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देश में कोरोना संक्रमितों की संख्या 5 लाख 85हजार 792 हो गई है। covid19india.org के मुताबिक, मंगलवार को 18 हजार 256 मामले सामने आए। वहीं, 12 हजार 565 लोग स्वस्थ हुए। इस दौरान 506 लोगों की संक्रमण से जान गई।

गोवा के मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत ने बताया कि एक भाजपा विधायक की कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आई है। उन्हें ईएसआई अस्पताल में भर्ती किया गया है।
उधर, रात करीब 11.30 बजे आरोग्य सेतु ऐप में तकनीकी खामीसामने आई। ऐप की ओर से ट्वीट में यह जानकारी दी गई। कहा कि कुछ यूजर्स को लॉगिन में परेशानी आ रही है। हालांकि, रात 12.10 बजे ऐप ने फिर से काम करना शुरू कर दिया।

5 राज्यों का हाल

मध्यप्रदेश:राज्य में मंगलवार को223पॉजिटिव मरीज मिले। इसके साथ संक्रमितों की संख्या अब 13,593 हो गई है। सबसे ज्यादा मुरैना में 59, इंदौर में45, भोपाल में 25 संक्रमित पाए गए। 18 संक्रमितों ने दम तोड़ दिया।

महाराष्ट्र: राज्य में मंगलवार को4,878 संक्रमित पाए गए। यहां अब तक1,74,761 लोग कोरोना की चपेट में आ चुके हैं। इनमें7,855 लोगों की मौत हो चुकी है। मंगलवार को सबसे ज्यादा ठाणे में1,628 और पुणे में1,024 लोग कोरोना पॉजिटिव पाए गए। मुंबई में893 संक्रमित बढ़े।

उत्तरप्रदेश:यहां मंगलवार को 664 नए मरीज सामने आए और 25 की जान गई। सबसे ज्यादा152 संक्रमित गाजियाबाद से मिले।गौतमबुद्धनगर (नोएडा) में 96, लखनऊ में29 और कानपुर में 18 कोरोना पॉजिटिव मिले। राज्य में अब तक23,492 लोग संक्रमण की चपेट में आ चुके हैं। इनमें23,492 लोगों की जान जा चुकी है।

राजस्थान:राज्य में मंगलवार को348 मामले सामने आए। इसी के साथ संक्रमितों की संख्या अब18,008 हो गई है।सबसे ज्यादा58 भारतपुर और 55 संक्रमित जोधपुर में मिले।इस बीच, राज्य सरकार ने अनलॉक-2 के लिए गाइडलाइंस जारी कीं। इसके मुताबिक, स्कूल और कॉलेज 31 जुलाई तक बंद रहेंगे। कोचिंग, बड़े मंदिरअभी नहीं खुलेंगे।

बिहार: राज्य में मंगलवार को 370 केस आए। इसी के साथ संक्रमितों की संख्या अब9,988 हो गई है। एक दिन में 5 लोगों की मौत भी हो गई।इससे पहले सोमवार शाम कोएक बारात में शामिल हुए 108 लोगों की रिपोर्ट पॉजिटिव आई। शादी में शामिल 375 लोगों का सैंपल लिया गया था। यह शादीडीहपाली गांव के इंजीनियर अनिलकी थी।अनिल गुड़गांव से अपने गांव आया था। 15 जून को उसकी बारात नौबतपुर गई थी। 17 जून को उसकी मौत हो गई थी।



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source /national/news/coronavirus-outbreak-india-cases-live-news-and-updates-july-1-2020-127465922.html

पुलवामा जिले के त्राल कस्बे के बिलालाबाद इलाके में सुरक्षाबलों का आतंकियों एनकाउंटर चल रहा है। आतंकियों के छिपे होने के इनपुट पर पुलिस और आर्मी ने बीती रात सर्च ऑपरेशन शुरू किया था।

#Encounter has started at #Bilalabad area of #Tral. JKP and security forces are on the job. Further details shall follow. @JmuKmrPolice

— Kashmir Zone Police (@KashmirPolice) June 30, 2020

इससे पहले मंगलवार को अनंतनाग जिले के वाघमा इलाके में सुरक्षाबलों ने 2 आतंकी मार गिराए थे। सोमवार को अनंतनाग के ही खुलचोहर इलाके में 3 आतंकी ढेर कर दिए थे। जून में 18 एनकाउंटर में कुल 51 आतंकी मारे गए। पुलिस ने पिछले दिनों जम्मू के डोडा जिले को आतंकवाद मुक्त घोषित कर दिया था।

तारीख जगह आतंकी मारे गए
1 जून नौशेरा 3
2 जून त्राल (पुलवामा) 2
3 जून कंगन (पुलवामा) 3
5 जून कालाकोट (राजौरी) 1
7 जून रेबन (शोपियां) 5
8 जून पिंजोरा(शोपियां) 4
10 जून सुगू(शोपियां) 5
13 जून निपोरा(कुलगाम) 2
16 जून तुर्कवंगम(शोपियां) 3
18-19 जून अवंतीपोरा और शोपियां 8
21 जून शोपियां 3
23 जून बंदजू (पुलवामा) 2
25 जून सोपोर (बारामूला) 2
25-26 जून त्राल (पुलवामा) 3
29 जून खुलचोहर (अनंतनाग) 3
30 जून वाघमा (अनंतनाग) 2
कुल 51

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एनकाउंटर वाली लोकेशन पर सुरक्षा बल मोर्चा संभाले हुए।


source /national/news/jammu-and-kashmir-encounter-between-security-forces-and-militants-news-and-updates-today-127465901.html

दुनियाभर के मरीजों को बचाने में कोरोनावॉरियर यानी डॉक्टर्स जुटे हैं। संक्रमण के बीच वो मरीजों का इलाज भी कर रहे हैं और खुद को बचाने की जद्दोजहद में भी लगे हैं। आज नेशनल डॉक्टर्स डे है, जो देश के प्रसिद्ध चिकित्सक और पश्चिम बंगाल के दूसरे मुख्यमंत्री डॉ. बिधान चंद्र रॉय के सम्मान में मनाया जाता है। केंद्र सरकार ने देश में डॉक्टर्स डे मनाने की शुरुआत1 जुलाई 1991 में की। 1 जुलाई उनका जन्मदिवस है। जानिए उनकी लाइफ से जुड़े 5दिलचस्प किस्से...

डॉ. बिधान चंद्र रॉय बापू के पर्सनल डॉक्टर भी थे और एक दोस्त भी।

किस्सा 1 : जब बापू ने बिधान चंद्र से कहा, तुम मुझसे थर्ड क्लास वकील की तरह बहस कर रहे हो

1905 में जब बंगाल का विभाजन हो रहा था जब बिधान चंद्र रॉय कलकत्ता यूनिवर्सिटी में पढ़ाई कर रहे थे। उन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ आंदोलन में हिस्सा लेने की जगह अपनी पढ़ाई को प्राथमिकता दी। पढ़ाई पूरी करने के बाद वह स्वतंत्रता आंदोलन से जुड़े और धीरे-धीरे बंगाल की राजनीति में पैर जमाए। इस दौरान वह बापू महात्मा गांधी के पर्सनल डॉक्टर रहे।

1933 में ‘आत्मशुद्धि’ उपवास के दौरान गांधी जी ने दवाएं लेने से मना कर दिया था। बिधान चंद्र बापू से मिले और दवाएं लेने की गुजारिश की। गांधी जी उनसे बोले, मैं तुम्हारी दवाएं क्यों लूं? क्या तुमने हमारे देश के 40 करोड़ लोगों का मुफ्त इलाज किया है?

इस बिधान चंद्र ने जवाब दिया, नहीं, गांधी जी, मैं सभी मरीजों का मुफ्त इलाज नहीं कर सकता। लेकिन मैं यहां मोहनदास करमचंद गांधी को ठीक करने नहीं आया हूं, मैं उन्हें ठीक करने आया हूं जो मेरे देश के 40 करोड़ लोगों के प्रतिनिधि हैं।इस पर गांधी जी ने उनसे मजाक करते हुए कहा, तुम मुझसे थर्ड क्लास वकील की तरह बहस कर रहे हो।

यह तस्वीर उस दौर की है जब डॉ. रॉय पश्चिम बंगाल में मुख्यमंत्री थे।

दूसरा किस्सा : रॉय इतने बड़े हैं कि नेहरू भी उनके हर मेडिकल ऑर्डर मानते हैं

डॉ. बिधान चंद्र रॉय की तारीफ का सबसे चर्चित किस्सा देश के पहले प्रधाानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू से जुड़ा है। बिधानचंद्र देश के उन डॉक्टर्स में से एक थे जिनकी हर सलाह का पालन पंडित जवाहर लाल पूरी सावधानी के साथ करते हैं। इसका जिक्र पंडित जवाहर लाल ने वॉशिग्टन टाइम्स को 1962 में दिए एक इंटरव्यू में किया था। उन्होंने उस दौर की बात अखबार से साझा की जब वो काफी बीमार थे और इलाज के लिए डॉक्टर्स का एक पैनल बनाया गया था, जिसमें रॉय शामिल थे। इंटरव्यू के बाद अखबार ने लिखा था, रॉय इतने बड़े हैं कि नेहरू भी उनके हर मेडिकल ऑर्डर का पालन करते हैं।

डॉ. रॉय ने बंगाल में कई संस्थानों और 5 शहरों की स्थापना की। इनमें दुर्गापुर, कल्यानी, अशोकनगर, बिधान नगर और हाबरा शामिल है।

तीसरा किस्सा : सामाजिक भेदभाव का शिकार हुए, अमेरिक रेस्तरां ने रॉय को बाहर निकल जाने को कहा

1947 में बिधान चंद्र खाने के लिए अमेरिका के रेस्टोरेंटपहुंचे तो उन्हें देखकर सर्विस देने से मना कर दिया गया। पूरा घटनाक्रम न्यूयॉर्क टाइम्स में प्रकाशित हुआ। न्यूयॉर्क टाइम्स में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक, रॉय अपने पांच दोस्तों के साथ रेस्तरां पहुंचे। उनको देखकर रेस्तरां ऑपरेटर ने महिला वेटर से कहा, उनसे कहें, यहां उन्हें सर्विस नहीं जाएगी, वो यहां से खाना लेकर बाहर जा सकते हैं।

