मध्यप्रदेश के सिवनी में जिस दिन निर्माण पूरा होना था, उसी दिन बह गया पुल; जालंधर में सोढल बाबा का दरबार सजा, कल शुभारंभ
मध्यप्रदेश में लगातार हो रही बारिश और आसपास की नदियों का पानी नर्मदा में इकट्ठा होने के कारण नर्मदा नदी रौद्र रूप दिखा रही है। रविवार को दिनभर मोरटक्का पुल नर्मदा की बाढ़ में डूबा रहा। वहीं कई जगह निचली बस्तियों में लोग फंसे हुए हैं, जिन्हें सेना के हेलिकॉप्टर की मदद से सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया जा रहा है। होशंगाबाद में सड़कों पर नाव चलाना पड़ रही है।
रविवार सुबह 10 बजे हेलीकॉप्टर से ली गई यह भोपाल के नसरुल्लागंज के गांव सातदेव की है। 5000 की आबादी वाला नर्मदा किनारे बसा यह गांव बाढ़ के पानी में घिरकर टापू बन गया है। एनडीआरएफ और सेना ने 80% आबादी को रेस्क्यू कर टीगाली गांव में शिफ्ट कर दिया है।
निचली बस्तियों में भरा पानी
मध्यप्रदेश में लगातार हो रही बारिश से कई नदियां उफान पर हैं। कई जगह निचली बस्तियों में लोग फंस गए हैं। फोटो सीहोर जिले की है जहां पर निचली बस्तियों में पानी भर गया है। ऐसे में लोग अपना सामान समेटने में लगे हुए हैं। इसी दौरान एक छोटी बच्ची अपने भाई को पीठ पर लादकर सुरक्षित स्थान पर ले जा रही है।
24 घंटे में 4 इंच बारिश
24 घंटे में उज्जैन में 4 इंच से अधिक बारिश हुई। एक सप्ताह में दूसरी बार शिप्रा नदी उफान पर आ गई है। इससे रामघाट स्थित कई मंदिर शिप्रा नदी में डूब गए हैं।
उद्घाटन से पहले ही बहा पुल
भारी बारिश के चलते मध्यप्रदेश के सिवनी जिले में बड़ा नुकसान हुआ है। 2 हजार मकान क्षतिग्रस्त हुए हैं। यहां शुक्रवार शाम को लखनादौन क्षेत्र में बना एक निस्तानी बांध बह गया, जबकि रविवार को भीमगढ़ से सुनवारा के बीच 3.7 करोड़ रुपए की लागत से बना पुल बहाव में गिर गया। इस पुल का अभी उद्घाटन होना था। इसका निर्माण कार्य पूरा करने की डेडलाइन 30 अगस्त 2020 थी, लेकिन इसी दिन यह ढह गया।
बप्पा से बच्ची ने मांगी मन्नत
फोटो हरियाण के हिसार की है। रविवार को गणपति बप्पा का विसर्जन किया जा रहा था इससे पहले छोटी बच्ची ने गजानन के कान में मन्नत मांगी। इस दौरान भक्तों ने गणपति बप्पा मोरिया अगले बरस तू जल्दी आना... के जयकारे लगाए।
कोरोना काल में ताजिया
दतिया में मोहर्रम पर मुस्लिम समाज के लोगों ने लाला के ताल पर ताजिए और बुर्राकें विसर्जित कीं। किले के अंदर से लोगों ने ताजिए निकाले। चार-चार लोगों की टोलियां कंधों पर ताजिए लेकर लाला के ताल पर पहुंची। यहां पूजन किया, इसके बाद दो से तीन लोग तालाब में कूदे और ताजिए विसर्जित किए। पहली बार जिले में कहीं भी मोहर्रम पर ताजिए विसर्जन के दौरान डीजे की धुन पर जुलूस, रैली तो दूर हाथ ठेलों पर भी ताजिए रखकर नहीं निकाले गए। न ही कत्ल की रात का जुलूस निकाला गया।
सोशल डिस्टेंसिंग से दर्शन होंगे
हर साल की तरह इस बार भी बाबा सोढल का भव्य दरबार सज चुका है। इस बार अंतर यह है कि दूर-दूर से मेला देखने आने वालों की भीड़ नहीं होगी। श्रद्धालुओं को सोशल डिस्टेंस मेनटेन कर बारी-बारी दर्शन करने होंगे। रविवार को झंडे की रस्म अदा की गई। पहली सितंबर को हवन किया जाएगा। इसमें सीमित संख्या में लोग शामिल होंगे। मंदिर कमेटी, निगम और पुलिस प्रशासन ने प्रबंध मुकम्मल कर लिए हैं। खेत्री बीजने वाले 1678 परिवारों के एक-एक मेंबर को खेत्री अर्पण और माथा टेकने की इजाजत दी गई।
बारिश के साथ धूप भी
बारिश के बाद उज्जैन में रविवार दोपहर इंद्रधनुष के रूप में प्रकृति का सतरंगी दर्शन हुआ। बादलों के बीच निकली हल्की धूप ने इंद्रधनुष की खुबसूरती आकाश में बिखेरी। लंबे समय बाद दिखाई दिए इंद्रधनुष को लोगों ने अपने मोबाइल और कैमरों में कैद कर लिया।
लगातार बारिश से बांध ओवरफ्लो
राजस्थान के बांसवाड़ा सहित निकतटवर्ती जिलों में हो रही बारिश के कारण क्षेत्र के बांध ओवरफ्लो हैं। रविवार को माही बांध के 16 गेट खोलने पड़े। साथ ही बारां के 3 बांध व रावतभाटा के गांधीनगर व राणा प्रताप बांध के गेट भी खोलने पड़े। डूंगरपुर में 14 इंच बारिश हुई है। मौसम विभाग ने 24 घंटे भारी बारिश का अलर्ट जारी किया है। फोटो रावतभाटा के गांधीनगर बांध की है।
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