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देश में कोरोना मरीजों की संख्या 36 लाख 87 हजार 939 हो गई है। पिछले 24 घंटे में 68 हजार 766 संक्रमित बढ़े, 64 हजार 435 ठीक हुए, जबकि 817 की मौत हुई। संक्रमितों और मौत के आंकड़ों में बीते छह दिन में यह सबसे बड़ी गिरावट है।

रिकवरी रेट में भी 1% की बढ़ोतरी हुई है। यह अब 76.85% पहुंच गई है। मतलब हर 100 मरीजों में 76 लोग ठीक हो जा रहे हैं। अब तक 65 हजार 435 संक्रमितों की मौत हो चुकी है। 7.83 लाख मरीज ऐसे हैं जिनका अभी इलाज चल रहा है। ये आंकड़े covid19india.org के मुताबिक हैं।

कोरोना अपडेट्स...

  • असम के पूर्व मुख्यमंत्री तरुण गोगोई की हालत गंभीर हो गई है। वे कोरोना से संक्रमित हैं। सोमवार की रात अचानक ऑक्सीजन लेवल कम होने पर उन्हें जीएमसीएच अस्पताल में भर्ती कर दिया गया। राज्य के स्वास्थ्य मंत्री ने बताया कि डॉक्टर्स ने उन्हें एक यूनिट प्लाजमा और ऑक्सीजन सपोर्ट पर रखने का फैसला लिया है।
  • पंजाब सरकार ने सितंबर के आखिरी हफ्ते तक लॉकडाउन के प्रतिबंधों को जारी रखने का फैसला लिया है। शाम 7 से सुबह 5 बजे तक शहरी इलाकों में कर्फ्यू भी जारी रहेगा। इसके अलावा 167 म्युनिसपल टाउन में वीकेंड लॉकडाउन भी जारी रहेगा।
  • पश्चिम बंगाल में कंटेनमेंट जोन में लॉकडाउन 30 सितंबर तक बढ़ा दिया है। राज्य सरकार ने कहा है कि मेट्रो सर्विस आठ सितंबर से फेजवाइज शुरू की जाएगी। स्कूल-कॉलेज 30 सितंबर तक नहीं खुलेंगे। सिनेमा हॉल, स्विमिंग पूल, मनोरंजन पार्क और थिएटर बंद रहेंगे।
  • इंटरनेशनल उड़ानों को लेकर डीजीसीए ने कहा कि भारत से और भारत के लिए शेड्यूल अंतरराष्‍ट्रीय उड़ानों पर लगी पाबंदी अब 30 सितंबर बढ़ा दी गई है। इंटरनेशनल फ्लाइट्स 23 मार्च से ही बंद हैं। विदेशों में फंसे भारतीयों को लाने के लिए वंदे भारत मिशन के तहत एयर इंडिया की फ्लाइट्स चल रही हैं।
  • दिल्ली हाईकोर्ट ने राजधानी में बाहर से आने वाले लोगों के लिए बस अड्डों पर कोरोना टेस्ट की सुविधा शुरू करने का आदेश दिया है। ये सुविधा दिल्ली सरकार को 7 दिन के अंदर शुरू करानी होगी।

पांच राज्यों के हाल
1. मध्यप्रदेश

बीते 24 घंटे में संक्रमण के रिकॉर्ड मामले दर्ज हुए हैं। स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक राज्य में एक दिन में 1532 लोगों की रिपोर्ट पॉजिटिव आई है। जिसके बाद कोरोना संक्रमितों का कुल आंकड़ा 63 हजार 965 पहुंच गया है। इनमें 13 हजार 914 मरीज ऐसे हैं जिनका अभी इलाज चल रहा है। 48 हजार 657 लोग ठीक हो चुके हैं जबकि 1394 मरीजों की मौत हो चुकी है। पिछले 24 घंटे में संक्रमण के चलते 20 मौतें हुईं। जिनमें से इंदौर में 4, भोपाल में 5, ग्वालियर-जबलपुर-खरगौन में 2-2 लोगों ने जान गंवाई है।

2. राजस्थान.
बीते 24 घंटे में कोरोना के 1466 नए मामले सामने आए। इसके बाद कुल पॉजिटिव का आंकड़ा 81 हजार 693 पर पहुंच गया। 13 लोगों की मौत हो गई। इनमें जयपुर में 2, धौलपुर, गंगानगर, जैसलमेर, जोधपुर, कोटा, नागौर, राजसमंद, उदयपुर, अजमेर, बीकानेर और टोंक में 1-1 ने जान गंवाई। जयपुर के सांगनेर से भाजपा विधायक अशोक लाहोटी और जयपुर की पूर्व महापौर ज्योति खंडेलवाल भी संक्रमित पाए गए हैं।

3. बिहार
बीते 24 घंटे में संक्रमण के 1,324 नए मामले सामने आए। इसके साथ ही संक्रमितों की संख्या बढ़कर 1 लाख 36 हजार 337 हो गई। इनमें 1 लाख 19 हजार 572 लोग ठीक हो चुके हैं जबकि 694 मरीजों की मौत हो चुकी है।

4. महाराष्ट्र
बीते 24 घंटे में कोरोना के 11 हजार 852 नए मामले सामने आए, 11 हजार 158 रिकवर और 184 लोगों की मौत हो गई। प्रदेश में अब 1 लाख 94 हजार 56 मरीज ऐसे हैं जिनका अभी इलाज चल रहा है। अब तक 5 लाख 73 हजार 559 लोग ठीक हो चुके हैं, जबकि 24 हजार 583 लोगों की जान जा चुकी है।

5. उत्तरप्रदेश
राज्य के अल्पसंख्यक कल्याण राज्यमंत्री मोहसिन रजा की रिपोर्ट पॉजिटिव आई है। दरअसल, उनके स्टॉफ के कुछ साथी संक्रमित मिले थे। इसके बाद राज्यमंत्री ने भी अपनी जांच कराई थी। रजा ने खुद को सरकारी आवास में क्वारैंटाइन किया है। योगी सरकार के 10 से ज्यादा मंत्री अभी तक संक्रमण की चपेट में आ चुके हैं।
राज्य में बीते 24 घंटे में 5061 केस बढ़े हैं। जबकि 67 लोगों की मौत हुई है। अब तक राज्य में 2,30,414 कोरोना संक्रमित मिल चुके हैं। जबकि मौतों का आंकड़ा 3486 पहुंच गया है। 54,788 लोगों का अभी इलाज चल रहा है। राहत की बात है कि 1,72,140 लोग पूरी तरह स्वस्थ हो चुके हैं। कुल एक्टिव केस में से 27,263 लोग होम आइसोलेशन में हैं। अब तक 1,00,682 लोगों ने होम आइसोलेशन का विकल्प लिया है।



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Mumbai Delhi Coronavirus News | Coronavirus Outbreak India Cases LIVE Updates; Maharashtra Pune Madhya Pradesh Indore Rajasthan Uttar Pradesh Haryana Punjab Bihar Novel Corona (COVID-19) Death Toll India Today


source /national/news/coronavirus-outbreak-india-cases-live-news-and-updates-01-september-127673929.html

इंदौर-इच्छापुर हाईवे पर भादों की बारिश और भारी वाहनों की लगातार आवाजाही भारी पड़ गई। इसके चलते सड़क पर जगह-जगह सैकड़ों गड्ढे हो गए हैं। कुछ जगह तो सड़क की हालत इतनी खराब है कि वाहनों के आधे पहिए समा जाए। इस दौरान ट्रक पलटने की घटनाएं भी हो रही हैं। हालांकि इंदौर से बोरगांव तक के लिए 3000 करोड़ और बोरगांव से अकोला तक फोरलेन बनाने पर 3800 करोड़ रुपए खर्च होना है, लेकिन अभी तो गड्‌ढे भरवाना ही पड़ेंगे। फोटो खंडवा के सनावद क्षेत्र की है।

गाइडलाइन के अनुसार विसर्जन

सोमवार को श्री गणेश विसर्जन को लेकर भक्तों में उत्साह देखने को मिला। हालांकि जिले में बढ़ते कोरोना के केस और प्रशासन की गाइडलाइन के अनुसार लोगों की कहीं भी अधिक भीड़ देखने को नहीं मिली। सरहिंद नहर पर लोग बारी-बारी से अपने-अपने घर में विराजित किए भगवान गणेश की प्रतिमा का विसर्जन करने के लिए पहुंचे। लोगों ने गणपति बप्पा मोरया, अगले बरस तूं जल्दी आ के जयकरों के साथ श्री गणेश जी का विसर्जन किया।

11 लाख क्यूसेक पानी छोड़ा, भरूच में बाढ़

गुजरात में लगातार जोरदार बारिश जारी है। वडोदरा में विश्वामित्री, भरूच में नर्मदा और सौराष्ट्र के पोरबंदर स्थित पंथक में बाढ़ का खतरा बढ़ गया है। इसकी वजह से एनडीआरएफ की टीम को अलर्ट पर रखा गया है। नर्मदा डेम से 11 लाख क्यूसेक पानी छोड़ने से भरूच में बाढ़ की स्थिति बन गई है। भरूच शहर के निचले विस्तार में पानी घुस गया।

जहां एनडीआरएफ की दो टीमों को लगाया गया है। वहीं 30 गांवों में बाढ़ का पानी घुस गया। जहां से लगभग 4977 लोगों को सुरक्षित पहुंचाया गया। साथ ही लोगों को सतर्क रहने को कहा गया है। भरूच के भाडभूत गांव में बोट से आ रहे पांच लोगों को एनडीआरएफ टीम ने बचाया। इन लोगों की बोट रास्ते में फंस गई थी।