यह बात सुनने के बाद रॉय वहां से उठे और चले गए। घटना के बाद इस सामाजिक भेदभाव का पूरा किस्सा रिपोर्टर से साझा किया और भारत लौट आए।

डॉ. रॉय को 1961 में भारत सरकार ने भारत रत्न से सम्मानित किया था।

चौथा किस्सा : आर्थिक तंगी से जूझ रहे सत्यजीत रे को आर्थिक मदद उपलब्ध कराई

जानेमाने फिल्मकार सत्यजीत रे को अपनी फिल्म पाथेर पंचाली बनाने के लिए आर्थिक संघर्ष से जूझना पड़ा था। कई दिक्कतों के बाद उनकी मां ने उन्हें अपने परिचितों से मिलवाया। रॉय उनमें से एक थे और तत्कालीन मुख्यमंत्री भी थे। रॉय सत्यजीत रे के इस प्रोजेक्ट से काफी प्रभावित हुए और उन्हें सरकारी आर्थिक मदद देने के लिए राजी हुए। इतना ही नहीं फिल्म पूरी होने के बाद रॉय ने जवाहर लाल नेहरू के लिए इस फिल्म की स्पेशल स्क्रीनिंग भी रखवाई। फिल्म में गरीबी से जूझते देश की कहानी दिखाई गई।

तत्कालीन मुख्यमंत्री बिधान चंद्र रॉय साल्ट लेक सुधार स्कीम के उद्घाटन के दौरान। यह तस्वीर 16 अप्रैल 1962 की है। काले चश्मे में डॉ. रॉय (दाएं)

पांचवा किस्सा : डीन से 30 मुलाकातों के बाद उन्हें लंदन में मिला एडमिशन

रॉय हायर स्टडी के लिए 1909 में लंदन के सेंट बार्थोलोमिव्स हॉस्पिटल पहुंचे थे। लेकिन यहां उनके लिए एडमिशन लेना आसान नहीं रहा। सेंट बार्थोलोमिव्स हॉस्पिटल के डीन ने रॉय को एडमिशन न देने के लिए काफी कोशिशें की। उन्होंने करीब डेढ़ महीने तक रॉय को रोके रखा ताकि वे वापस लौट जाएं। रॉय ने भी एडमिशन के अपनी कोशिशें जारी रखीं। डीन से एडमिशन के लिए 30 बार मुलाकात की। अंतत: डीन का दिल पिघला और एडमिशन देने के लिए राजी हुए।



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National Doctors Day 2020; Four Interesting Facts About Dr Bidhan Chandra Roy


source https://www.bhaskar.com/happylife/news/national-doctors-day-2020interesting-facts-about-dr-bidhan-chandra-roy-127463064.html

सरकार ने टिक टॉक को बैन कर दिया है। इस ऐप के जरिए दो साल में ही किसी की कमाई 5 लाख रुपए महीना तक पहुंच गई तो किसी के टैलेंट को मुंबई में प्लेटफॉर्म मिल गया। ये लोग सरकार के डिसीजन के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन टिक टॉक की तरह ही ऐसा कोई प्लेटफॉर्म चाहते हैं जहां इनके टैलेंट को मौका भी मिलते रहे और चीन की दखलअंदाजी भी न हो।

दो साल में 12 मिलियन फॉलोअर्स, कमाई 5 लाख रुपए महीना तक

टिक टॉक पर 12 मिलियन फॉलोअर्स वाले सन्नी कालरा कहते हैं कि, हम सरकार के डिसीजन के साथ हैं। सन्नी टिक टॉक से हर महीने 3 से 5 लाख रुपए तक कमाते हैं। वे कहते हैं कि, मैं पिछले दो साल से इस ऐप पर एक्टिव हूं। हर रोज एक वीडियो पोस्ट करता हूं। लेकिन हमें ज्यादा दिक्कत इसलिए नहीं होगी कि क्योंकि हम लोग कंटेंट क्रिएटर हैं। टिक टॉक बैन हो गया है तो अब हम यूट्यूब, इंस्टाग्राम पर ज्यादा मेहनत करेंगे। लिपसिंग करने वाले जरूर परेशान हो जाएंगे। यूट्यूब पर एक अच्छा वीडियो बनाने में पांच से छ दिन का वक्त लगता है। टिक टॉक पर एक दिन में एक वीडियो हो जाता है।

सन्नी के टिक टॉक पर 12 मिलियन से भी ज्यादा फॉलोअर्स हैं। वे यूजर्स के बीच काफी पॉपुलर हैं।

महज दो साल में 12 मिलियन लोगों को अपने साथ जोड़ने वाले सन्नी बताते हैं कि, मैं तो अपने कैफेटेरिया में लोगों को वीडियो बनाते देखता था। वहीं से खुद का वीडियो बनाने का आइडिया आया। एक फ्रेंड ने वीडियो बनाने को कहा। शुरू में कुछ वीडियो बनाए। अच्छे लगे तो और बनाते गया। फिर टिक टॉक ने इतनी ज्यादा पॉपुलेरिटी दी, जिसके बारे में सोचा भी नहीं था। अब सरकार हमें अकाउंट डिलीट करने का बोलेगी तो हम वो भी कर देंगे और यूट्यूब-इंस्टाग्राम वाले अकाउंट पर मेहनत करेंगे।

इतने दोस्त बन गए कि मिलने में तीन-चार दिन लग जाते हैं

छतरपुर के जितेंदर पाल सिंह कहते हैं कि, छोटी सी जगह में रहने के बावजूद मुझे और मेरी पत्नी को देशभर में पहचान सिर्फ टिक टॉक पर वीडियो पोस्ट करनेके चलते मिली। मुंबई, दिल्ली, यूपी, पंजाब में हमारे इतने दोस्त बन गए कि यहां जाओ तो सिर्फ लोगों से मिलने में ही तीन से चार दिन लग जाते हैं। तीन साल में 36 लाख फॉलोअर्स बन गए। हर महीने 40 से 50 हजार रुपए की कमाई हो रही है, लेकिन फिर भी हम सरकार के डिसीजन के साथ हैं, क्योंकि सबसे पहले तो देश ही है। जितेंदर के मुताबिक, दिक्कत उन लोगों को होगी जो टिक टॉक के सहारे ही चल रहे हैं।

जितेंदर सिंह छतरपुर जैसी छोटी जगह रहते हैं, लेकिन अपने टैलेंट की दम पर देशभर में फेमस हो गए।

ऐसे बहुत सारे लोग हैं, जो महीने के 10-15 हजार रुपए टिक टॉक से कमा लेते हैं। टिक टॉक ने लोगों की जिंदगिंया बदली हैं। टिक टॉक पर टैलेंट दिखाने के बाद ही मेरी पत्नी को मनीष पॉल के शो'मूवी मस्ती विद मनीष पॅाल' में बुलाया गया। जहां वो विनर साबित हुईं। वरना हम जितनी छोटी जगह रहते हैं, वहां के लोगों को कहां इतना बड़ा प्लेटफॉर्म मिल पाता।

बिहार में झोपड़ी में रहने वाले बच्चों का डांस इतना पसंद किया गया कि उन्हें टिकट भेजकर मुंबई बुलाया गया और देशभर ने उनका टैलेंट देखा। हमारे देश में टैलेंट भरा पड़ा है लेकिन कोई ने कोई प्लेटफॉर्म तो जरूरी है। मैं एक दिन में दो से तीन वीडियो पोस्ट करता हूं। चिंता सिर्फ उन लोगों की है, जिनकी रोजी-रोटी टिक टॉक बन गया था।

हताश और निराश लोगों को मोटिवेट करने का बना जरिया

एसिड अटैक सर्वाइवरऔर टिक टॉक पर काफी वीडियो पोस्ट करने वालीं लक्ष्मी अग्रवाल कहती हैं, टिक टॉक पर मुझे ऐसे लोग मिले थे, जो जिंदगी से हताश और निराश हो चुके हैं। जो पूरी तरह से डिमोटिवेट हो चुके थे और टिक टॉक के वीडियोदेखकर दोबारा मोटिवेट हुए हैं। मैं पिछले करीब 7 महीनों से टिक टॉक पर काफी ज्यादा एक्टिव हुई हूं। पहले मुझे ये फालतू लगता था लेकिन जब मैंने कुछ वीडियो देखे और पोस्ट करना शुरू किए तो पता चला कि यह तो लोगों की जिंदगी बदलने का जरिया है। मेरे टिक टॉक में ढाई मिलियन से ज्यादा फॉलोअर्स हैं, लेकिन मैं इससे कमाई नहीं करती।

लक्ष्मी अग्रवाल टिक टॉक पर अधिकतर मोटिवेशनल वीडियो शेयर करती हैं।

मैं सिर्फ इसके लिए लोगों को मोटिवेट करने का काम कर रही हूं। सरकार टिक टॉक बैन कर रही है, इससे इश्यू नहीं है लेकिन सरकार को पहले ऐसा कोई प्लेटफॉर्म लाना चाहिए जहां लोगों को अपना टैलेंट दिखाने का मौका मिले। टिक टॉक के जरिए मैं अपने डांस, गाने, एक्टिंग के हुनर को लोगों के सामने ला पाई।मेरे मोटिवेशनल वीडियोज से लोगों की जिंदगी बदलती है, यह देखकर बहुत सुकून मिलता है।

सालभर में 6 मिलियन से ज्यादा फॉलोअर्स बने, एक करोड़ रुपए ईनाम मिला

टिक टॉक पर बने डांस वीडियो के जरिए रातों-रात फेमस हुए जोधपुर के स्ट्रीट डांसर युवराज सिंह परिहार कहते हैं- मैं पिछले साल ही टिक टॉक पर आया था। मैंने डांस करना शुरू किया और टिक टॉक पर वीडियो पोस्ट करने लगा। एक साल में ही 6 मिलियन से ज्यादा फॉलोअर्स बने लेकिन मैंने अभी तक इसके जरिए कमाई नहीं की क्योंकि मुझे पता ही नहीं है कि इससे कमाई कैसे की जाती है। हां, एक वीडियो अमिताभ बच्चन के रिट्वीट करने के बाद सुर्खियों में आया था। वे कहते हैं कि, टिक टॉक को बैन करना सही है या नहीं, ये मुझे नहीं पता। इस बारे में मेरी कोई सोच नहीं है लेकिन बस इतना है कि मैं हर कंडीशन में सरकार के साथ हूं। चाहे कोई भी डिसीजन हो।

