसीजन लिए जाएंगे। लेकिन ये बात तय है कि यदि हालात जल्दी नहीं सुधरेंगे तब लोगों की नौकरियां जाएंगी। हमें भी अपना मैनपावर कम करना होगा।
सवाल: इस साल कई चीनी कंपनियां भारत में डेब्यू करने वाली थीं। तो क्या अब उसमें देरी होगी?
जवाब: इस बात का फैसला भी डिमांड को देखकर ही लिया जाएगा, क्योंकि यदि डिमांड नहीं होगी तब कोई भी कंपनी देश में इन्वेस्ट नहीं करना चाहेगी। अभी जिन कंपनियों ने भारत में इन्वेस्ट करने का मन बनाया है, या जिन्होंने इन्वेस्टमेंट की शुरुआतकर दी है, वो 6 महीने तक रुकसकती हैं। देश के पहले फेस्टिवल सीजन सितंबर-अक्टूबर में ये बात साफ होगीकि यहां ऑटो की कितनी डिमांड होती है। तभी बाहरी कंपनियां इस बात का फैसला ले पाएंगी।
सवाल: मौजूदा स्थिति को देखते हुए नई कारों की तुलना में क्या यूज्ड कारों की डिमांड बढ़ सकती है?
जवाब: जब भी देश की इकोनॉमिकस्थिति डगमगाती है तब लोगों का बजट भी बिगड़ता है। इससमय भी ऐसी ही स्थिति बन रही है। ऐसे में जब लोगों का बजट कम होगा तो वे यूज्ड कारों की तरफ जा सकते हैं। ग्राहकों की ऐसी मंशा होती है कि जब तक उसकी स्थिति सही नहीं हो जाती वो यूज्ड कार ही चला लेगा। लेकिन हमें इस बात को भी समझना होगा कि यूज्ड कार की सप्लाई तभी होती है जब कोई ग्राहक अपनी कार बेचता है, और ज्यादातर ग्राहक अपनी कार तभी बेचते हैं जब वो नई खरीदते हैं। हालांकि, यूज्ड कार से वर्कशॉप को काम मिलता है, क्योंकि ग्राहक ऐसी कार को ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल करने की कोशिश करता है।
सवाल: लॉकडाउन के दौरान कितनी बुकिंग कैंसल हुई हैं?
जवाब: गाड़ियों की बुकिंग कैंसिलेशनको लेकर अभी ऐसी कोई बात सामने नहीं आई है। लॉकडाउन के पहले फेज में ऐसा लग रहा था कि 15-20 दिन में शोरूम खुल जाएंगे। सेकंड फेज में क्योंकि शोरूम लंबे समय तक बंद रहे, जिसके चलते ग्राहकों ने अपना विचार थोड़ाबदला है। यानी वे गाड़ी खरीदने की बात पर फिर से विचार करेंगे। लेकिन अभी कैंसिलेशन को लेकर ऐसा कोई डेटा नहीं आया है। लॉकडाउन खुलने के बादस्थिति साफ होगी।
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source https://www.bhaskar.com/business/news/mr-ashish-harsharaj-kale-fada-president-interview-countrys-auto-sector-amid-covid-19-epidemic-127263329.html
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