नर्मदा का जलस्तर घटा

फोटो मध्यप्रदेश के देवास जिले के नेमावर की है। यहां 3 वार्डों में अभी भी पानी भरा हुआ है। हालांकि नर्मदा का जलस्तर कम होकर 894 फीट पर पहुंच गया है। नेमावर में बाढ़ का पानी उतरने के बाद लोगों ने सड़क पर तबूं लगाकर रहना शुरू कर दिया है।

बेदला पुलिया के ऊपर से बहा पानी

सोमवार को उदयपुर जिले के बेदला की पुलिया के ऊपर से पानी बहने लगा। क्षेत्र की महिलाओं ने नदी पर पूजा कर नए पानी का स्वागत किया। इस बीच लोगों ने नदी की रपट पर बनी रेलिंग के टूटने पर भी चिंता जताई। यशवंत शर्मा ने बताया कि पिछले साल तेज बारिश के बाद नदी में उफान से रेलिंग को टूट गई थी। कई बार यूआईटी में शिकायत दर्ज कराई, लेकिन अभी रेलिंग का काम शुरू नहीं हो पाया है।

75 लोग बिना मास्क के मिले, चालान काटकर मुफ्त मास्क दिए

शिवपुरी में अभी भी कई लोग बिना मास्क के घूम रहे हैं। ऐसे लोगों के खिलाफ ट्रैफिक पुलिस ने सोमवार को चार स्थानों पर चेकिंग पॉइंट लगाकर चालानी कार्रवाई की है। बिना मास्क पहने 75 लोगों के चालान काटे हैं। संबंधितों से 100-100 रुपए जुर्माना वसूलकर मास्क मुफ्त में दिए हैं। ट्रैफिक थाना प्रभारी नीतू अवस्थी ने ट्रैफिककमियों के साथ शहर के कोर्ट रोड, पोहरी चौराहा, माधव चौक और गुना नाके पर चेकिंग पॉइंट लगाए।

इंद्रधनुष ने कुंड की सुंदरता में चार चांद लगाए

इन दिनों पन्ना जिले के अजयगढ़ रोड पर स्थित बृहस्पति कुंड का झरना आसपास के जिले के लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र बना हुआ है।अब इस स्थान का सौंदर्यीकरण किया जाएगा। इसको लेकर कलेक्टर इस स्थान का निरीक्षण भी कर चुके हैं। सोमवार को झरने का आनंद लेने पहुंचे लोगों को इसकी फुहारों से निर्मित इंद्रधनुष आकाश के स्थान पर जमीन की कुछ ऊंचाई पर देखने को मिला। इस इंद्रधनुष ने कुंड की सुंदरता में चार चांद लगा दिए।



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So much pothole on the road that shopkeeper checks leakage of tube here after making puncture, Narmada water level decreases in Madhya Pradesh after heavy rains


source /local/delhi-ncr/news/so-much-pothole-on-the-road-that-shopkeeper-checks-leakage-of-tube-here-after-making-puncture-narmada-water-level-decreases-in-madhya-pradesh-after-heavy-rains-127673852.html

नेशनल फार्मास्यूटिकल प्राइसिंग अथॉरिटी (एनपीपीए) की ओर से दवा की कीमत तय करने के बाद भी यदि दवा कंपनियां इससे ज्यादा कीमत वसूल करती है तो इन कंपनियों का लाइसेंस रद्द नहीं किया जा सकता। ड्रग्स कंसलटेटिव कमेटी ने कहा है कि ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स रूल्स में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है, जिससे लाइसेंस रद्द किया जा सके।

डीटीएबी ने भी लाइसेंस रद्द करने से इनकार किया था

इससे पहले ड्रग्स टेक्निकल एडवाइजरी बोर्ड (डीटीएबी) ने भी ऐसी कंपनियों के लाइसेंस रद्द करने से इनकार कर दिया था। संसद की स्थाई समिति ने अपनी 54वीं रिपोर्ट में कहा है कि दवा कंपनी यदि तय कीमत से ज्यादा पैसा वसूल करती हैं, या अपनी मर्जी से दवा की कीमत तय करती है तो इनसे ब्याज सहित जुर्माना वसूला जाए। जुर्माना नहीं देने पर कंपनियों के लाइसेंस रद्द करने पर विचार करें। स्वास्थ्य मंत्रालय से भी कहा है यदि जरुरत पड़े तो ड्रग्स प्राइस कंट्रोल ऑर्डर (डीपीसीओ) और ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स रूल्स में जरुरी बदलाव करें।

मनमाने तरीके से कीमत बढ़ाने वाली कंपनियों से जुर्माना वसूला जाए

एनपीपीए का कहना है कि कीमत तय करने के बाद भी जिन कंपनियों ने दवा की कीमत बढ़ाई, ऐसी कंपनियों से जुर्माना वसूल करने के लिए 2083 नोटिस भेजे गए हैं। मार्च-2020 तक छह हजार 406 करोड़ रुपए से ज्यादा का जुर्माना किया गया है। लेकिन, सिर्फ 960 करोड़ रुपए की वसूली हो पाई है। वहीं चार हजार 33 करोड़ रुपए का मामला अदालत में चल रहा है। एनपीपीए के पास सिर्फ जुर्माना लगाने का अधिकार है।

एनपीपीए ऐसे तय करती है किसी दवा की कीमत

जब कोई कंपनी नई दवा लाती है, चाहे वही दवा किसी अन्य कंपनी की बाजार में हो तो उसकी कीमत एनपीपीए तय करती है। उस कंपोजिशन की दवा जो पहले से बाजार में है, पांच कंपनियों की औसत कीमत निकालकर नई कंपनी की दवा की कीमत तय की जाती है। कुछ कंपनियां एनपीपीए को बताती ही नहीं हैं, और अपनी मर्जी से कीमत तय कर देती हैं। इसके अलावा नेशनल लिस्ट ऑफ एसेंशिएल मेडिसिन (एनईएलएम) की कीमत भी एनपीपीए तय करती है। एनपीपीए का कहना है कि दवाओं की कीमत तय या कैपिंग करके हर वर्ष उपभोक्ताओं का 12 हजार 447 करोड़ रुपए बचाया जाता है।



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जब कोई कंपनी नई दवा लाती है चाहे वही दवा किसी अन्य कंपनी की बाजार में हो तो उसकी कीमत एनपीपीए तय करती है। (प्रतीकात्मक)


source https://www.bhaskar.com/national/news/it-is-difficult-to-cancel-the-license-even-after-charging-more-than-the-fixed-price-of-the-drug-only-agencies-can-recover-the-fine-127673601.html

स्कंद विवेक धर/शरद पाण्डेय. पॉवर डिमांड और वाहनों की बिक्री के आंकड़े इस बात के प्रमाण हैं कि देश की अर्थव्यवस्था में लगातार सुधार हो रहा है। अगर मांग अचानक पुराने स्तर पर पहुंची तो तुरंत आपूर्ति सुनिश्चित करना इंडस्ट्री के लिए बड़ी चुनौती होगी। जाने-माने बैंकर और उद्योग संगठन सीआईआई के अध्यक्ष उदय कोटक ने दैनिक भास्कर के साथ इंटरव्यू में ये बात कही। उन्होंने कहा कि रेलवे के फ्रेट ट्रैफिक और पीक पॉवर डिमांड के आंकड़ों से यह साफ दिख रहा है कि अर्थव्यवस्था आगे बढ़ रही है।

एक और बड़ा सुधार ऑटोमोबइल सेक्टर में हो रहा है, जहां अगस्त महीने में पैसेंजर व्हीकल और दोपहिया गाड़ियों की बिक्री में वर्ष दर वर्ष आधार पर इजाफा होने की उम्मीद है। कुछ सेक्टरों ने वर्क फ्राॅम होम शुरू कर दिया है, लेकिन ज्यादातर सेक्टर में कर्मचारियों की उपस्थिति जरूरी है। 55 सेक्टर पर किए गए सीआईआई एसकॉन सर्वे के अनुसार जुलाई-सितंबर के बीच 55% उद्योगों के 50% से कम क्षमता के साथ काम करने का अनुमान है।

प्रस्तावित नेशनल इंफ्रास्ट्रक्चर पाइपलाइन इंडस्ट्री को और अधिक प्रतिस्पर्धी बनाएगा और पीएलआई योजना से शुरुआती निवेश को प्रोत्साहन मिलेगा। ये सब कारण देश को नया मैन्युफैक्चरिंग हब बना सकते हैं। हालांकि, इसके लिए इंडस्ट्री और सरकार दोनों को कदम उठाने होंगे। भारत में पहले से ही बड़े पैमाने पर मैन्यूफैक्चरिंग होती है। हालांकि, मैन्युफैक्चरिंग स्केल कई गुना बढ़ाए जाने की संभावना अभी बनी हुई है। उन्होंने इंडस्ट्री से जुड़े इन सवालों के भी जवाब दिए...

कोरोना से क्या कोई सबक सीखने को मिला?

लॉकडाउन जरूरी था, हालांकि लोगाें की अजीविका का नुकसान हुआ है। इससे सीख मिली कि महत्वपूर्ण संसाधानों को इस तरह डिजाइन करना होगा, जिससे अजीविका सुरक्षित रहे और संक्रमण का खतरा कम हो।

क्या इंडस्ट्री ने रणनीति में कोई बदलाव किया है?