युवराज के महज एक साल में टिक टॉक पर 6 मिलियन से ज्यादा फॉलोअर्स बन गए।

युवराज के पिता टाइल्स लगाने का काम करते हैं। परिवार में दो बहनें और मां-पापा हैं, कुछ समय पहले तक हालत इतनी खराब थी कि गुजारा भी मुश्किल से होता था। इसी बीच युवराज ने डांसिंग सीखना शुरू किया। उन्हें अपने टैलेंट को लोगों के सामने लाने के लिए टिक टॉक मिल गया। जिससे वे फेमस होते चले गए। युवराज रिएलिटी शो एंटरटेनमेंट नंबर वन के विजेता रहे हैं। उन्हें एक करोड़ रुपए की इनामी राशि मिली। वे कहते हैं कि, यदि टैलेंट है तो उसे कोई दबा नहीं सकता। टिक टॉक नहीं होगा तो हम दूसरे प्लेटफॉर्म्स पर अपनाटैलेंट दिखाएंगे। बस एक ही सपना है कि डांसिंग में एक बार इंडिया को रिप्रेजेंट करूं।



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TikTok App Ban in India; Content Creators From Madhya Pradesh Indore Jodhpur Speaks To Dainik Bhaskar


source https://www.bhaskar.com/db-original/news/tiktok-app-ban-in-india-content-creators-from-madhya-pradesh-indore-jodhpur-speaks-to-dainik-bhaskar-127463084.html

जिस तरह एक बीमारी को दूर करने के लिए एक डॉक्टर मानव शरीर को सूक्ष्म तरीके से समझने की कोशिश करता है, उसी प्रकार नासा अथाह अंतरिक्ष को गहराई से समझने की कोशिश करता है, ताकि हर नई खोज और ज्ञान को मानव कल्याण के लिए इस्तेमाल किया जा सके। नासा अधिकतर सरकारी एजेंसियों से बहुत अलग है। यह दुनियाभर की बाकी स्पेस एजेंसियों से भी अलग है।

बहुत कम लोग जानते हैं कि नासा के पास देश की सुरक्षा की ज़िम्मेदारी नहीं है। हम सिर्फ खोज और आविष्कार करते हैं। नासा पर पैसा कमाने का भार भी नहीं है। नासा दुनिया को एक अविभाजित अस्तित्व के तौर पर देखता है। नासा जब धरती को अंतरिक्ष से देखता है तो उसे सीमाएं नजर नहीं आती।

नासा में डॉक्टर होने के नाते मेरा काम यह सुनिश्चित करना है कि अंतरिक्ष में यात्रा करने वाले एस्ट्रोनॉट्स हर हाल में तंदरुस्त रहें। आज नासा की कई टेक्नोलॉजी मेडिकल साइंस में इस्तेमाल हो रही हैं। उदाहरण के तौर पर मानव शरीर के तापमान को नापने के लिए आज जिस थर्मो गन का इस्तेमाल हो रहा है, वह थर्मो स्कैन टेक्नोलॉजी पर आधारित है। इस टेक्नोलॉजी की मदद से नासा ग्रहों के तापमान को नाप लेता है।

नासा ने और भी कई ऐसी तकनीक इजाद की हैं, जिनका मेडिकल साइंस में इस्तेमाल हो सकता है। हमारे पास एक ऐक्वा सैटेलाइट है, जो हवा और मिट्टी में नमी को नापने का काम करता है। इस टेक्नोलॉजी के उपयोग से यह पता किया जा सकता है कि कहां मच्छर पनप रहे हैं, जो डेंगू और जीका जैसी बीमारियां बढ़ा सकते हैं। इस जानकारी के आधार पर पब्लिक हेल्थ अथॉरिटी सचेत होकर रोकथाम की कार्यवाही कर सकती है।

कोविड-19 के मरीजों को वेंटिलेटर की आवश्यकता पड़ती है। नासा की जॉइंट प्रपल्शन लैब के इंजीनियरों ने मात्र 39 दिनों में न सिर्फ हल्का और कारगर वेंटिलेटर बनाया, बल्कि बिना लाइसेंस फीस के कई देशों को इसे बनाने की छूट भी दे दी है। जो भी देश इस टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करना चाहते हैं वे कर सकते हैं। कोरोना महामारी के दौरान मरीजों को ऑक्सीजन की जरूरत पड़ रही है। आप जानते हैं कि अंतरिक्ष में ऑक्सीजन है ही नहीं। हम ऐसी टेक्नोलॉजी पर काम कर रहे हैं, जिसे ऑक्सीजन कॉन्सनट्रेटर्स कहते हैं।

इसकी मदद से यंत्र वातावरण में मौजूद भाप को इलेक्ट्रॉनिक प्रोसेस से ऑक्सीजन में बदल देगा। यानी ऑक्सीजन की बोतलों को भरने या बदलने की आवश्यकता ही नहीं पड़ेगी। इस तकनीक को हम स्पेस में तो इस्तेमाल कर रहे हैं, लेकिन जल्दी ही इसका इस्तेमाल आसानी से अस्पतालों में हो सकेगा। इस तकनीक का सबसे ज्यादा लाभ उन देशों को होगा जो आज ऑक्सीजन के सप्लाई चेन से बहुत दूर हैं। वे जहां जरूरत हो ऑक्सीजन बना सकते हैं। आप सोच के देखिए वो परिस्थिति जब एक भी मरीज की मौत किसी भी अस्पताल में ऑक्सीजन की कमी से नहीं होगी। ऐसा समय दूर नहीं है।

दिसंबर के अंत में या जनवरी की शुरुआत में हमें चीन में पनप रही बीमारी के बारे में पता लगना शुरू हुआ। हमें ऐसा लगा कि सार्स या मर्स की तरह ही इस बीमारी को भी रोक लिया जाएगा। लेकिन एक स्पेस एजेंसी होने के नाते हमने जनवरी की शुरुआत में अपने सिस्टम्स की टेस्टिंग इस नज़रिए से शुरू कर दी थी कि अगर जरूरत पड़ी तो क्या हम बिना ऑफिस आए काम जारी रख सकते हैं। हमारे लिए ये जानना जरूरी था कि अगर हम टेलिवर्क करते हैं तो हमारा आईटी सिस्टम कितना लोड ले सकता है।

कोरोना वारयस के बारे में जानकारी मिलने के तुरंत बाद ही नासा की टॉप लीडरशिप ने बहुत जल्दी ऐसे निर्णय लेने शुरू कर दिए थे ताकि कम से कम मानव संसाधन के इस्तेमाल से जरूरी काम नासा के सेंटर से किए जा सकें और बाकी सब लोग टेलिवर्क कर सकें। बिना यात्रा किए अगर काम को अंजाम देना हो तो लॉजिस्टिकल चुनौतियां क्या हो सकती हैं इसका मूल्यांकन भी हमने बहुत जल्दी शुरू कर दिया था। जिन लोगों को डीएम-2 स्पेस एक्स मिशन के लिए स्पेस यात्रा करनी थी, हमने तत्काल उनके लिए कोविड टेस्टिंग की व्यवस्था कर दी थी। हम स्पेस स्टेशन में किसी किस्म का संक्रमण बर्दाश्त नहीं कर सकते। खास तौर पर ऐसा संक्रमण, जिसकी न तो दवा हो और ना ही कोई वैक्सीन।

महामारियों का अनुमान लगाने और वैक्सीन-दवा बनाने तक में भविष्य में सुपर कंप्यूटिंग और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से काफी मदद मिलेगी। इसरो जैसे संस्थानों के साथ साझा कार्यक्रम भी बहुत कारगर सिद्ध हो सकता है। स्पेस हमें बताता है कि अनंत ब्रह्मांड में हम रेत के जर्रे के बराबर भी नहीं हैं। हम सिर्फ इतना ही मान सकते हैं कि यात्रा करना ही हम सब की नियति है। यात्रा की तुलना में मंजिल का अस्तित्व उतना महत्वपूर्ण नहीं है।

(जैसा उन्होंने रितेश शुक्ल को बताया)



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डॉ जेडी पोल्क, चीफ मेडिकल ऑफिसर, नासा


source https://www.bhaskar.com/db-original/columnist/news/many-of-nasas-technologies-are-used-in-medical-science-127465642.html

आज भारत-चीन सीमा पर संकट का सामना करने के लिए उसी देशप्रेम की जरूरत है, जिसका परिचय राममनोहर लोहिया और अटल बिहारी वाजपेयी ने साठ साल पहले दिया था। वर्ष 1962 के चीन युद्ध से पहले चीन पर कड़वा सच बोलने से सब कतराते थे। या तो वे नेहरू से घबराते थे, या माओ के मोह में फंस जाते थे। इस माहौल में सबसे पहले राम मनोहर लोहिया ने चीन से देश की सुरक्षा को खतरे और नेहरू की लापरवाही के प्रति देश को आगाह किया था।

युद्ध के बाद संसद में अटल बिहारी वाजपेयी ने भी भारत-चीन संबंध का कड़वा सच सामने रखा था। आज फिर चुप्पी का पर्दा डालने की कोशिश है। ऐसे में इस चुनौती का सामना करने के लिए हम सबसे पहले सच का सामना करें, भारत-चीन संबंध के विवाद के सात कड़वे सच बिना लाग-लपेट के देश के सामने पेश किए जाएं।

पहला कड़वा सच: चीन की फौज एलएसी को पार कर हमारी 40-60 वर्ग किलोमीटर जमीन पर कब्जा करके बैठ गई है। इसकी पुष्टि सैटेलाइट तस्वीरों से हुई है। हमारी सेना और विदेश मंत्रालय के बयानों से भी यही आशय निकलता है। प्रधानमंत्री का कहना सच नहीं है कि ‘ना कोई हमारी सीमा में घुसा है, न ही कोई वहां घुसा हुआ है, न ही हमारी कोई पोस्ट दूसरे के कब्जे में है’। कड़वा सच यह है कि प्रधानमंत्री के बयान को चीन ने जमकर भुनाया। पूरा सच यह है कि 62 के युद्ध के बाद भी चीन द्वारा कब्जे की यह पहली घटना नहीं थी। पर कांग्रेसी प्रधानमंत्रियों ने इतनी नासमझी का बयान नहीं दिया था।

