सरकार ने शहरों में हेलमेट की अनिवार्यता हटाई; लोगों ने कहा था- इसे पहनने से मेकअप बिगड़ता है, हॉर्न सुनाई नहीं देता
गांधीनगर. गुजरात सरकार ने बुधवार को एक महत्वपूर्ण निर्णय लेते हुए शहरी इलाकों में दोपहिया वाहनचालकों के लिए हेलमेट की अनिवार्यता का नियम को खत्म कर दिया। कैबिनेट की बैठक में महानगर पालिका और नगर पालिका के सीमावर्ती इलाकों में हेलमेट की अनिवार्यता खत्म कर दी। हालांकि,नेशनल-स्टेट हाईवे और पंचायत के रास्तों पर हेलमेट पहनना अनिवार्य है। नया नियम बुधवार से लागू हो गया है।
गुजरात पहला राज्य था जहां हेलमेट न पहनने पर जुर्माना घटाकर 500 रुपए कर दिया गया था। अब लोगों की परेशानी का हवाला देकर शहरी क्षेत्रों में अनिवार्यता ही खत्म कर दी गई है।
लोगों के अजीब तर्क
- शादी समारोह में हेलमेट से परेशानी होती है। इससे मेकअप खराब हो जाता है। शुभ अवसरों पर जाते समय इससे दिक्कत होती है।
- श्मशान या शोकसभा में जाना हो, अर्थी को कंधा देते समय हेलमेट लेकर खड़ा रहना पड़ता है। यह बहुत खराब लगता है।
- मार्च से अगस्त-सितंबर तक भयंकर गर्मी पड़ती है। गर्मी में हेलमेट पहनने से पसीना बहुत आता है।
- हेलमेट पहनने के कारण बगल या पीछे से आने वाले वाहनों का हॉर्न सुनाई नहीं देता। इससे दुर्घटना होने का खतरा रहता है। पीछे देखते समय दुर्घटना हो सकती है।
- सोशल मीडिया पर हेलमेट के नियम को लेकर लोगों ने नाराजगी जताई थी। मुख्यमंत्री केहोमटाउन राजकोट में नियम हटाने के लिए सरकार के खिलाफ अभियान शुरूहुआ था। यह सरकार के खिलाफ जा सकता है।
हेलमेट न पहनने का परिणाम
- 1500लोगोंकी हेलमेट न पहनने के कारण सन् 2018 में जान गई।
- 6068दुर्घटनाएं हेलमेट न पहनने के कारण 2017 में हुई। 2190 की मौत हुई।
- 87%लोग दुर्घटना के शिकार हुए वे हेलमेट नहीं पहनने थे।
विजय रूपाणी का मानना-निर्णय जनहित में
मुख्यमंत्री विजय रूपाणी ने ट्वीट करके हेलमेट से प्रतिबंध हटाने के निर्णय को जनहित में बताया। अब शहरी इलाकों में हेलमेट पहनना अनिवार्य नहीं है। स्टेट और नेशनल हाईवे अथवा एप्रोच रोड भी अनिवार्य रहेगा।
कई मंत्री असहमत
सरकार के इस निर्णय से प्रदेश के कई मंत्री असहमत बताए जा रहे हैं। उनका तर्क है कि शहरों में भी हेलमेट के कारण जान बच सकती है। कुछ मंत्रियों ने तो यहां तक कहा कि कांग्रेस प्रेरित अभियान के कारण सरकार को दबाव में नहीं आना चाहिए।
भास्कर विचार:निर्णय भले सरकार का है, पर जान तो अपनी है
हेलमेट से प्रतिबंध हटाने का निर्णय भले सरकार का है, पर सिर तो अपना है। इसलिए संभालने में भले थोड़ी बहुत मुश्किल हो, पर भूले बगैर इसे पहनना चाहिए। कारण गायब हेलमेट फिर से मिल सकता है, पर जान वापस नहीं आ सकती है। याद रखें कि हेलमेट से प्रतिबंध हटाते समय सरकार ने भी माना है कि सड़क दुर्घटना में हेलमेट सिर की सुरक्षा के लिए बहुत जरूरी है।
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