जी हां, इंडस्ट्री ने अपनी रणनीति बदल दी है। ज्यादातर कंपनियां फिजिकल ऑपरेशन से डिजिटल ऑपरेशन की ओर शिफ्ट हो रही हैं। तकनीकी आधारित निवेश जल्द ही एक ट्रेड के रूप में उभर सकता है।

उद्योग जगत की सरकार से क्या अपेक्षाएं हैं?

इंडस्ट्री को सरकार से ऐसी पार्टनरशिप की उम्मीद है, जिसमें वह इन्वेस्टमेंट क्लाइमेट में सुधार के लिए इंडस्ट्री के सुझावों पर भरोसा कर सके। वहीं, इंडस्ट्रीज से उम्मीद की जानी चाहिए कि वह सरकार की ओर से सुझावों को स्वीकारे और अमल के बाद निवेश करे।

चीन से कैसे प्रतिस्पर्धा कर सकते हैं?

इसके लिए इनपुट कास्ट और जमीन की कीमत कम करनी होगी। श्रमिकों को स्किल ट्रेनिंग देकर क्वालिटी और उपलब्धता में सुधार की जरूरत होगी। चीन से आयात में माल पर आयात शुल्क बढ़ाना भी बेहतर रणनीति का हिस्सा होगा।

देश को आत्मनिर्भर बनने में कितना समय लगेगा?

सभी सेक्टरों में आत्मनिर्भर बनना जरूरी नहीं है, लेकिन हमे कुछ सेक्टरों जैसे फार्मास्यूटिकल्स, मेडिकल उपकरण और सुरक्षा मामलों पर फोकस करना चाहिए।



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इंडस्ट्रीज से उम्मीद की जानी चाहिए कि वह सरकार की ओर से सुझावों को स्वीकारे और अमल के बाद निवेश करे। (उदय कोटक)


source https://www.bhaskar.com/national/news/electricity-demand-and-vehicle-sales-figures-show-the-strength-of-our-economy-but-supply-will-be-a-challenge-if-demand-returns-to-old-levels-uday-kotak-127673602.html

कोरोना की वजह से छात्र समुदाय बहुत परेशान है। अपनी शिक्षा पर बहुत समय, मेहनत और पैसा खर्च करने के बाद उन्हें अपनी योजनाएं बिगड़ती दिख रही हैं। साथ भी भविष्य अनिश्चित हो गया है। महामारी और फिर लॉकडाउन ने उनके सपनों को पीछे धकेल दिया है।

ऐसे में उन्हें इस असमंजस में डालना और भी बुरा है कि वे सेहत चुनें या अपना अकादमिक भविष्य। शर्मिंदगी की बात है कि अभी इसी स्थिति का सामना नेशनल एलिजिबिटी एंट्रेंस टेस्ट (नीट) और जॉइंट एंट्रेंस एग्जामिनेशन (जेईई) की तैयारी कर रहे छात्रों को करना पड़ रहा है, जिनकी परीक्षाएं इस महीने होनी हैं।

वैज्ञानिक कहते हैं कि अभी भीड़ से बचना चाहिए

नीट और जेईई पहले अप्रैल और मई में होनी थीं, लेकिन दो बार आगे बढ़ाई जा चुकी हैं। इसका मतलब सरकार ने सोचा कि जब भारत में 50 हजार कोरोना मरीज थे, तब इन बड़ी परीक्षाओं को आगे बढ़ाना सही था, लेकिन अब जब कोरोना के मामले 36 लाख के पार जा चुके हैं, सरकार को परीक्षा हॉल में हजारों छात्रों की भीड़ इकट्‌ठा करना सही लग रहा है।

यह अतार्किक और खतरनाक है। कोविड-19 की वैज्ञानिक समझ कहती है कि मौजूदा स्थिति में बड़े आयोजन नहीं करने चाहिए, भीड़ से बचना चाहिए और वायरस को फैलने से रोकना चाहिए। यह स्वाभाविक है कि जनस्वास्थ्य के नाम पर नीट और जेईई वैयक्तिक रूप से नहीं होनी चाहिए।

केरल से भी कुछ सीख नहीं लिया

हमने पहले भी भीड़ का नतीजा देखा है, जब केरल इंजीनियरिंग, आर्किटेक्ट एंड मेडिकल (केईएएम) परीक्षाएं जुलाई में हुई थीं। मैंने संक्रमण फैलने के जोखिम को लेकर चिंता जताते हुए केरल के मुख्यमंत्री को चिट्‌ठी लिखी थी और परीक्षा आगे बढ़ाने का निवेदन किया था। मेरा निवेदन अस्वीकार किया गया और आपदा शुरू हो गई। सोशल डिस्टेंसिंग के लिए प्रयास नहीं किए गए और परीक्षा में शामिल होने वालों की संख्या सीमित न करने के कारण केंद्रों पर भारी भीड़ रही। इससे वहां कोविड-19 मामलों में तेजी से बढ़त आई।

नीट-जेईई होने से भयावह स्थिति हो सकती है
नीट-जेईई तो और बड़े स्तर पर होंगी। करीब 25 लाख छात्र पंजीकृत हैं। इससे केईएएम परीक्षा के आयोजन से भी कई गुना बुरी और भयानक स्थिति का पूर्वाभास होता है। नीट-जेईई सितंबर में होनी ही नहीं चाहिए। इन्हें कम से कम नवंबर, दीवाली के बाद तक के लिए आगे बढ़ाना चाहिए था।
अगर आगे की यह तारीख व्यवहारिक नहीं लगती, तो सरकार का यह कहना सही है कि छात्रों पर पूरा अकादमिक वर्ष बर्बाद करने का दबाव नहीं बना सकते। ऐसे में मेरा मत है कि छात्रों और परीक्षा लेने वालों, दोनों के लिए ही व्यवहारिक, सुरक्षित और सम्मानजनक तरीका यह होगा कि परीक्षाएं घर से हों।

इससे छात्रों को अपने घर की सुरक्षा में परीक्षा देने मिलेगी। साथ ही परीक्षा केंद्रों पर भीड़ इकट्‌ठी नहीं होगी, जिसके कोरोना के ‘सुपर स्प्रैडर’ बनने की आशंका रहती है। जो छात्र किसी कारण से घर से परीक्षा नहीं दे सकते, सरकार को उनके लिए ऑनलाइन परीक्षा की सुविधा वाले टेस्टिंग सेंटर बनाने चाहिए थे। ऐसे छात्रों की संख्या कम ही होगी इसलिए ऐसे केंद्रों पर सोशल डिस्टेंसिंग बनाए रखना आसान होगा और संक्रमण का जोखिम कम होगा।

स्वाभाविक है कि परीक्षा देने वाले के अकादमिक हुनर को आंकने के लिए परीक्षाओं को फिर से डिजाइन करना पड़ता, ताकि यह नई परिस्थितियों में सही बैठ पाएं। जिन कौशलों की जांच की जा रही है, वे सामान्य परीक्षा से अलग होंगे। इसमें छात्रों के घर में उपलब्ध अध्ययन और संदर्भ सामग्रियों को ध्यान में रखना होगा। इस परीक्षा को रटने पर आधारित परीक्षा से हटाकर छात्रों के तथ्यों को याद करने और तर्क तथा विश्लेषण की क्षमता पर लाना होगा।
यह बड़ा बदलाव शायद परीक्षा लेने वालों के लिए चुनौती हो, जो पीढ़ियों से एक ही तरह से परीक्षा ले रहे हैं। इससे छात्रों को भी कुछ परेशानी हो सकती है, जो पारंपरिक तरीकों से ही परीक्षा देते आए हैं। लेकिन इस महामारी ने हमें अपने सारे अनुमानों पर सवाल उठाने और बिल्कुल नए तरीके अपनाने पर मजबूर कर दिया है। अभी हमेशा की ही तरह काम करने में काफी जोखिम और समस्याएं हैं और नीट तथा जेईई के आयोजन में तो निश्चित तौर पर ऐसा ही है।

छात्रों ने कड़ी मेहनत की, अब उनके सेहत से खिलवाड़ नहीं होना चाहिए
जैसा कि महामारी के पूरे विध्वंस के दौरान होता रहा है, परीक्षा के आयोजन की पहेली के लिए कोई सही समाधान नहीं है। हालांकि, घर से परीक्षा के माध्यम से यह सुनिश्चित किया जा सकता है कि जिन हजारों-लाखों छात्रों ने अपने सपनों को हासिल करने के लिए इतनी कड़ी मेहनत की है, आखिरी समय में उनकी सेहत से समझौता न हो।

सरकार को अब भी इस स्थिति की गंभीरता को स्वीकार करना चाहिए। महामारी के चरम पर अदूरदर्शी और बिना सोचे-समझे लिए गए फैसले को सीखने की चाहत रखने वालों के उजले भविष्य के रास्ते में बाधा नहीं बनना चाहिए। हमें अपने देश की खातिर, अपने भविष्य के निर्माताओं और नायकों को सुरक्षित रखना चाहिए। (ये लेखक के अपने विचार हैं)



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शशि थरूर, पूर्व केंद्रीय मंत्री और सांसद


source https://www.bhaskar.com/db-original/columnist/news/it-is-a-matter-of-shame-that-students-of-the-country-are-confused-127673625.html

अगर जो बाइडेन राष्ट्रपति चुने जाते हैं तो उनकी सबसे बड़ी विदेश नीति चुनौती चीन होगा। लेकिन यह वह चीन नहीं होगा जिसका सामना उन्होंने बराक ओबामा के साथ किया था। यह ज्यादा आक्रामक चीन होगा, जो अमेरिका के तकनीक में प्रभुत्व को उखाड़ना चाहेगा, हांगकांग मे लोकतंत्र का दम घोंटेगा और आपका निजी डेटा चुराएगा।