दूसरा कड़वा सच: चीन अपना कब्जा नहीं छोड़ेगा। दोनों सेनाओं के पीछे हटने जैसी खबर भ्रामक है। कड़वा सच यह है कि हमारी जमीन पर जिस चीनी चौकी को हटाने के लिए हमारे 20 जवान शहीद हुए थे, ठीक उसी जगह चीन ने और बड़ी चौकी बना ली है। बातचीत में चीन का रुख वही है जिसे हरियाणवी में कहते हैं ‘पंचों की बात सर माथे, लेकिन परनाला वहीं गिरेगा!’ पूरा सच यह है कि चीन दो कदम आगे लेकर, एक कदम पीछे खींचने वाला खेल कई बार दोहरा चुका है।

तीसरा कड़वा सच: चीन का यह कब्जा सरकार की लापरवाही के कारण हुआ। सितंबर में चीन के आक्रामक रुख का इशारा मिला था। मार्च तक चीन तैयारी कर चुका था। अप्रैल में सरकार को चीन के इरादों का पता लग गया था। मई में कब्जा हुआ। सेना और राष्ट्रीय सुरक्षा व्यवस्था की चेतावनी के बावजूद सरकार ने आंखें बंद रखीं। इसकी कोई गारंटी नहीं कि कोई दूसरी सरकार यह गफलत ना करती। लेकिन यह तय है राष्ट्रीय सुरक्षा के मामले में यह सरकार दूसरों से बेहतर नहीं है।

चौथा कड़वा सच: चीन की फौज को मुंहतोड़ जवाब निहत्थे सैनिकों ने दिया, सरकार ने नहीं। हमारी सेना को आक्रामक चीनी फौजियों का मुकाबला करने की जो छूट गलवान घाटी मुठभेड़ के बाद मिली, वह पहले नहीं दी गई थी। सच यह है कि पाकिस्तान और बाकी पड़ोसियों के सामने शेर की तरह गुर्राने वाली इस सरकार के मुंह में चीन के मामले में दही जम गया था।

पांचवां कड़वा सच: आज चीन से युद्ध करके कब्ज़ा छुड़ाना संभव नहीं है। एटम बॉम्ब के रहते खुले युद्ध का विकल्प न भारत के पास है, न चीन के। जमीनी लड़ाई में पराक्रम और मानसिक बल में हमारी फौज किसी से उन्नीस नहीं है। लेकिन पहले से काबिज चीनी फौज को इन इलाकों में बेहतर इंफ्रास्ट्रक्चर का फायदा है। इसकी जिम्मेदारी जितनी इस सरकार की है, उतनी ही पिछली सरकारों की भी।

छठा कड़वा सच: फिलहाल कूटनीति के जरिए चीन को मना या झुका लेना संभव नहीं दिखता। बेशक बहुत से देश चीन से नाराज हैं, लेकिन वे भारत के सवाल पर चीन से संबंध खराब नहीं करेंगे। प्रधानमंत्री भले ही ट्रम्प को अपना यार समझें, लेकिन ट्रम्प को भारत की चिंता नहीं है। उधर पड़ोस के बाकी देशों से हमने उचित-अनुचित झगड़ा मोल ले रखा है।

सातवां कड़वा सच: भारत के किसी बॉयकॉट या बैन से चीन की अर्थव्यवस्था पर बहुत फर्क नहीं पड़ेगा। फिलहाल चीनी वस्तुओं का आयात रोकने से भारत को ही नुकसान होगा। दोनों अर्थव्यवस्थाओं में यह असंतुलन नई बात नहीं है। इसके लिए भी केवल वर्तमान सरकार को दोषी नहीं ठहरा सकते।

एक स्वतंत्र, सार्वभौम राष्ट्र होने के नाते हमें सीमा पर चीन की दादागिरी का सामना करना होगा। लेकिन इस चुनौती का सामना जनता की आंख में धूल झोंकने से नहीं होगा, किसी सांकेतिक नौटंकी से नहीं होगा। भारत को अपने तरीके से, अपना समय चुनकर, अपने चुनिंदा क्षेत्र में चीन की इस चुनौती का जवाब देना होगा। इसके लिए पूरे देश को एकजुट होकर संकल्प लेना होगा। इस राष्ट्रीय एकता को बनाने और देश के सामने पूरा सच रखने की शुरुआत प्रधानमंत्री को करनी होगी।

(ये लेखक के अपने विचार हैं)



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सेफोलॉजिस्ट और अध्यक्ष, स्वराज इंडिया


source https://www.bhaskar.com/db-original/columnist/news/seven-bitter-truths-related-to-the-dispute-between-india-and-china-127465641.html

क्या वायरल : गृह मंत्री अमित शाह का ट्वीट बताकर एक स्क्रीनशॉट शेयर किया जा रहा है। इस ट्वीट में लिखा है जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में इंटरनेट सेवाएं बंद की जा रही हैं।

सोशल मीडिया पर इस तरह के दावे किए जा रहे हैं

Snap Complete INTERNET Service in Kashmir. Permanently BAN SOCIAL MEDIA. Social Media plays an important role in Carrying RADICAL ISLAMIC PROPAGANDA. @DostKhan_Jammu

— AaKaash Koul (@AakaashKoul) June 28, 2020

Why BJP govt playing 20 20 with the people of j&k UT.
Why they can't restored 4g internet services in j&k.They don't know the people's of j&k are suffering frm study business& #coronavirus due to cause of 4g internet service #restore4ginternet@AmitShah@PMOIndia@RahulGandhipic.twitter.com/VH3pH3KqrB

— ꧁༒☬ⒶⓗⓐMəⓓ☬༒꧂əⓓ (@Ahamed6787) June 29, 2020

Why BJP govt playing 20 20 with the people of j&k UT.
Why they can't restored 4g internet services in j&k.They don't know the people's of j&k are suffering frm study business& #coronavirus due to cause of 4g internet service #restore4ginternet@AmitShah@PMOIndia@RahulGandhipic.twitter.com/VH3pH3KqrB

— ꧁༒☬ⒶⓗⓐMəⓓ☬༒꧂əⓓ (@Ahamed6787) June 29, 2020

वायरल ट्वीट

फैक्ट चेक पड़ताल

  • वायरल ट्वीट में तारीख 21 जून, 2020 लिखी हुई है। जबकि गृह मंत्री अमित शाह के ट्विटर हैंडल पर ऐसा कोई ट्वीट ही नहीं है। गृह मंत्री के आधिकारिक ट्विटर अकाउंटOffice of Amit Shah से भी इस तारीख में कोई ट्वीट नहीं किया गया।
  • गृह मंत्रालय के प्रवक्ता ने ट्वीट करके वायरल हो रहे स्क्रीनशॉट को फर्जी बताया है।

Claim : A tweet is circulating in the name of Union Home Minister mentioning fixed line broadband and internet in J&K and Ladakh to be snapped.#FactCheck : This tweet is #fake. No such tweet has been done from Union Home Minister’s twitter handle.@PIBFactCheck@DDNewslivepic.twitter.com/2OUlZqBqZK

— Spokesperson, Ministry of Home Affairs (@PIBHomeAffairs) June 30, 2020

निष्कर्ष : सोशल मीडिया पर गृह मंत्री अमित शाह का ट्वीट बताकर वायरल हो रहा स्क्रीनशॉट फर्जी है। हाल के दिनों में गृह मंंत्री ने जम्मू कश्मीर और लद्दाख में इंटरनेट सेवाएं बंद करने जैसा कोई बयान नहीं दिया है।



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Amit Shah's fake tweet with a statement to stop internet services in Jammu and Kashmir and Ladakh, viral


source https://www.bhaskar.com/no-fake-news/news/amit-shahs-fake-tweet-with-a-statement-to-stop-internet-services-in-jammu-and-kashmir-and-ladakh-viral-127463086.html

सोमवार को मोदी सरकार ने 59 चीनी ऐप्स को देश की सुरक्षा पर खतरा बताते हुए बैन कर दिया।भारत-चीन के बीच बढ़ रहे सीमा विवाद के बाद से ही लगातार चीनी ऐप्स को देश में बैन करने की मांग तेज हो रही थी।हालांकि, सरकार ने भले ही 59 ऐप्स को बैन किया है। लेकिन, सोशल मीडिया पर अधिकतर रिएक्शन टिकटॉक से जुड़े ही देखने को मिल रहे हैं।

टिकटॉक पर लगे बैन को लेकर लोग दो धड़ों में बंट गए हैं। एक पक्ष का कहना है कि टिकटॉक जैसे ऐप्स देश की सुरक्षा के लिए खतरा थे और इनपर बैन लगाकर सरकार ने बिल्कुल सही किया है। वहीं दूसरे पक्ष की तरफ से टिकटॉक में काम करने वाले लोगों की नौकरी और आर्टिस्ट का प्लेटफॉर्म छिन जाने की बात कही जा रही है।

यूजर टिकटॉक बैन को बता रहे देशहित में उठाया गया कदम

2016 - Surgical strike
2019 - Air strike
2020 - Digital Strike

That's the power of 56 inch. 💪 #चीन_का_काल_मोदी#RIPTiktok#ModiHaiTohMumkinHai#NarendraModi#pubgbanpic.twitter.com/rmIOPf0ULL

— Deepak Kaushik (@theIntrepideeps) June 30, 2020

#चीन_का_काल_मोदी#चीन_का_काल_मोदी#RIPTiktok

Congratulations our Honrable next PM @narendramodi for 2024
2016- Surgical strike
2019- Air strike
2020- Digital Strike
56" ka kamal hai dost ..
This is old pic but good memories now pic.twitter.com/s36ccxOozf

— Puneet (@Puneet05125566) June 30, 2020

In India, Army is not just a Security Force,
It is an Emotion. #IndianArmy#RIPTiktokpic.twitter.com/vLSwy4NU6b

— DEFENDERS OF BHARAT (@BharatDefenders) June 30, 2020

Wahh Modi jhi Wahh China ki ek bimari tik Tok thi usko toh humesha ke liye khatam kardiya.#RIPTiktok

— Ajay Kumar (@AjayKumar_191) June 30, 2020

India 🇮🇳 should consider creating their own #tiktok alternative for its citizens.