वैश्विक व्यापार तंत्र को बिगाड़े बिना चीन को दबाने के लिए जर्मनी के साथ साझेदारी की जरूरत पड़ेगी, जिसे बनाने में ट्रम्प असफल रहे हैं। जी हां, आपने सही पढ़ा? सोवियत संघ के साथ शीत युद्ध बर्लिन में लड़ा और जीता गया। और चीन के साथ भी व्यापार, तकनीक और वैश्विक प्रभाव पर शीत युद्ध बर्लिन में लड़ा और जीता जाएगा। जैसा बर्लिन करता है, वैसा ही जर्मनी करता है और जैसा जर्मनी करता है, वैसा ही यूरोपियन संघ करता है, जोकि दुनिया का सबसे बड़ा सिंगल मार्केट है। और जो भी देश यूरोपियन संघ को अपनी तरफ कर लेगा, वहीं 21वीं सदी में डिजिटल कॉमर्स के नियम तय करेगा।

चीन का सामना करने के लिए गठबंधन जरूरी

‘द राइज एंड फाल ऑफ पीस ऑन अर्थ’ के लेखक माइकल मंडेलबॉम कहते हैं, ‘पहले और दूसरे विश्वयुद्ध तथा शीत युद्ध में अमेरिका जीतने वाले पक्ष में था, क्योंकि हम मजबूत गठबंधन में थे। पहले विश्वयुद्ध से हम देर से जुड़े, दूसरे विश्वयुद्ध में कम देर से जुड़े। शीत युद्ध में सोवियत संघ को हराने का गठबंधन हमने बनाया। चीन का सामना करने के लिए हमें यही मॉडल अपनाना चाहिए था।’

अगर हम इसे केवल अमेरिका को महान बनाने के लिए चीन के खिलाफ खड़े होने की कहानी बना देंगे तो हम हार जाएंगे। अगर हम इसे दुनिया बनाम चीन की कहानी बनाएंगे तो हम बीजिंग को झुका सकते हैं। ट्रम्प ने चीन की अर्थव्यवस्था को स्थायी रूप से खोलने के लिए कोई कदम नहीं उठाए। खबरों के मुताबिक, ‘डील के बाद से चीन ने अमेरिकी बैंंकों और किसानों के लिए अपने बाजार खोलने के लिए कदम उठाए हैं, लेकिन वह अमेरिकी उत्पाद खरीदने के मामले में अब भी बहुत पीछे है।’

चीन के लायक हैं राष्ट्रपति ट्रम्प

ट्रम्प चीन पर पिछले किसी भी राष्ट्रपति से ज्यादा सख्त रहे हैं, जो ठीक भी है। चीन में व्यापार करने वाला मेरा एक दोस्त कहता है, ‘ट्रम्प वे अमेरिकी राष्ट्रपति नहीं हैं, जिसके लायक अमेरिका है। लेकिन वे वह राष्ट्रपति हैं, जिसके लायक चीन है।’

लेकिन मैं ‘चीन’ शब्द की जगह ‘130 करोड़ चीनी भाषी’ कहना पसंद करता हूं। क्योंकि, तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था वाले 130 करोड़ चीनी भाषियों का व्यवहार ट्रम्प की ‘अमेरिका-पहले-अमेरिका-अकेले’ रणनीति वाले 32.8 करोड़ लोग आसानी से नहीं बदल पाएंगे।

इसलिए मुझे लगता है कि ट्रम्प द्वारा चीन और जर्मनी पर विभिन्न मुद्दों के लिए एक साथ प्रहार करना ठीक नहीं है। ट्रम्प को चांसलर एंगेला मर्केल के साथ साझेदारी को प्राथमिकता देनी चाहिए थी, जो चीन की गुंडागर्दी को लेकर हमारी ही तरह चिंतित हैं। जर्मनी मैन्यूफैक्चरिंग सुपरपॉवर है, जो चीन के खिलाफ व्यापार युद्ध में महत्वपूर्ण सहयोगी साबित हो सकता है।

जर्मनी के लोग अमेरिका के साथ संबंधों को ज्यादा तवज्जो दे रहे

अब ट्रम्प भी वहां से अपने कुछ सैनिक वापस बुलाकर जर्मनी पर जोर दे रहे हैं। इसका नतीजा है कि मई 2019 में प्यू रिसर्च ने बताया कि जर्मनी के लोग चीन की तुलना में अमेरिका के साथ संबंधों को ज्यादा प्राथमिकता दे रहे हैं। आज 37% जर्मन अमेरिका के साथ संबंधों को प्राथमिकता दे रहे हैं, जबकि 36% चीन को। राष्ट्रपति बनने पर ट्रम्प ने ट्रांस-पैसिफिक साझेदारी समझौता खत्म कर दिया, जिसने अमेरिका के हित में 21वीं सदी के मुक्त व्यापार नियम तय किए थे और जिसमें चीन को छोड़कर 12 बड़ी पैसिफिक अर्थव्यवस्थाएं शामिल थीं। और अब वे जर्मनी के साथ संबंधों को कमजोर कर रहे हैँ।

इस सबके बीच ट्रम्प के सेक्रेटरी ऑफ स्टेट माइक पॉम्पिओ ने घोषणा कर दी, ‘चीनी कम्युनिस्ट पार्टी से आजादी हमारा मिशन है और अब हम चीन को कमजोर करने के लिए समान सोच रखने वाले लोकतंत्रों के साथ गठजोड़ कर नया समूह बनाएंगे।’ यह सुनकर मैं नि:शब्द हो गया।

बिना सहयोगियों के गठबंधन बनाना मुश्किल है। अगर वाकई में यह हमारा ‘मिशन’ है, तो आप रूस को लक्ष्य करने के लिए जर्मन डिफेंस द्वारा किए जा रहे खर्च के खिलाफ छोटी-छोटी शिकायत करना बंद क्यों नहीं कर देते? यह सच है कि यूरोपीय संघ के देश वाशिंगटन और बीजिंग के बीच जारी गोलीबारी में फंसने और अमेरिकी या चीनी टेक्नोलॉजी इकोसिस्टम में से किसी एक को चुनने को लेकर सजग हैं। हालांकि पिछले साल यूरोपीय संघ ने चीन को ‘प्रणालीगत प्रतिद्वंद्वी’ बताया था।

चीन जिस चीज से सबसे ज्यादा डरता है, ट्रम्प ने उसे ही बनाने से इनकार कर दिया है। यानी वाशिंगटन और बर्लिन के इर्द-गिर्द बनाया गया अमेरिका और यूरोपियन यूनियन का संयुक्त गठबंधन, जिसमें ट्रांस-पैसिफिक साझेदारी शामिल है। सोवियत संघ को रोकने के लिए 1970 के दशक में रिचर्ड निक्सन और हेनरी किसिंगर की सबसे अच्छी चाल थी अमेरिका और चीन का गठबंधन बनाना। आज चीन को संतुलित करने के लिए सबसे अच्छी चाल होगी अमेरिका और जर्मनी के बीच गठबंधन बनाना। (ये लेखक के अपने विचार हैं)



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थाॅमस एल. फ्रीडमैन, तीन बार पुलित्ज़र अवॉर्ड विजेता एवं ‘द न्यूयॉर्क टाइम्स’ में नियमित स्तंभकार


source https://www.bhaskar.com/db-original/columnist/news/trump-must-learn-german-to-face-china-127673626.html

चेन्नई सुपर किंग्स से जुड़े 13 सदस्यों के कोरोना पॉजिटिव आने के बाद फ्रेंचाइजी के दूसरे खिलाड़ी परेशान हैं। सुरेश रैना पहले ही घर लौट चुके हैं। हरभजन सिंह के भी खेलने पर संशय है। वे मंगलवार को दुबई जाने वाले हैं। हरभजन से जुड़े एक सूत्र ने कहा- वे चिंतित हैं और खुद के कार्यक्रम में बदलाव कर सकते हैं या हट सकते हैं। इस बीच, सीएसके के ऑस्ट्रेलियन तेज गेंदबाज जोश हेजलवुड भी चिंतित हैं। लीग के ब्रॉडकास्टर का एक क्रू मेंबर पॉजिटिव आया है।

हर फ्रेंचाइजी 46 करोड़ के नुकसान का मुआवजा मांग रही, बोर्ड का इनकार

कोरोना के कारण मैच बिना फैंस के खेले जाने हैं। स्पाॅन्सर से मिलने वाली राशि में भी कमी आई है। ऐसे में सभी फ्रेंचाइजी बोर्ड से मुआवजा मांग रही हैं। हर टीम को लगभग 46 करोड़ रुपए के नुकसान का अनुमान है। लेकिन, बोर्ड ने इससे इनकार किया है।

बोर्ड के एक अधिकारी ने कहा, ‘फ्रेंचाइजीज का मुआवजे के बारे में सोचना मूर्खतापूर्ण है। अगर लीग नहीं होती तो उन्हें कुछ नहीं मिलता। आयोजन के लिए विभिन्न एजेंसियों को पैसा कौन दे रहा है। मैच ऑपरेशन का खर्च कौन उठा रहा है।’

इस अफसर ने आगे कहा, ‘हमने साफ कर दिया है कि कोई मुआवजा नहीं मिलेगा। टीमें दबाव बना रही हैं। क्या वे पैसे नहीं कमा रहीं। हर टीम लगभग 150 करोड़ कमाएगी। उनकी मांग ठीक नहीं है।’ राज्य संघ के एक सदस्य ने कहा, ‘इस तरह की बातें फ्रेंचाइजी से नहीं की जा रही हैं। बोर्ड का एक व्यक्ति निजी कारणों से इन बातों को उकसा रहा है।’



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हरभजन से जुड़े एक सूत्र ने कहा- वे चिंतित हैं और खुद के कार्यक्रम में बदलाव कर सकते हैं या हट सकते हैं। (फाइल)


source https://www.bhaskar.com/sports/cricket/news/suspected-of-harbhajan-playing-after-rainas-withdrawal-hazelwood-also-worried-127673603.html

देश में ऑनलाइन गेमिंग का क्रेज तेजी से बढ़ रहा है। ऑल इंडिया गेमिंग फेडरेशन के मुताबिक, अभी देश में करीब 30 करोड़ ऑनलाइन गेमर हैं। रिपोर्ट्स के मानें तो 2022 तक इनकी संख्या 44 करोड़ तक पहुंच जाएगी। ऑनलाइन गेमिंग का रेवेन्यू भी 22% की रफ्तार से बढ़ रहा है।

गेमिंग का गणित

2023 तक रेवेन्यू 11 हजार 400 करोड़ रु. तक बढ़ने का अनुमान है। यह 2014 की तुलना में करीब 3 गुना है। तब रेवेन्यू 4400 करोड़ रु. था। दुनिया के गेमिंग मार्केट में सबसे ज्यादा हिस्सेदारी हिस्सेदारी एशिया-पैसिफिक की है। दुनिया ने 2019 में 11.25 लाख करोड़ रुपए का रेवेन्यू जनरेट किया। इसमें एशिया-पैसिफिक रीजन ने 5.34 लाख करोड़ रुपए की कमाई की।

2024 तक 4 गुना बढ़ जाएगी वैल्यू

  • ऑनलाइन गेमिंग की वैल्यू 2024 तक 4 गुना तक बढ़ने की उम्मीद है। यह 2019 में 6200 थी जबकि 2024 तक 25 हजार 30 करोड़ तक हो सकती है।
  • दुनिया में सबसे ज्यादा रेवेन्यू जनरेट करने वाला देश अमेरिका है। उसने 2.7 लाख करोड़ रु. कमाई की। चीन (2.2 लाख करोड़) दूसरे पर है।
  • 30 करोड़ ऑनलाइन गेमर हैं देश में। 2022 तक 44 करोड़ हो जाएंगे।
  • 60% से ज्यादा ऑनलाइन गेमर 24 साल से कम उम्र के हैं अभी देश में।
  • 55 मिनट औसत टाइम स्पेंड करता है एक ऑनलाइन गेमर प्रतिदिन।
  • 800 एमबी डेटा खर्च कर देता है एक गेमर प्रतिदिन गेम खेलने के दौरान।


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ऑनलाइन गेमिंग की वैल्यू 2024 तक 4 गुना तक बढ़ने की उम्मीद है। यह 2019 में 6200 थी जबकि 2024 तक 25 हजार 30 करोड़ तक हो सकती है। (प्रतीकात्मक)


source https://www.bhaskar.com/sports/news/online-gaming-revenue-is-growing-at-22-the-value-of-the-industry-in-2019-was-6200-crores-by-2024-25-thousand-crores-will-be-done-127673604.html

2 सितंबर बुधवार से पितृपक्ष शुरू हो जाएगा। कोरोना महामारी के कारण मोक्षनगरी गया में पितृपक्ष का मेला स्थगित होने के बाद अब यहां ऑनलाइन पिंडदान भी नहीं होगा। यहां सिर्फ आम दिनों की तरह ही पिंडदान होंगे। वह भी इसलिए ताकि एक पिंड और एक मुंड की परंपरा कायम रहे।

ऐसे तो परंपरा ही खत्म हो जाएगी

गया के पंडों ने ई-पिंडदान का यह कहकर विरोध किया है कि अगर यह प्रथा शुरू हुई तो लोग तीर्थस्थलों में आना बंद कर देंगे। प्राचीन समय से चली आ रही परंपरा खत्म हो जाएगी। कोई भी पुरोहित नहीं रह जाएंगे। हर कोई इसके नाम पर बिजनेस करने लगेगा। इसलिए हमने करीब 700 ऑनलाइन बुकिंग रद्द कर दी हैं। इस फैसले के समर्थन में दक्षिण भारत के पुरोहितों के अलावा गया इस्कॉन समेत 50 से अधिक संस्थाओं ने सभी ऑनलाइन बुकिंग रद्द कर दी हैं।

हाईकोर्ट में याचिका दायर करेंगे

बिहार पर्यटन विभाग ने भी बुकिंग नहीं की है। इधर, विष्णुपद प्रबंधकारिणी समिति के सदस्य महेश गुपुत ने बताया कि ई-पिंडदान जैसी प्रथा को खत्म करने के लिए हाईकोर्ट में याचिका दायर करेंगे। अखिल भारतीय पुरोहित महासभा ने भी ऑनलाइन पिंडदान का विरोध किया है।

कोरोना काल के चलते पितृपक्ष में ऐसा पहली बार होगा, जब फल्गु नदी के तट पर देश के अलग-अलग राज्यों की संस्कृतियों की झलक देखने को नहीं मिलेगी। इस्कॉन मंदिर के प्रबंधक जगदीश श्याम दास महाराज ने बताया कि उनके पास करीब 10 तीर्थयात्रियों ने ऑनलाइन पिंडदान के लिए संपर्क किया था, लेकिन पंडों के साफ इनकार करने के बाद सभी बुकिंग को रद्द कर दिया गया। इधर, दक्षिण भारत के तीर्थयात्रियों ने भी एक संस्था के जरिए ऑनलाइन पिंडदान की बुकिंग कराई थी। लेकिन पंडाें का कड़ा रुख देखते हुए इन्होंने भी अपने हाथ खींच लिए।

अपने हाथों पिंडदान से पितरों को मोक्ष मिलता है, गया आना ही होगा

गया के पुरोहितों का कहना है कि सनातन धर्म में ऑनलाइन पिंडदान का कोई महत्व नहीं है। यह शास्त्र के अनुकूल नहीं है। ऑनलाइन दर्शन पर जब हाईकोर्ट ने प्रतिबंध लगा दिया, तो ऑनलाइन पिंडदान कैसे हो सकता है? पिंडदान के लिए गया आना ही होगा, तभी पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होगी। अपने हाथों पिंडदान करने से पितरों को मोक्ष मिलता है। ऑनलाइन के नाम पर उन्हें ठगा जा रहा है।



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गया के पुरोहितों का कहना है कि सनातन धर्म में ऑनलाइन पिंडदान का कोई महत्व नहीं है। यह शास्त्र के अनुकूल नहीं है। (फाइल)


source https://www.bhaskar.com/national/news/pandey-will-not-get-online-subscription-in-gaya-700-bookings-canceled-pandey-said-in-this-way-everyone-will-make-it-a-business-127673605.html

लद्दाख में चीन की घुसपैठ की साजिश के बीच सेना को मजबूत करने के लिए देश के रक्षा मंत्रालय ने बड़ा करार किया है। मंत्रालय ने छह सैन्य रेजीमेंट के लिए 2580 करोड़ रुपए की लागत से पिनाका रॉकेट लॉन्चर खरीदने को लेकर सोमवार को दो अग्रणी घरेलू रक्षा कंपनियों के साथ समझौता किया।

इसके लिए टाटा पावर कंपनी लिमिटेड (टीपीसीएल) और लार्सन एंड टूब्रो (एल एंड टी) के साथ अनुबंध पर दस्तखत किए हैं। जबकि रक्षा क्षेत्र के सरकारी उपक्रम भारत अर्थ मूवर्स लिमिटेड (बीईएमएल) को भी इस परियोजना का हिस्सा बनाया गया है।

चीन-पाकिस्तान सीमा पर तैनात किए जाएंगे

अफसरों ने बताया कि पिनाका रेजीमेंट को सैन्य बलों की संचालन तैयारियां बढ़ाने को चीन-पाकिस्तान के साथ लगती भारतीय सीमा पर तैनात किया जाएगा। बीईएमएल ऐसे वाहनों की आपूर्ति करेगी जिस पर रॉकेट लॉन्चर को रखा जाएगा। रक्षा मंत्रालय ने बताया कि 6 पिनाका रेजीमेंट में ‘ऑटोमेटेड गन एमिंग एंड पोजिशनिंग सिस्टम’के साथ 114 लॉन्चर, 45 कमान पोस्ट भी होंगे। मिसाइल रेजीमेंट का संचालन 2024 तक शुरू करने की योजना है।



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रक्षा मंत्रालय ने बताया कि 6 पिनाका रेजीमेंट में ‘ऑटोमेटेड गन एमिंग एंड पोजिशनिंग सिस्टम’के साथ 114 लांचर, 45 कमान पोस्ट भी होंगे। (फाइल)


source https://www.bhaskar.com/national/news/major-agreement-of-ministry-of-defense-is-rs-2580-crore-will-buy-pinaka-rocket-launcher-at-a-cost-of-rs-127673606.html

अमेरिका के राष्ट्रपति चुनाव में मतदाताओं के पास बैलेट से वोट करने का विकल्प है। देश के 50 में से 35 राज्यों में वोटर चुनाव के इतने करीब तक बैलेट के लिए आवेदन कर सकते हैं कि उसका समय से चुनाव अधिकारी के पास वापस पहुंचना संभव नहीं है।