The ban is just the beginning against China but as a matter of fact #indian users were first to start on tiktok platform and many have built their careers on it.

— Uzayr@hey.com (@uzayr_) June 30, 2020

बैन के विरोध में यूजर बोले- नौकरी तो भारतीयों की ही जा रही है

It has never been about TikTok or China. It is about the 'free' stage & opportunity given by technology.

A partially blind man from a tribal village, with a hut to live in, could never be admired by thousands in his lifetime, no matter how many gov. schemes we float.

— Jyoti Yadav (@jyotiyadaav) June 30, 2020

Banning tiktok doesn't affect china in the slightest. Only people who stand to lose something are the ones employed by tiktok, they will lose their jobs in the middle of a pandemic because this buffoon wants to thump his chest and play PM-PM

— Gaurav (@GauravIsOK) June 30, 2020

Aise logo ka kya hoga.. Kitne gareeeb log famous hue tiktok pe.. Government ko ye sab b dekhna chahiye.. Ya fir unk job ka intezaam karna chahiye.. Itna asaan nahi h..itne sare fan banana

— Afsaaan Khan (@AfsaaaaN) June 30, 2020

Really? Tik tok India is run by Chinese but the employees are indians, tik tok India head who is Indian donated to pm cares , many indians working in tiktok effected if banned, these are job creating apps

— kamalakar (@kamal2k22t) June 30, 2020

हमारे जवानों की शहादत का बदला लेने के लिए सरकार द्वारा Tiktok सहित 59 ऐप्स पर बैन लगाने के फ़ैसले पर कुछ लोग टिकटोक यूज़रों का मज़ाक़ बना रहे हैं मगर इन ऐप्स में काम करने वाले लाखों लोगों की नौकरी चली गयी उनके लिए सरकार क्या कदम उठा रही है?

तुम सिर्फ़ नौकरी छीन सकते हो#TikTok

— Being_Mu_Salman (@being_mu_salman) June 30, 2020

#PMSpeech#ArnabGoswami#RIPTiktok#KartikAaryan#NarendraModi#PMAddress#PMModiAddrssTheNation#StopBhaashanTakeAction#ModiCARES4Poor#JagameThandhiram#ArnabGoswami#झूठा_मोदी#TikTok#COVAXINpic.twitter.com/tono7ksYpt

— Anees Raza (@AneesRaza91) June 30, 2020

Faheem wanted to b an actor. Hailing from a remote village in Shopian, tiktok was his only hope to get noticed by Bollywood.

But govt's tiktok ban shattered his dreams. He kept thinking about it. It radicalized him to pick up weapon.

: Barkha's script for next Hizbul commander.

— divyam hospital of plastic surgery (@DivyamOf) June 30, 2020

पक्ष - विपक्ष के बीच मजे लेने वालों की भी कमीनहीं

2 Minutes silence for TIKTOK users who mentioned 'Actors' and 'Star' in Bio..!!
😄😄😂😂#RIPTiktok#tiktokbanindia#TikTokpic.twitter.com/1CvxsdTHtR

— Er Shankar Singh (@SS_Aanjana) June 30, 2020

#RIPTiktok इंडिया भी कमाल का देश है..अब देखों यहां जयपुर के युवाओं ने #Tiktok को श्रद्धांजलि दी है... बेचारे अब जो अपने आप को स्टार्स समझ रहे थे, उनका तो सपना देखते ही देखते चूर-चूर हो गया.. pic.twitter.com/kwWC9UKtIF

— Love Gaur (@lovegaur3) June 30, 2020

Aab yea kya hai, #RIPTiktokhttps://t.co/7DmyAKRV5j

— Sandip Murmu (@SandipM84418986) June 30, 2020

Gang is started.....? 😮#RIPTiktok#TikTok
pic.twitter.com/K3SSJYwCXK

— NAVIN MEHTA 🕉🕉🕉🇮🇳🇮🇳⛳⛳🕯🕯🐅🐅 (@inavinkmehta) June 30, 2020

Om Shanti @TikTok_IN 🙏 #RIPTiktokpic.twitter.com/UaJHmVFBhv

— Prashant RSS (@prashant_RSSorg) June 30, 2020

Two minutes silence for them plsss#RIPTiktokpic.twitter.com/YW0obRgzLO

— Deepak Jha 🇮🇳🇮🇳🇮🇳 (@DeepakJha_IAS21) June 30, 2020

A MEMBER OF PARLIAMENT whose only job was making TikTOK videos is now jobless
2 Minute SILENCE PELASE pic.twitter.com/WvDbUL0EIL

— Chayan Chatterjee (@Satyanewshi) June 30, 2020

हमारे मोबाइल में पहले से नहीं है टिकटॉक

हमने आज तक कोई भी गेम व टिकटोक नही डाला।
थर्ड पार्टी एप के नाम पर केवल व्हाट्सएप, ट्विटर, फ़ेसबुक, wps ऑफिस, नौकरी.com, लिंकडिन, irctc, ntes व कुछ पेमेन्ट गेटवे एप इंस्टॉल करते।

— शांडिल्य सौरभ दीक्षित #राष्ट्रवादी 🇮🇳🚩🚩 (@SaurabhDixitIND) June 21, 2020

Problem is not with me.Problem is spreading misinformation.Ban of tik tok is retaliation for whats happening at LAC.Which is a good step taken by govt.I dont have any of these banned apps installed on my phone so i am already doing my bit.dont use social media to spread fake news

— Sundar Dasar (@sundardasar) June 30, 2020



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The government banned 59 Chinese apps, but on social media people are only talking about Tiktok.


source https://www.bhaskar.com/entertainment/news/the-government-banned-59-chinese-apps-but-on-social-media-people-are-only-talking-about-tiktok-127463050.html

एक जुलाई से देशभर में अनलॉक-2 शुरू हो जाएगा। गृह मंत्रालय ने इससे संबंधित दिशा-निर्देश जारी कर दिए हैं। इस दौरान बैंकिंग से लेकर रेलवे में कई नियम बदलेंगे। 1 जुलाई से ज्यादातर बैंक फिर से तमाम बैंकिंग चार्ज वसूलना शुरू कर देंगे।

एटीएम कैश विड्राल चार्ज और मिनिमम अकाउंट बैलेंस (एमएबी) मेंटिनेंस जैसे बैंकिंग चार्ज पर सरकार ने 30 जून तक ही रोक लगाई थी। रेलवे में वेटिंग लिस्ट का टिकट नहीं मिलेगा जबकि कई स्पेशल ट्रेनों का समय बदला जाएगा। अटल पेंशन स्कीम में भी ऑटो डेबिट की सुविधा शुरू हो जाएगी। आइए जानें क्या कुछ बदलने वाला है आज से...

बैंक: दूसरे एटीएम से निकासी करने पर फिर चार्ज देना होगा

  • बैंक अकाउंट में तय सीमा से कम पैसा रखने पर एमएबी के नाम पर चार्ज लिया जाता है। जैसे एसबीआई में मेट्रो और शहरी क्षेत्रों में न्यूनतम बैलेंस 3000 रुपए रखना पड़ता है। सेमी अर्बन में 2000 रुपए और ग्रामीण इलाके में 1000 रुपए बैलेंस जरूरी है। एचडीएफसी और आईसीआईसीआई जैसे निजी क्षेत्र के बैंक मेट्रो और शहरी क्षेत्रों के लिए 10 हजार रुपए एमएबी रखे हैं। अब ये चार्ज फिर से वसूले जाएंगे।
  • पहले की तरह दूसरे बैंक के एटीएम से निश्चित संख्या से ज्यादा बार निकासी पर अब फिर चार्ज देना होगा। पहले की तरह हर महीने केवल मेट्रो शहरों में आठ और नॉन मेट्रो शहरों में लोग 10 ट्रांजेक्शन ही कर सकेंगे। कोरोनावायरस के चलते पहले लोगों को एटीएम से असीमित निकासी की सुविधा दी गई थी।
  • 1 जुलाई से कई बैंकों में जरूरी डॉक्यूमेंट जमा नहीं कराने पर लोगों के खाते फ्रीज हो जाएंगे। बैंक ऑफ बड़ौदा के साथ ही विजया बैंक और देना बैंक में भी ये नियम लागू हो गया है। विजया और देना बैंक का बैंक ऑफ बड़ौदा में विलय हो चुका है।

रेलवे: तत्काल टिकट कैंसिल कराई तो 50% रिफंड मिलेगा

  • 1 जुलाई से आपको वेटिंग लिस्ट का टिकट नहीं मिलेगा। रेलवे ने फैसला किया है कि अब लोगों को सिर्फ कंफर्म टिकट दिया जाएगा या फिर आरएसी टिकट दिया जाएगा। साथ ही, एक जुलाई से विभिन्न ट्रेनों का समय भी बदला है।
  • अभी तत्काल टिकट कैंसिल करवाने पर कोई रिफंड नहीं मिलता है, लेकिन बुधवार से रेलवे के नियमों में बदलाव के बाद तत्काल टिकट कैंसिल करवाने पर 50 फीसदी का रिफंड मिलेगा।

अटल पेंशन योजना में ऑटो डेबिट सुविधा फिर शुरू होगी

केंद्र सरकार की ओर से अटल पेंशन योजना चलाई जाती है, जिसके तहत फिलहाल ऑटो डेबिट नहीं हो रहा है। 30 जून को ये मियाद खत्म हो रही है। यानी 1 जुलाई से इस योजना में पैसा लगाने वाले लोगों के अकाउंट से पैसे अपने आप कट जाएंगे, यानी ऑटो डेबिट हो जाएंगे। यह काफी सुविधाजनक होगा।



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एटीएम कैश विड्राल चार्ज और मिनिमम अकाउंट बैलेंस (एमएबी) मेंटिनेंस जैसे बैंकिंग चार्ज पर सरकार ने 30 जून तक ही रोक लगाई थी। (फाइल)


source https://www.bhaskar.com/local/rajasthan/jaipur/news/if-you-do-not-keep-minimum-balance-in-banks-there-will-be-a-charge-waiting-tickets-will-not-be-available-in-railways-127464719.html