इनके पास आवेदन करने और अधिकारी तक बैलेट पहुंचने में 12 या उससे कम दिन का समय रहेगा। पोस्टल सर्विस की तरफ से कहा गया है कि दोनों तरफ की डिलीवरी में 14 दिनों तक का समय लग सकता है। 2018 के मध्यावधि चुनाव के दौरान करीब एक लाख 14 हजार वोटों को देरी से आने की वजह से रद्द किया गया था।

हालांकि, अगर वोटर अंतिम समय का इंतजार नहीं करते हैं तो उनके पास बैलेट से वोट करने के लिए पर्याप्त समय होगा। नॉर्थ कैरोलिना में 4 सितंबर से बैलेट भेजने शुरुआत होगी। लोगों के पास पूरे 60 दिनों का समय रहेगा। अलबामा में 9 जबकि केंटकी में 15 सितंबर से प्रक्रिया शुरू होगी।

मिनेसोटा में एक दिन पहले तक बैलेट के लिए आवेदन कर सकते हैं

  • 16 राज्य में बैलेट के लिए आवेदन करने और उसे वापस पहुंचने के लिए 6 या कम दिनों का समय मिलेगा। जॉर्जिया, अलबामा, जैसे राज्य शामिल।
  • 19 राज्य में 12 दिनों तक का समय रहेगा। बैलेट के आवेदक तक पहुंचने में 6 दिन तक का समय लग सकता है। फ्लोरिडा, वर्जीनिया जैसे राज्य।
  • 6 राज्य में इस प्रक्रिया के लिए 14 या उससे ज्यादा दिनों का समय रहेगा। न्यू मैक्सिको, अलास्का, लोवा, न्यूयॉर्क, मैरिलैंड और रोड आईलैंड शामिल।
  • 9 राज्य के सभी रजिस्टर वोटरों को बिना आवेदन के बैलेट भेजे जाएंगे। इसमें नेवादा, कैलिफोर्निया, कोलोरैडो, वॉशिंगटन जैसे राज्य शामिल हैं।

चुनाव के दिन ही आते हैं सबसे ज्यादा बैलेट

चुनाव के दिन अधिकारियों के पास 20% तक बैलेट आते हैं। अगले दिन भी भारी मात्रा में बैलेट पहुंचने का सिलसिला जारी रहता है, लेकिन इन्हें रद्द करना पड़ता है। पूर्व चुनाव अधिकारी मिस पैट्रिक्स ने बताया कि लोकल चुनाव अधिकारियों के लिए बड़े तादाद में बैलेट को संभालना बड़ी चुनौती होती है।



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इस बार चुनाव में डोनाल्ड ट्रम्प और डेमोक्रेटिक उम्मीदवार जो बिडेन के बीच मुकाबला है। (फाइल)


source https://www.bhaskar.com/international/news/in-many-states-the-last-date-to-apply-to-vote-from-the-ballot-until-the-close-of-the-election-the-threat-of-cancellation-of-votes-127673607.html

लद्दाख में चीन की घुसपैठ की साजिश के बीच सेना को मजबूत करने के लिए देश के रक्षा मंत्रालय ने बड़ा करार किया है। मंत्रालय ने छह सैन्य रेजीमेंट के लिए 2580 करोड़ रुपए की लागत से पिनाका रॉकेट लॉन्चर खरीदने को लेकर सोमवार को दो अग्रणी घरेलू रक्षा कंपनियों के साथ समझौता किया।

इसके लिए टाटा पावर कंपनी लिमिटेड (टीपीसीएल) और लार्सन एंड टूब्रो (एल एंड टी) के साथ अनुबंध पर दस्तखत किए हैं। जबकि रक्षा क्षेत्र के सरकारी उपक्रम भारत अर्थ मूवर्स लिमिटेड (बीईएमएल) को भी इस परियोजना का हिस्सा बनाया गया है।

चीन-पाकिस्तान सीमा पर तैनात किए जाएंगे

अफसरों ने बताया कि पिनाका रेजीमेंट को सैन्य बलों की संचालन तैयारियां बढ़ाने को चीन-पाकिस्तान के साथ लगती भारतीय सीमा पर तैनात किया जाएगा। बीईएमएल ऐसे वाहनों की आपूर्ति करेगी जिस पर रॉकेट लॉन्चर को रखा जाएगा। रक्षा मंत्रालय ने बताया कि 6 पिनाका रेजीमेंट में ‘ऑटोमेटेड गन एमिंग एंड पोजिशनिंग सिस्टम’के साथ 114 लॉन्चर, 45 कमान पोस्ट भी होंगे। मिसाइल रेजीमेंट का संचालन 2024 तक शुरू करने की योजना है।



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रक्षा मंत्रालय ने बताया कि 6 पिनाका रेजीमेंट में ‘ऑटोमेटेड गन एमिंग एंड पोजिशनिंग सिस्टम’के साथ 114 लांचर, 45 कमान पोस्ट भी होंगे। (फाइल)


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2 सितंबर बुधवार से पितृपक्ष शुरू हो जाएगा। कोरोना महामारी के कारण मोक्षनगरी गया में पितृपक्ष का मेला स्थगित होने के बाद अब यहां ऑनलाइन पिंडदान भी नहीं होगा। यहां सिर्फ आम दिनों की तरह ही पिंडदान होंगे। वह भी इसलिए ताकि एक पिंड और एक मुंड की परंपरा कायम रहे।

ऐसे तो परंपरा ही खत्म हो जाएगी

गया के पंडों ने ई-पिंडदान का यह कहकर विरोध किया है कि अगर यह प्रथा शुरू हुई तो लोग तीर्थस्थलों में आना बंद कर देंगे। प्राचीन समय से चली आ रही परंपरा खत्म हो जाएगी। कोई भी पुरोहित नहीं रह जाएंगे। हर कोई इसके नाम पर बिजनेस करने लगेगा। इसलिए हमने करीब 700 ऑनलाइन बुकिंग रद्द कर दी हैं। इस फैसले के समर्थन में दक्षिण भारत के पुरोहितों के अलावा गया इस्कॉन समेत 50 से अधिक संस्थाओं ने सभी ऑनलाइन बुकिंग रद्द कर दी हैं।

हाईकोर्ट में याचिका दायर करेंगे

बिहार पर्यटन विभाग ने भी बुकिंग नहीं की है। इधर, विष्णुपद प्रबंधकारिणी समिति के सदस्य महेश गुपुत ने बताया कि ई-पिंडदान जैसी प्रथा को खत्म करने के लिए हाईकोर्ट में याचिका दायर करेंगे। अखिल भारतीय पुरोहित महासभा ने भी ऑनलाइन पिंडदान का विरोध किया है।

कोरोना काल के चलते पितृपक्ष में ऐसा पहली बार होगा, जब फल्गु नदी के तट पर देश के अलग-अलग राज्यों की संस्कृतियों की झलक देखने को नहीं मिलेगी। इस्कॉन मंदिर के प्रबंधक जगदीश श्याम दास महाराज ने बताया कि उनके पास करीब 10 तीर्थयात्रियों ने ऑनलाइन पिंडदान के लिए संपर्क किया था, लेकिन पंडों के साफ इनकार करने के बाद सभी बुकिंग को रद्द कर दिया गया। इधर, दक्षिण भारत के तीर्थयात्रियों ने भी एक संस्था के जरिए ऑनलाइन पिंडदान की बुकिंग कराई थी। लेकिन पंडाें का कड़ा रुख देखते हुए इन्होंने भी अपने हाथ खींच लिए।

अपने हाथों पिंडदान से पितरों को मोक्ष मिलता है, गया आना ही होगा

गया के पुरोहितों का कहना है कि सनातन धर्म में ऑनलाइन पिंडदान का कोई महत्व नहीं है। यह शास्त्र के अनुकूल नहीं है। ऑनलाइन दर्शन पर जब हाईकोर्ट ने प्रतिबंध लगा दिया, तो ऑनलाइन पिंडदान कैसे हो सकता है? पिंडदान के लिए गया आना ही होगा, तभी पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होगी। अपने हाथों पिंडदान करने से पितरों को मोक्ष मिलता है। ऑनलाइन के नाम पर उन्हें ठगा जा रहा है।



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स्कंद विवेक धर/शरद पाण्डेय. पॉवर डिमांड और वाहनों की बिक्री के आंकड़े इस बात के प्रमाण हैं कि देश की अर्थव्यवस्था में लगातार सुधार हो रहा है। अगर मांग अचानक पुराने स्तर पर पहुंची तो तुरंत आपूर्ति सुनिश्चित करना इंडस्ट्री के लिए बड़ी चुनौती होगी। जाने-माने बैंकर और उद्योग संगठन सीआईआई के अध्यक्ष उदय कोटक ने दैनिक भास्कर के साथ इंटरव्यू में ये बात कही। उन्होंने कहा कि रेलवे के फ्रेट ट्रैफिक और पीक पॉवर डिमांड के आंकड़ों से यह साफ दिख रहा है कि अर्थव्यवस्था आगे बढ़ रही है।

एक और बड़ा सुधार ऑटोमोबइल सेक्टर में हो रहा है, जहां अगस्त महीने में पैसेंजर व्हीकल और दोपहिया गाड़ियों की बिक्री में वर्ष दर वर्ष आधार पर इजाफा होने की उम्मीद है। कुछ सेक्टरों ने वर्क फ्राॅम होम शुरू कर दिया है, लेकिन ज्यादातर सेक्टर में कर्मचारियों की उपस्थिति जरूरी है। 55 सेक्टर पर किए गए सीआईआई एसकॉन सर्वे के अनुसार जुलाई-सितंबर के बीच 55% उद्योगों के 50% से कम क्षमता के साथ काम करने का अनुमान है।

प्रस्तावित नेशनल इंफ्रास्ट्रक्चर पाइपलाइन इंडस्ट्री को और अधिक प्रतिस्पर्धी बनाएगा और पीएलआई योजना से शुरुआती निवेश को प्रोत्साहन मिलेगा। ये सब कारण देश को नया मैन्युफैक्चरिंग हब बना सकते हैं। हालांकि, इसके लिए इंडस्ट्री और सरकार दोनों को कदम उठाने होंगे। भारत में पहले से ही बड़े पैमाने पर मैन्यूफैक्चरिंग होती है। हालांकि, मैन्युफैक्चरिंग स्केल कई गुना बढ़ाए जाने की संभावना अभी बनी हुई है। उन्होंने इंडस्ट्री से जुड़े इन सवालों के भी जवाब दिए...