याेग गुरु रामदेव की पतंजलि आयुर्वेद काेराेनावायरस की दवा बनाने के दावे से पलट गई है। उत्तराखंड आयुष विभाग के नोटिस के जवाब में पतंजलि ने कहा कि उसने कोरोना की दवा बनाने का काेई दावा नहीं किया। नाेटिस के जवाब में पतंजलि के सीईओआचार्य बालकृष्ण ने कहा कि सरकारी गाइडलाइन के अनुसार अनुमति लेकर तैयार दवा से कोरोना मरीज भी ठीक हुए हैं।रामदेव ने 23 जून को दावा किया था कि पतंजलि ने जयपुर की निम्स यूनिवर्सिटी के साथ मिलकर कोरोना की दवा बना ली है।

वहीं, बालकृष्ण ने एक अन्य बयान में कहा कि इस मामले में याेजना बनाकर भ्रम और षड्यंत्र रचा गया। पतंजलि ने कोरोनिल के क्लीनिकल कंट्रोल ट्रायल का रिजल्ट बताया था। हमने कभी दवा से कोरोना ठीक या नियंत्रित करने का दावा नहीं किया। हमने कहा था कि एक दवा बनाई है, जिससे कोरोना के मरीज भी ठीक हुए हैं।

दूसरी तरफ, उत्तराखंड आयुर्वेद विभाग के लाइसेंस अधिकारी वाईएस रावत ने कहा कि पतंजलि ने नोटिस के जवाब में लिखा है कि उन्हाेंने कोरोना किट के नाम से कोई किट पैक नहीं की। उन्हाेंने सिर्फदिव्य कोरोनिल टैबलेट, दिव्य अणु तेल और श्वासारी वटी को पैक किया है। रावत ने कहा कि अब पतंजलि काे काेराेना किट पर से वायरस का चित्र हटाने काे कहा जाएगा।

नैनीताल हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया

कोरोना की दवा मामले में नैनीताल हाईकोर्ट में पतंजलि आयुर्वेद के खिलाफ याचिका भी दायर हो गई है। मामले में सुनवाई करते हुए कोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर दिया। असिस्टेंट सॉलिसिटर जनरल ऑफ इंडिया को आदेश दिया है कि बुधवार को होने वाली सुनवाई में वह खुद उपस्थित होकर इस मामले में केंद्र सरकार का पक्ष रखें।



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पतंजलि आयुर्वेद के सीईओ बालकृष्ण ने कहा कि इस मामले में याेजना बनाकर भ्रम और षड्यंत्र रचा गया। (फाइल)


source https://www.bhaskar.com/national/news/balakrishna-said-did-not-claim-to-make-medicine-for-kareena-high-court-sent-notice-to-central-government-127465687.html

2019 में चिकित्सा का नोबेल पुरस्कार पाने वाले डॉक्टर पीटर रैटक्लिफ नेफ्रोलॉजिस्ट (किडनी विशेषज्ञ) हैं। वे ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के रिसर्च स्कॉलर व फ्रांसिस क्रिक इंस्टीट्यूट के क्लीनिकल रिसर्च डायरेक्टर हैं। आज नेशनल डॉक्टर्स डे पर भास्कर के रितेश शुक्ल ने उनसे विशेष बातचीत की। उन्होंने कोरोना महामारी और भविष्य से जुड़े गंभीर सवालों का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि डब्ल्यूएचओ को खत्म नहीं किया जा सकता, उसे अपना तरीका बदलना होगा। इसके लिए राजनीति और नेताओं में सहमति जरूरी है। पढ़िए उनसे बातचीत के संपादित अंश...

जब मुझे नोबेल पुरस्कार मिला तो इतने कॉल आने लगे कि अचानक लगा कि मैं कोई महान आत्मा हूं। यहां तक कि मेरे बच्चों ने भी मुझे आदर भाव से देखा। हमारे इस पेशे की खास बात ये है कि मरीजों को देखने और रिसर्च में समय निकल जाता है। शरीर के कलपुर्जे क्यों अपना काम करने में सुस्त पड़ जाते हैं और कैसे इन्हें दोबारा चुस्त बना दिया जाए, यह यात्रा अपने आप में आनंददायक है। यही भावना एक डॉक्टर को डॉक्टर बनाती है। मौजूदा कोरोना का दौर यह बताता है कि हमें भविष्य में क्या होगा, इसकी तैयारी पहले से करनी होगी। इसमें सबसे बड़ी बाधा यह है कि इस दुनिया में उद्दंडता की हद तक प्रश्न पूछना फैशन के खिलाफ माना जाता है।

समाज में हर बात को मानना, कोई प्रश्न न उठाना फैशन है और इसीलिए अधिकतर लोग कोई खोज नहीं करते और योजनाएं पूरी न होने पर परेशान हो जाते हैं। समाज में हमें एक संतुलन चाहिए, दो किस्म के लोगों में। एक वो हैं जो मान्यताओं को तोड़ते हैं और असहनीय लेकिन उपयोगी प्रश्न उठाते हैं। दूसरे वो, जो फैशन से जुड़कर अपना जीवन बिताते हैं। दूसरा यह कि निर्णय लेने पर हम जरूरत से ज्यादा जोर देते हैं, पर निर्णय लेने के बाद क्या करना है, उस पर ध्यान नहीं देते। ये बात मैं इसलिए बता रहा हूं, क्योंकि हम जो निर्णय लेते हैं, जो योजनाएं बनाते हैं, जरूरी नहीं कि वो पूरी हों।

मसलन, पुरस्कार की घोषणा के बाद मेरे 300 कार्यक्रम तय हो गए। लेकिन अचानक कोरोना के चलते ये सभी टल गए। अब कोरोना काल में प्रश्न ये है कि भविष्य में अगर इससे बड़ी महामारी आई, जिसमें मृत्युदर कोरोना से 50 गुना ज्यादा हो, तो क्या किया जाएगा? क्यों भारत में कोरोना संक्रमण से होने वाली मृत्युदर कम है, लेकिन इटली या स्पेन में अधिक है।

वैक्सीन कब बनेगी?

इन प्रश्नों के उत्तर इस पर निर्भर करते हैं कि मानव शरीर पर कितने परीक्षण हो रहे हैं। हमें ये नहीं पता है कि ये बीमारी सीधे खून पर असर करती है या किसी रिएक्टिव माध्यम से खून में पहुंचती है। जब तक इस बात का पता नहीं चलेगा तब तक विश्वसनीय वैक्सीन या दवा बनाने में दिक्कतें आएंगी। कोरोना के केस में मेरा मानना है कि हाइपोक्सिया पर स्टडी तेज करने की जरूरत है। हाइपोक्सिया वह परिस्थिति होती है, जब जरूरत जितना ऑक्सीजन शरीर के टिश्यूज तक नहीं पहुंच पाता। इससे वेंटिलेटर की जरूरत कम की जा सकती है।

मेरे हिसाब से एल्मिट्रीन दवा, जिसे एक फ्रेंच कंपनी बनाती है, उसका ट्रायल शुरू करना चाहिए। यह फेफड़ों की बीमारी की दवा है लेकिन इसका इस्तेमाल रोक दिया गया। ट्रायल से कोविड मामलों में इसकी उपयोगिता का पता लगाया जा सकता है। अंतत: परीक्षण के बिना ऐसे सवालों का उत्तर नहीं मिल सकता। चिकित्सा समुदाय, मेडिकल टेक्नोलॉजी को सारा ध्यान इनका उत्तर ढूंढने में लगा देना चाहिए।

ऑफिसों में कार्यप्रणाली क्या होगी?

अगर महामारी का खतरा बना हुआ है तो फिर ऑफिसों में कार्यप्रणाली क्या होगी? ऐसे ही बिल्डिंग डिजाइन, फायर रेगुलेशन इत्यादि जैसे विषयों पर भी पुनर्विचार करने की आवश्यकता है, ताकि भविष्य में महामारी के दौरान जान-माल को बचाया जा सके। आज वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन जैसे वैश्विक संस्थानों पर भी कोरोना काल में आरोप लगने लगे हैं।

मैं ये नहीं कहूंगा कि अब डब्ल्यूएचओ की जरूरत नहीं है, लेकिन इनके काम करने के तरीके में बदलाव की आवश्यकता है। राजनीतिक निर्णयों में सामंजस्य नहीं है। राजनीति अपने हितों को ध्यान में रखकर निर्णय करती आई है, जबकि कोरोना महामारी ने साफ कर दिया है कि अब राजनीतिक निर्णय दुनियाभर के लोगों को ध्यान में रखकर किया जाना चाहिए।

केमिस्ट्री पढ़ना था, शिक्षक बोले- मेडिसिन पढ़ो
जब मैं कॉलेज में दाखिला ले रहा था, तो केमेस्ट्री लेना चाहता था। लेकिन मेरे हेड मास्टर के कहने पर मेडिसिन ली। न उन्होंने कुछ समझाने की कोशिश की और न ही मैंने कोई सवाल किए। मैंने उनके कहने पर चुना और आज मुझे अपना काम बहुत पसंद है। मुझे लगता है कि ये निर्णय करना ज्यादा जरूरी है कि आप क्यों कुछ करना चाहते हैं, तब आप यह तय कर पाएंगे कि आप क्या करना चाहते हैं।



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पीटर रैटक्लिफ ने कहा कि डब्ल्यूएचओ को खत्म नहीं किया जा सकता, उसे अपना तरीका बदलना होगा। इसके लिए राजनीति और नेताओं में सहमति जरूरी है। (फाइल)


source https://www.bhaskar.com/international/news/professor-sir-peter-ratcliffe-interview-on-coronavirus-127465688.html

केंद्र सरकार ने हेपरिन नाम के एक इंजेक्शन की कीमत 50% बढ़ाने का फैसला किया है। खास बात यह है कि यह इंजेक्शन आईसीयू में भर्ती काेराेना मरीजों काे भी दिया जा रहा है। फेफड़ों में जमे खून के थक्के खत्म करने के लिए यह इंजेक्शन मरीजों काे दिया जाता है।

नेशनल फार्मास्यूटिकल प्राइसिंग अथॉरिटी (एनपीपीए) ने हेपरिन की अधिकतम कीमत 50% बढ़ाने का निर्णय लिया है। यह इंजेक्शन कई कंपनियां बना रही हैं। इस फैसले के बाद ये कंपनियां मौजूदा कीमत से 50% ज्यादा कीमत वसूल सकेंगी। अलग-अलग कंपनियों के इंजेक्शन की कीमतें अलग-अलग हैं।