कोरोना से क्या कोई सबक सीखने को मिला?

लॉकडाउन जरूरी था, हालांकि लोगाें की अजीविका का नुकसान हुआ है। इससे सीख मिली कि महत्वपूर्ण संसाधानों को इस तरह डिजाइन करना होगा, जिससे अजीविका सुरक्षित रहे और संक्रमण का खतरा कम हो।

क्या इंडस्ट्री ने रणनीति में कोई बदलाव किया है?

जी हां, इंडस्ट्री ने अपनी रणनीति बदल दी है। ज्यादातर कंपनियां फिजिकल ऑपरेशन से डिजिटल ऑपरेशन की ओर शिफ्ट हो रही हैं। तकनीकी आधारित निवेश जल्द ही एक ट्रेड के रूप में उभर सकता है।

उद्योग जगत की सरकार से क्या अपेक्षाएं हैं?

इंडस्ट्री को सरकार से ऐसी पार्टनरशिप की उम्मीद है, जिसमें वह इन्वेस्टमेंट क्लाइमेट में सुधार के लिए इंडस्ट्री के सुझावों पर भरोसा कर सके। वहीं, इंडस्ट्रीज से उम्मीद की जानी चाहिए कि वह सरकार की ओर से सुझावों को स्वीकारे और अमल के बाद निवेश करे।

चीन से कैसे प्रतिस्पर्धा कर सकते हैं?

इसके लिए इनपुट कास्ट और जमीन की कीमत कम करनी होगी। श्रमिकों को स्किल ट्रेनिंग देकर क्वालिटी और उपलब्धता में सुधार की जरूरत होगी। चीन से आयात में माल पर आयात शुल्क बढ़ाना भी बेहतर रणनीति का हिस्सा होगा।

देश को आत्मनिर्भर बनने में कितना समय लगेगा?

सभी सेक्टरों में आत्मनिर्भर बनना जरूरी नहीं है, लेकिन हमे कुछ सेक्टरों जैसे फार्मास्यूटिकल्स, मेडिकल उपकरण और सुरक्षा मामलों पर फोकस करना चाहिए।



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इंडस्ट्रीज से उम्मीद की जानी चाहिए कि वह सरकार की ओर से सुझावों को स्वीकारे और अमल के बाद निवेश करे। (उदय कोटक)


source /national/news/electricity-demand-and-vehicle-sales-figures-show-the-strength-of-our-economy-but-supply-will-be-a-challenge-if-demand-returns-to-old-levels-uday-kotak-127673602.html

नेशनल फार्मास्यूटिकल प्राइसिंग अथॉरिटी (एनपीपीए) की ओर से दवा की कीमत तय करने के बाद भी यदि दवा कंपनियां इससे ज्यादा कीमत वसूल करती है तो इन कंपनियों का लाइसेंस रद्द नहीं किया जा सकता। ड्रग्स कंसलटेटिव कमेटी ने कहा है कि ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स रूल्स में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है, जिससे लाइसेंस रद्द किया जा सके।

डीटीएबी ने भी लाइसेंस रद्द करने से इनकार किया था

इससे पहले ड्रग्स टेक्निकल एडवाइजरी बोर्ड (डीटीएबी) ने भी ऐसी कंपनियों के लाइसेंस रद्द करने से इनकार कर दिया था। संसद की स्थाई समिति ने अपनी 54वीं रिपोर्ट में कहा है कि दवा कंपनी यदि तय कीमत से ज्यादा पैसा वसूल करती हैं, या अपनी मर्जी से दवा की कीमत तय करती है तो इनसे ब्याज सहित जुर्माना वसूला जाए। जुर्माना नहीं देने पर कंपनियों के लाइसेंस रद्द करने पर विचार करें। स्वास्थ्य मंत्रालय से भी कहा है यदि जरुरत पड़े तो ड्रग्स प्राइस कंट्रोल ऑर्डर (डीपीसीओ) और ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स रूल्स में जरुरी बदलाव करें।

मनमाने तरीके से कीमत बढ़ाने वाली कंपनियों से जुर्माना वसूला जाए

एनपीपीए का कहना है कि कीमत तय करने के बाद भी जिन कंपनियों ने दवा की कीमत बढ़ाई, ऐसी कंपनियों से जुर्माना वसूल करने के लिए 2083 नोटिस भेजे गए हैं। मार्च-2020 तक छह हजार 406 करोड़ रुपए से ज्यादा का जुर्माना किया गया है। लेकिन, सिर्फ 960 करोड़ रुपए की वसूली हो पाई है। वहीं चार हजार 33 करोड़ रुपए का मामला अदालत में चल रहा है। एनपीपीए के पास सिर्फ जुर्माना लगाने का अधिकार है।

एनपीपीए ऐसे तय करती है किसी दवा की कीमत

जब कोई कंपनी नई दवा लाती है, चाहे वही दवा किसी अन्य कंपनी की बाजार में हो तो उसकी कीमत एनपीपीए तय करती है। उस कंपोजिशन की दवा जो पहले से बाजार में है, पांच कंपनियों की औसत कीमत निकालकर नई कंपनी की दवा की कीमत तय की जाती है। कुछ कंपनियां एनपीपीए को बताती ही नहीं हैं, और अपनी मर्जी से कीमत तय कर देती हैं। इसके अलावा नेशनल लिस्ट ऑफ एसेंशिएल मेडिसिन (एनईएलएम) की कीमत भी एनपीपीए तय करती है। एनपीपीए का कहना है कि दवाओं की कीमत तय या कैपिंग करके हर वर्ष उपभोक्ताओं का 12 हजार 447 करोड़ रुपए बचाया जाता है।



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जब कोई कंपनी नई दवा लाती है चाहे वही दवा किसी अन्य कंपनी की बाजार में हो तो उसकी कीमत एनपीपीए तय करती है। (प्रतीकात्मक)


source /national/news/it-is-difficult-to-cancel-the-license-even-after-charging-more-than-the-fixed-price-of-the-drug-only-agencies-can-recover-the-fine-127673601.html

दोनों भाइयों में बड़ा प्यार था। आस-पड़ोस से लेकर नाते-रिश्तेदार भी उन्हें राम-लक्ष्मण कहते थे। जो बड़ा कहता, वही छोटा वाला करता। हर काम में साथ-साथ। सुबह, शाम और दोपहर बस काम-काम और काम। इसी काम ने मेरे दोनों लालों को हमसे छीन लिया। दोनों भाई एक साथ चले गए। ये भी नहीं सोचा कि उनके बाद हमारा क्या होगा? बच्चों का क्या होगा?’

इतना कहते-कहते 78 साल के अधेश्वर दास गुप्ता कांपने लगते हैं। बगल में खड़ी उनकी पत्नी सहारे के लिए हाथ आगे बढ़ाती हैं। उनकी पत्नी का नाम उषा है और उम्र 72 साल है। अधेश्वर दास के होंठ कंपकपा रहे हैं। वो कुछ बोल रहे हैं, लेकिन गले से आवाज नहीं निकल रही। उनकी सूनी आंखें सामने दीवार पर टिकी हैं। सुधबुध गंवा चुके पति को सहारा देकर बैठाने के बाद उषा कहती हैं, 'बच्चों को हमारी इतनी भी चिंता नहीं करनी चाहिए थी। वो डरते थे कि कहीं पैसा मांगने वाले लोग हमारे बूढ़े मां-बाप को ना कुछ बोल दें। इज्जत की फिक्र थी। कितने कष्ट में रहे होंगे हमारे लाल कि एक साथ फांसी लगा ली?'