एनपीपीए की चेयरमैन शुभ्रा सिंह ने कहा कि यह सही है कि यह इंजेक्शन कोविड मरीजों के लिए महत्वपूर्ण है। लेकिन वर्ष 2018 से इसके रॉ मैटेरियल (एपीआई) की कीमत 200 फीसदी तक बढ़ चुकी है। इसके बावजूद कीमत नहीं बढ़ी थी। दवा की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए एनपीपीए ने इसकी अधिकतम कीमत बढ़ाने का निर्णय लिया है।

चीन में नया स्वाइन फ्लू वायरस मिला, यह महामारी शुरू कर सकता है
उधर, काेराेना के कहर के बीच चीन के शाेधकर्ताओंकाे एक नए तरह का स्वाइन फ्लू वायरस मिला है। सूअरों में मिलने वाला यह वायरस इंसानों काे संक्रमित कर सकता है। इसमें भी भविष्य में नई महामारी शुरू करने की क्षमता दिख रही है। हालांकि, वैज्ञानिकों ने कहा है कि वायरस से तत्काल काेई वैश्विक स्वास्थ्य जोखिम नहीं है। अमेरिकी साइंस जर्नल पीएनएएस में प्रकाशित रिसर्च के अनुसार चीन में 2011 से 2018 तक 30 हजार सुअरों पर किए अध्ययन में यह वायरस सामने आया।



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नेशनल फार्मास्यूटिकल प्राइसिंग अथॉरिटी (एनपीपीए) ने हेपरिन की अधिकतम कीमत 50% बढ़ाने का निर्णय लिया है। (फाइल)


source https://www.bhaskar.com/national/news/heparin-injection-of-50-expensive-for-karena-patients-of-icu-central-government-decides-127465689.html

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प विदेश के राष्ट्राध्यक्षों से बातचीत के लिए तैयारी नहीं करते, इसके अलावा खुफिया एजेंसियों द्वारा तैयार ब्रीफिंग नहीं पढ़ते। विदेशी राष्ट्राध्यक्षों के ऐसे फोन भी सुन लेते हैं, जिनकी पहले से कोई सूचना नहीं होती। उन्होंने ऐसा करके कई बार सुरक्षा सलाहकारों को सकते में डाल दिया। यह दावा वाटरगेट कांड के पत्रकार कार्ल बर्नस्टीन ने किया है।

उन्होंने सूत्रों से बातचीत करके ट्रम्प के विदेशी नेताओं के साथ सैकड़ों निजी फोन कॉल की डिटेल्स पता करके सीएनएन के लिए रिपोर्ट तैयार की है। इसके मुताबिक ट्रम्प फोन पर अपनी उपलब्धियों और समृद्धि का बखान करते रहते हैं और भ्रमित रहते हैं इससे कई बार राष्ट्रीय सुरक्षा खतरे में पड़ चुकी है।

जर्मन चांसलर मर्केल को बेवकूफ कहा था: रिपोर्ट

महिला नेताओं का अपमान ट्रम्प करते ही रहते हैं, इसी कड़ी में उन्होंने जर्मन चांसलर मर्केल को बेवकूफ कहा, और उन्हें रूस का अनुयायी बता दिया। वहीं ब्रेग्जिट पर थेरेसा मे को कमजोर बताया। फ्रांस के राष्ट्रपति मैक्रों को ईरान और जलवायु मुद्दे पर मन न बदलने के लिए लताड़ लगाई।

पुतिन और तुर्की के राष्ट्रपति एर्दोगन से बातचीत में उन्होंने पूर्व राष्ट्रपति जॉर्ज डब्ल्यू बुश और ओबामा को जमकर कोसा, अपमानजनक बातें कही। साथ ही कहा कि सभी मुद्दों पर सीधे मुझसे बात करें। एर्दोगन ने ट्रम्प की मध्य-पूर्व पर कम जानकारी का फायदा उठाया। सऊदी किंग सलमान, उत्तर कोरिया के किम जोंग उन की ट्रम्प से खूब जमी, क्योंकि वे उपलब्धियों पर ट्रम्प की तारीफ करते हैं।

रूसी राष्ट्रपति पुतिन से बातचीत में कभी नहीं जीत पाए ट्रम्प: सूत्र
सूत्रों का दावा है कि पुतिन से बातचीत के दौरान ट्रम्प का अंदाज अलग होता है। क्योंकि पुतिन पश्चिम को तवज्जो ही नहीं देते। ऐसे में ट्रम्प को लगता है कि वो पुतिन के सामने खुद को कारोबारी और सख्त व्यक्ति के तौर पर पेश करेंगे तो पुतिन सम्मान करेंगे। पर ऐसा नहीं हुआ, पुतिन ने बातचीत में हर बार उन्हें मात दी।



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सूत्रों का दावा है कि पुतिन से बातचीत के दौरान ट्रम्प का अंदाज अलग होता है, क्योंकि पुतिन पश्चिम को तवज्जो ही नहीं देते। (फाइल फोटो)


source https://www.bhaskar.com/international/news/donald-trump-called-merkel-stupid-and-theresa-may-weak-former-president-bush-obama-insulted-report-127465690.html

केंद्र सरकार ने हेपरिन नाम के एक इंजेक्शन की कीमत 50% बढ़ाने का फैसला किया है। खास बात यह है कि यह इंजेक्शन आईसीयू में भर्ती काेराेना मरीजों काे भी दिया जा रहा है। फेफड़ों में जमे खून के थक्के खत्म करने के लिए यह इंजेक्शन मरीजों काे दिया जाता है।

नेशनल फार्मास्यूटिकल प्राइसिंग अथॉरिटी (एनपीपीए) ने हेपरिन की अधिकतम कीमत 50% बढ़ाने का निर्णय लिया है। यह इंजेक्शन कई कंपनियां बना रही हैं। इस फैसले के बाद ये कंपनियां मौजूदा कीमत से 50% ज्यादा कीमत वसूल सकेंगी। अलग-अलग कंपनियों के इंजेक्शन की कीमतें अलग-अलग हैं।

एनपीपीए की चेयरमैन शुभ्रा सिंह ने कहा कि यह सही है कि यह इंजेक्शन कोविड मरीजों के लिए महत्वपूर्ण है। लेकिन वर्ष 2018 से इसके रॉ मैटेरियल (एपीआई) की कीमत 200 फीसदी तक बढ़ चुकी है। इसके बावजूद कीमत नहीं बढ़ी थी। दवा की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए एनपीपीए ने इसकी अधिकतम कीमत बढ़ाने का निर्णय लिया है।

चीन में नया स्वाइन फ्लू वायरस मिला, यह महामारी शुरू कर सकता है
उधर, काेराेना के कहर के बीच चीन के शाेधकर्ताओंकाे एक नए तरह का स्वाइन फ्लू वायरस मिला है। सूअरों में मिलने वाला यह वायरस इंसानों काे संक्रमित कर सकता है। इसमें भी भविष्य में नई महामारी शुरू करने की क्षमता दिख रही है। हालांकि, वैज्ञानिकों ने कहा है कि वायरस से तत्काल काेई वैश्विक स्वास्थ्य जोखिम नहीं है। अमेरिकी साइंस जर्नल पीएनएएस में प्रकाशित रिसर्च के अनुसार चीन में 2011 से 2018 तक 30 हजार सुअरों पर किए अध्ययन में यह वायरस सामने आया।



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नेशनल फार्मास्यूटिकल प्राइसिंग अथॉरिटी (एनपीपीए) ने हेपरिन की अधिकतम कीमत 50% बढ़ाने का निर्णय लिया है। (फाइल)


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याेग गुरु रामदेव की पतंजलि आयुर्वेद काेराेनावायरस की दवा बनाने के दावे से पलट गई है। उत्तराखंड आयुष विभाग के नोटिस के जवाब में पतंजलि ने कहा कि उसने कोरोना की दवा बनाने का काेई दावा नहीं किया। नाेटिस के जवाब में पतंजलि के सीईओआचार्य बालकृष्ण ने कहा कि सरकारी गाइडलाइन के अनुसार अनुमति लेकर तैयार दवा से कोरोना मरीज भी ठीक हुए हैं।रामदेव ने 23 जून को दावा किया था कि पतंजलि ने जयपुर की निम्स यूनिवर्सिटी के साथ मिलकर कोरोना की दवा बना ली है।

वहीं, बालकृष्ण ने एक अन्य बयान में कहा कि इस मामले में याेजना बनाकर भ्रम और षड्यंत्र रचा गया। पतंजलि ने कोरोनिल के क्लीनिकल कंट्रोल ट्रायल का रिजल्ट बताया था। हमने कभी दवा से कोरोना ठीक या नियंत्रित करने का दावा नहीं किया। हमने कहा था कि एक दवा बनाई है, जिससे कोरोना के मरीज भी ठीक हुए हैं।

दूसरी तरफ, उत्तराखंड आयुर्वेद विभाग के लाइसेंस अधिकारी वाईएस रावत ने कहा कि पतंजलि ने नोटिस के जवाब में लिखा है कि उन्हाेंने कोरोना किट के नाम से कोई किट पैक नहीं की। उन्हाेंने सिर्फदिव्य कोरोनिल टैबलेट, दिव्य अणु तेल और श्वासारी वटी को पैक किया है। रावत ने कहा कि अब पतंजलि काे काेराेना किट पर से वायरस का चित्र हटाने काे कहा जाएगा।

नैनीताल हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया

कोरोना की दवा मामले में नैनीताल हाईकोर्ट में पतंजलि आयुर्वेद के खिलाफ याचिका भी दायर हो गई है। मामले में सुनवाई करते हुए कोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर दिया। असिस्टेंट सॉलिसिटर जनरल ऑफ इंडिया को आदेश दिया है कि बुधवार को होने वाली सुनवाई में वह खुद उपस्थित होकर इस मामले में केंद्र सरकार का पक्ष रखें।



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पतंजलि आयुर्वेद के सीईओ बालकृष्ण ने कहा कि इस मामले में याेजना बनाकर भ्रम और षड्यंत्र रचा गया। (फाइल)


source /national/news/balakrishna-said-did-not-claim-to-make-medicine-for-kareena-high-court-sent-notice-to-central-government-127465687.html

एक जुलाई से देशभर में अनलॉक-2 शुरू हो जाएगा। गृह मंत्रालय ने इससे संबंधित दिशा-निर्देश जारी कर दिए हैं। इस दौरान बैंकिंग से लेकर रेलवे में कई नियम बदलेंगे। 1 जुलाई से ज्यादातर बैंक फिर से तमाम बैंकिंग चार्ज वसूलना शुरू कर देंगे।

एटीएम कैश विड्राल चार्ज और मिनिमम अकाउंट बैलेंस (एमएबी) मेंटिनेंस जैसे बैंकिंग चार्ज पर सरकार ने 30 जून तक ही रोक लगाई थी। रेलवे में वेटिंग लिस्ट का टिकट नहीं मिलेगा जबकि कई स्पेशल ट्रेनों का समय बदला जाएगा। अटल पेंशन स्कीम में भी ऑटो डेबिट की सुविधा शुरू हो जाएगी। आइए जानें क्या कुछ बदलने वाला है आज से...