दिल्ली के चांदनी चौक इलाके में जिन दो सगे भाइयों ने एक साथ आत्महत्या की, उनके माता-पिता।

इतना कहकर वो आंचल से अपना चेहरा ढंक लेती हैं और भीतर से सिसकियों की आवाज आने लगती है। उन्हें ऐसा इसलिए करना पड़ रहा है, क्योंकि घर के भीतर खेल रहे दो छोटे-छोटे बच्चों को फिलहाल वो सब पता ना चले, जिसे सहने और समझने लायक उनकी उम्र नहीं है। वो आंसू रोकने की कोशिश करती हैं, क्योंकि उन्हें लगता है कि रोने की आवाज से पास बैठे अधेश्वर दास की तबीयत और खराब हो जाएगी।

दिल्ली के चांदनी चौक में गली बेरी के आखिरी छोर पर अपने पुश्तैनी मकान में रह रहे इन दो बुजुर्गों की जिंदगी के सारे रंग 26 अगस्त की दोपहर को गायब हो गए। 25 अगस्त की रात तक ‘हैप्पी फैमिली’ के हर पैमाने पर खरा उतरने वाले इस परिवार को अगले दिन से दुःख, संताप और शोक के काले बादलों ने घेर लिया। कारण, इस परिवार के दो कमाऊ पूतों ने एक साथ फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली।

47 साल के अंकित और 42 साल के अर्पित गुप्ता पिछले दस साल से चांदनी चौक के बाजार में कृष्णा ज्वेलर्स नाम की दुकान चलाते थे। दोनों भाई अपने कारोबार को आगे बढ़ाने के लिए दिन-रात मेहनत कर रहे थे। लॉकडाउन के बाद व्यापार में आई मंदी और बढ़ते कर्ज की वजह से इन दोनों भाइयों ने अपनी दुकान में ही फांसी लगा ली।

उस दिन को याद कर उषा गुप्ता एक बार फिर सिसकने लगती हैं। फिर हिम्मत जुटाने के बाद कहती हैं, ‘एक रात पहले हम सब ने साथ में खाना खाया था। वो अपने काम के बारे में ज्यादा बताते नहीं थे, फिर भी इतना तो मालूम था कि परेशान हैं। सुबह दुकान पर जाते हुए रोज की तरह दोनों भाइयों ने हम दोनों के पैर छुए थे। हमें क्या मालूम था कि वो आखिरी बार पैर छू रहे हैं।’

चांदनी चौक स्थित वह दुकान जहां दोनों भाइयों ने फांसी लगाकर जान दे दी। दोनों पर लाखों रुपए का कर्ज था।

उषा देवी की हिम्मत जवाब दे चुकी है और वो रोने लगती हैं। बगल में बैठे अधेश्वर दास गुप्ता किसी भी सवाल का जवाब देने की हालत में नहीं हैं। कुछ पूछने पर केवल इतना कहते हैं, ‘कुछ समझ नहीं आ रहा। क्या पूछ रहे हैं आप?’

कमरे में इन दोनों के अलावा उषा की भाभी मंजू गुप्ता भी मौजूद हैं, जो परिवार के दूसरे सदस्यों के वास्ते इन्हें चुप हो जाने के लिए कह रही हैं। अपने भांजों को याद करते हुए मंजू कहती हैं, ‘व्यापार चलाने के लिए बच्चों ने कर्ज ले रखा था। फिर लॉकडाउन लग गया। जिससे कर्ज लिया था वो दुकान पर बाउंसर भेजने लगे। गालियां देने लगे और घर-परिवार को भी तबाह करने की बात कहते थे। बच्चे चोर-लफंगे तो थे नहीं कि इस सब से निपट पाते। कुछ नहीं सूझा तो गलत काम कर बैठे।’

परिवार के मुताबिक, दोनों भाइयों ने एक प्राइवेट फाइनेंसर से कर्ज लिया था। लॉकडाउन की वजह से तीन महीने दुकान और फिर काम एकदम बंद हो गया। व्यापार ठप रहा, लेकिन कर्ज देने वाले फाइनेंसर ने अपने पैसों की वसूली के लिए उन्हें फोन पर धमकाना, फिर दुकान पर बाउंसर भेजना और गाली-गलौज करना शुरू कर दिया था। परिवार का तो यहां तक कहना है कि जन्माष्टमी से दो रोज पहले दुकान पर बाउंसरों ने खूब बदतमीजी की। दोनों को गंदी-गंदी गालियां दीं और पैसे न मिलने पर पूरे परिवार को तबाह करने की धमकी दी थी।

अंकित और अर्पित की आत्महत्या ने केवल एक परिवार को बेसहारा नहीं किया है, बल्कि इन दो भाइयों के इस कदम से सिस्टम एक बार फिर बेनकाब हुआ है। घटना के छह दिन बाद तक किसी भी राजनीतिक पार्टी का कोई भी नुमाइंदा इनका हालचाल लेने तक यहां नहीं पहुंचा है।

मां कहती हैं कि दुकान पर जाते समय रोज की तरह दोनों भाइयों ने हमारे पैर छू कर आशीर्वाद लिए थे। हमें क्या पता था कि वे आखिरी बार पैर छू रहे हैं।’

अविनाश अग्रवाल पिछले बीस साल से दिल्ली-6 में ही अपनी ज्वेलरी शॉप चलाते हैं। प्राइवेट फाइनेंसर से लोन की जरूरत क्यों पड़ी? इस सवाल पर कहते हैं, ‘जाहिर सी बात है। बैंक लोन देता नहीं। मैं व्यापारी हूं। मुझे कल ही कुछ माल उठाना है। माल एक करोड़ रुपए का है। मेरे पास चालीस लाख ही हैं। अब कैसे होगा? क्या एक दिन में सरकारी बैंक मुझे लोन दे देगा? चलो, एक हफ्ते में दे देगा? मेरा जवाब है, नहीं। आप चाहे तो चेक कर लो। अब ऐसे में मुझे पैसे के लिए तो प्राइवेट फाइनेंसर के पास ही जाना होगा। ज्यादा ब्याज भी देना होगा और इसके खतरे अलग हैं, लेकिन रास्ता क्या है?’

चांदनी चौक अपने व्यापार के लिए देशभर में जाना जाता है। यहां बड़ी संख्या में ज्वेलरी का कारोबार भी होता है। सीताराम बाजार में पिछले कई सालों से ज्वेलरी शॉप चला रहे कमल गुप्ता के मुताबिक, सोने का वायदा कारोबार और व्यपारियों में इसे लेकर बढ़ी दिलचस्पी मुख्य वजह है। वो कहते हैं, ‘इसमें कोई दो राय नहीं है कि लॉकडाउन ने कमर तोड़ दी है। सरकार केवल घोषणाएं कर रही है। आज भी हमें बिना गिरवी रखे बैंक एक लाख रुपए का लोन नहीं देता।

चार-पांच रोज भागना होता है सो अलग। लेकिन, इन दोनों के मामले में ‘वायदा बजार’ एक बड़ी वजह है। जो जानकारी मुझे है उसके मुताबिक, दोनों इस काम में लगे हुए थे। जो लोग ये काम करवाते हैं या आपको पैसे देते हैं, वो ही इस तरह से पैसों की वसूली भी करते हैं। इसे आप व्यापारियों का जुआ मानिए। खेलिए। जीते तो ठीक। हार गए तो सब सत्यानाश। पता नहीं सरकार क्यों जुआ खिलवा रही है?

वायदा बाजार मतलब व्यापार की वो जगह जहां वास्तव में न तो कोई दुकान होती है, न ही व्यापारी और न ही कोई ग्राहक। सब इंटरनेट पर होता है। कमल सहित इलाके के कई दूसरे व्यपारी इन दो भाइयों की आत्महत्या के पीछे ‘वायदा बाजार’ को एक मजबूत वजह मानते हैं। वर्ष 2003 से ही इलाके के व्यापारी इस काम में लगे हैं और जल्दी से जल्दी अच्छी कमाई का जरिया मानते हैं। ऐसा नहीं है कि अंकित और अर्पित ही ऐसे व्यापारी थे जो इस ‘बाजार’ में अपनी किस्मत आजमा रहे थे। चांदनी चौक में काम कर रहे ज्यादतर व्यापारी नियमित तौर से ‘वायदा बाजार’ में अपनी किस्मत आजमाते हैं। लेकिन, कोरोना की वजह से लगे लॉकडाउन और इस वजह से व्यापार में आई कमी ने ज्यादातर व्यापारियों के जीवन में अंधेरा फैला दिया है।

दरवाजे पर खड़ी दोनों भाइयों की मां। 47 साल के अंकित और 42 साल के अर्पित पिछले दस साल से चांदनी चौक के बाजार में कृष्णा ज्वेलर्स नाम की दुकान चलाते थे।

एक हजार सदस्यों वाला कूचा महाजनी ज्वेलरी एसोसिएशन चांदनी चौक का सबसे बड़ा ज्वेलर्स एसोसिएशन है। योगेश सिंघल इसके अध्यक्ष हैं और खुद एक बड़ी ज्वेलरी शॉप के मालिक हैं। वो कहते हैं, ‘मेरे पास कई व्यापारियों के फोन आते हैं। कोई लाखों के कर्ज में है तो कोई करोड़ों के। आपको भरोसा नहीं होगा, लेकिन हर व्यापारी की नींद हराम है। जिन दो भाइयों ने आत्महत्या की, उनकी भी यही स्थिति थी। गद्दे पर काम कम हुआ तो मुनाफे के लालच में व्यापारियों ने ‘वायदा बाजार’ का रुख किया। उन पर कर्ज बढ़े और बढ़ते चले गए। कर्ज चुकाने की उनकी क्षमता कम हुई। नोटबंदी से किसी तरह संभले तो लॉकडाउन ने जान निकाल दी।’

अंकित गुप्ता और अर्पित गुप्ता की आत्महत्या के बाद इलाके के व्यापारियों में एक दहशत का माहौल है और ये किसी एक परिवार या एक व्यापारी की बात नहीं है। बहुत से ऐसे व्यापारी हैं, जो गले तक कर्ज में डूबे हुए हैं। वो भी ऐसे वक्त में जब कारोबार पिछले छह महीने से पूरी तरह से ठप है और अगले छह महीने भी ठप ही रहने वाला है। यही वजह है कि कूचा महाजनी ज्वेलर्स एसोसिएशन सितंबर के पहले हफ्ते में अपने सभी सदस्यों के साथ ऑनलाइन मीटिंग करने वाला है और सरकार के सामने व्यापारियों के मन की असुरक्षा को सामने रखने वाला है।



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Two brothers commit suicide inside Chandni Chowk's jewellery shop


source https://www.bhaskar.com/db-original/news/two-brothers-commit-suicide-inside-chandni-chowks-jewellery-shop-127673567.html
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