बैंक: दूसरे एटीएम से निकासी करने पर फिर चार्ज देना होगा

  • बैंक अकाउंट में तय सीमा से कम पैसा रखने पर एमएबी के नाम पर चार्ज लिया जाता है। जैसे एसबीआई में मेट्रो और शहरी क्षेत्रों में न्यूनतम बैलेंस 3000 रुपए रखना पड़ता है। सेमी अर्बन में 2000 रुपए और ग्रामीण इलाके में 1000 रुपए बैलेंस जरूरी है। एचडीएफसी और आईसीआईसीआई जैसे निजी क्षेत्र के बैंक मेट्रो और शहरी क्षेत्रों के लिए 10 हजार रुपए एमएबी रखे हैं। अब ये चार्ज फिर से वसूले जाएंगे।
  • पहले की तरह दूसरे बैंक के एटीएम से निश्चित संख्या से ज्यादा बार निकासी पर अब फिर चार्ज देना होगा। पहले की तरह हर महीने केवल मेट्रो शहरों में आठ और नॉन मेट्रो शहरों में लोग 10 ट्रांजेक्शन ही कर सकेंगे। कोरोनावायरस के चलते पहले लोगों को एटीएम से असीमित निकासी की सुविधा दी गई थी।
  • 1 जुलाई से कई बैंकों में जरूरी डॉक्यूमेंट जमा नहीं कराने पर लोगों के खाते फ्रीज हो जाएंगे। बैंक ऑफ बड़ौदा के साथ ही विजया बैंक और देना बैंक में भी ये नियम लागू हो गया है। विजया और देना बैंक का बैंक ऑफ बड़ौदा में विलय हो चुका है।

रेलवे: तत्काल टिकट कैंसिल कराई तो 50% रिफंड मिलेगा

  • 1 जुलाई से आपको वेटिंग लिस्ट का टिकट नहीं मिलेगा। रेलवे ने फैसला किया है कि अब लोगों को सिर्फ कंफर्म टिकट दिया जाएगा या फिर आरएसी टिकट दिया जाएगा। साथ ही, एक जुलाई से विभिन्न ट्रेनों का समय भी बदला है।
  • अभी तत्काल टिकट कैंसिल करवाने पर कोई रिफंड नहीं मिलता है, लेकिन बुधवार से रेलवे के नियमों में बदलाव के बाद तत्काल टिकट कैंसिल करवाने पर 50 फीसदी का रिफंड मिलेगा।

अटल पेंशन योजना में ऑटो डेबिट सुविधा फिर शुरू होगी

केंद्र सरकार की ओर से अटल पेंशन योजना चलाई जाती है, जिसके तहत फिलहाल ऑटो डेबिट नहीं हो रहा है। 30 जून को ये मियाद खत्म हो रही है। यानी 1 जुलाई से इस योजना में पैसा लगाने वाले लोगों के अकाउंट से पैसे अपने आप कट जाएंगे, यानी ऑटो डेबिट हो जाएंगे। यह काफी सुविधाजनक होगा।



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एटीएम कैश विड्राल चार्ज और मिनिमम अकाउंट बैलेंस (एमएबी) मेंटिनेंस जैसे बैंकिंग चार्ज पर सरकार ने 30 जून तक ही रोक लगाई थी। (फाइल)


source /local/rajasthan/jaipur/news/if-you-do-not-keep-minimum-balance-in-banks-there-will-be-a-charge-waiting-tickets-will-not-be-available-in-railways-127464719.html

तीरंदाजी के दो धुरंधर मंगलवार को एक-दूजे के हो गए। ओलिंपियन पद्मश्री दीपिका और अतनु दास ने सात फेरे लेकर जिंदगी की नई पारी शुरू की। अतनु दास ने दीपिका को मास्कपहनाकर रक्षा का नया वचन दिया। अतनु दास सात बारातियों के साथ सोमवार को ही रांची पहुंच गए थे। वहीं परिवार की ओर से करीब 50 लोग समारोह में शामिल थे। शादी के बाद सीएमहेमंत सोरेन, सांसद संजय सेठ और विधायक सुदेश महतो व नवीन जायसवाल सहित कई लोगों ने वर-वधु को आशीर्वाद दिया। सीएम ने कहा-दीपिका हमारे राज्य की शान है। उन्हें जीवन की नई पारी की शुभकामनाएं।

लद्दाख के इतिहास में पहली बार बिना भागीदारी के मनात्योहार

लेह-लद्दाख का दो दिवसीय हेमिस फेस्टिवल मंगलवार से शुरू हो गया है। लद्दाख के इतिहास में यह पहला मौका है, जब इसे सांकेतिक रूप से मनाया जा रहा है। कोविड-19 को देखते हुए पहले दिन फेस्टिवल में 13 भिक्षु, 13 काली टोपी वाले नर्तक और पारंपरिक वेशभूषा वाले 16 नर्तक शामिल हुए। त्योहार लेह के एक खाली यार्ड में मनाया जा रहा है। स्थानीय लोग बताते हैं- ‘गुरु रिन्पोछे पद्मसंभव 8वीं सदी में महान बुद्धिष्ट मास्टर थे। उन्होंने लद्दाख से बुरी आत्माओं को भगाया था। इस कारण हेमिस फेस्टिवल बुराई पर अच्छाई की जीत के तौर पर उन्हीं की याद में मनाया जाता है।

सेक्टर-17 में धूमधाम से मनायागर्व उत्सव

चंडीगढ़में एलजीबीटी और किन्नर समुदाय के लोगों ने सेक्टर-17 में सामाजिक दूरी को ध्यान में रखते हुए एक गर्व उत्सव मनाया। ताकि लैंगिक भेद और असमानता खत्म हो और सब मिलकर देश निर्माण में सहभागी बने।

आकाशीय बिजली गिरने से 11 लोगों की मौत

गुजरात में मंगलवार को आकाशीय बिजली गिरने की अलग-अलग घटनाओं में 11 लोगों की मौत हो गई, जबकि 17 अन्य झुलस गए। अधिकांश हादसे सौराष्ट्र अंचल में हुए। यहां दिख रहा फोटो भावनगर कीहै। यहां आकाशीय बिजली गिरने के पलों को एक्रेसिल लिमिटेड के चेयरमैन चिराग पारेख ने विक्टोरिया पॉर्क में मोबाइल कैमरे में कैद किया।

ट्यूबवैल खुदवाकर भूली पंचायत

राजस्थान के भीलवाड़ा जिले के भुंडेला में लंबे समय से पेयजल संकट है। सार्वजनिक ट्यूबवैल से ग्रामीण स्वयं मोटर लगवाकर हंस आश्रम की बिजली व टांके से पानी ले रहे हैं। ट्यूबवैल चालू होने से पहले ही यहां पानी के लिए रोजाना लंबी कतार लग जाती है। स्कूल परिसर में लगा हैंडपंप भी खराब पड़ा है।

पिछली बार से 90 मिमी ज्यादा पानी जून में गिरा

छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले में मंगलवार को जमकर बारिश हुई। एक ही दिन में 96 मिमी बारिश दर्ज की गई है। 30 जून तक 276.7 मिमी बारिश हो चुकी है। पिछले साल 187.1 मिमी बारिश हुई थी। इस तरह 89.6 मिमी अधिक वर्षा हुई। मौसम विभाग ने बुधवार को भी बारिश होने की संभावना जताई है। मौसम का एक चक्रवाती घेरा छत्तीसगढ़ में बना हुआ है इसलिए बारिश होगी। बुधवार को भी बारिश हो सकती है।

एक टांग पर 5 घंटे खड़े रहकर सो भी लेते हैं राजहंस

मध्यप्रदेश के गुना जिले में स्थित सिंगवासा तालाब में इस साल पहली बार ग्रेटर फ्लेमिंगों (राजहंस) की प्रजाति प्रवास पर आई है। आमतौर पर प्रवासी पक्षी सर्दियों में आते हैं। सिंगवासा पर कई बार साइबेरियन सारस देखे गए हैं पर ग्रेटर फ्लेमिंगो अपेक्षाकृत गर्म देशों की प्रजाति है।लॉकडाउन और भरपूर पानी के कारण हुआ प्रवास इस बार लॉकडाउन के कारण सिंगवासा के आसपास मानवीय गतिविधियां बहुत कम है। वहीं पिछले साल हुए गहरीकरण के शानदार नतीजे इस बार दिखाई दे रहे हैं। इन दोनों अनुकूल स्थितियों के कारण यह पक्षी पहली बार हमारे यहां आएहैं।

कोरोना काल में इस तरह परिजनों से मुलाकात

छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले के नवापारा बारीडीह पंचायत के प्राइमरी सरकारी स्कूल में इलाहाबाद से लौटा मजदूर का परिवार क्वारैंटाइन में है। मजदूर अशोकअपने बच्चों ने मिलने शुक्रवार को क्वारैंटाइन सेंटर पहुंचे। वे स्कूल के गेट पर खड़े हो गए और अपने बच्चे, पत्नी,बहन और बहनोई को दूर से देखा। गेट के बाहर से ही बातचीत की। उन्होंने बताया कि घर पर आज अच्छी सब्जी बनी थी, सोचा बच्चों को खिला दूं।



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Deepika became Atanu; Now a target of archers, Hemis Festival was celebrated for the first time in the history of Ladakh without participation.


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